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मैं नहीं मानती, रिया कभी ऐसा नहीं कर सकती है। ज़रूर उसकी फ्रेंड झूठ बोल रही है । शुभांगी कुछ मानने को तैयार नहीं है । मैं भी यही सोच रहा हूँ। मगर उसकी फ्रेंड को थोड़ी न कुछ पता था । अनन्या ने इस ट्रिप के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था । बल्कि उसके चाचा ने उसे बताया कि मुझे रिया नाम की लड़की का फ़ोन आया है और वो कह रही है कि अनन्या विशाल के साथ घूमने गई थीं। वही उसने उनकी भतीजी का मर्डर कर दिया । विशाल के चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही है । तभी अतुल आकर वही बैठ गया । क्या हुआ ? दोनों ऐसा क्या सीरियस डिस्कस कर रहें हो। बताओ अब ? उसने फ़िर ज़ोर दिया । अनन्या के चाचा मुझ पर मर्डर केस कर सकते हैं वो भी रिया की वजह से । अब हैरान होने की बारी अतुल की है । शुभांगी ने उसे सही बात बताई । रिया को कॉलेज बुलाते हैं और पूछ लेते है कि सच क्या है । अतुल ठीक कह रहा है । शुभांगी ने रिया को कॉल कर कॉलेज आने के लिए कहा । यार ! क्लॉस में बात करना सही नहीं है । अतुल ने राय दी । लाइब्रेरी में बात करेंगे । ओ ! मैडम लाइब्रेरी में बात करना मना होता है और तू हमेशा लाइब्रेरी में ही क्यों घुसी रहती हैं । अतुल ने चिढ़कर शुभांगी से कहा। हम कॉलेज के पास वाले पार्क में चलते हैं । वो इतना बड़ा है कि कोई न कोई कोना मिल जायेगा । विशाल की बात पर दोनों सहमत हो गए ।
तीनों रिया का इंतज़ार कर रहे हैं । दनदनाती हुई रिया आई और ज़ोर से विशाल पर चिल्लाने लगी। तूने सागर के पापा को फ़ोन करके मुझे सागर का कातिल बना दिया । तेरा दिमाग ठीक है या अपनी गलफ्रेंड की मौत के सदमे में है। सदमे में तो तू है, जो अनन्या के चाचा को फ़ोन कर मुझे उसका कातिल बना रही है। अब विशाल भी चीखा। अतुल और शुभांगी हैरान कि यह क्या हो रहा है। एक मिनट हो सकता है कि कोई तीसरा ही है, जो हम सबकी फिरकी ले रहा है । शुभांगी ने भी हैरान होते हुए कहा कि "आख़िर कौन है? जो उस दिन के बारे में जानता है, इसके बारे में तो पता करना पड़ेगा ।" शुभांगी की बात सुनकर विशाल और रिया सोच में पड़ गए । इसका मतलब विशाल ने कुछ नहीं किया। रिया शायद अब समझ चुकी है। हाँ, यार तू और विशाल दोनों ही बेकसूर हूँ। क्या तुममे से किसी ने हमारी ट्रिप के बारे में किसी को कुछ बताया? अतुल ने सबसे सवाल किया। वैसे भी वो यश एंड ग्रुप तो चाहता ही है कि हमारा ग्रुप इस फ़ेलोशिप से बाहर हो जाए और वो लोग जीत जाए। कहते हुए विशाल ने दांत भींच लिए। मगर हमारे पास कोई प्रूफ नहीं है कि यश एंड ग्रुप इस सब में इन्वॉल्व है। शुभांगी ने एक लम्बी सांस । जो भी है, फिलहाल यह हवा में बातें है। किसी की कोई लाश नहीं मिली है और ज़रूरत पड़ेगी तो हम लोग सारी सच्चाई सबको और पुलिस को बता देंगे। मगर पहले यह देखते है कि हमें फॉलो कौन कर रहा है । कुछ दिनों तक इस तरफ़ ध्यान देते है, क्या पता कोई क्लू मिल जाए । शुभांगी एक ही सांस में बोल गई।
हमें अपना प्रोजेक्ट सबमिट करना है, सिर्फ़ पंद्रह दिन बचे है । यह न हो हमारा ध्यान भटकाकर कोई बाज़ी मार ले जाए । अतुल ने भी अपनी बात कह दी । कल सब मेरे घर पर मिलते हैं, वहाँ बैठकर प्रोजेक्ट पूरा करना शुरू करते है। शुभांगी ने सुझाव दिया। नहीं, अभी सारा थ्योरी वर्क करते है और फ़िर जब पूरी शार्ट फिल्म बनानी होगी। तब शुभांगी के घर चलेंगे । रिया की बात मान ली गई और सब अपने घर की तरफ निकल गए। रास्ते में चलते हुए शुभांगी को ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है, उसने पीछे मुड़कर देखा तो सामने यश खड़ा है । शुभांगी उसे देख सकते में आ गई। तुम ? तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हों ? अरे ! इतना चिल्ला क्यों रही हों । पीछा नहीं कर रहा, बस यहाँ से गुज़र रहा था तो तुम्हें देख. तुमसे बात करने करने के लिए आ गया । यश ने सफ़ाई दी। बताओ, क्या बात करनी है? कही चले ? शुभांगी ने पहले सोचा उसे मना कर दे । मगर वह जानना चाहती है कि यश को कहना क्या है। ठीक है, पास वाले कैफ़े में चलते है। दोनों कैफ़े में एक खाली जगह देखकर बैठ गए । कुछ आर्डर करे? मुझे ख़ास भूख नहीं । फ़िर भी एक कॉफी मंगवा लेते हैं । शुभांगी ने मेन्यू वही टेबल पर रखकर कहा। थोड़ी देर में कॉफी आ गई।
बताओ, क्या कहना है ? कॉफी तो लो बता रहा हूँ । तुम्हे पता है कि घर में माँ मेरी वेट कर रही होंगी तो इसलिए टाइम वेस्ट नहीं करते । ओके, यश ने धीरे से कहा। देखो, शुभांगी अब फाइनल के बाद मास्टर्स करने के लिए पता नहीं हम कहाँ होंगे । तो ? शुभांगी ने कॉफ़ी का कप हाथ में पकड़ लिया । मुझे तुम अच्छी लगती हो, क्या हम दोस्ती से आगे कुछ सोच सकते है ? यश ने शुभांगी की आँखों में देखकर सवाल किया । तुम बहुत सीरियस लग रहे हों ? मैं सीरियस हूँ । यश, अभी किसी रिलेशनशिप के बारे में मैं नहीं सोचना चाहती है । अभी लाइफ से बहुत कुछ चाहिए। अगर कभी हम आगे मिले और तुम तब भी इतने सीरियस रहे तो शायद मैं कुछ सोचो । मगर अब कुछ नहीं हो सकता । शुभांगी ने यश की आँखों में देखकर ज़वाब दिया । मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया । यश ने कॉफ़ी के पैसे वेटर को दिए । उसको देखकर लग रहा है कि वो बहुत बुरा महसूस कर गया है। यश कुछ पूछो ? हाँ, पूछो । क्या तुम अनन्या या सागर को जानते हो ? नहीं, पहली बार तुम्हारे मुँह से सुन रहा हूँ । तुम्हें हमारी फ्राइडे वाली ट्रिप के बारे में पता था ? जी नहीं, तुमने शायद ध्यान नहीं दिया, मगर मैं दस दिन बाद कॉलेज आया हूँ । यश का मुँह उतर गया । ओके, मुझे पता नहीं था । चलो चले, तुम्हे देर हो रही है । सारे रास्ते वह यश से घुमा-फिराकर अपनी उस ट्रिप के बारे में पूछती रही, मगर उसे सचमुच कुछ नहीं पता है । वह तो शुभांगी की 'न' से काफी मायूस महसूस कर रहा है ।
अपने कमरे में आराम फरमाते वक़्त वो सोच रही है कि यश और उसकी दोस्त तो कहीं नहीं समझ आते । फ़िर कौन है जो? वह अब भी इस गुथी को नहीं सुलझा पा रही है । खैर छोड़ो, प्रोजेक्ट पर ध्यान देना ज्यादा ज़रूरी । यही सोच वह अपनी फाइल खोल काम में लग गई ।
सभी प्रोजेक्ट की तैयारी में लगे हैं । उनका थॉयरी वर्क पूरा हो गया है । किसी तरह की कोई परेशानी भी अनन्या या सागर की तरफ़ से नहीं हुई । सब वो बात भूल सामान्य हो गए । अब आज शाम को सब शुभांगी के घर प्रैक्टिकल की तैयारी के लिए आने वाले हैं । उसकी माँ ने उन सबके लिए बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाए हैं ।
घंटी बजते ही सब शोर मचाते हुए अंदर आ गये । नमस्ते आंटी, कैसी है आप ? रिया ने पूछा । अच्छी हूँ, बेटा, तुम लोगों को देखकर बहुत खुश हो गई हूँ । हम सब है ही ऐसे , अतुल ने इतराते हुए कहा । यह ड्रामे बंद करो और मेरे कमरे में चलो । माँ आप वही कुछ खाने को ले आना। शुभांगी रिया का हाथ पकड़ सबको अपने कमरे में ले गई। यार ! तेरा रूम तो बढ़िया है । विशाल ने बेड पर गिरते हुए कहा । ज़्यादा टाइम नहीं है । दो दिन बाद प्रोजेक्ट सबमिट करना है । शुभांगी ने लैपटॉप खोलते हुए कहा । शुक्र है, भगवान का कि हम सब यहाँ तक पहुँचे। रिया ने हाथ जोड़ते हुए कहा । यह सही कह रही है, अब मुझे भी लगता है कोई हमारी फिरकी ही ले रहा था । अब मै राहत महसूस कर रहा हूँ। विशाल ने आँखें बंद कर ली । जो बीत गयी सो बात गई। अब यहाँ कंसन्ट्रेट करते है। शुभांगी ने फोटो अपलोड करना शुरू कर दिया । तभी रिया की नज़र शुभांगी के पापा की तस्वीर पर पड़ी । शुभु यह अंकल है न ? हाँ, उसने धीरे से कहा । सब फोटोज को देखने में लगे हैं, सब सही लग रहा है । कहीं कोई दिक्कत नहीं है । रिया शुभांगी के पापा की तस्वीर हाथ में लिए खिड़की के पास जाती है और नीचे सड़क पर किसी को देख डर जाती है। यार ! वह दौड़कर उनके पास आई कि वहाँ कोई है। पहले तू मेरे पापा की तस्वीर टेबल पर रख दे । शुभांगी ने उसके हाथों से तस्वीर लेते हुए कहा । सब खिड़की के पास पहुँचे पर कोई नहीं दिखा । यहाँ इतने पेड़ है, ज़रूर कोई परछाई देख ली होगी । वैसे भी कई नशेड़ी यहाँ घूमते रहते हैं । शुभांगी ने खिड़की बंद कर दी । मैं कुछ लेकर आती हूँ । कहकर वो कमरे से चली गई । विशाल और अतुल रिकॉर्डर को सुनने लगे, जिसमे उन्होंने वॉचमैन का इंटरव्यू लिया था ।
जब उन्हें लगा कि इंटरव्यू ख़त्म हो गया है तो वह उसे बंद करने वाले थें ,तभी एक आवाज ने उनके होश उड़ा दिए। कुछ साफ़ नहीं सुनाई दे रहा है । आवाज़ इतनी डरावनी है, "सब के सबबबबब मरोगेगेगेगे."। यह थोड़े से शब्द सुनकर ही उनकी जान निकल गई हो। आवाज़ बंद हुई और कमरे का दरवाज़ा खुला तो सामने शुभांगी खाने की ट्रे लेकर अंदर आ गई । क्या हुआ? तुम सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? रिया ने डरते हुए कहा कि रिकॉर्डर से कोई कुछ कह रहा है । शुभांगी के कहने पर रिकॉर्डर दोबारा सुना गया । तीन बार सुनने पर भी वैसा कुछ सुनाई नहीं दिया । तुम भी न यार! हद करते हों । सब प्रोजेक्ट का काम ख़त्म कर शुभांगी के घर से निकल गए। विशाल क्या सचमुच आवाज़ थी या हमारा कोई भ्रम था ? अतुल ने सवाल किया । पता नहीं, कुछ समझ नहीं आ रहा। जो भी है, हमें जल्द से जल्द यह प्रोजेक्ट चैप्टर क्लोज़ कर अपने फाइनल के चार पेपर की तरफ ध्यान देना चाहिए। रिया ने अपनी बात रखी । लो मेरा घर आ गया, पैदल चलते-चलते रास्ते का पता ही नहीं चला। प्रोजेक्ट ने तो रात के दस बजा दिए।। अतुल ने घड़ी की तरफ़ देखते हुए कहा ।
तुम लोग जाओ, मैं अब घर चली जाऊँगी । चली जायेगी न ?हाँ, विशाल, यह मेरी गली है। यहाँ से रोज़ ही निकलती हूँ और घर भी ज़्यादा दूर नहीं है। ठीक है, बाय ! कहकर रिया गली के अंदर आकर अपने घर की तरफ़ बढ़ने लगी। मेहता अंकल तो घूमने गए है, फ़िर लाइट क्यों जल रही है। यह सोचते हुए वह उनके दरवाज़े के पास आ गई । उनके गार्डन में कुर्सी पर किसी को बैठा देखकर सोचने लगी कि कही कोई चोर तो नहीं है। उसने टोर्च की रोशनी कुर्सी पर मारी । पर कुछ दिखाई नहीं दिया । कौन है ? वहाँ पर कौन है ? मैं पुलिस को फ़ोन करुँगी। , जल्दी बताओ। रिया बोली जा रही है । उसने फ़िर टोर्च जलाई, मगर इस बार एक चुड़ैल जैसी प्रेत औरत को देखकर भाग खड़ी हुई । उसे लगा, अगर वह तेज़ नहीं भागी तो वह औरत उसे पकड़ लेगी।
"माँ, पापा, माँ, पापा।" रिया ज़ोर से दरवाज़ा खटखटा रही है । वह प्रेत उसकी तरफ़ बढ़ रही है। नहीं, नहीं नाहीहीहीहीहीही तभी सब कुछ शांत । दरवाज़ा खुला। आ गई तू , इतना क्यों चिल्ला रही थी, खाना खायेंगी ? नहीं खाना, कहती हुई रिया अपने कमरे में चली गई और बेड पर लेटकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। तू ठीक तो है ? हँस क्यों रही है । कुछ नहीं माँ, बस ऐसे ही आप सो जाओ । रिया ने अपने कमरे से ही ज़वाब दिया । पर उसकी माँ यह सोच रही है कि रिया ऐसे क्यों हँस रही थी, ऐसी हँसी को सुनकर कोई भी डर ही जाए।