Consequences of an illicit relationship - part 1 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | नाजायज रिश्ते का अंजाम--पार्ट 1

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नाजायज रिश्ते का अंजाम--पार्ट 1

चार बच्चों की माँ प्रेमी के साथ भाग गयी।
पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की।
दौलत के लिए पत्नी ने पति की हत्या की।
पेसो के लिए पत्नी ने दूसरे का दामन पकड़ा।
इस तरह के या इससे मिलते जुलते समाचार आये दिन अखबारों में छपते रहते है।
हमारे देश मे औरत को बचपन से ही पतिव्रता धर्म की शिक्षा दी जाती है।उसे सिखाया जाता है कि पति चाहे जैसा हो पत्नी को उसे परमेश्वर मानकर उसकी तन मन से सेवा करनी चाहिए।शादी होने के बाद औरत पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए तन मन से पति के प्रति समर्पित रहती है।पराये मर्द की तरफ देखना तो दूर पराये मर्द का विचार मन मे लाना भी पाप समझती है।
पहले की तरह आज की औरत घर की चार दिवारी में कैद नही है।उसे आजादी मिल चुकी है।सहशिक्षा ही नही वह हर क्षेत्र में मर्दो के साथ काम कर रही है।
हमारे देश मे भी तलाक का प्रावधान है।कोई औरत चाहे तो कानून का सहारा लेकर पति को तलाक दे सकती है।परंतु हमारे समाज ने तलाक सर्वमान्य नही है।इसलिए तलाक के मामले कम ही देखने को मिलते हैं।किसी किसी औरत की जिंदगी में ऐसा अवसर भी आता है कि वह दूसरे से दिल लगा बैठती है।पराये मर्द का आकर्षण इतना तीव्र होता है कि वह भूल जाती है कि वह माँ है।पराये मर्द के प्रति आकर्षित होते समय वह भूल जाती है कि इसका अंजाम क्या होगा?"
माया मर गयी।उसकी लाश को दो दिन तक अस्पताल में सम्भाल कर रखा गया।लेकिन माया की लाश को लेने के लिए कोई भी नही आया।तब अस्पताल वालो को ही उसके अंतिम क्रिया कर्म का व्यवस्था करनी पड़ी।
माया अनाथ नही थी।पति और बच्चे ही नही उसके माता पिता भी जिंदा थे।नाते रिश्तेदार भी थे।फिर भी अंतिम समय मे उसके पास कोई नही था।वह अकेली थी।उसकी मौत अस्पताल में लावारिश की तरह हुई थी।उसकी इस हालत का जिम्मेदार कौन था।
माया का जन्म ताज नगरी आगरा के एक मध्यम वर्ग परिवार में हुआ था।माया के पिता एक निजी स्कूल में क्लर्क थे।माया की माँ कलावती धर्मपरायण, पतिव्रता औरत थी।
कलावती स्वयं ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी।पर शिक्षा के महत्त्व को अच्छी तरह समझती थी।वह जानती थी शिक्षा औरत को गुणी और समझदार ही नही बनाती जरूरत पड़ने पर उसे अपने पैरों पर खड़ा करने में भी सहायक बंसती है।
इसलिए कलावती ने हमेशा बेटी को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया था।उसी का नतीजा था कि माया ने बी ए तक पढ़ाई की थी।
रामलाल ने बेटी के बी ए पास करते ही उसके लिए वर की तलाश शुरू कर दी थी।कुछ प्रयासों के बाद उन्हें सुधीर मिल गया था।वर मिलने के बाद रामलाल ने देर नही लगाई।चट मंगनी पट ब्याह।माया को विदा करते हुए कलावती बोली,"बेटी अब पति ही तुम्हारा सर्वस है।तन मन कर्म विचार से उसके प्रति समर्पित रहकर उसकी सेवा करना और उसी के प्रति समर्पित रहना।"
और माया ,सुधीर की पत्नी बनकर आगरा से मुम्बई आ गयी।सुधीर का अंधेरी में अपना घर था।कुछ समय पहले उसके माता पिता का देहांत हो चुका था।वह अब घर मे अकेला रहता था।