"अनिका?" एक आदमी की आवाज़ से अनिका अपनी गहरी सोच से बाहर आ गई। अनिका ने दरवाज़े की तरफ देखा तो नाथन खड़ा था और उसे चिंतित नज़रों से देख रहा था।
"लगभग आठ बज चुके हैं, अनिका। तुमने लंच भी नही किया था। तुमने पूरे दिन में सिर्फ फल ही खाएं हैं। मैं तुम्हारे लिए जल्दी से डिनर पैक करवा कर ले आया हूं क्योंकि तुम्हे कहीं रुक कर खाने में या घर जा कर बनाने में परेशानी होगी क्योंकि तुम बहुत थकी हुई लग रही हो।"
अनिका ने हां में सिर हिला दिया। "थैंक्स, नाथन।" अनिका ने खाने के पैकेट को अपने पास रख लिया।
अनिका वापिस अपना काम करने लगी, पर नाथन अभी भी ऐसे ही खड़ा था।
"क्या तुम्हे घर वापिस जाते वक्त एक राइड चाहिए? तुम बहुत थकी हुई लग रही हो। तुम पिछले दो हफ्तों से लगातार दिन में पंद्रह पंद्रह घंटे काम कर रही हो।"
अनिका हल्का सा मुस्कुरा गई। "नही। मैं ठीक हूं। तुम तो जानते हो की मुझे यह काम आई रात ही खतम करना है।"
"जानता हूं।" नाथन ने जवाब दिया। उसकी आवाज़ में उदासी झलक रही थी। "तोह फिर मैं तुमसे कल मिलता हूं? दुपहर में, तुम्हारे घर?"
"हम्मम।"
"तुम्हारे लिए लंच में कुछ लेते आऊं।" नाथन ने ऑफर किया।
"जरूरत नही है। मैं हमारे लिए ऑर्डर कर लूंगी।"
नाथन ने सिर हिला दिया और अनिका के ऑफिस से बाहर निकल गया। अनिका उस देर तक काम करती रही। जब तक उसने अपना काम खतम कर बंद किया तब तक सुबह होने को आई थी।
जैसे ही वोह अपने अपार्टमेंट में पहुँची, उसकी नज़रे उसके लैंडलाइन फोन पर गई जिसने रेड लाइट ब्लिंक कर रही थी। वोह तुरंत भागी फोन पर आए मैसेज चैक कर ने के लिए। जैसे ही उसने प्ले का बटन दबाया, उसे अपनी मॉम की आवाज़ सुनाई पड़ी।
"अनिका, डैड और मैं नौ बजे तक पहुँच जायेंगे। अगर तुम्हे कुछ मंगवाना है तो हम बता देना।"
अनिका ने दूसरा मैसेज सुनने के लिए बटन दबाया।
"अन्न, मॉम तुम्हे फोन कर ने की कोशिश कर रही थी। और हमेशा की तरह, वोह मुझे परेशान कर रही हैं जब भी वोह तुमसे बात नही कर पाती।"
दूसरी तरफ अनिका की बहन की हँसने की आवाज़ आने लगी।
"वैसे, जस्टिन और मैं तुम्हारे घर ग्यारह बजे तक पहुँच जायेंगे। हम लंच ले कर आयेंगे तोह कुछ बनाने की जरूरत नहीं है और ना ही कुछ ऑर्डर करना।"
सुबह जब उसने अपने फोन में आंसरिंग मशीन में जो मैसेजेस सुने थे उसके बाद से इसके अलावा और कोई मैसेज नहीं था। अनिका को बहुत गहरी निराशा होने लगी और साथ ही गुस्सा भी आने लगा। उसने उग्रता पूर्वक अपने आंसू पोछे और अपने बेडरूम की तरफ चली गई कपड़े बदलने के लिए। उसे कुछ देर सोने की जरूरत थी इससे पहले की वह अपना दिन नाथन और अपनी फैमिली के साथ गुजारे।
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अगली सुबह अनिका सुबह 8:00 बजे उठी और अपने दिन की शुरुआत करने के लिए तैयार होने लगी। वह ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी हल्का सा मेकअप लगाने के लिए जब उसने अपने आप को शीशे में देखा। उसका चेहरा पूरा पीला पड़ा हुआ था और आँखों के नीचे काले घेरे छा गए थे। इन दो हफ्तों में उसने काफी हद तक वजन भी कम कर लिया था। वोह शायद ही कुछ खाती थी, और जो भी थोड़ा बहुत खाना वोह खाती थी वोह उसके पेट में टिकता ही नही था। वोह कंसीलर से अपने डार्क सर्कल्स को छुपाने की कोशिश कर रही थी ताकि जब उसकी मॉम आए तो उसे देख कर चिंतित ना हो जाए। बस वोह अपने चेहरे को एक फिनिशिंग टच दे ही रही थी की, उसके घर की डोर बैल बज गई। उसने अपनी ड्रेस ठीक की जो की उसकी चुगली कर रही थी की उसने कितना वेट लॉस किया है। एक बार अपने आप को शीशे में देखने के बाद वोह दरवाज़े की तरफ चली गई।
जल्दी से उनसे अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लिए दरवाज़ा खोल दिया। उसकी मुस्कुराहट एक दम जम गई। उसके सामने खड़ा लंबा चौड़ा इंसान उसका पति था।
"क्या मैं अंदर आ सकता हूं?" अभय सिंघम ने पूछा जबकि उसकी आँखें अनिका को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर रही थी और उसकी हर एक जानकारी ले रही थी।
अनिका के चेहरे पर गुस्सा दिखने लगा जब उसने अभय के चेहरे पर उसके लिए चिंता देखी। अनिका पीछे हट गई और अभय को अंदर आने दिया और फिर दरवाज़ा बंद कर लिया।
"अनिका, तुम कैसी हो—" इससे पहले की अभय अपने शब्द पूरे करता उसके गाल पर एक ज़ोर दार थप्पड़ पड़ गया। अभय का चेहरा थोड़ा साइड हो गया अनिका के तेज़ ताकत की वजह से। धीरे से अभय ने अनिका की तरफ फिर चेहरा घुमाया।
"अनिका—" अनिका ने फिर एक ज़ोर दार थप्पड़ मारा पर इस बार दूसरे गाल पर और उतनी ही ताकत के साथ। जब अभय वापिस उसकी तरफ पलटा तो अभय की आँखें बड़ी हो गई।
"अनिका सुनो—" अनिका ने फिर हाथ उठाया उसे थप्पड़ मारने के लिए, पर इस बार अभय ने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया।
अभय ने उसका दूसरा खाली हाथ भी पकड़ लिया और उसे करीब कर लिया। अनिका गुस्से से उस से छूटने की कोशिश करने लगी पर छूट नही पा रही थी।
"क्या तुम रुकोगी और एक मिनिट मेरी बात सुनोगी!" अभय ने कहा।
"तुमने मुझे दूर कर दिया था!" अनिका उसके मुंह पर चिल्लाई। "मैं तुम्हारे सामने गिड़गिड़ाती रही, पर तब भी तुमने मुझे बाहर फेंक दिया!"
अभय ने नज़रे नीची कर ली। "जानता हूं। आई एम सॉरी।"
"भाड़ में जाओ तुम भाड़ में जाए तुम्हारा सॉरी!" अनिका गुस्से एस बोली। अनिका ने अशिष्ट शब्द कहने पर अभय के चेहरे पर हैरानी वाले भाव देखे।
अभय ने आग फिर बोलने से पहले अपने चेहरे के भाव फिर भावहीन कर लिए। "आई एम सॉरी—" अनिका उस से छूटने की फिर कोशिश करने लगी।
"मैने कहा ना मुझे तुम्हारा कोई बकवास सॉरी नही चाहिए।" अनिका थोड़ा झुकी और उसके हाथ पर काट लिया।
अभय ने उसे जाने नही दिया। वोह करहाया, और फिर अनिका को थोड़ा ऊपर की ओर उठा कर उसे दीवार से टिका दिया। अब अभय अनिका को ज़ोर से किस करने लगा। अनिका उससे छूटने की कोशिश करती रही और अपनी गुस्से भरी आवाज़ें निकालती रही पर अभय उसे किस किए जा रहा था। अनिका ने उसके होठों पर भी काट लिया, पर तब भी अभय ने उसे नही छोड़ा। वोह उसे जब तक किस करता रहा जब तक की अनिका का मुंह सॉफ्ट नही हो गया यानी की उसने प्रोटेस्ट करना बंद नही कर दिया, और तब अनिका ने भी अभय को वापिस किस करना शुरू कर दिया।
कुछ पल बाद अभय ने उसे छोड़ा और अनिका चुपचाप उसे देखने लगी। अभय ने अनिका के आंसू पोछे जो की किस करने के दौरान कब अनिका के आंखों से बह गए उसे खुद पता नही चला।
"तुमने मुझे निकाल दिया था," अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा। उसे अब धुंधला दिखने लगा था क्योंकि आंखों में आंसुओं ने जगह बना ली थी।
मैं जानता हूं," अभय ने प्यार से कहा। इस बार उसने सॉरी शब्द का इस्तेमाल नही किया। "मैं यह दुबारा नही करूंगा," अभय ने कहा।
"ओह गॉड, अभय! मैने तुम्हे बहुत मिस—" अचानक डोर बैल ज़ोर से बज गई, उनके मिलन में रुकावट पैदा हो गई थी।
अभय की भौंहे सिकुड़ गई।
"कोई और आने वाला था क्या?" अभय ने पूछा।
"हां। मेरे पेरेंट्स, मायरा, और नाथन।"
"हम्मम समझा।"
अनिका धीरे से मुस्कुरा पड़ी। "नही, तुम नही समझे," अनिका ने कहा और उससे दूर हो गई। उसने अपने बचे आंसुओं के निशान पोछे और दरवाज़ा खोलने चली गई।
"अनिका! माय बेबी!" उसकी खूबसूरत मॉम ने उसे गले लगने के लिए उसे अपनी तरफ खींचा और कस कर गले लगा लिया।
"सुबद्रा, तुम्हारी हमारी बेटी का गला ही दबा दोगी। उसे छोड़ो तोह सही।" उसके सौतेले डैड ने चहकते हुए कहा।
"मेरी बेटी मुझे छोड़ कर जा रही है, जिग्नेश पटेल!" अनिका की मॉम ने अनिका का हाथ पकड़ा और अंदर घुस आई और फिर एकदम से रुक गई।
अनिका के मां बाप उस लंबे चौड़े, सभ्य कपड़े पहने आदमी को अपनी बेटी के घर के लिविंग रूम में इंतजार कर रहे देख रही थी। अनिका की मॉम कभी उस आदमी को देखती तो कभी अपनी बेटी के आवेगहीन चेहरे को। जैसे ही उन्होंने अपनी बेटी के बहे आंसुओं की तरफ देखा और उसके पीछे छिपे काले घेरे को देखा, उनकी आंखें छोटी हो गई।
"मॉम......ईज़ी," अनिका ने हँसते हुए कहा।
"तोह....तुम अभय सिंघम हो..." अनिका की मॉम ने लंबा खींचते हुए कहा।
अनिका खुश भी थी और घबराई हुई भी अपनी मॉम को अपने ही रौब में अभय सिंघम से बात करता देख कर। पहले जो उसने देखा था सिंघम एस्टेट में, अभय सिंघम को निर्विवाद भगवान की तरह पूजा जाता था। वोही वहां कानून बनाता था, और वोही खुद कानून था, पर यहां पर, उसे सबसे पहले अपनी गुस्से से भरी पत्नी से डील करना था और फिर उसके बाद अपनी गुस्से में भुनभुनायी हुई सासू माँ से जो की उनकी प्यारी बेटी की आंखों में आंसू लाने के लिए अभय की आँखें नोचने को तैयार बैठी थी।
"हां, मिसिज पटेल। मैं अनिका का पति हूं," अभय ने प्यार से और ब्रिटिश लहज़े में कहा।
अनिका के मॉम के चेहरे के झिलमिला गए। अनिका फिर हंस पड़ी। वोह जानती थी की उसकी मॉम को ब्रिटिश एक्सेंट कितना पसंद था। बचपन से, उसे और मायरा को उसकी मॉम जबरदस्ती ढेर सारी रोमेंटिक मूवीज़ दिखाती आईं थी वोह भी ब्रिटिश एक्टर वाली।
यह भी एक कारण था की कैसे यशवंत प्रजापति उसकी मॉम को रिझा पाए थे कुछ ही महीनों की मुलाकात के बाद ब्रिटिश एक्सेंट की वजह से जो की वोह पढ़ाई के वक्त लंदन में उस से बात करते थे।
"पर....मैने तोह सुना है की तुम एक निष्ठुर नृशंस जगह पर रहते हो जहां कोई कानून नहीं है...." उसकी मॉम थोड़ा हिचकिचा रही थी बोलने में।
अभय का आकर्षक चेहरा अभी भी आवेगहीन रहा।
"हां, मिसिस पटेल। आप से जो कहा गया है वोह सच है।"
अनिका की मॉम ने हल्के से सिर हिला दिया और एक गहरी सांस ली।
"तुम यहां क्यों आए हो, मिस्टर सिंघम?"
अभय की नज़रे अनिका पर चली गई।
"प्लीज़, मुझे अभय बुलाइए। और मैं यहां अपनी वाइफ को लेने आया हूं। तब, जब वोह मेरे साथ वापिस आना चाहे तो।"
अनिका की मॉम की आँखें छोटी छोटी हो गईं और कन्फ्यूज्ड दिखने लगी।
"पर वोह—"
"मॉम।" अनिका ने अपनी मॉम को बीच में रोक दिया, पर अपनी नजरें अभय पर से नही हटाई।
"मैं क्यों वापिस आऊं?" अनिका से आराम से पूछा। "अब ऐसा क्या होगा जो तुम्हे मुझे वापिस भेजने से नही रोकेगा? अभी भी वहां तोह सब पहले जैसा ही है।"
अभय की आँखें इमोशंस से टिमटिमाने लगी। "मैं जानता हूं, पर मैं तुमसे वादा करता हूं की मैं तुम्हे सुरक्षित रखने के लिए सब कुछ करूंगा।"
अनिका का चेहरा नर्म पड़ने लगा। "मुझे हर वक्त तुम्हारी जरूरत नही है अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए, अभय। मैं जानती हूं की खुद का ख्याल कैसे रखना है।"
"मैं जानता हूं। इसलिए मैं चाहता हूं की तुम वापिस आ जाओ, और इसलिए भी क्योंकि मैं खुदगर्ज हूं तुम्हे अपने पास हमेशा के लिए रखना चाहता हूं।"
"क्योँ?" अनिका ने पूछा।
अभय ने एक गहरी सांस ली, और अपने चेहरे पर वोह भाव आने दिए जो उसके मन में था।
"क्योंकि तुम्हारे बिना....ऐसा लगता है की मैं जिंदा लाश हूं। मैं बस सांसे ले रहा हूं। मुझे अपनी ज़िंदगी वापिस चाहिए।"
अनिका की आँखो से आंसू बह गए जब उसने दो टूक बात करने वाले अपने पति के मुंह से वोह शब्द सुने।
"जाओ उसे किस करो, बेवकूफ," अनिका की मॉम ने घुटती हुई आवाज़ में कहा।
धीरे से हँसते हुए अनिका दौड़ कर अभय के करीब गई और कस कर गले लग गई। अनिका खूब ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, उसके मन की सब भड़ास वोह आज निकाल रही थी जो अभय से अलग होने के बाद अकेलापन में उसने अपने अंदर भर लिया था।
अभय ने भी उसे बाहों में भर लिया और उसे सहज महसूस कराने के लिए धीरे धीरे उसके बाल सहलाने लगा।
जल्द ही बाकी के मेहमान भी आ गए, अनिका ने अभय को सबसे इंट्रोड्यूस कराया। मायरा के मुंह से तोह बिना आवाज़ के बस "वाउ" निकला अनिका की खिलती हुई रंगत और उसे अभय के साथ खुश देख कर।
अनिका हंस रही थी और खुशी महसूस कर रही थी और साथ ही एक्साइटेड थी अभय को अपनी जिंदगी का हिस्सा जाता कर।
"तोह, हम कब सिंघम एस्टेट आ सकते हैं?" मायरा ने अभय से लंच के दौरान पूछा।
"कभी भी। बस मुझे कुछ दिन पहले बता देना, ताकि हम तुम्हारे आने की तैयारियाँ कर सकें।"
आज अनिका अपनी प्लेट में दुबारा खाना लेने लगी। वोह अचानक ही भूखे शेर की तरह खाने पर टूट पड़ी थी। जो भी उस की जी मचलाने वाली परेशानी थी वो आज अचानक गायब हो गई थी।
"हम तीनों कोशिश करा करेंगे की जब पॉसिबल हो सके सैन फ्रांसिस्को आ जाया करेंगे।"
"तीनों? तुम्हारा मतलब देव के साथ?" अभय ने पूछा।
डाइनिंग टेबल के चारों ओर बैठे सभी लोग एक दम से जम गए। सबकी नजरें इस वक्त अनिका पर थी जिसका चेहरा एकदम से लाल पड़ गया था।
"उह्ह...अभय। क्या हम अकेले में एक मिनिट बात कर सकते हैं?" अनिका न पूछा।
अभय की भौंहे सिकुड़ गई जब उसने सभी के चेहरे पर अजीब और परेशानी वाले भाव देखा। उसने यह भी नोटिस किया की वोह कोई बुरी खबर वाली परेशानी के भाव नही है— ऐसा लग रहा था जिसे की सबको पहले से ही पूर्वानुमान है।
अनिका ने अपनी चेयर खींची और उठ खड़ी हुई। उसमें अभय का हाथ पकड़ा और उसे अपने बेडरूम में ले गई।
बेडरूम में बिस्तर देखकर अभय के धैर्य की परीक्षा होने लगी पर उसने अपने आप को संभाल लिया जब उसने अपनी वाइफ का घबराया हुआ चेहरा देखा।
"क्या बात है, अनिका?" अभय ने पूछा।
उसकी आंखों में देखते हुए, अनिका ने गहरी सांस ली और अभय का हाथ पकड़ लिया। "मैं प्रेगनेंट हूं।"
अभय चौंक गया। वह अनिका को देखता रहा वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था। उसके मुंह से शब्द निकल ही नही रहे थे।
अनिका खुशी से अभय को देख रही थी।
"कुछ तो कहो, अभय।"
"कैसे?" अभय ने पूछा, वोह अभी भी हैरान था।
अनिका मुंह दबा कर हंस पड़ी।
"उम्म्म....जिस तरह से होता है, मिस्टर सिंघम। अगर मैं याद करूं तोह, तुम वंश बढ़ाने के काम में काफी अच्छे हो।" अनिका का चेहरा नर्म पड़ गया और अभय के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए।
"यह शायद लेकहाउस में हुआ है।"
"पर तुमने प्रोटेक्शन यूज किया था।"
अनिका फिर मुस्कुरा पड़ी। "वोह हमेशा हंड्रेड परसेंट फूलप्रूफ नही होते। और तुम जरूर ही अच्छे स्विमर हो जो कितने प्रोटेक्शन को भी पास कर सकते हो जो हमने यूज किए थे।"
अभय ने अपना सिर हिलाया, अंत में एक जंगली, अधिकारात्मक मुस्कुराहट अभय के चेहरे पर आ गई जिससे अनिका का दिल उत्साह से उछल पड़ा। "अब तुम पूरी तरह से मेरी हो!" अभय ने गरजते हुए कहा और उसके करीब आ कर उसे पैशनेटली किस करने लगा।
बाद में, जब वोह वो दोनो एक दूसरे से अलग हुए ताकी अपने अंदर सांस खींच सके, अभय उसे पजेसिव नजरों से देखता रहा। "दुनिया की कोई ताकत तुम्हे मुझसे अलग नही कर सकती, तुम भी नही!"
"शांत हो जाओ, मिस्टर केवमैन," अनिका जोरों से हँस पड़ी, अपने पति की बाहों में कुलबुलाने लगी।
"मैं नही रह सकता," अभय ने कहा और आराम से अनिका को बैड कर बिठाया। "वाकई में वोह सच है जो मैने अभी कहा था। तुम और हमारा यह छोटा सा अंश अब से मेरी पूरी दुनिया है।" अभय ने छोटे छोटे किस अनिका के चेहरे पर कर दिए और फिर उसके शरीर पर नीचे बढ़ने लगा जब तक की वोह उसके पेट तक नही पहुँच जाए। उसने प्यार से उसके पेट पर भी चूम लिया और फिर उसकी आंखों में देखने लगा।
"मैं जानता हूं तुम और हमारा बच्चा आसानी से मेरे बिना रह सकते हो। पर प्लीज़ मुझे भी चूज कर लो, और मेरी जिंदगी को भी, जबकि तुम्हारी दुनिया ज्यादा अच्छी है हमारे बच्चे को बढ़ा करने और उनकी अच्छी परवरिश करने के लिए।"
अनिका बिस्तर पर ही बैठ गई, वोह अभय के बालों पर अपनी उंगलियां फेरने लगी क्योंकि अभय उसकी गोद में सिर रख कर लेटा हुआ था।
मैं तुम्हारा पीछा करने ही सिंघम एस्टेट आ रही थी, और वहीं रहती भले तुम चाहो या ना चाहो।" अभय ने अपना चेहरा उठाया और अनिका को अविश्वास से देखने लगा।
अनिका मुस्कुरा गई। "मैने जॉब पर से रिजाइन दे दिया है। कल मेरा आखरी दिन था। मैने सबको यह कहा है की मैं हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर एक डिस्टेंट कोर्स करने जा रही हूं क्योंकि मुझे इंडिया में एक हॉस्पिटल चलाना है।" अनिका नीचे झुक गई अभय को होंठों पर किस करने के लिए।
"मेरी फैमिली और फ्रेंड्स मुझे यहां गुड बाय कहने आएं हैं। मैं दो दिन बाद जाने की सोच रही थी। मैने बल्कि जो जरूरत का है वोह पैक भी कर लिया है।" अनिका ने अपने चिन से एक ओर इशारा किया जहां दीवार के सहारे उसका सूटकेस खड़ा कर रखा हुआ था।
अभय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। अभय उठा और अनिका को पीछे कर बैड पर लेटा दिया, और उसके ऊपर आ गया। वोह अब उसे डीपली किस करने लगा।
अनिका को अभय का प्राइवेट पार्ट उभरता हुआ महसूस हुआ और अभय किस करते समय कराहने लगा जैसे ही अनिका का शरीर लंबे अलगाव के बाद वॉयलेंटली रिस्पॉन्ड कर रहा था।
"अगर मैं अभी तुम्हारे अंदर नही आया, तोह मैं पागल हो जाऊंगा," अभय ने कराहते हुए कहा।
"मैं जानती हूं। पर मेरे पेरेंट्स..."
अभय ने तेज़ आवाज़ में सांस ली और अनिका के ऊपर से हट गया। वोह अनिका के पास ही बैड पर लेट गया और अपने शरीर को नियंत्रण में करने लगा। अनिका ने अपने शरीर पर अपनी बाहें फैला दी और अपने अंदर उमड़ते हुए एहसासों को दूर करने लगी।
"चलो बाहर चलते हैं। हमने लंच तोह लगभग कर ही लिया है, वोह लोग जल्द ही चले जायेंगे।" अनिका उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा कर उसे खोल दिया। अभय को एक हॉट लुक देते हुए जिससे अभय की आँखें फैल गई, अनिका कमरे से बाहर निकल गई।
"सब ठीक है?" अनिका की मॉम ने पूछा।
"हां।"
"अभय कहां है?"
"वोह.... उह्ह्ह.... अभी बहुत भावुक हो गए हैं न्यूज सुन कर। वोह अभी थोड़ी देर में हम ज्वाइन कर लेंगे।"
कुछ पल बाद, अभय बाहर आया और सबको ज्वाइन कर लिया। अब वोह कुछ शांत और खुश लग रहा था। सबने उसे बधाई दी।
"थैंक यू," अभय ने जवाब दिया।
थोड़ी देर बाद नाथन चला गया और उसके बाद अनिका के पेरेंट्स भी चले गए।
"हम्मम.....तुम्हे पता है?" मायरा ने कुछ सोचते हुए पूछा। "मुझे लगता है जस्टिन और मैं यहां कुछ देर और मज़े करने वाले हैं।" फिर वोह अनिका के जमे हुए चेहरे को और अभय के आवेगहीन भाव को देखने लगी और ज़ोर से हँस पड़ी।
"क्या? एक बार प्यार से भी नही बोली, की हां ज़रूर, प्लीज थोड़ी देर और रुको, लिटिल सिस?" मायरा ने हँसते हुए कहा।
जस्टिन ने अपना सिर हिलाया और मायरा को घर से बाहर ले जाने लगा।
जैसे ही अनिका ने घर का दरवाज़ा बंद किया, अभय ने उसे गोद में उठा लिया, तुरंत उसे बैडरूम में ले गया। उसे बैड पर सावधानी से लेटा कर अभय ने दोनो के कपड़े उतार दिए।
"क्या तुमने मुझे याद किया था, मिस्टर सिंघम?" अनिका ने अपनी उखड़ते सांसों के साथ पूछा। वोह उसे उत्सुकता से देख रही थी। अभय ने उसे बैड पर लेटाया और अपने बाजुओं पर अपना वज़न संभालते हुए उसके ऊपर आ गया। उसे नीचे मुंह कर उसे बेकरारी और भूखी नज़रों से देखने लगा।
"तुम अंदाज़ा भी नही लगा सकती की कितना, डॉक्टर सिंघम।"
यह आखरी शब्द थे जो उन्होंने एक दूसरे से कहा था उसके बाद काफी समय तक कोई बातचीत नहीं हुई उनके बीच, बस थी तोह, नजदीकियां।
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कहानी अभी जारी है
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