my farm is great in Hindi Short Stories by नवीन प्रीतम नारेड़ा books and stories PDF | मेरा खेत महान्

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मेरा खेत महान्

ग्राम पंचायत - खोहरा ,
तहसील - टोडाभीम ,
जिला - करौली ( राजस्थान ) ।
दिनांक - 07 जून 2022 ।

में आज अपने मम्मी - पापा के साथ खेत पर गया। बाजरे का खेत था। किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि उस खेत में केवल बाजरे की ही फसल थी। लगभग 20 क्यारियों के खेत में 1-2 क्यारी में मक्के की फसल भी थी और 1 क्यारी में कई छोटी जैसे भिंडी, लोंकी, ककड़ी, खीरा, तरबूज इत्यादि फसलें थीं।
किन्तु औपचारिक पहचान के लिए हम अभी भी इसको “ बाजरे का खेत ” ही कहेंगे।

वैसे सोचा जाए - यदि ये वास्तव में केवल बाजरे का ही खेत होता तो क्या होता ?
होता भी क्या ! आस पास के और खेतों की तरह एक साधारण खेत होता जो ना तो किसी को अपनी और आकर्षित करता जैसे मुझे किया और ना ही मैं इसका वर्णन करने में इच्छुक होता।
किन्तु एक ही खेत में भांति-भांति प्रकार की जो फसलें एक साथ लहलहा रही थीं और खिलखिला रही थीं, उनकी इसी विविधता के कारण यह खेत बाकी खेतों के बीच अपनी सुंदरता व एक अलग पहचान लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ जैसे कथन को साकार करता सा प्रतीत हो रहा था।

कितना दुर्भाग्यपूर्ण हो यदि बाजरे की फसल अचानक कहने लगे कि यदि खेत बाजरे का है तो इसमें बाकी अन्य फसलें क्यूँ ? और सभी फसलों को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग करने लग जाये तथा खेत को शीघ्रातिशीघ्र ‘बाजराक्षेत्र’ घोषित करने के लिए एक आंदोलन शुरू हो जाये।
जिसे देख मुख्यतः बाजरे और मक्के की फसल में दिन-प्रतिदिन घृणा बढ़ने लग जाये तथा मक्के की फसल भी खेत की सुंदरता को नष्ट करने के हर सम्भव प्रयास में सम्पूर्ण फसल व खेत को बर्बादी की ओर धकेलने लग जाये।
ये सब देख हमारे दैनिक खान-पान में उपयोगी भिंडी, लोंकी, ककड़ी, खीरा व तरबूज जैसी फसलें भी सहसा मुरझाने लगे और देखते ही देखते सुंदरता व विविधता का एक रमणीय स्वरूप हमारे सामने जमीन का एक टुकड़ा मात्र बन कर रह जाये।

खैर डरिये मत ! अभी ये खेत चुनाव और राजनीति से बहुत दूर है।
अभी बाजरे ने कोई अपना राजनैतिक दल नहीं बनाया है जो पूरे खेत को ‘बाजराक्षेत्र’ में परिवर्तित करने की बात करता हो और कहता हो कि देखना ये 1 क्यारी वाली मक्के की फसल एक दिन इस खेत की पूरी 20 क्यारियों में लहरायेगी।
ना ही मक्के ने अभी तक कोई ऐसा समूह या संगठन बनाया है जो दूसरे मक्कों के कान भरता हो कि कैसे उनकी कम संख्या होने की वजह से वो इस खेत में असुरक्षित हैं और पास वाले खेत के मक्कों के साथ मिलकर इस खेत को तबाह करने के सपने देख रहा हो।
अर्थात् ईश्वर की कृपा से अभी तक इस खेत में सब कुशल-मंगल है।

अंत में, मैं अपने परमपिता परमेश्वर से बस यही कामना करता हूं कि जिस प्रकार ये फसलें अब तक एक साथ इस खेत में फल-फूलती रहीं हैं, जीवन पर्यंत उसी प्रकार फलती-फूलती रहें।

“ इस खेत को मेरा सादर नमन् ”