Zindagi - 10 in Hindi Moral Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | ज़िन्दगी - 10

Featured Books
Categories
Share

ज़िन्दगी - 10

हा वोरा बेटा है. लेकिन तुमने उसे मौत के घाट उतार दिया. में तुम्हे छोडूंगी नही.

अरे नही मेरे मित्र ऐसे नही हो सकता वो तो मुझे पता नहीं था. की वो आपका बेटा है.

हा वो मेरा पौता है तो अब तो पता चल गया ना. तो अब तुझे क्या करना है. वो अब तुम रट लो ठीक है. बाद में हम इस विषय पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे. अगर ये तुमने कर दिया तो हम शायद तुम्हें इस गलती के लिए माफ कर दे. तुम हमे अपने दोस्त मानते हो ना. तो उस दोस्ती की खातिर तुम हमारे लिए क्या करोगे वो अब हम देखेंगे. अभी चलती हूं. कल सुबह मुझे अपना जवाब मिल जाना चाहिए.

जी जी बिलकुल हम अपने दोस्त के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है.

हा तो कल सुबह आ जाना इंतजार करेंगे हम तुम्हरा.

ठीक है. आजायेंगे.

कल सुबह...

आज सबको में बता देती हु की. आज एक मेहमान आने वाला है. उसके लिए तैयारी की जाए जल्दी से ठीक है.

जी मालकिन जरूर आप निचिंत रहिए. हम सब कर देंगे.

लेकिन दादी ये सब तैयारी किस लिए ऐसा तो कौनसा मेहमान आ रहा है. जो आप सब को तैयारी करने के लिए बोल रही है.

सब्र रख बेटा अभी पता चल जायेगा. इतनी भी क्या जल्दी है. जानने की.

कुछ देर बाद...

लगता है की वो आगई. चलो सब लोग स्वागत अच्छे से करने ठीक है.

अरे छोटी सुनो तो ये तो परी के घर से सब लोग आ रहे है. और परी भी आ रही है. कुछ समझ नही आ रहा है. ये हो क्या रहा है.

भाई दादी ने मुझे सब बता रखा है. लेकिन मना भी कर रखा है. की किसीको मत बताना. इस लिए में किसीको नही बताऊंगी. आपको भी नही.

आइए आइए. समदी जी आइए. आपका ही इंतजार था.

नमस्ते नमस्ते. मित्र अब तो खुश हो ना. मेने जो कहा था वो मेने किया.

आहा अभी तक हुआ नही है. करना बाकी है. लेकिन ये सब छोड़ो मेरी बहु को साथ में लाए हो या नही. में देखू तो सही मेरी बहु आखिर कर कैसी दिखती है.

अरे आपकी बहू ये तो रही आपके सामने आपको नजर कैसे नही आ रहा है. ये रही परी.

अरे ये परी आपकी बेटी है. ये तो मेरे पौते की दोस्त है. लेकिन ये कब हुआ. प्यार वाला चक्कर. हे भगवान ये हो क्या रहा है.

लेकिन दादी आप और आपके मेहमान आपके दोस्त है. तो दोस्त को तो सब कुछ पता रहता है.

हा मेरी बच्ची लेकिन जैसे अभी मेरे साथ ये अनदेखा किस्सा हुआ. वैसे इस मेरे दोस्त के साथ हुआ. और गलती से इसने निकुंज पर हमला करवाया. और जैसे मेने अभी जाना की पारी ही उनकी बेटी वैसे इन्होंने भी अभी कल ही जाना की निकुंज मेरा पौता है. आगे हम एक दूसरे के बारे में जानते थे लेकिन बच्चो के चेहरे नही देखे थे. और मिले हुए भी काफी वक्त हो चुका था. तो ये हम सब को मिलाने के लिए उपर वाले ने एक किस्सा रचा. जो किसीको भी पता ना चला.

वैसे सही कहा मेरी दोस्त ने जिंदगी कब किसको मिलवा दे पता नही चलता. तो चलो मेरे दोस्त अब जो करने आए है वो करे.

हा बिलकुल क्यू नही. निकुंज बेटा आओ तो यहा पर.

परी यहा पर आओ तो. और बताओ क्या ये लड़का तुम्हें पसंद है.

निकुंज बेटा तुम भी बताओ क्या ये लड़की तुम्हे पसंद है.

नही दादी.

मेरी भी ना है भैया.

अरे निकुंज भैया अब आप को क्या हो गया. और परी दी आपको क्या हुआ.

अरे मेरी प्यारी बहन आपकी दी और में एक दूसरे से प्यार करते है. तो इसमें पसंद ना पसंद कहा से आया. इस लिए हमने ना कहा. वरना ये आपकी दी तो हमे बहुत पसंद है. क्यू परी.

हा और आप भी हमे बेहद पसंद है. इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है.

ओफ्फो आप लोग भी ना बड़े पागल हो. चलो तो फिर आज की ये कहानी यही पर समाप्त होती है

आगे जानने के लिए पढ़ते रहे. जिन्दगी. और जुड़े रहे मेरे साथ.