Secret Admirer - 75 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 75

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Secret Admirer - Part 75


"तोह क्या हुआ? हम कभी भी जब तुम चाहो वापिस आ सकते हैं। बल्कि यह ट्रिप इसलिए इतनी छोटी थी क्योंकि हमारे पास टाइम नही था। अगली बार जब भी हम आयेंगे ज्यादा दिन तक रुकेंगे। यहां पर और भी कई सारे आइलैंड हैं जिन्हे हम तब एक्सप्लोर करेंगे। अब ठीक है?" कबीर ने जवाब दिया अमायरा खुश हो गई।

"ओके। थैंक यू मुझे यहां लाने के लिए। मुझे यहां बहुत बहुत बहुत अच्छा लगा। थैंक्स अ लॉट।"अमायरा ने कबीर का गाल चूम लिया।

"मुझे बहुत खुशी है की तुम्हे यहां अच्छा लगा। कम से कम मैने कोई ऐसा काम तो किया जिससे तुम्हे डिसापोइंटमेंट नही हुई। और मुझे भी नही हुई।" कबीर ने जवाब दिया और फिर दोनो बीती रात को याद कर खिल खिला कर हँस पड़े। अमायरा बाथरूम की तरफ बढ़ गई और फिर दरवाज़े के पास आ कर रुक गई।

"मैं आपको अंदर इनवाइट जरूर करती, अगर आप कल रात सोए नही होते। लूजररररर।" अमायरा ने बोला और नॉटी स्माइल करते हुए जल्दी से बाथरूम में घुस गई और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। इधर कबीर को भी मुस्कुराते हुए अपने ऊपर तरस आने लगा।

जल्द ही दोनो अपनी फ्लाइट में बैठ चुके थे, आस पास के आइलैंड और समुंदर को फ्लाइट में से निहार रहे थे। यह ट्रिप, अमायरा के लिए, जिंदगी भर, उसके दिल के करीब रहेगी, भले ही इसके बाद वोह हजारों ट्रिप पर क्यूं ना चली जाए। क्योंकि यह ट्रिप पहली बार उसने कबीर की पत्नी बन कर एंजॉय की थी, कोई और चीज़, कभी भी, इन यादों पर हावी नहीं हो सकती थी। यह यादें उसके साथ जिंदगी भर रहेंगी, ताज़ा बन कर, हमेशा के लिए।

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साहिल और सुहाना की शादी, सुहाना के घर वालों ने उनके होमटाउन में रखी थी, अंबाला। जबकि साहिल एक डेस्टिनेशन वैडिंग चाहता था, कोई एग्जॉटिक लोकेशन पर, पर उसे सुहाना के पेरेंट्स के आगे हार माननी पड़ी। सुहाना की फैमिली उसकी शादी उनके पुश्तैनी घर पर करना चाहते थे, जिस इच्छा का स्वागत मैहरास ने खुल कर किया था। एक बात मैहरास ने उनकी मानी तो दूसरी बात साहिल की भी मानी की कम से कम रिसेप्शन तो सुहाना और साहिल की इच्छा अनुसार, उनकी पसंद की हुई जगह पर केरेंगे। उन्होंने ही साहिल को मनाया था और पूरा मैहरा परिवार, उनके कुछ खास दोस्त और रिश्तेदार अब अंबाला पहुँच चुके थे। एयरपोर्ट पर सुहाना के परिवार ने उनका भव्य स्वागत किया था और फिर उन्हे उनके पुश्तैनी घर में ले आए थे। वोह घर शहर की भीड़ भाड़ से कुछ हट के, कुछ दूरी पर बना हुआ था। रास्ते में काफी बड़ा जंगल पड़ा था जिसे पीछे छोड़ वोह खुले मैदान की तरफ बढ़ गए थे जहां रास्ते के दोनो तरफ दूर दूर तक सिर्फ हरियारी और खेत खलियान ही थे। कुछ देर और ड्राइव करने के बाद कुछ मकान आने लगे और फिर आया एक बहुत बड़ा मैंशन को चारों ओर से हरे भरे खेतों से ढका हुआ था। सिर्फ कुछ ही घर थे वहां जो की थोड़ी थोड़ी दूरी पर बने हुए थे।

वोह मैंशन इतना तोह बड़ा था की सौ लोग तो आराम से रह सकते थे। सुहाना का परिवार तो पहले ही वहां पहुंच चुका था। उनके कुछ दोस्त और रिश्तेदार पास के होटल में ठहरे हुए थे जिन्हे सभी फंक्शंस के लिए मैंशन में लाने और फिर सभी रस्में खतम होने के बाद उन्हें वापिस होटल पहुंचाने का इंतजाम भी हो चुका था। बस उनके कुछ मेहमान आने बाकी थे। सुहाना के परिवार ने खास इस बात का खास ध्यान रखा हुआ था की उनके किसी भी मेहमान को, किसी भी वक्त, कोई भी, कैसी भी, छोटी सी भी, तकलीफ ना हो।

अमायरा को कबीर दोपहर को ही मुंबई पहुंचे थे और फिर शाम की फ्लाइट से अपने परिवार के साथ अंबाला पहुंच चुके थे। एक ही दिन में अंडमान से अंबाला तक के सफर ने अमायरा को बहुत थका दिया था। उन्हे देर शाम हो चुकी थी उस जगह पहुंचते पहुंचते जिस जगह मेहमानो के रुकने का इंतजाम किया गया था। वोह बस चाहती थी की जल्दी से सो जाए वोह भी कबीर की बाहों में, उसके सीने से चिपक कर, जो इस वक्त बिलकुल भी पॉसिबल नही लग रहा था। क्योंकि सुहाना के परिवार ने उनके लिए एक ग्रैंड डिनर का इंतजाम कर रखा था। क्योंकि परिवार पंजाबी था, तोह जाहिर तौर पर सब लोग उत्साहित और एनर्जेटिक थे, जो अपनी जिंदगी खुल कर जीने में विश्वास रखते थे। उन्होंने खूब डांस किया, खुशी खुशी डिनर एंजॉय किया, अपनी थकान भूल कर सब जोश से भरे बस नाच रहे थे। जल्दी ही बच्चों के साथ साथ घर के बड़ों ने भी डांस में उनकी ज्वाइन कर लिया और सब दिल खोल कर आज का दिन एंजॉय कर रहे थे, एक दूसरे के साथ मज़ाक कर रहे थे, और आने वाले दिन के बारे में यानी की शादी की रस्मों के बार में एक दूसरे से बातें कर रहे थे। उस रात कोई भी ऐसा नही लग रहा था जिसका मन सोने का कर रहा हो। उनके खुशहाल चेहरे और बिना रुकने वाली हँसी ठिठोली ने सबको पार्टी में बांधे रखा हुआ था।

कबीर, हालांकि थोड़ा निराश था, जितने दिन वोह यहां अंबाला में बिताने वाला था वोह उसके लिए काफी मुश्किल भरे साबित होने वाले थे, क्योंकि उसे इन दिनो अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ेगा, ना चाहते हुए भी। हां रात को जरूर उन्हे एक दूसरे का साथ मिलेगा क्योंकि वोह एक ही कमरे में ठहरे हुए थे, पर अपनी पत्नी के साथ रोमांस करना वोह भी मेहमानो और रिश्तेदारों से भरे हुए घर में, इस बात से कबीर खुश नही था। वोह जनता था की इन आने वाले तीन दिनों में वोह और उसकी पत्नी अमायरा काफी बिजी रहने वाले हैं और उन्हें सांस लेने की भी फुर्सत नही रहेगी, यह बात उसे और बेचैन कर रही थी और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था की क्यूं वोह उस रात सो गया था।

या फिर शायद यह अच्छे के लिए ही हुआ था, क्योंकि अभी तक मुझे नही पता था की मैं क्या मिस कर रहा हूं। अगर बीती रात को हम दोनो एक हो चुके होते, तोह मेरे लिए यह नामुमकिन हो जाता उससे दूर रहना या उसे छूना और यह पक्का अमायरा के लिए बहुत एंबारेसमेंट होता। पर मैं कैसे मनाऊं की यह शादी जल्द से जल्द पूरी हो जाए।

कबीर ने अपने खयालों से बाहर निकल कर अपने बाईं ओर देखा जहां अमायरा सुहाना और इशिता के साथ बैठी कुछ हाथों को हवा में चलाते हुए कुछ डिस्कस कर रही थी। उसे पक्का यकीन था की अमायरा उनसे अपने आइलैंड ट्रिप के एडवेंचर के बारे में ही बता रही होगी, लास्ट वाले इंसिडेंस को छोड़ कर। उसे खुशी थी की उसका पूरा परिवार इस वक्त शादी में बिज़ी था की किसी के भी पास इतना समय नहीं था की वोह उसे इस ट्रिप पर जाने के लिए चिढ़ा सके। उसने अभी तक अपनी नज़रे अमायरा के ओर ही कर रखी थी, जैसे उसने कोई जादू कर रखा हो उस पर, अमायरा ने भी उसी वक्त पलट कर देखा, जैसे कोई अंदेशा हो गया हो उसे। दोनो की नज़रे मिली, कबीर की आंखों में जहां तड़प, और पैशन था, वहीं अमायरा की नज़रों में संकोच, और शर्मीलापन था। अमायरा जनता थी की इस वक्त कबीर के दिल और दिमाग में क्या चल रहा है। वोह शरमाते हुए मुस्कुरा गई और अपनी नज़रें फेर ली, नही तो बाकी उसे देख लेते और चिढ़ाने लगते। अमायरा को खुद अपने आप में न्यूलीवेड जैसी फीलिंग आ रही थी, अचानक ही वोह घबराने लगी थी, बेसब्र होने लगी थी और शर्माने लगी थी। जो बोल्डनेस उसने पहले दिखाई थी अचानक कहीं गायब ही हो गई थी। परिवार, दोस्तों और अजनबियों के साथ घिरे हुए उसे एक साथ अलग अलग इमोशंस का एहसास हो रहा था। ऐसा कुछ जो उसे अपनी शादी में महसूस नही हुआ था, उस वक्त उसे बस एक फॉर्मेंलिटी लगता था। उस वक्त वोह बहुत कोशिश करती थी खुश दिखने की और एक्टिंग करती थी शरमाने की जब भी कोई उसे उसके होने वाले पति के नाम से, शादी के नाम से चिढ़ाता था। अपने आंसुओं को बड़ी बहादुरी से छुपा गई थी और फेक मुस्कुराहट के साथ ही हर किसी से मिलती थी।

आज उसे वोह वोह सब एहसास हो रहा था जो उसे लग रहा था की तब यानी अपनी शादी पर उसने मिस कर दिया था। आज वोह उन सभी इमोशंस को महसूस कर सकती थी। को भी कमेंट्स सुहाना के लिए आते थे ना जाने क्यूं उन्हे सुन कर वोह खुद शर्मा जाती थी। आज वोह जानती थी की वोह खुश है और उसे फेक स्माइल की जरूरत नही है, क्योंकि मुस्कुराहट तो उसके चेहरे से जाने का नाम ही नही ले रही है, और साथ ही उसका शर्माना भी। और सच में वोह दोनो में से किसी को भी रोक नही पा रही है, ना मुस्कुराहट को, ना शर्माने को।

रात के करीब दो बज चुके थे जब सभी लोग नाच गाना बंद कर अपने अपने कमरे में जाने लगे थे। जिस मोमेंट कबीर और अमायरा अपने कमरे में घुसे थे और दरवाज़ा अंदर से बंद किया था, उसी पल कबीर ने अमायरा को खींच कर कस कर सीने से लगा लिया था।

"आई मिस्ड यू," कबीर ने कहा और अमायरा ने भी मुस्कुराते हुए उसे वापिस गले लगा लिया।

"मिस कर रहे थे? पर मैं तोह सारा दिन आपके आस पास ही थी।"

"आसपास थी। करीब नही थी।" कबीर ने जवाब दिया और उसकी गर्दन में अपने गाल सहलाने लगा। "मैं कैसे यह कुछ दिन बिता पाऊंगा बिना तुम्हारे नज़दीक जाए? मैं पूरे दिन में अब तुम्हे ठीक से देख पाया हूं। यह तोह नाइंसाफी है मेरे साथ।" कबीर ने सीधे खड़े होते हुए कहा।

"अच्छा, आप ऐसा सोचिए जैसे यह आपकी अपनी शादी है। अपनी ही शादी समझ कर सभी रस्मों को और माहौल को एंजॉय कीजिए।" अमायरा ने सजेस्ट किया।

"ओह रियली? इसीलिए तुम इतनी खुश हो?"

"हां। जब हमारी शादी हुई थी, मैने भी यह सभी रीती रिवाज़ निभाए थे, पर किसी भी रस्मों को दिल से महसूस नही किया था। उस वक्त इनकी इंपोर्टेंस की मुझे परवाह नही थी। इस बार अब जब मैं सुहाना को यह निभाते देख रही हूं, मैं अपने आप को ही इमेजिन करने लगती हूं ये रस्में करते हुए, और इन सब का महत्व भी सीख रही हूं। अब मैं जानती हूं की यह रस्मे क्यों इतनी जरूरी होती हैं शादी के दौरान। क्योंकि उस वक्त इस शादी को मैं इतनी इंपोर्टेंस नही देती थी, पर अब देती हूं। मेरी जिंदगी से भी ज्यादा जरूरी है।" अमायरा ने जवाब दिया और कबीर ने इमोशनली उसे फिर से गले लगा लिया।

"मैं तुम्हे एक ऐसी शादी भी नही दे सका जिसे तुम खुशी से जिंदगी भर याद कर सको।" कबीर ने कहा और अमायरा सीधी हो गई।

"आप ऐसा क्यों कह रहें हैं? आप जनता हैं ना मेरे कहने का यह मतलब नही था।"

"नही। तुमने नही कहा। पर सच तोह यही है ना। आज रात सुहाना को देखने के बाद मैने रियलाइज किया की दुल्हन कैसी होती है। खुश, अपने आने वाली जिंदगी के लिए आशा लिए, और आंखों में ढेर सारा प्यार अपनी नई जिंदगी के लिए। मैने तुम्हे इनमे से कोई भी मेमोरीज नही दी। मैं एक बहुत बुरा मंगेतर और एक बुरा पति रहा हूं।"

"मैं अब आपसे और कितनी बार कहूं की मुझे दुनिया का सबसे बेस्ट हसबैंड मिला है? खबरदार अगर उन्हे कुछ कहा तो। मुझे किसी भी चीज़ का पछतावा नहीं है। हां यह जरूर है की शुरुवात में मैं इस शादी से खुश नहीं थी, पर वोह तोह आप भी नही थे। क्या आप अभी भी मुझसे नाखुश हैं?" अमायरा ने पूछा और कबीर मुस्कुराने लगा।

"तुम्हे पता है, तुम बहुत अच्छी हो।" कबीर ने उसकी नाक पर किस कर लिया।

"हां। वोह तोह मैं हूं। अगर आपको सच में ऐसा लगता है की हमारी शादी की हमारे पास कोई याद नही है तोह यहां अब एक चांस है।"

"कैसे?" कबीर ने पूछा।

"कल यहां एक कॉकटेल पार्टी है, और परसो मेहंदी और संगीत है। और फिर उसके अगले दिन सुबह हल्दी और शाम को शादी है। हम इमेजिन करते हैं की यह हमारी शादी है। उसे वैसे ही एंजॉय करते हैं जैसे हम अपनी करते। क्या कहते हैं?"

"तुम्हारे कहने का यह मतलब है की मुझे अपनी वेडिंग नाइट के लिए और तीन दिन इंतजार करना पड़ेगा?" कबीर ने अपनी एक आईब्रो ऊपर कर पूछा और अमायरा डांट दिखा कर ज़ोर से हँसने लगी।

"अनफॉरट्यूनेटली येस। इस वक्त मैं सिर्फ आपके साथ सोने में इंटरेस्टेड हूं, सिर्फ सोने में। क्योंकि मैं बहुत थक गई हूं। फॉर अ चेंज आज मैं सोना चाहती हूं।" अमायरा ने कबीर को चिढ़ाते हुए कहा और कबीर के हाथ अमायरा की कमर पर और कस गए।

"तोह पिछली रात मेरे सोने की गलती की सज़ा तुम मुझे इतनी लंबी दोगी। हुंह।"

वैल.... मैं क्या कर सकती हूं? यह आप ही की गलती है की आप सो गए थे।" अमायरा ने एक तरफा हँसते हुए जवाब दिया।

"अच्छा सच में? जो इंसान इतना इतना समय बाथरूम में बिताए उसकी कोई गलती नही है।" कबीर ने काउंटर किया और अमायरा शर्म से मुस्कुरा गई।

"मैं जानती हूं.....की मैने थोड़ा एक्स्ट्रा टाइम लिया था। आई एम सॉरी।" अमायरा फिर मुंह बंद कर हँसने लगी।

"कोई बात नही। वैसे यह बताओ आज रात मुझे कौन रोक रहा है?" कबीर ने उसे और करीब कर लिया और अमायरा की आंखें बड़ी हो गई।

"क्.....क्या? यहां? कोई आ जायेगा तोह?"

"इस कमरे के दरवाजे का लॉक बिलकुल अच्छी तरह काम कर रहा है।" कबीर ने उसकी गर्दन पर किस करते हुए जवाब दिया।

"पर अगर किसी ने नॉक कर दिया तोह?" अमायरा ने पूछा।

"इस वक्त रात के दो बज रहें हैं, अमायरा। इस वक्त लोग सोते हैं।" कबीर ने कहा ही था की वोह अचानक दरवाजे पर दस्तक की आवाज़ से घबरा गया। कबीर ने बाहर आए इंसान को कोसने से पहले अमायरा को इरिटेटइंग लुक दिया और अमायरा हँसने लगी। कबीर दरवाज़े की तरफ गया और दरवाज़ा खोला तो सामने साहिल खड़ा था, तोह वोह और इरिटेट होने लगा।

"हां साहिल। क्या चाहिए तुम्हे? तुम्हे इस वक्त सोना नही है?" कबीर ने उससे गुस्से में पूछा।

"आप हमेशा गुस्सा क्यूं होते रहते हैं भईया? और मुझे भाभी से कुछ अर्जेंट डिस्कस करना है।"

"क्या? इस समय? साहिल हम दोनो अभी बस सोने ही जा रहे थे। तुम्हे सोचना चाहिए थे की यह समय तुम्हारी गुपशप का नही है।"

"मैं जानता हूं भईया। आप तो बूढ़े हो गए हैं, पर भाभी का तोह सोचिए। वोह अभी भी यंग हैं। अगर आपको कोई लव टिप्स चाहिए तोह, मैं हमेशा अवेलेबल हूं।" साहिल ने मज़ाक किया।

"शट अप साहिल एंड गैट लॉस्ट। हम सोने जा रहें हैं।" कबीर गुस्से से भड़का।

"मैं चला जाऊंगा पर पहले भाभी से तोह बात कर लूं।" साहिल अपने बड़े भाई को साइड कर कमरे में अंदर घुस आया। "भाभी, मैने आपको डिस्टर्ब तोह नही किया। मुझे लगा था की आप अभी तक सोई नहीं होंगी, इसलिए यहां चला आया।

"कोई बात नही साहिल। तुम्हे फॉर्मल होने की जरूरत नहीं है।" अमायरा ने जवाब दिया, वोह अपने हसबैंड की गुस्से से घूरती नज़रों का ताप महसूस कर रही थी। "पर तुम्हे मुझसे इतनी रात को क्या बात करनी है?"

"अच्छा वोह। हां मुझे आपका पावर बैंक चाहिए था।"

"पावर बैंक? इस समय?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई।

"क्या तुम आसानी से अपने कमरे में सॉकेट में चार्जर लगा कर अपना फोन चार्ज नहीं कर सकते थे? तुम बेवक्त दूसरों को क्यूं परेशान कर रहे हो?" कबीर चिल्लाया।

"भाभी इनसे कहिए ना की चिल्लाना बंद करे। इस वक्त बाकी के लोग दुसरे कमरों में सोने की कोशिश कर रहे होंगे।"

"और हमारी नींद का क्या?" कबीर ने पूछा।

"मैं यहां इसलिए आया क्योंकि मुझे मेरा पावर बैंक नही मिल रहा था। इशान की कमरे की लाइट्स पहले से ही ऑफ थी और आपके कमरे की जल रही थी इसलिए मैंने सोचा आप लोग सो नही रहें होंगे। डेट्स इट।"

"पर तुम्हे इस वक्त पावर बैंक क्यों चाहिए साहिल?" अमायरा ने पूछा और साथ ही अपने हैंड बैग में पावर बैंक ढूंढने लगी।

"मैं टैरेस पर जा रहा हूं सुहाना से फोन पर बात करने और फोन चार्ज नहीं है। और वहां भी कोई चार्जिंग प्वाइंट नही है।"

"पा तुम्हे इस वक्त सुहाना से क्या बात करने की जरूरत है? वोह भी टेरेस पर?" अमायरा ने साहिल के हाथ में पावर बैंक थमाते हुए पूछा।

"मेरे फ्रेंड्स सो रहें हैं मेरे कमरे में, सुहाना बाहर नही आ सकती क्योंकि बहुत सारे रिश्तेदार हैं उसके आस पास। और अपनी मंगेतर से शादी से पहले देर रात को नॉर्मली बात करने में कुछ गलत तो नहीं है। पर मैं समझता हूं और मुझे आपके लिए सिंपैथी भी है। आपकी सच में बुरी किस्मत है की आपको मेरे बोरिंग बड़े भईया मिले जिन्हे इन सब के बारे में कुछ नही पता।" साहिल ने जवाब दिया।

"इनफ साहिल। अब तुम जा सकते हो। सुहाना तुम्हारा इंतजार कर रही होगी। अभी मेरे कमरे से निकलो।" कबीर पीछे से बोला और साहिल अमायरा को थैंक यू बोल कर उनके कमरे से बाहर चला गया। कबीर ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और एक गहरी सांस ली।

"कल रात इशान था और आज यह साहिल। यह दोनो मुझे चैन से कभी जीने नही देंगे।" कबीर ने हल्के गुस्से से कहा और अमायरा हँस लगी।

"इट्स ओके। क्या यह बहुत नही है की हम दोनो साथ है?" अमायरा ने कबीर की गर्दन में अपने दोनो हाथ फसा दिए और कबीर की सांसे तेज़ हो गई।

"तुम सही कह रही हो। अभी के लिए, यह सही है। वोह हमे बिलकुल भी यहां प्राइवेसी नही देंगे। तोह अभी के लिए, मैं तुम्हे अपनी बाहों में ले कर सोना चाहता हूं।" कबीर ने जवाब दिया।

"तोह फिर सोते हैं। मैं बहुत थक गई हूं।" दोनो ने जल्दी से कपड़े चेंज किए और एक दूसरे की बाहों में सुकून से बैड पर लेट गए।

"अगर मुझे हमारी निर्मल शादी होने का पछतावा नहीं होता तोह, तोह मुझे एक बात की इस वक्त बहुत खुशी होती।" कबीर ने बुदबुदाते हुए कहा।

"और वोह कौन सी बात है?" अमायरा ने पूछा।

"यही, इतनी रात को सवा दो बजे एक दूसरे से बात करना।"

"साहिल सही ही कह रहा था। आप सच में बूढ़े हो गए हैं। आपको उससे सही में टिप्स लेने की ज़रूरत है।" अमायरा हँसने लगी।

"अच्छा सच में? अभी लूं क्या? एक बार वापिस घर पहुंचने दो, फिर बताता हूं की मैं कितना बूढ़ा हूं। यहां पंजाबियों की जितनी भी तरह की खाने पीने की चीज़े हैं सब अच्छे से खा पी लेना क्योंकि तुम्हे वापिस जाने पर बहुत एनर्जी की जरूरत पड़ने वाली है।" कबीर ने गर्व से कहा और शर्म से लाल हो गई। थैंक गॉड लाइट बंद थी जो कबीर उसका चेहरा नही देख पाया।
"मैं यह सोच रहा हूं की वोह बोल्ड अमायरा कहां गई जो मुझे हैवलॉक आइलैंड पर मिली थी? यह शर्मीली सी कौन है?" कबीर ने चिढ़ाया।

"आपको कैसे पता की मैं शर्मा रही हूं? आप को मेरा चेहरा भी नही दिख रहा है।"

"पर मैं तुम्हारी दिल की धड़कन को तोह महसूस कर सकता हूं। जो मुझे इस वक्त तुम्हारी फीलिंग्स के बारे में सब कुछ बता रही है।"

"शशशशशश......... आप बहुत बोलते हैं।" अमायरा ने कबीर को चुप कराना चाहा।

"तोह फिर मेरा मुंह बंद करदो। और तुम जानती हो की वोह कैसे करना है।" कबीर ने कहा और अमायरा ने बिलकुल वोही किया जो कबीर ने उससे करने को कहा।














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कहानी अभी जारी है...
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