Secret Admirer - 82 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 82

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Secret Admirer - Part 82

अपने बदन के सारे कपड़े उतारने के बाद अमायरा आगे बढ़ी और टब के नजदीक पहुंची और टब के किनारे पर बैठ गई। धीरे से उसने अपनी हील्स निकाली और उसे एक साइड रख दिया। अमायरा के धीरे धीरे मूवमेंट्स से कबीर और बेसब्र हुआ जा रहा था। फिर अमायरा पानी के अंदर आई और कबीर ने उसे अपना हाथ दिया ताकि अमायरा उसकी गोद में ठीक से बैठ जाए। इस पूरी क्रिया के दौरान दोनो की नज़रे एक दूसरे पर टिकी हुई थी, किसी ने भी एक पल के लिए भी अपनी नज़रे एक दूसरे की नजरों से हटा कर इधर उधर नही की। सिर्फ तब जब अमायरा उसकी गोद में ठीक से बैठ गई, और अपनी पीठ को कबीर के सीने से सटा लिया, तब ही दोनो की नज़रे एक दूसरे से हट कर एक गहरी सांस लेते हुए बंद कर ली। दोनो की वजह भी एक थी, और एक दूसरे से अलग भी थी। दोनो ही एक दूसरे के रिएक्शन से डरे हुए थे। कबीर इसलिए डरा हुआ था क्योंकि उसे डर था की अमायरा कहीं पीछे ना हट जाए, और अमायरा खुद से ही डरी हुई थी। की कही वोह कबीर के सामने अपने कपड़े उतार भी पाएगी या नही वोह भी बिना अपनी सांस लेना भूले। बल्कि इस समय भी, इस तरह से इंटिमेटली कबीर को साथ में बैठने से, उसे यह यकीन नही था की वोह जिंदा है को मर गई।

अमायरा इस शांति में कबीर के दिल की धड़कन अच्छे से सुन सकती थी, बल्कि साथ ही अपनी भी। कुछ पल बाद अमायरा को यह रियलाइज हो गया को उसने हिम्मत कर यह कदम उठाया है और वोह अभी भी जिंदा है।
और आगे भी जिंदा रहेगी।

कुछ देर ऐसे ही दोनो चुपचाप बैठे रहे, और एक दूसरे को मौजूदगी को महसूस करते रहे। कबीर ने अपने दोनो हाथों से उसे बाहों में भर लिया और अमायरा घबरा गई। वोह यहां बड़ी बहादुरी से आ तोह गई थी लेकिन उसे अब समझ नही आ रहा था की अब आगे क्या। की वोह उससे गुस्सा थी अब इस बात की वोह परवाह नही कर रही थी, वोह तोह बस इस नए एहसास को अपने में ज़ब्त करने की कोशिश कर रही थी जो नए एहसास कबीर ने उसके अंदर जगा दिए थे। अमायरा ने अपना एक हाथ कबीर के हाथ पर रखा ताकी उसे कुछ साहस मिल सके जबकि कबीर का दूसरा हाथ उसके उपर नीचे कर रहा था जिससे अमायरा नर्वस फील कर रही थी। और उसी वक्त वोह यह भी चाह रही थी की कबीर रुके नहीं। कबीर उसके कंधे पर किस कर रहा था और अमायरा बस पिघलती जा रही थी।

"अमायरा।" कुछ देर कबीर ने अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए कहा।

"हम्मम।"

"एक बार फिर बोलो।"

"क्या?"

"की तुम मुझसे प्यार करती हो।"

"आपको ऐसा क्यूं लगता है की मैं ऐसा कहूंगी?"

"क्योंकि तुम कहना चाहती हो।"

"भ्रम में जीना बंद कीजिए।"

"प्लीज़ कहो ना।"

"मैं नही कहूंगी।"

"अमायरा, आई एम सॉरी। मैं जानता हूं की मैने बेवकूफी की है, मैने वोह गोल्डन मोमेंट को मिस कर दिया, तुम्हारा मोमेंट खराब कर दिया। तुमने वोह मुझसे पहली बार कहा था और मैं किसी और ही दुनिया में था।"

"आपको बुरा फील करने की कोई जरूरत नही है। मैने पहली बार कहा था आखरी बार नही।" अमायरा शरारत से मुस्कुराने लगी।

"तोह फिर कहो ना।"

"उह्ह्ह हूं। इतनी जल्दी नही। बस इसलिए की आपके सेड्क्शन की वजह से मैंने अपना गुस्सा छोड़ दिया इसका मतलब यह नहीं की आप जो कहेंगे मैं वो कह दूंगी।" अमायरा मुस्कुराने लगी जबकि कबीर को उसका चेहरा नही दिख रहा था पर वोह जनता था की अमायरा हँस रही है।

"कम ऑन अमायरा। मैं ने कहा ना आई एम सॉरी।" कबीर ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ कसते हुए कहा।

"इतनी भी जल्दी नही मिस्टर मैहरा। आपको इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी इस बार।"

"मैं ने पहली बार भी कड़ी मेहनत की थी तुमसे वोह सुनने के लिए।"

"तोह फिर और मेहनत कीजिए।" अमायरा ने कबीर को परेशान करते हुए कहा।

"तुम जानती हो मैं यह कर सकता हूं।" कबीर ने अमायरा की खुली पीठ पर बहुत सारी बार चूमते हुए कहा और अमायरा घबराहट में कांपने लगी।

"कबीर।"

"हां।"

"आपको सच में ऐसा लगता है की वोह शब्द बहुत ज्यादा मायने रखता है जबकी हमारा दिल ही हमारे मन के एहसास को आसानी से बयां कर देता है?"

"शब्दों की जरूरत नहीं होती जब हम सामने वाले इंसान को अच्छे से जानते हैं। पर कभी कभी यह बहुत जरूरी होती है यकीन दिलाने के लिए। और उस बेचारे पति के लिए, जो अपनी वाइफ के अटेंशन और प्यार के लिए तड़पता रहता हो, वोह शब्द उसके लिए अमृत के समान है। यह मेरे लिए बहुत बुरी बात है की मैने पहली बार वोह शब्द मिस कर दिए। मैं जानता हूं की तुम मुझसे इसके लिए बहुत गुस्सा होगी।"

"मैं आपसे उस वजह से गुस्सा नही हूं। मैने वोह शब्द सिर्फ इसलिए कहे थे, की उस समय मैने यह महसूस किया था की मुझे यह कहना चाहिए, ना की इसलिए की आपको कुछ मुझे रहसेमयी चीज़ बतानी थी। आप तो पहले से ही जानते हैं की आप मेरे लिए क्या है। अगर मैने उस वक्त नहीं कहा होता, तोह क्या आप को आप के लिए मेरी फीलिंग्स पर डाउट होता?"

"नही। मैं तुम्हारी आंखें पढ़ सकता हूं। मैं जानता हूं की मैं तुम्हारे लिए क्या हूं। बस यह बात मेरी ईगो को और बढ़ावा देती है। पर तुम आज इतनी इमोशनल क्यूं हो गई थी? अगर तुम्हे दुबारा यह नही कहना तोह मत कहो। मैं तुम्हे फोर्स नही करूंगा स्वीट हार्ट। मुझे कोई शब्दों की जरूरत नहीं है हमारे बीच क्या रिश्ता है बताने के लिए अब। कभी था ही नहीं।" कबीर ने अमायरा के बालों पर किस करते हुए कहा, वोह उसे आश्वस्त कर रहा था।

"आपको ऐसा क्यूं लगता है की मैं आप को इतने सालों तक इग्नोर करती रही?" अमायरा ने अचानक ही सवाल पूछ दिया।

"क्या तुमने ऐसा नही किया था?"

"मैने पहले सवाल पूछा।" अमायरा ने पीछे होते हुए कहा।
"तुमने ऐसा किया था। मैं इसलिए ऐसा सोच रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है की तुमने वाकई में मुझे इग्नोर किया था। तुम इशान और साहिल की दोस्त थी। मॉम डैड भी तुमसे बहुत प्यार करते थे। एक मैं ही हूं जो तुम्हें बस नमिता आंटी की बेटी के तौर पर जानता था। इशिता की बहन। तुम मेरे बारे में सब जानती थी, बल्कि तब भी जब मुझे पता ही नहीं होता था कि तुम मेरे आस-पास हो। आज शाम ईशान और साहिल से बातचीत करने के दौरान, मैंने यह महसूस किया कि मैंने क्या खोया है। मेरे पास तुम्हारे साथ रहने का एक चांस था और मैंने वह भी खो दिया।"

"पर आप तब तो यह जानते भी नहीं थे कि मैं एक्सिस्ट भी करती हूं या नहीं।" अमायरा ने प्यार से पूछा।

"यह सच नहीं है। मैं जानता था कि तुम हो। मैं हमेशा तुमसे बात करने की कोशिश करता था जब भी मैं तुम्हें अपने घर में देखता था, पर तुम हमेशा मेरे सामने शर्मीली बच्ची बनकर रहती थी, और मुझे ऐसा महसूस होता था कि तुम मुझसे डरती हो इसलिए मैं तुम से दूरी बनाए रखता था। मुझे कभी नही पता की तुम दूसरों के सामने पटाखा थी, पर तुमने अपनी चिंगारी को हमेशा मुझसे छुपा कर रखा।" कबीर ने जवाब दिया और अमायरा मुंह दबा कर हँसने लगी।

"और मुझे कभी नही पता चला की आप कभी मुझे भी नोटिस करते हैं। मुझे लगता था की आप कभी मुझे पहचानेंगे भी नही अगर कभी आपको मैं घर के बाहर सड़क पर मिल गई तोह
क्योंकि आप हमेशा बिज़ी ही रहते थे और कभी मुझे अटेंशन नही देते थे।"

"बिज़ी तो था, पर इतना भी नही की तुम्हे नोटिस ना करूं।" कबीर ने उसकी गर्दन और कंधे के बीच में किस करते हुए कहा।

"मुझे आप पर यकीन नही है।" अमायरा ने जवाब दिया, तेज़ी से उस तूफान के बारे में जानती थी जो कबीर उसके अंदर पैदा कर रहा था अपने हाथों और होठों को मदद से।

"काश तुम मुझ पर यकीन करती, पर इस वक्त मेरे पास ऐसा कुछ भी नही है जिसे मैं तुम्हे प्रूफ कर सकूं। मैं यह मानता हूं कि मैं तुम्हें पहले एक बच्चे की तरह ही देखता था, पर मैंने तुम्हें कभी जानबूझकर इग्नोर नहीं किया। मैं कई बार तुमसे बात करना चाहता था, पर तुम हमेशा ही भीगी बिल्ली बनकर छुपी रहती थी इसलिए कभी कोशिश नहीं की। मेरे लिए एक ऑकवार्ड सी बात होती अगर मैं तुम्हारे बारे में मोम से या ईशान और साहिल से पूछता। और फिर तुम मुझसे कितनी छोटी थी, मेरी अपनी अलग जिंदगी थी, बड़े सपने थे, जाहिर सी बात है कि एक छोटी सी बच्ची से बात करना मेरे लिए उस वक्त इतना इंपोर्टेंट नहीं था। पर तुमने मुझसे कभी क्यों बात नही की?" कबीर ने पूछा और अमायरा चुप रही। "तुम जानती हो मुझे याद है एक बार तुमने मुझे बहुत बुरी तरह इग्नोर किया था की मैं कुछ दिनों तक ठीक से सो भी नहीं पाया था।"

"क्या? आप कब के बारे में बात कर रहें हैं?" अमायरा ने कन्फ्यूज्ड होते हुए पूछा।

"उसी दिन जिस दिन मनमीत अंकल की डेथ हुई थी, मैं तुम्हारे घर आया था। हमने उस दिन ज्यादा बात नहीं की थी, पर मुझे तुम्हारा शर्माना याद है, तुम्हारी वोह नज़रे चुराती आंखें जब मैने खबर सुनी थी। उस दिन मैं तुमसे बात करना चाहता था। तुमसे पूछना चाहता था की क्या तुम ठीक हो। तुम्हे कंफर्ट महसूस करना चाहता था। शायद तुम्हे गले लगाता और कहता की सब ठीक हो जायेगा। पर जब मैने तुम्हे देखा, तुम बिलकुल कमज़ोर लग रही थी। बिलकुल बेजान सी, भावनाहीन। ऐसा लग रहा था जैसे तुम अपनी असली फीलिंग्स सब से छुपा रही हो। आज मैं जानता हूं कि उस वक्त में कितना सही था। कि तुम कितना दर्द अपने दिल में छुपाती हो, और अभी तक तुम्हारा कोई राजदार नहीं है। मैं अपने आपको कोसता हूं की मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं तुमसे पूछ सकूं, तुमसे बात कर सकूं, तुम्हारा दर्द बांट सकूं। शायद अगर मैं तुमसे बात करने की कोशिश करता तोह, तुम इतने सालों तक इतना सफर नही करती।"

"ऐसा कुछ नही है जो आप उस वक्त कर सकते थे। जो कुछ भी हुआ उसके पीछे कोई ना कोई वजह होती है। जो भी पास्ट में हुआ उसके लिए आप अपने आप को ब्लेम मत कीजिए। पर अभी आप क्या कह रहे थे की मैं आपको उस वक्त इग्नोर करती थी?" अमायरा ने पूछा, वोह बहुत ही हैरान थी कबीर यह सब सुन कर।

"मैं नही जानता की तुम्हे याद है की नही, पर मैने तुम्हे देखा था, और तुम्हारे पास आया भी था। मैं ने तुमसे पूछा था की क्या तुम ठीक हो और तुमने मेरे हाथ में पानी का ग्लास पकड़ा दिया था और वहां से चली गई थी। पीछे पलट कर एक बार भी नही देखा था। दूर से मैंने तुम्हे ईशान और साहिल से भी बात करते हुए देखा था और मुझे ऐसा लगा की शायद तुम उनसे बात करने में ज्यादा कंफर्टेबल हो इसलिए शायद मुझसे अपना दुख बांटना नही चाहती। उसके बाद मैं वहां से चला गया था, पर जिस तरह से तुमने मुझे इग्नोर किया था, मैं काफी दिन तक ठीक से सो नही पाया था। मैं तब भी तुमसे बात करना चाहता था। तुमसे पूछना चाहता था की तुम कैसी हो और इतना दुख कैसे बर्दाश्त कर रही हो। पर तुम उसके बाद कभी मेरे सामने नही आई। मैं तुम्हारे घर भी आना चाहता था, पर यह कुछ सही नही लगता। और फिर उसके बाद मुझे लंदन भी जाना था अपनी पढ़ाई के लिए, धीरे धीरे जिंदगी बिज़ी होती चली गई और मैं सब भूलते चला गया। आज मुझे फिर से वोही सब पुरानी बातें याद आ गई थी।"

अमायरा तोह कबीर के मुंह से इतना सब सुन कर दंग ही रह गई थी। वोह अपने आप को कबीर से दूर ही रखती थी क्योंकि उसे लगता था कबीर उसे अपने आस पास कभी नही देखना चाहता होगा। और आज, उसके साथ इस तरह से बैठने के बाद,
वोह बस यही सोच रही थी की जिंदगी कितनी अलग होती उसके लिए अगर दोनो ने ही अपने मन में एक दूसरे के लिए पूर्व अनुमान न लगा लिया होता। आज की यह बात से अमायरा दुबारा यह सोचने पर मजबूर हो गई थी जो की उसकी मॉम ने जो सुबह कहा था। की कबीर भी एक नॉर्मल इंसान है और उसकी भी नॉर्मल ही इच्छाएं और फीलिंग्स हैं।











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कहानी अभी जारी है...
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