Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 21 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 21

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Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 21

“सत्तर कमरे..... घर में...... और तुम..... मेरा क्लिनिक..चुना...." अनिका ने हाँफते हुए कहा। अनिका अभय के ऊपर थी और अभय अनिका के क्लिनिक के साफ सुथरे फर्श पर लेटा हुआ था।

अभय की उंगलियां उसके हिप्स में गड़ी हुई थी और वोह उसे अपने ऊपर लिए सख्ती से, गहराई में पुश कर रहा था जब तक की दोनो प्लेजर में कराहने ना लग जाए।

"अभय.... लोग शायद बाहर इंतजार कर....." अनिका प्लेजर से हाँफ गई और अपन नेल्स को अभय के सीने में गड़ा दिए।

अभय कराह उठा और उसके मूवमेंट और तेज़ हो गए। "किसी की इतनी हिम्मत नही..... उन्होंने मुझे यहां आते देखा है...."

अनिका घबराने लगी की लोगों को पता है की यहां क्लिनिक में वोह लोग क्या कर रहें हैं। उसका डेविल पति शरारती हँसी हँसने लगा। अनिका अपने मुंह से प्लेजर में निकल रही आवाजों को अभय की गर्दन में छुपाने की कोशिश करने लगी पर अभय को कोई शर्म महसूस नही हो रही थी। वोह अपने रीलीज पर ज़ोर ज़ोर से आँहें भर रहा था और अनिका श्योर थी की उसकी आवाज़ बाहर तक पहुँच रही होगी।

"ओह गॉड," अनिका ने कहा, और अपना मुंह और भी ज्यादा अभय की गर्दन में छुपा लिया। "मैं अब इस क्लिनिक से बाहर कदम नही रखूंगी। सबने हमें सुन लिया होगा!"

अभय का सीना इसके ज़ोर से हँसने की वजह से हिलने लगा। "रिलैक्स। सभी लोग घर में सेरेमनी की तैयारियों में बिज़ी हैं।"

अनिका ने अपना सिर ऊपर उठा कर अभय की ओर देखा। "पर सेरेमनी तोह कल है।"

"हां, पर तैयारियों तोह आमतौर पर एक दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं ना, तोह घर इस वक्त लोगों की भीड़ से भरा होगा और सभी कुछ ना कुछ काम कर रहें होंगे। यहां हमें ज्यादा प्राइवेसी है।"

अनिका ने एक राहत भरी आह भरी और अभय के सीने से लग गई और अभय प्यार से उसकी पीठ सहला रहा था।

कुछ देर बाद, अनिका अभय के ऊपर से होली। "अब हमे वापिस चलना चाहिए। इस घर की होस्ट होने के नाते, मेरा यह पहला इवेंट है। जब मेहमान आयेंगे तोह मुझे वहां होना चाहिए।"

"तुम अच्छा कर लोगी। और जितने भी लोग यहां काम करते हैं उन्हे सब पता है की क्या करना है," अभय ने कहा।

कुछ देर दोनो ऐसे ही चुप चाप लेटे रहें और फिर उन्हे बाहर से कुछ धुंधली सी किसी की वाहा वाही करने की आवाज़ें आने लगी।

"यह क्या था?" अनिका ने पूछा।

"जरूर देव यहां आ गया होगा। यहां एक फाइट भी होने वाली है जो इस सेलिब्रेशन का ही हिस्सा है।"

"ओह। मैं कोई भी चीज़ मिस नही करना चाहती। चलो बाहर चल कर देखते हैं," अनिका ने कहा।

अनिका खड़ी हो गई और अपने कपड़े पहन ने लगी जबकि अभय ऐसे ही आलसी सा, अपने सिर को अपने एक हाथ के ऊपर रखे हुए, लेटा हुआ उसे देख रहा था।

"अभय, हमे बाहर सबको ज्वाइन करना चाहिए," अनिका ने कहा, जबकि उसका दिल दहल गया था अभय की ललचाई मुस्कुराहट और नग्न शरीर देख कर।

"क्या तुम श्योर हो की तुम्हे इस जगह से जाना है, और मेरे साथ यहां कुछ देर और नही रहना?" अभय ने निरसता से पूछा।

"हां," अनिका ने बहुत मुश्किल से जवाब दिया, उसकी आवाज भी अभय के जैसे ही निरसता से निकल रही थी।

अभय हँसते हुए उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहन ने लगा। जैसे ही उन्होंने क्लिनिक से बाहर कदम रखा वोह आवाज़ें और तेज़ आने लगी। जैसे ही वोह दोनो आ रही आवाज़ की तरफ बढ़ने लगे अनिका ने देखा की काफी भीड़ किसी के इर्द गिर्द इक्ट्ठी हो रखी थी।

"यह क्या मज़ाक है!" अभय चिल्लाया।

"यह क्या है?"

"मैने प्रजापति को भी देखा। मेरे बेवकूफ भाई ने जरूर उनमें से किसी एक को फाइट के लिए चैलेंज किया होगा।"

कुछ सिंघम्स ने अभय को आते देख लिया था इसलिए वोह उसको आगे आना का रास्ता देने लगे और अभय और अनिका दोनो उस भीड़ से बने गोल घेरे के आगे आ गए।

"फक!"

अनिका ने अभय के अशिष्ट शब्द पर रिएक्ट नही किया। वोह खुद भी हैरान थी अपने सामने का नज़ारा देख कर।

देव सिंघम ने एक लंबे रेशमी कपड़े से बनी धोती पहनी हुई थी जिससे उसके शरीर की मसल्स अच्छे से उभर कर दिख रही थी। वह अपने प्रतिद्वंद्वी पर लगभग एक फुट तक चढ़ गया था।

देव के सामने जो खड़ा था वोह थी — सबिता। उसने कॉटन ट्राउजर पहना हुआ था और एक टाइट टैंक टॉप। उसने बालों की गुथ करी हुई थी जो की वोह हमेशा करती थी। अनिका की बहन इस वक्त बेदर्दी दिखाई दे रही थी और उसकी आंखों में चुनौती नज़र आ रही थी।

"ओह माय गॉड। क्या यह देव सच में सबिता से लड़ाई कर रहा है?" अनिका ने पूछा।

अभय के चेहरे पर कठोर भाव थे, पर उसने देव और सबिता को रोकने के लिए कुछ नही किया।

"अभय! कुछ तोह करो! वोह उसे चोट पहुँचाने जा रहा है।"

"मैं नही कर सकता। इससे सिर्फ प्रजापति की इंसल्ट होगी और कुछ नही।" अभय ने जवाब दिया।

"पर —"

"फिक्र मत करो। मेरी बैट तोह तुम्हारी कजिन पर ही है। वोह नेचुरल है। मेरा भाई भले ही ट्रेंड फाइटर हो, पर इस लड़ाई में उसकी अकड़ और उसका गुस्सा ही उसे सबसे अच्छा जवाब देगा।"

एक तेज़ बैल की आवाज़ सुनाई पड़ी जो यह इशारा कर रही थी की फाइट शुरू होने वाली है। अपने तेज़ चलती सांसों के साथ अनिका अविश्वास से फाइट देखने लगी।

देव तुरंत नही हिला था। और इस बात का फायदा उठा कर सबिता ने जल्दी से देव के चेहरे पर मुक्का जड़ दिया था पर उसके बाद देव ने उसे ज़ोर का धक्का दे दिया था। देव का दिमाग फिर से काम करने लगा था और उसके जबड़े कस गए जब वोह सबिता को अपने पैरों के बल पीछे गिरते हुए देख रहा था और उसके अगले मूव का इंतजार कर रहा था।

"क्या बात है सिंघम, पहले ही डर कर भागना है?" सबिता ने ताना मारा। सबिता ने अपनी गर्दन झटकी और देव को पास आने का इशारा करने लगी। "कम ऑन, अपनी यह कमर हिलाओ भी।"

देव के बाइसेप्स पर मसल्स टाइट हो गए गुस्से और टेंशन की वजह से। "नही। मैं तोह इसलिए रुका हूं की तुम से यह पूछ सकूं की तुम श्योर हो आगे बढ़ने के लिए। क्योंकि जब बारी तुम्हारी हो तोह मैं अपने आप को रोक नहीं पाऊंगा।"

सबिता शैतानी हँसी हंस पड़ी। "या फिर शायद, तुम डर गए हो, क्योंकि हम दोनो ही जानते हैं की हम में से ज्यादा स्ट्रॉन्ग कौन है। तुम्हारे लोगों को भी पता चल जायेगा की तुम सिर्फ एक शाही डंक हो जो सिर्फ और सिर्फ अपने भाई के पालतू कुत्ते की तरह हो।"

भीड़ में से लोगों की हाँफने की आवाज़ साफ साफ सुनाई दे रही थी।

देव की गरजने की आवाज़ सुनाई पड़ी। "तुम इसके लिए पछताओगी।"

सबिता के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई जो की रेयर ही दिखती थी। उसने अपने कंधे गोल गोल घुमाए और अगला वार करने के लिए तैयार थी।

इस बार बिना किसी हिचकिचाहट के देव ने सबिता के ऊपर अटैक कर दिया अपने अलग अलग तरह के बॉक्सिंग मूव्स से और सबिता ने उसके ज्यादा तर मूव्स चालाकी से रोक दिया जिससे देव को और गुस्सा आने लगा। दोनो ही लड़ाकू एक गोल घेरे में घूमते हुए लड़ रहे थे और चारों ओर से भिड़ का उनका चीयर अप करने की गूंज उठ रही थी, जब तक की सबिता ने अपने एक पैर का इस्तेमाल करके उसके घुटनो से नीचे के पैर पर जोर से ना मार दिया।

देव दहाड़ा मार कर चिल्लाया और फिर वापिस चार्ज ले लिया। सबिता ने बड़ी सफाई से अपना बचाव किया और उसके जबड़े पर अपनी एक कोहनी दे मारी और उसे नीचे गिरा दिया। वोह दोनो ऐसे ही लड़े जा रहे थे जब तक की सबिता ने देव के ऊपर कई सारे मुक्के नही बरसा दिए जो की सबको साफ साफ दिखाई दे रहे थे।

"बस बहुत हो गया। अब और ज्यादा मैं इस बात पर ध्यान नही दूंगा की तुम्हारे बूब्स और हिप्स हैं," देव ने सबिता के नीचे से कहा क्योंकि वोह लेटा हुआ था और सबिता उसके ऊपर मुक्के बरसा रही थी। देव ने एक बार फिर चार्ज लिया और इस बार उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर सबिता को पटक दिया और उसके ऊपर आ गया।

अनिका देख सकती थी की सबिता कैसे सांस लेने के लिए तड़प रही थी और बेचैन हो रही थी। इससे पहले की अनिका बीच में आती देव ने अपनी पकड़ ढीली कर दी और सबिता के ऊपर से उठ खड़ा हुआ। अगले ही पल सबिता ने फायदा उठाते हुए जल्दी से अपने पैर को देव की गर्दन पर कस दी जिससे देव का दम घुटने लगा।

देव उसके जाल से निकलने की कोशिश करने लगा, पर वोह नही कर पा रहा था। उसका एक हाथ सबिता के शरीर के नीचे था क्योंकि सबिता ने अपने पैरों से उसकी गर्दन पर मजबूत पकड़ बना रखी थी। अपने दूसरे फ्री हाथ से वोह छूटने की कोशिश कर रहा था और सबिता को धक्का देने की कोशिश कर रहा था पर उसका शरीर कमज़ोर पड़ने लगा था।

अनिका समझ गई थी अगर देव ऐसे ही रहा तो हवा की कमी की वजह से कुछ ही पल में वोह मर जायेगा। उसका शरीर बेजान पढ़ने लगा था और चेहरा एक दम ग्रे कलर का होने लगा था।

हालांकि, देव के पूरी तरह से बेजान पढ़ने से कुछ पल पहले, सबिता ने अपनी पकड़ ढीली कर दी और उसके बेजान से हो रहे शरीर को एक ज़ोर दार लात मार कर दूर फेंक दिया जिससे चारों ओर प्रजापतियों के ही चीयर करने की नारे लगाने की आवाज़ गूंजने लगी। देव जमीन पर पड़ा खांसने लगा और हवा खींचने की कोशिश करने लगा था।

अनिका ने अभय की तरफ देखा। उसे समझ नही आ रहा था की वोह अभय पर गुस्सा होए या फिर नही की वोह अपने भाई को ऐसे बुत बना लड़ते मरते देख रहा है। "देव की मदद करो, अभय।"

"नही। उसे खुद ही इन सब से उलझने दो।"

देव धीरे से उठा और सबिता की तरफ बढ़ने लगा, और उससे इंच भर की दूरी पर आ कर रुक गया, उसके ऊपर झुक गया। उसकी आंखों में गुस्सा साफ नज़र आ रहा था पर चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी।
"वैल, अब मैं क्या कहूं? जो बेस्ट आदमी होता है वोही जीतता है। पर तुम्हे नही लगता की यह आदमियों वाली तुम्हारी हरकत मेरे भाई को तुम में कोई औरत वाली फीलिंग नज़र नही आती बल्कि उसे और हताश कर देती।" देव उसे ऊपर से नीचे तक देखने लगा। "वोह कभी भी अपनी खूबसूरत और सज्जन बीवी तुम्हारे जैसी के लिए नही छोड़ता," देव ने सबिता को ताना मारते हुए कहा।

अनिका देव के रूखे और असभ्य व्यवहार से हैरान हो गई। वोह सिंघम एस्टेट में रहने वाली औरतों से तो बहुत सभ्य और प्यार से बात करता था। वोह बल्कि अनिका के साथ भी फ्रेंडली और प्लेजेंट था।

सबिता को देव के टौंट मारने और बेइज्जती करने से भी कोई फर्क नही पड़ा। "फिक्र मत करो, सिंघम। मुझे पहले से पता है।" सबिता तिरछा मुस्कुरा गाए। "तुम्हारे जैसे सुंदर आदमी के साथ बढ़ा होने से, मुझे लगता है की तुम्हारे भाई भी एक सुंदर बीवी पसंद करेगा।" सबिता की हँसी वापिस लौट आई थी और वोह देव से हट कर मैंशन की तरफ बढ़ने लगी थी।

"मैं जा रही हूं उससे बात करने," अनिका ने अभय से कहा और भीड़ को साइड कर सबिता की तरफ जाने का रास्ता बनाने लगी। जब तक वोह भीड़ के गोल घेरे से बाहर निकली सबिता अंदर जा चुकी थी।

क्योंकि सेलिब्रेशन अभी भी चालू था, इसलिए अनिका ने अपना लंच अपने कमरे में ही मंगवा लिया। अभय भी लंच के लिए अनिका को ज्वाइन कर लिया था और उसके बाद सेलिब्रेशन में वापिस चला गया। वोह भी सबको सेलिब्रेशन में ज्वाइन करना चाहती थी पर उसे उसकी बुआ ने अपनी पर्सनल मेड के द्वारा उससे मिलने बुलवा लिया।

अनिका घर के ऊपरी हिस्से की ओर जाने लगी जहां उसकी बुआ उसका इंतजार कर रही थी।

जैसे जैसे वोह सिंघम मैंशन के मार्बल फ्लोर पर चलती जा रही थी, अनिका कुछ कर नही सकती थी पर उसने अपनी फीलिंग्स और बिहेवियर में कुछ फर्क महसूस किया था। उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था की अभी तीन महीने और कुछ दिन ही गुजरे हैं जब उसे यूनाइटेड स्टेट्स से धोखे से बुलवाया गया था और जाल में फसा दिया गया था उसकी बुआ के द्वारा। वोह उस वक्त बहुत डरी हुई थी बेबस थी, पर इस वक्त, वोह खुद इंतजार कर रही थी की अपनी बुआ का सामना करे और उन्हे मुंह तोड़ जवाब दे सके।

जैसे ही उसे यह कन्फर्मेशन मिल गया की मायरा और उसके पेरेंट्स सुरक्षित हैं और एक सुरक्षित घर में उन्हे ले जाया गया है, सब कुछ ही बदल गया।

अब नीलांबरी प्रजापति ना ही उससे किसी बात पर उससे कोई सौदा कर सकती है और ना ही उसे ब्लैकमेल कर सकती है।

अनिका के कदम धीरे हो गए जब वोह एक बड़ी सी बालकनी के पास से गुजरी जहां से फाइटिंग रिंग दिख रही थी। लोगों के चीयर अप करने की गूंज बता रही थी की फाइटिंग सुबह से जो शुरू हुई वोह अभी भी चालू है। वोह जो यह देखने के लिए रुकी थी वोह इसलिए नही की वहां अभी भी फाइटिंग चालू थी बल्कि इसलिए क्योंकि उसे एक परछाई दिखी थी बालकनी की दीवार पर।

सबिता वहां बैठी ढलते सूरज को देख रही थी और किसी वजह से अनिका के कदम उसकी ओर बढ़ गए थे।

सबिता बिलकुल अविश्वस्नीय तौर पर अकेली लग रही थी। अनिका नही जानती थी की क्यूं, पर जबकि वोह यह जानती थी की उसकी कजिन किसी का भी मर्डर करने में सक्षम है, उस के मन में उसके प्रति कोई डर नहीं था। शायद इसलिए क्योंकि उसने अभय से इतना तोह सिख लिया था की कभी कभी हिंसा को खतम कर ने के लिए खुद भी हिंसा का ही मार्ग अपनाना पड़ता है।

"सबिता?"

उसकी कजिन हलका सा डर गई, अचानक किसी के उसे पुकारने से। उसने कुछ पल मुड़ कर अनिका की तरफ देखा और फिर वापिस बाहर की ओर अपना चेहरा कर लिया। "तुम्हे क्या चाहिए?" सबिता किसी और दिशा में देखते हुए ही नीरस भाव से कहा।

"क्या तुम ठीक हो?" अनिका साफ साफ देख सकती थी की सबिता के होठों के कोनों में जो चोट लगी थी वोह सूज गई है।

"मैं ठीक हूं," सबिता ने अभी भी बाहर देखते हुए ही कहा।

"मैं तुम्हारे लिए कुछ बर्फ भिजवाती हूं। इससे सूजन में कुछ आराम मिलेगा।"

"नो थैंक्स, मुझे लगता है की मैं जिंदा रह सकती हूं," सबिता ने रूखेपन से जवाब दिया।

अनिका कुछ नही कर सकती थी पर उसने यह जरूर नोटिस किया की सबिता और अभय कई बातों में एक जैसे हैं। दोनो ही हिंसक लोगों के बीच रहते हैं, दोनो ही लोगों को बुरी तरह मार देते हैं, दोनो से ही लोग डरते भी हैं, और दोनो की ही अपने लोगों में बहुत इज्ज़त है। देव भी एक सिंघम है, पर ज्यादातर समय वोह, अपना काम प्यार से बात करके निकलवा लेता था। उसका नेचर ऐसा था की वोह खुश रहने और दूसरों को हँसाने में आगे था। उसके बिलकुल विपरीत, अभय और सबिता चुपचाप रहने वाले इंसान थे जिनका रूखा मिजाज़ था कभी कभी ही कोई प्रतिक्रिया दिखाते थे। सबिता अभय को ज्यादा सूट करती अगर बात सिंघम दुल्हन चुनने की थी प्रजापति में से। क्या सबिता भी ऐसा ही सोचती थी?

उसकी कजिन की नज़रे इस वक्त फाइटिंग रिंग में चल रही एक लड़ाई पर थी जो की अभय और देव के बीच चल रही थी। लोगों के बीच हँसी ठहाके और प्रोत्साहन की गूंज उठती जैसे ही दोनो भाई ट्रेडिशनल मूव्स का इस्तेमाल करते हुए आपस में भिड़ जाते।

सबिता की आंखों में कोई भी घबराहट नही थी, पर तब, अभय के जैसे ही, उसकी कजिन भी बिलकुल भी स्पष्ट नज़र नही आती थी, जिनके बारे में कुछ आसानी कोई नही जान सकता था।

जो सवाल अनिका के दिल को कब से जला रहा था जिसकी उम्मीद वोह अपनी कजिन से पूछने की छोड़ चुकी थी, वोह सवाल फिर से उसके जेहन में घूमने लगा। "मेरी शादी से एक रात पहले क्या तुमने अभय को, सुड्यूस करने और मुझे छोड़ तुमसे शादी करने के लिए मानने के लिए, बुलाया था?" अनिका को याद था जो उसने अपनी शादी की रात को सुना था अभय के और उसके भाई देव के बीच बातचीत को। और आज सुबह भी फाइट के दौरान देव ने सबिता को अभय को इंप्रेस करने वाली बात के लिए एक भद्दा सा ताना भी मारा था।

सबिता ने अपनी नज़रे लड़ाई से हटा कर अनिका पर टिका दी। वोह चुपचाप कुछ पल उसे देखती रही। अनिका सोच रही थी की उसे कोई जवाब नही मिलेगा पर हैरत की बात थी की सबिता ने जवाब दिया।

"हां, मैने तुम्हारी शादी से एक रात पहले अभय सिंघम को बुलाया था सिर्फ और सिर्फ उसे सेड्यूस करने के लिए ताकि वोह मुझसे शादी कर ले, तुम से नही।"

अनिका तो दंग ही रह गई। " क्या तुम.....अभय से प्यार करती हो?" अनिका ने पूछा।

सबिता ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा, "नही। मैं उसे प्यार नही करती और किसी और आदमी को भी नही करती। यह प्यार व्यार बेवकूफ लोगों के लिए होता है।"

अनिका को समझ नही आ रहा था की वोह अपनी कजिन के जवाब से क्या सोचे।

एक छोटी सी शैतानी हँसी छा गई सबिता के चेहरे पर। "मैं यहां तुम्हारे हसबैंड को सेड्यूस करने की कोशिश करने और उसे तुमसे दूर ले जाने नही आई हूं।"

अनिका ने अपना ना में सिर हिलाया। "मैं जानती हूं यह पहले से। मैं बस यह सोच रही थी उस वक्त तुम्हारा ऐसा करने के पीछे क्या मकसद रहा था।"

सबिता कुछ देर तोह सन्न ही रह गई और फिर उसने अपना सिर झटका। "पावर, क्या यह मकसद काफी नही है?"

इस बार अनिका को थोड़ा वक्त लगा समझने में की उसकी कजिन सबिता के मन में आखिर चल क्या रहा है। "शायद, सिर्फ पावर ही एक वजह नही तुम्हारी अभय से शादी करने के पीछे। मुझे लगता है की जरूर कोई और भी मकसद है जो तुम अभय के सहारे पूरा करना चाहती थी।"

सबिता हल्का सा मुस्करा गई। "तुम तो दूसरों की मन की बातें भी जान जाती हो। अब वोह डरी हुई सी लड़की नही हो जो तीन महीने पहले थी।"

अनिका ने सिर झटका। "वैसे, तीन महीने पहले में एक बंधक थी।, और मेरे परिवार को धमकाया जा रहा था। तोह, जाहिर तौर पर, मैं डर रही थी।"

"और अब?"

"अब, मैं जानती हूं की मेरी फैमिली सुरक्षित है, और अब मैं बिल्कुल भी किसी की बंधक नही हूं।" अनिका ने अनैछिक से अपनी ठोडी को हल्का सा ऊपर उठाया। "मैं यहां अभय के साथ, अपनी मर्जी से हूं।"

सबिता ने हल्का सा अपना सिर हिला दिया। "मुझे खुशी है की तुम्हारे साथ यहां किसी भी सिंघम ने बुरा बरताव नही किया। एक कारण यह भी है की अभय को सेड्यूस करने के आइडिया मुझे इसलिए भी अच्छा लगा था......ताकि उसे तुमसे शादी करने के लिए रोक सकूं। मैं श्योर नही थी की तुम यहां ज्यादा दिन तक टिक सकती हो।"

अनिका को हैरानी हुई। वोह सोच भी नही सकती थी की सबिता उसके बारे में एक परसेंट भी सोचती होगी। बल्कि, सबिता ने तोह उसे प्रजापति मैंशन से बाहर ना जाने के लिए बहुत डराया था।

यह बात तो साफ़ थी कि जो जैसा दिखता है वैसा है नहीं।

"थैंक यू," अनिका ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

"मुझे थैंक्यू मत कहो। जैसा कि तुमने कहा, मेरे पास और भी वजह थी, सिंघम की पावर चाहने के लिए।"

अब तक सूरज ढल चुका था और बार अंधेरा छा चुका था।
"हमारी बुआ मेरा इंतजार कर रही है बात करने के लिए। मैं उनसे एक बार बात करके आती हूं उसके बाद मैं तुम्हें डिनर के लिए बुलाऊंगी। मैंने नोटिस किया था कि तुमने आज दोपहर हमारे साथ लंच नहीं किया था।"

सबिता ने कोई जवाब नहीं दिया।

अनिका ने कुछ पल बाद आगे बढ़ना ही ठीक समझा। अनिका रुकी जब सबिता ने उसे आवाज दी।

"अनिका।"

अनिका रुकी उसने पीछे पलट कर देखा उसे सिर्फ सबिता की परछाई दिख रही थी।
"नीला पर किसी भी चीज के लिए भरोसा मत करना," उसकी कजन ने उससे धीरे से कहा।

"मैं करने भी नहीं जा रही हूं। मैं जानती हूं की वोह पागल है अपने मनायताओं के लिए, सिंघम के वारिस और सूखे के लिए और सब कुछ के लिए। वह शायद फिर से इतिहास दोहराने जा रही है पहले की तरह ही खतरे के साथ।"

सबिता प्यार से हँस पड़ी। अनिका जानती थी की यह कड़वी हँसी है। "नीला कभी किसी के बारे में नही सोचती। वोह आखरी चीज़ होगी, सूखे या लोगों के बारे में उसका परवाह करना।"

अनिका तो दंग ही रह गई। "तोह फिर उन्होंने क्यूं....." उसके शब्द ही अटक गए, उसका दिमाग कई सारी चीजों के बारे में सोचने लगा जो उसने अपनी बुआ के बारे में नोटिस की थी।

"बस सतर्क रहना उसके आस पास," सबिता ने उसे चेतावनी दी।

अनिका ने हां में अपना सिर हिला दिया और सिंघम मैंशन में आगे की ओर जाने के लिए चल पड़ी। उसका दिमाग इस वक्त पूरा का पूरा सबिता की बात पर अटका हुआ था जो की अभी अभी सबिता ने उसकी बुआ के बारे में उससे खुलासा किया था।

दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था, अनिका कमरे में अंदर घुस गई। वोह कुछ और कदम गैलरी की ओर आगे बढ़ी जहां बड़े से सोफे बैठने के लिए रखे गए थे। पर उसके सामने का नज़ारा देख कर अनिका एक दम से हैरानी से रुक गई। उसकी बुआ एक दीवार के आगे खड़ी थी जहां एक बड़ी सी पोट्रेट लगी हुई थी। उसका चेहरा उस पोर्ट्रेट के सामने ही था और उसकी नज़रे उस तस्वीर पर अटकी हुई थी। वोह अपनी उंगलियों को उस तस्वीर पर चला रही थी और धीरे धीरे कुछ बडबडा रही थी।

अनिका के तेज़ कानों ने तुरंत वोह शब्द पकड़ लिया जो वोह बार बार बड़बड़ा रही थी। "विजय..."

वोह पोर्ट्रेट विजय सिंघम की थी, अभय के पिता। अभय की शकल काफी हद तक अपने पिता से मिलती थी। वोह तस्वीर अपने आप में इतनी अलौकिक थी की उसपर अपनी उंगलियां चलाते चलाते नीलांबरी किसी खतरनाक से कम नहीं लग रही थी।

अनिका ने अपना गला साफ किया और अपनी बुआ को चौंका दिया। "आपने मुझे बुलाया?" अनिका ने प्यार से ही पूछा।

नीलांबरी ने अपने आंसू पोछे और फिर अनिका तरफ पलट गई। "हाँ।" नीलांबरी बैठक की तरफ बढ़ी और उनमें से एक सोफे पर बैठ गई। "बैठो," नीलांबरी ने अनिका को दूसरी खाली पड़े सोफे पर बैठने का इशारा किया।

असल बात तोह यह थी की नीलांबरी अनिका को उसके ही घर में बैठने के लिए कह रही थी और शायद अनिका को गलत तरीके से ले रही थी।

"मुझे यहां बैठना नही पसंद," अनिका ने आराम से ही कहा। "यह कमरा सिर्फ सिंघम्स के लिए है। हम मेहमानों को दूसरे कमरे में बैठाते हैं। मेरे साथ आइए," अनिका ने कहा और जाने लगी।

अनिका ने इस बात की भी परवाह नही की, की उसकी बुआ उसके पीछे आ भी रही है या नही। असल बात तोह यह थी की जिस औरत ने उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए धमकाया था आज वोह उसके सामने उसके घर में थी और उसका उसे देख कर खून खौल रहा था।

एक नौकरानी ने अनिका को गेस्ट रूम की तरफ जाते हुए देखा तोह तुरंत जा कर दरवाज़ा खोल दिया।

"थैंक यू, प्रिया।"

"यू आर वेलकम। आप कुछ लेना पसंद करेंगी, मैं अभी भिजवा देती हूं?"

"नो थैंक्स।" अनिका ने अपने कंधे की ओर देखा। "मेरी बुआ अभी कुछ देर में जाने ही वाली हैं। उनके लोगों से कह दो की उनकी गाड़ी तैयार रखे।"

नीलांबरी का चेहरा फीका पड़ गया पर उसने कुछ कहा नहीं।

अनिका अंदर आई और मालिक वाली सबसे ऊंची और खूबसूरत कुर्सी पर बैठ गई। "आप भी बैठ जाइए," अनिका ने अपने सामने रखे सोफे की तरह इशारा किया।

उसकी बुआ सीधे आ कर सोफे पर बैठ गई। काफी देर दोनो तरफ चुप्पी छाई रही और दोनो ही एक दूसरे को गौर से देख रही थी।

"मुझे लगता है की सिंघम बनना तुम्हारे दिमाग पर भी चढ़ गया है, मेरे प्यारी भतीजी।"

अनिका मुस्कुरा पड़ी। "मेरा यकीन कीजिए, ऐसा नही है। अगर मैं एक सच्चे सिंघम की तरह बरताव करती ना तो जिस इंसान ने मेरी फैमिली को धमकाया है वोह इस वक्त मेरे कदमों पर मरा हुआ पड़ा होता, ना की मुझे अपने नौकर से बुलवाता।"

उसकी बुआ का शरीर एकदम से गंभीर और सख्त हो गया और उसने अपने नाखूनों को सोफे के लैदर के कवर पर गड़ा दिए।

"मुझ से तमीज़ से बात करो, लड़की। मैं अभी भी वोह हूं जिसके इशारे पर यह सारा खेल चल रहा है।"

अनिका पीछे हो गई और अपनी पीठ कुर्सी से टिका दी। "अब और नही," अनिका ने आत्मविश्वास से कहा। "मुझे पक्का यकीन है की आपके गुंडों ने अब तक आप को यह बता दिया होगा की वोह अब मेरी फैमिली को नही ढूंढ पा रहे हैं।"

नीलांबरी ने कोई जवाब नही दिया। उसकी आंखें गुस्से से फैल गई और कुछ देर बाद वोह मुस्कुरा पड़ी। "तोह तुमने अपनी फैमिली को सेफ कर ही लिया। वैल डन! बट यू नो व्हाट? मुझे अब कोई फर्क भी नही पड़ता उनके बारे मे। तुम अब शादीशुदा हो, और जो मुझे यहां से दिख रहा है की तुमने अब इस शादी को अपना लिया है और मुझे जल्द ही सिंघम का वारिस भी मिल सकता है। मेरा मिशन तो पहले ही पूरा हो चुका है।"

नीलांबरी मुस्कुराई और उसके कहे हुए शब्द अनिका के पेट में अजीब एहसास जगा रहे थे, पर उसने अपने चेहरे पर कोई भाव आने नही दिए और अपने आप को शांत रखा। "मुझे नही लगता की आप सिर्फ इस शादी और इस वारिस के पीछे ही हैं बस?"

"ओह?"

"जरूर कोई और बात है? और मुझे यकीन है की इस सब का नाता विजय सिंघम से जरूर है।"

एक पल के लिए, उसकी बुआ के चेहरे के भाव ऐसे थे की उन्हे शौक लगा और वो घबरा गई। "क्या बकवास ह....."

"मैने देखा था की आप कैसे उसे देखते हैं, अभय को। मैने कई बार सुना है की आप उसे विजय बुलाते हुए।"

"क्योंकि वोह अपने पिता जैसा दिखता है। और मुझे यह बिल्कुल भी पसंद..."

"मैने आपको अभी देखा था अभय के मरे हुए पिता की तस्वीर को गले से लगाते हुए।"

"सुनो मेरी बात। तुम..."

"आप उनसे प्यार करती थी। फिर भी आप उनके भाई से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी। क्यों?"

"मैं अपने लोगों के लिए सिंघम से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी।"

"आपको आपके लोगों की एक रती भर भी चिंता नही है। मुझे पता है की इसके पीछा आपका कोई स्वार्थ होगा। वोह लड़ाई सिर्फ इसलिए नही हुई थी क्योंकि उन्होंने आप से अपनी सगाई तोड़ दी थी किसी और से शादी करने के लिए। इससे भी कोई बड़ी बात है। और मैं वो करण पता लगा कर ही रहूंगी।"

नीलांबरी का चेहरा साफ साफ घबराया हुआ और गुस्से से भरा हुआ नजर आ रहा था। उसका पूरा शरीर कांप उठा था। "तुम्हे कुछ पता नही लगेगा!" नीलांबरी गुस्से से भड़की।

"ओ! तो इसका मतलब जरूर कोई बात है फिर।" अनिका ने कहा और नीलांबरी ने अपने नाखूनों को फिर से सोफे के कवर पर गड़ा दिए।

"मैं पता लगा लूंगी की आखिर बात क्या है, और मैं वादा करती हूं जब तक मैं पता ना लगा लूं मैं आराम नहीं करूंगी।" अनिका ने यह शब्द आराम से ही कहा और उसकी बात से नीलांबरी को पसीना छूटने लगा। अनिका कुर्सी से उठ खड़ी हुई। "मुझे दोबारा कभी भी कॉल मत करना। अगर मुझे कुछ कहना होगा, तो मैं आप तक वह भिजवा दूंगी।" इन आखरी शब्दो को कह कर, अनिका तुरंत कमरे से बाहर निकल गई, और अपनी दुखी और डरी हुई बुआ को अपने पीछे छोड़ गई।













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कहानी अभी जारी है
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