Priya ka touch
अभय ने गुस्से मे वहा रखा सामान फेकना शुरु कर दिया। सब जानते थे की अगर अभय की तबियत ठीक न हो तो वो ऐसे ही चीडता है। इसलिए ऐसे वक्त मे उससे दूर रहना ही बेहतर रहता था।
पर फिलहाल उसकी बिना परमिशन के वो लोग बहार भी नही जा सकते थे। इसलिए सबष्पना सर झुकाकर खडे रहे। वही, प्रिया को कुछ भी समज नही आ रहा था।
उसे बस अभय के गुस्से को देख डर लग रहा था। आखिर कार ये सब तो उसकी ही वजह से ही तो हुआ था। उसका दिल कर रहा था की वो यहा से कही भाग जाए और जाकर छुप जाए।
जहा अभय उस तक पहुंच न सके। उसके दिमाग मे बस एक ही बात चल रही थी की अब आगे होगा क्या ? डॉक्टर की बात सुन कर और सबको देख कर तो इतना तो साफ था की अभय की हालत ठीक नही थी।
बस वो इतना कर सकती थी की बिना हिले चुप चाप खडी रहे। तभी उसके कानो मे अभय की आवाज पडी।
अभय :- इधर आओ।
प्रिया धीमे से :- हो गया कल्याण ! अब तो सब खतम, अब जाने क्या होगा तेरा पीयू ?
उसके ही कमरे मे खडे होकर उसका कहा न मानना बेवकूफी से कम न होता। इसलिए किसी ओबिडियन्ट बच्चे की तरह उसके पास चली गई। वहा पहुंच ते ही उसकी सोच से उलट अभय ने उसके हाथ को पकड कर अपने पास खींच लिया।
अभय का पूरा शरीर जलन के मारे पूरा गमॅ हो गया था। और यही वजह थी की वो चिड चिडा रहता था। वो सिर्फ अपने गुस्से को कम करना चाहता था। पर उसे कहा पता था की प्रिया काटा ऐसा जादू कर देगा की उसके मुलायम हाथ रखते ही उसे राहत महसूस हो जाएगी।
और वो उसे अपने और करीब करना चाहेगा।। अभय ने उसे अपनी बाहो मे ले लिया।
अभय :- तुम सब बहार जा सकते हो।
ये सुनते ही प्रिया की जान हलक मे आ गई। इस सिचुयेशन मे इस सनकी के साथ अकेले कैसे रहेगी ! वो सबकी ददॅ की वजह वो ही है। नजाने क्या होगा उसके साथ !
प्रिया की डर से हालत खराब हो रही थी। और वो मन ही मन अभय को गालिया दिये जा रही थी। और सोच रही थी की नजाने उसके साथ क्या होगा। पर उसके मन की बात कोई नही सुन सकता था।
और अगर सुन भी लेता तो यहा ऐसा कोई नही था जो उसकी मदद कर सकता था। अभय के कहते ही डॉक्टर्स और नवॅस् बहार चले गए।
कमरे का माहौल इस वक्त बहुत गमॅ था। किसी से भी अभय से सवाल करने की हिम्मत नही थी। इसलिए चुप चाप बिना कुछ बोले सब बहार चले गए।
वही, प्रिया को अपनी बाहो मे लेने के बाद अभय का गुस्सा अपने आप शांत हो गया। इस वक्त प्रिया की धडकने 100 की स्पीड से भाग रही थी। तभी उसके कानो मे अभय की आवाज पडी।
अभय :- तुमने मेरे साथ ये सब किया तो इसकी जिम्मेदार भी अब तुम ही होगी।
प्रिया :- जिम्मेदार पर किस लिए ?
प्रिया ने confusion के साथ अभय को देखा।
अभय :- बेवकूफ लडकी ! ओइलमेन्ट लगाओ ! मेरी पूरी बॉडी पर अच्छे से दवाई लगनी चाहिए।
प्रिया ने डर कर जल्दी से हा मे सर हिला दिया।
क्योकी उसे न कहना का अंजाम वो अच्छे से जानती थी। और इस बार तो उसके पास वजह भी थी उस पर भडकने की थी।
प्रिया :- जी ! ! !
प्रिया के लिए मजबूरी ही सही पर करना तो था। अभय के शरीर पर हर जगह रेड रेशेज हो चूके थे। प्रिया ने हल्के हाथो से उसके शरीर पर ओइलमेन्ट लगाना शुरु किया।
उसे डर था की कही उसे इतनी सी भी देर हुई तो अभय गुस्सा हो सकता है। उसके हाथ कांप रहे थे। पर ये बात प्रिया नही जानती थी की उसके पास होने से अभय का गुस्सा पहले ही जा चुका था।
बल्कि वो अब आराम महसूस कर रहा था। अभय ने प्रिया की तरफ देखा, नजाने क्या था इस लडकी मे जो उसे कभी भी उसका बूरा नही लग रहा था। कोई और होता तो अभय उसे जहन्नुम की सेर करा चुका होता।
पर प्रिया के साथ ऐसा नही हुआ। बल्की उसका छूना उसे आराम के साथ एक अलग अह्सास करा रहा था। जो अभय के दिल को अच्छा लग रहा था। यही वजह थी की अभय उसे अपने पास रखना चाहता था।
शायद हमेशा के लिए।
कुछ ही देर मे प्रिया ने ओइलमेन्ट लगा कर अपना हाथ हटा दिया। पर अभय दुबारा उसके हाथ को अपने पास लाकर लेट गया।
अभय :- आज से तुम मेरी डाइट इंचार्ज रहोगी। आज जो तुमने किया है ना, इसकी सजा यही है। तुम्हारे लिए की तुम हर रोज अपने हाथो से खाना बनाओगी समज आया।
प्रिया उसकी बात सुन अपने होठो को दांतो से काटने लगी।
प्रिया मन मे :- अब क्या करु ? ये इंसान चेन से मुझे जीने नही देगा। पर इसे मना करना मतलब खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना।
नही ! मै ये गलती नही कर सकती। मुझे इसकी बात मानने ही होगी। ये सोचूगी की किसी जानवर को खीला रही हू।
हम्म्म्म ! और कोई ओप्शन भी तो नही है।
प्रिया ने फिर से सर को हा मे हिला दिया।
उसे अब नींद आने लगी इसलिए उसने आंख बंद कर ली। पर फिर तुरंत खोल भी दी। उसने देखा अभय अपने हाथो से नीडल निकाल रहा था।
अभय ने देखा प्रिया उसे ही देख रही है।
अभय :- क्या हुआ नींद नही आ रही है ? या सोना चाहती ही नही हो। या फिर दिमाग मे और कुछ चल रहा है। अगर सच मे सोना नही चाहिए हो तो कोई बात नही हम जाग भी सकते है।
साथ मे मस्ती भी कर लेते है, क्या कहती हो। ( उसे छेडते हुए। )
उसके इतना कहते ही प्रिया ने तुरंत अपनी आंखे बंद कर ली। अभय उसे देख हल्के से मुस्कुरा दिया। प्रिया की मासूमियत और इमानदारी उसे दिन - ब - दिन अपने करीब खींच रही थी।
कहा उसने सोचा था की उसे मन भरते ही वो उसे छोड देगा। पर अब लग रहा था जैसे प्रिया किसी नशे की तरह उसके दिल और दिमाग मे छा रही थी।
आज की स्थिति देख लग रहा था की शायद आगे जाकर ऐसा ही हो। कई वो अपने से दूर जाने ही न दे।
अगली सुबह प्रिया की निंद खुली। उसने देखा अभय जा चुका था। घडी देखी तो पता चला की वो दोपहर तक सोती रही। पहले तो उसे हैरानी हुई की वो इतनी देर तक कैसे सोती रही। पर फिर सूकून भी था की एटलिस्ट कुछ वक्त तक उसे अभय की शक्ल नही देखनी पडेगी।
पर एक चीज और थी वो काफी अजीब थी वो ये थी की दिन के वक्त अभय उसके पास नही आता था। contract के हिसाब से अभय को सिर्फ रात ही उसकी थी। दिन मे जो चाहे वो कर सकती है।
पर वो अभी उस सनकी के बारे मे नही सोचना चाहती थी। उसने अपना सर झटका और जल्दी से बेड से उठ गई। उसे बस यहा से जल्द से जल्द निकलना था। ये जगह उसे घुटन महसूस करवा रही थी।
वो तैयार होकर बहार आई। तभी सामने से मिस्टर माथुर आते हुए से दिखाई दिये।
मिस्टर माथुर :- miss mehra, I hope आपके दिमाग मे ये बात अच्छे से बैठ गई होगी की आप मिस्टर राठौर की मजीॅ के बिना ये देश तो क्या, ये शहर भी नही छोड सकती।
तो प्लिस आगे से ध्यान रखिएगा।
अब आप जा सकती है। ठीक 6 बजे हम आपको वहा से पिक कर लेगे।
ये सुन प्रिया का मूड फिर खराब हो गया। जो कुछ देर पहले यहा से जाने के लिए exited थी।
उसने अपना मार कर सर हा मे हिला दिया।
कुछ देर बाद प्रिया अपने घर के लिए निकल गई। उसके साथ एक ड्राइवर भी था। घर पहुंच ने के करीब 200 मीटर दूर प्रिया ने उसे कार रोकने को कहा।
क्योकी वो नही चाहती थी की कोई उसे ऐसे देखे और बिना बात इश्यू बनाये। उसे काम पर नही जाना था। अब तो अब्रोड का प्लान तो फैल हो चुका था। पर उसने कुछ दिन ऑफिस से भी ऑफ ले लिया था।
प्रिया घर के अंदर गई तो देखा ललिता जी हॉल मे बैठी न्यूज पेपर पढ रही थी। पर उन्होने वो घर आ गई फिर भी अपनी नजरे उठाकर नही देखा। प्रिया को ये अच्छा नही लगा। पर फिर भी अपने चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट लाकर कहा।
प्रिया :- मॉम !
ललिता जी ने आवाज सुन प्रिया की तरफ हैरानी से देखा।
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