Hudson tat ka aira gaira - 35 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | हडसन तट का ऐरा गैरा - 35

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हडसन तट का ऐरा गैरा - 35

सब साथियों के खुल कर साथ में आ जाने के बाद अब ऐश का भय तो बिल्कुल ख़त्म हो गया था पर वो अब सहसा कुछ सोच कर अफ़सोस सा करने लगी थी क्योंकि बंदर महाराज ने उसकी गर्दन पर हाथ ज़रूर रखे थे पर उसे कोई कष्ट या नुकसान बिल्कुल नहीं पहुंचाया था। वह तो अचानक ऐसा होने से अकारण ही घबरा गई थी और चीख पड़ी थी।
हो सकता है कि उसकी गर्दन पर हाथ लगाना बंदर महाराज के पूजा- पाठ के उपक्रम का ही कोई हिस्सा हो।
पर अब सब साथी निकल आए थे और अपनी- अपनी पूरी ताकत से बंदर महाराज पर प्रहार किए जा रहे थे। ऐश को बंदर महाराज पर दया आ गई।
उसने चिल्ला कर अपने साथियों से कहा - रुको, ठहर जाओ सब! क्या कर रहे हो? महाराज ने मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। उल्टे गलती मेरी ही है, उन्होंने तो मुझे इस अनुष्ठान के लिए अकेली ही बुलाया था पर मैं ही उनपर अविश्वास करके तुम सबको साथ में ले आई। रुको, रुक जाओ, सब अपनी - अपनी जगह वापस चले जाओ। महाराज को बोलने दो!!
ऐश के सभी दोस्त मुंह लटका कर वापस लौट गए। कुछ एक तो शर्मिंदगी के कारण उड़ कर दूसरे पेड़ों पर जा बैठे। बाकी भी अपनी - अपनी शाखाओं पर जा छिपे। अब सब मन ही मन ये सोच कर घबरा रहे थे कि बंदर महाराज वास्तव में कोई पहुंचे हुए संत महात्मा हैं, उन पर हाथ उठाने के फलस्वरूप कहीं उनका कोई अनिष्ट न हो जाए। वो सब अब पछता रहे थे। किंतु ऐश ने बंदर महाराज से उन सबकी ओर से भी क्षमा मांग ली थी। और क्षमा कर देना तो संतों का गुण होता ही है!
सबको मूक माफ़ी मिल गई। अब सबकी रुचि यह जानने में थी कि बंदर महाराज ऐश के जीवन का कौन सा रहस्य बताते हैं।
बंदर महाराज ने ऐश की गर्दन थपथपाते हुए अब छोड़ दी थी और पुनः पीछे हट कर शांति से स्थिर बैठे हुए थे। इतने क्रूर हमले के बाद भी यह संयोग ही रहा कि उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं लगी थी। हल्का- फुल्का सा बदन दर्द ही था, किंतु उसे उन्होंने अनदेखा कर दिया था।
बंदर महाराज ने किसी महान संत की भांति ही अपने बड़प्पन का परिचय दिया और कुछ तेज़ आवाज़ में बोले, ताकि सभी सुन सकें - मित्रो, मैंने इस परदेसी चिड़िया को यहां अकेले ही बुलाया था ताकि इसके जीवन का एक गोपनीय रहस्य इसे बता सकूं किंतु आप सब भी इसकी दोस्ती में इसके साथ ही छिप कर चले आए। मैं आप सबकी इस बात के लिए सराहना करता हूं कि आपने अपनी मित्र को किसी खतरे से बचाने के इरादे से जोखिम उठाकर भी इसका साथ दिया। आप सब इसके इतने आत्मीय मित्र हैं तो मुझे इसके जीवन का रहस्य आप सबके सामने बताने में कोई संकोच नहीं है। यदि आप लोग चाहें तो आप सब भी यहां हमारे निकट ही आकर स्थान ग्रहण कर सकते हैं।
सभी पक्षियों और जंतुओं ने खुशी से एक किलकारी मारी और सब निकट आकर आसपास ही इकट्ठे हो गए। देखते- देखते उन सबका फ़ैला - छितरा ठिकाना घने वृक्ष पर एक सभा के रूप में बदल गया।
कबूतर, तोता, मैना, बगुले से लेकर गिलहरी तक सभी ये सोच कर और भी खुश थे कि बंदर महाराज ने हमारी धृष्टता को क्षमा कर दिया है।
अब सब टकटकी लगाकर बंदर महाराज की ओर देखने लगे।
बंदर महाराज ने कहना शुरू किया - मित्रो, मैं जानता हूं कि आप सब और ऐश खुद भी, जल्दी से जल्दी उस रहस्य के बारे में जानना चाहते हैं जो ऐश के जीवन में घटने वाला है। तो सुनिए, आपको सहसा विश्वास नहीं होगा कि सुदूर देश से उड़ कर यहां आई ये प्रवासी चिड़िया ऐश शीघ्र ही एक लड़की का रूप लेने वाली है। मानवी ... एक खूबसूरत युवती!!
- क्या?? चमत्कार! घोर चमत्कार!! पर ये होगा कैसे??? सभी एक साथ बोल पड़े।
ऐश की आंखों में गज़ब की चमक आ गई। वह कुछ शरमाते हुए बोली - लेकिन क्यों महाराज?