अब जब अमायरा को अपने कमरे में वापिस आना था, तोह वोह खुद से यह उम्मीद कर रही थी की वोह कुछ और देर तक अपने गुस्से और नाराज़गी को बरकरार रखे।
अभी के लिए उसने सोचा की वोह अपनी ज्वैलरी तब तक उतार ले जब तक की कबीर बाथरूम से बाहर नही आ जाता। वोह शीशे के सामने खड़ी धीरे धीरे अपनी चूड़ियां उतरना लगी और उसे संभाल कर ड्रेसिंग टेबल पर रखने लगी। अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला और अमायरा को कमरे में गरमाहट महसूस होने लगी जिससे उसे यह पता चल गया की कबीर बाथरूम में से बाहर आ गया है और उसी की तरफ देख रहा है। अचानक ही अमायरा की सांसे तेज़ चलने लगी थी। उसे इस वक्त कबीर से नाराज़गी जतानी थी, पर उसे यह भी याद था की कबीर ने उससे सवाल पूछा था की पास्ट में उसने उससे बात क्यों नही की थी। क्या होगा अगर कबीर उसका सीक्रेट जान गया तो? वोह कैसे रिएक्ट करेगा तब? और फिर तब उसे कबीर के सामने अपने प्यार को कबूलना पड़ा। कबीर ने उस तरह रिएक्ट ही नही किया जिस तरह से अमायरा उससे उम्मीद कर रही थी, पर ऐसा नही था की कबीर ऐसा करना चाहता था। बल्कि कबीर ही तो इतने लंबे समय से चाहता था की अमायरा उसके सामने अपने प्यार का इज़हार करे, और अब जब उसने कर दिया था, तोह वोह बहुत घबरा रही थी।
साथ ही साथ गुस्सा भी थी, और अब इस वक्त, वोह अपने आप को मना रही थी की अपने गुस्से को बरकरार रखे। क्योंकि एक यही वजह से तोह वोह अपने बेचारे दिल को कबीर की मोहक नज़रों से पिघलने से रोक सकती थी। उसके हाथ धीरे धीरे अपनी चूड़ियां उतार रहे थे और अब वोह अपनी इयररिंग्स को उतारने लगी थी। उसके अस्थिर दिमाग की वजह से उसके हाथ कांपने लगे थे और वोह अपनी इयररिंग्स को खोल नही पा रही थी। कुछ पल तक वोह ऐसे ही अपनी इयररिंग्स के साथ जुजती रही और अपनी नज़रे नीचे किए हुए थी, वोह कबीर को नही देख पा रही थी लेकिन उसकी नज़रे खुद पर साफ महसूस कर पा रही थी। अगले ही पल उसे कबीर के बदन की महक अपने पीछे से आने लगी, वोह महक जो एक्सक्लूसिवली उसके पति कबीर की थी। जबसे कबीर बाथरूम से निकला था तब से उसकी बदन की खुशबू अमायरा के सांसों में चढ़ी हुई थी पर उसने अभी तक उसे नज़र उठा कर नही देखा था। अमायरा ने महसूस किया की कबीर का हाथ उसके कान तक आ गया था और उसका हाथ हटा कर उसकी इयररिंग्स निकालने लगा था। पहले कुछ पल अमायरा ने अपना हाथ हटाने से और कबीर को उसका इयररिंग निकालने में आनाकानी की पर फिर उसने उसे करने दिया जब कबीर ने अपना हाथ नही हटाया। कुछ पल बाद कबीर ने उसका हाथ पकड़ा और उसके चेहरे से दूर हटा दिया। अमायरा शीशे में उसे गुस्से से देखने लगी, जबकि कबीर की आंखें सिर्फ मुस्कुरा रही थी। कबीर का हाथ वापिस उसकी ईयरिंग पर आ गया उसे उसके कान से फ्री करने के लिए, जबकि दोनो की नज़रे शीशे से ही एक दूसरे पर अटकी हुई थी, और दोनो ही कुछ भी बोलने से अपने आप को रोक रहे थे। कबीर ने अमायरा की दोनो इयररिंग्स खोल दी और फिर उसके नेकलेस के हुक भी खोल दिया। आमयरा ने धीरे से अपने इयररिंग्स और नेकलेस अपने हाथों में ले लिया जबकि कबीर के हाथ अभी भी उसकी गर्दन पर ही थे जहां से उसने नेकलेस का हुक खोला था और उसके हाथ वहां पर उसकी गर्दन पर मसाज कर रहे थे। और फिर उसके हाथ की जगह उसके होठों ने ले ली और अमायरा एकदम से स्तब्ध रह गई। कबीर उसके और करीब हो गया और यह उसको तब रियलाइज हुआ जब उसकी पीठ कबीर के सीने से जा लगी और उसे उसकी खुली स्किन का एहसास हुआ। वोह पहले यह नोटिस ही नही कर पाई थी की कबीर बाथरूम से सिर्फ अपनी कमर पर एक टॉवल लपेट कर आया है। यह एहसास होते ही उसकी सांसे तेज़ चलने लगी थी और कभी कभी अटकने भी लगी थी। कबीर ने अमायरा की असहजता महसूस कर ली थी और वोह यह देख कर मुस्कुरा पड़ा। उसने अपना एक हाथ को उसकी कमर पर रख दिया और उसकी गर्दन को सूंघने लगा। दूसरे हाथ से कबीर ने अमायरा के लहंगे के ब्लाउज जो की सिर्फ और सिर्फ डोरियों से ही बंधा हुआ था उस के पीछे दो तीन डोरियां खोल दी और तभी अमायरा का दिमाग जाग उठा।
"ये...यह मत कीजिए।" अमायरा ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा पर अभी भी कबीर को शीशे में से ही देख रही थी। उसकी अपनी ही आवाज़ डगमगा रही थी।
"क्यूं?" कबीर ने शरारत से पूछा। "क्या तुम एक लंबे रिलैक्सिंग बाथ लेने के बारे में नही सोच रही थी? मैने तुम्हारे लिए टब में पानी भी भर दिया है। मैने सोचा की मैं तुम्हारी थोड़ी सी मदद कर देता हूं।"
"मैं बाद में कर लूंगी, खुद से।" अमायरा ने जवाब दिया, और अपनी सीने पर ब्लाउज को कस कर पकड़ लिया ताकी सरके नही।
"डर रही हो, हुंह?" कबीर ने उसे परखने के लिए कहा और अमायरा की आंखें फैल गई।
"मैं क्यूं डरने लगूंगी?"
"डर रही हो मुझे वोह करने देने से जो तुम्हारा दिल भी चाहता है।" कबीर ने अमायरा के लहंगे का दुपट्टा उसके कंधे से उतारा और दूर ऐसे ही फेंक दिया।
"मैं नही डरती किसी भी चीज़ से।"
"आर यू श्योर?" कबीर ने उसे चैलेंज किया।
"आप मुझे सेड्यूस करने की कोशिश कर रहे हैं ना ताकी मैं अपना गुस्सा भूल जाऊं।" अमायरा ने तुरंत पलट कर जवाब दिया।
"क्या यह काम कर रहा है?" कबीर ने पूछा, उसकी गर्दन के पीछे कई बार चूमने के बाद, जहां से उसने कुछ डोरियां को अभी कुछ देर पहले आज़ाद किया था।
"ज़रा सा भी नही।" अमायरा ने झूठ बोला।
"तोह फिर तुम्हारे पास डरने की कोई वजह ही नही है।" कबीर ने अमायरा के शीशे में उभर रहे रिफ्लेक्शन में उसकी नज़रों में नज़रे गड़ा कर कहा। उसी समय कबीर ने उसके ब्लाउज बाकी बची डोरियाँ भी खोल दी, और अमायरा को मजबूर कर दिया की वोह अपने दोनो हाथों से अपने सीने पर ब्लाउज के कपड़े को और कस कर पकड़ ले क्योंकि अब अगर वोह नही पकड़ेगी तो वो सीधा नीचे गिर पड़ेगा।
"मु....मु....मुझे आपसे कोई बात नही करनी।" अमायरा ने बड़बड़ाते हुए कहा, वोह इस वक्त कोई और बहाना नही ढूंढ पाई थी क्योंकि उसके पास कुछ था ही नही कहने के लिए।
"तोह फिर हम बात नही करेंगे बिलकुल भी," कबीर ने उसके कंधे से उसका ब्लाउज सरका दिया था और उसके कंधे पर ढेर सारी किसेस करने लगा था जबकि अमायरा स्तब्ध सी खड़ी थी। इस मोमेंट पर उसे कोई फर्क नही पड़ता था की उसे उससे इस वक्त नाराज़ रहना था। वोह तोह बल्कि यह भी नही समझ पा रही थी की वोह चाहती है की कबीर यह स्वीट सा टॉर्चर जारी रखे या फिर वोह चाहती है की कबीर यह बंद करदे। कुछ दिन पहले उसने खुद कहा था कबीर से की वोह उन दोनो के रिश्ते में अगला कदम रखना चाहती है और आज वोह खुद कबीर की आंखों में देखने में लज्जा रही थी जब कबीर उसे अपने प्यार के एहसास में डूबो रहा था। उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी, दिल की धड़कन तेज़ चलने लगी, और पैर वोह तोह अब और ज्यादा देर ऐसे खड़े नही रह सकते थे। उसे यह लग रहा था की वोह कहे कबीर से की वोह रोक दे वोह काम जो वोह कर रहा है और साथ ही उसे अच्छा भी लग रहा था और मना करने का मन भी नही कर रहा था। कबीर ने उसे करीब खींचा और अमायरा को अपनी स्किन दबती हुई महसूस हुई उसकी अपनी खुली पीठ पर। कबीर बिना रुके उसके चेहरे और गर्दन पर किस किए जा रहा था। उसका एक हाथ अमायरा की कमर पर कसा हुआ था और दूसरे हाथ अमायरा के सीने पर रखे हाथ को कस कर पकड़े हुए था। वोह अपने हाथ से उसके सीने पर अदृश्य लाइंस बनाने लगा जिससे अमायरा की पकड़ अपने सीने पर लूज होती चली जा रही थी, पर तब भी उसने अपने पर हाथ कसा हुआ था क्योंकि उसकी जिंदगी अभी इसी पर डिपेंड थी।
घबराहट, प्रत्याशा उसे और बेचैन कर रही थी जो की कबीर उसके चेहरे पर साफ देख पा रहा था और उसकी बढ़ती धड़कनों से साफ महसूस कर पा रहा था।
"तुम घबरा रही हो," कबीर ने कहा।
"नही। मैं नही।"
"तुम्हे पसीना आ रहा है। मुझे लगता है की तुम्हे एक रिलैक्सिंग बाथ की जरूरत है।" कबीर ने सुझाव दिया और अमायरा ने अपनी नज़रे उठा कर कबीर की तरफ देखा। उसे थोड़ी निराशा हुई थी ऐसे अचानक उसका इतना अच्छा मोमेंट में डिस्टर्बेंस करने के लिए।
"कुछ दिन पहले, तुमने मुझे कहा था की मैं तुम्हारे साथ नहाने के लायक नही हूं। आज रात मैं तुम्हे अपने साथ नहाने का ऑफर देता हूं।" कबीर ने मोहक आवाज़ में कहा और अमायरा नासमझ सी उसे देखने लगी।
"मैं तुम्हारा अंदर टब में इंतजार कर रहा हूं। अगर तुम सच में नही डर रही तोह, अंदर मेरे पास आ जाओ।" कबीर ने अपना हाथ उसके ऊपर से हटा लिया और थोड़ा पीछे हट गया। अमायरा अचानक कबीर की गरमाहट मिस करने लगी और चाहती थी की कबीर वापिस आ जाए और जो कर रहा था वोह करता रहे। पर वोह जानती थी की कबीर क्या कर रहा है। वोह उसे समय दे रहा है सोचने के लिए। उसे खुद यह तै करने के लिए की वोह यह आखरी कदम लेना चाहती है या नही। उस बाथरूम के बड़े से खुले हुए दरवाज़े से अमायरा कबीर को अंदर जाते हुए देख रही थी। वोह साफ साफ टब को और उसके पास उसकी तरफ पीठ किए हुए कबीर को देख सकती थी। अगले ही पल कबीर ने अपनी कमर से टॉवल हटा दी और टब में कदम रख दिया। उसने अपने आप को कंफरटेबली पानी में सेटल्ड किया। उसकी नज़रे सिर्फ बाहर खड़ी अमायरा पर ही थी और अमायरा उसकी आंखों में साफ साफ चैलेंज देख सकती थी। वोह जानती थी की वोह अभी भी पीछे हट सकती है। और वोह यह भी जानती थी कबीर उससे इस वजह से नाराज़ भी नही होगा। पर वोह यह भी जानती थी की वोह उसे अपने पूरे दिल से बेइंतहा प्यार करती है। की अब वोह उस पर जिंदगी भर के लिए भरोसा कर सकती है और उसके साथ कोई भी और हर एक कदम उठा सकती है। की अब वोह उनके बीच रिश्ते के इस मोमेंट पर आ कर कबीर को निराश नहीं कर सकती। और ना ही खुद को भी। अब उसने बहुत इंतजार कर लिया था उसकी बनने के लिए। अब वो तैयार थी इस हिम्मत को उठाने के लिए।
कबीर अमायरा की आंखों में अनिश्चितता देख सकता था। वोह यह भी देख सकता था की उसके चेयर के भाव और विचार बदल रहे हैं। पर तब भी, उसने कुछ भी बोला नही। उसे अमायरा से उस वक्त अलग होने के लिए अपने आप को कंट्रोल करते हुए बड़ी हिम्मत करनी पड़ी थी ताकि अमायरा खुद तै करे की उसे क्या करना है। क्योंकि इसके बाद वापिस जाने का कोई रास्ता नही है और इसलिए यह निर्णय उसका खुद का होना चाहिए। उसका दिल यह कह रहा था की अमायरा उसके फेवर में ही निर्णय लेगी, पर अगर उसने ऐसा नही भी किया तोह वोह उसका इंतजार करेगा, भले ही उसे उसके लिए मुश्किल हो। पर अभी, वोह उसकी ओर अपनी आंखों में बसे एहसासों को छुपाते हुए देख रहा था। उसका चेहरा उसके जज़्बातों को बिलकुल भी बयान नही कर रहा था।
अमायरा साहस से बाथरूम के दरवाज़े के पास आई, और अपने हाथ ढीले कर दिए ताकि उसका ब्लाउज उसके तन से सरक कर नीचे गिर पड़े। ऐसा लगा की मानो कबीर के शरीर के अंदर नसों में खून की एक लहर दौड़ पड़ी, अमायरा के वास्तिविकता को देख कर, पर वोह तब भी जितना हो सकता था उतना भावशून्य सा बैठा रहा। एक पल के लिए भी उसने अपनी नज़रों को उस पर से नही हटाया। अमायरा ने अपने लहंगे की बंधी डोरी की गांठ खोली और लहंगे को भी नीचे कर उतार दिया जिससे कबीर को थूक गटकने पर मजबूर कर दिया। अपने बदन के सारे कपड़े उतारने के बाद अमायरा आगे बढ़ी और टब के नजदीक पहुंची और टब के किनारे पर बैठ गई।
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कहानी अभी जारी है...
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