वदान्य, रूपिका को लेकर अपने घर पहुचता है, जहां हॉल में राव्या बैठी हुई थी । राव्या वदान्य को किसी लडकी के सैथ देखकर हैरान रह जाती है, वो तुरन्त उठकर खडी हो जाती है ।
" मॉम,,, नीचे आईये, देखिये भाई किसे लेकर आये है,,, मॉम,,,,, " राव्या चिल्लाते हुए कहती है ।
राव्या को नही पता था कि रूपिका से सब पहले भी मिल चुके है, वो तो बस वदान्य की इमेज खराब करने और अपना बदला निकालना चाह रही होती है ।
" मॉम, मामाजी जल्दी आइये,,, देखिये वदान्य भाई किसी लडकी को बांहो में उठाकर लाये है,,, मॉम,,,"
" अरे क्यो चिल्ला रही हो,,,, ??? राव्या,,,,!!!!! सीढियो से उतरती हुई निवेदिता नें कहा ।
" मॉम,,,,यह देखो भाई किस लडकी को,,, " राव्या आगे कुछ कहती उससे पहले ही निवेदिता की नजर वदान्य की बांहो में बेहोश रूपिका पर जाती है ।
" वदान्य,,, क्या हुआ रूपिका को,,, यह बेहोश कैसे,,??
" आई डॉन्ट नो बुआ,,, मेरी कॉलेज में थी , सीढियो से भागते हुए नीचे आ रही थी, तब अचानक ही मेरी बांहो में बेहोश हो गयी, तो मैं उसे घर ले आया,,, ,,"
" पर ऐसे कैसे बेहोश हो गयी,,,,???"
" आई डॉन्ट नो,,, बुआ,,,, अभी इसे होश भी नही आ रहा है,,,"
" जरूर इसनें अपना ख्याल ढंग से नही रखा होगा , तभी बेहोश हुई है तुम एक काम करो इसे इसके रूम में ले जाकर सुला दो, मैं डॉक्टर को कॉल करती हूं,,,"
" औके बुआ,,," कहकर वदान्य ऊपर रूम की तरफ चला जाता है । वही निवेदिता तुरन्त डॉक्टर को कॉल करती है ।
" यह सब क्या चल रहा है,,,, मॉम जानती है इस लडकी है,,,, ??? रूपिका कौन है यह,,,,,??? और भाई इस लडकी को इतने प्यार से बांहो में उठाकर क्यो ला रहे थे,,,,,अब तो इस लडकी के बारे में पता लगाना होगा,,, ,, " कहते हुए राव्या वदान्य के पीछे-पीेछे चली जाती है ।
कुछ देर बाद डॉक्टर रूपिका को इंजेक्शन वगैरे देते है ।
" डॉक्टर क्या हुआ था इन्हें,,, यह बेहोश कैसे हो गयी,,," वदान्य नें सवाल किया ।
" आई थिंक इन्होने कोई डरावनी चीज देख ली होगी, इसलिये,,, आप लोग इनका ख्याल रखिये,,,, थोडा सा प्यार-केयर की जरूरत है जल्दी ही ठीक हो जाएगी,,,,"
" जी डॉक्टर,,, ," निवेदिता नें रूपिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा । फिर वदान्य डॉक्टर को छोडने चला जाता है । वही राव्या जो चुपचाप सबकुछ नोटिस कर रही थी, वो बेहोश रूपिका को देखकर-: मॉम,,, कौन यह लडकी,,,,??? और आप लोग इसे कैसे जानते हो,,???
" राव्या,,, तुमसे बडी है तो दीदी बुलाओ,,!!
" मैं नही बोलने वाली इन्हें कोई दीदी-वीदी,,,, !!! मैं तो नाम से ही बुलाऊंगी, मेरे सिर्फ एक ही भाई है, मैं तो वदान्य भाई को भी भाई ना बोलूं,,,,, वो भी मुझे भाई कम दुश्मन ज्यादा लगते है,,,,,"
" राव्या,,, कितनी बत्तमीज हो रही हो तुम,,,, तमीज नही है किसी बात की,,,, "
" मॉम, आप मुझे डांटना बन्द करिये, यह बताइये यह है कौन,,,,???
" तुम जाओ यहां से, मुझे तुम्हें कुछ नही बताना,,,,"
" अगर आप नही बताएगी तो मैं कही नही जाऊंगी,,,,"
" तुम,,, कितनी जिद्दी हो गयी हो,,,"
" हम्म बचपन से ही हू, आपने अभी गौर किया है, आप यह बताइये यह कौन है वरना मैं इसकी नींद खराब कर दूंगी,,,,फिर मुझे मत कहियेगा,,, "
" यह मेरे दोस्त मानव की बेटी है,,,,"
" औह वो मानव अंकल जिनका कुछ दिन पहले एक्सिडेन्ट हो गया था और उनकी बेटी का भी,,,, "
" हां,,,"
" तो अब यह भी उनकी ही बेटी है, जिनका ख्याल रखने के लिये आप और वदान्य भाई हॉस्पिटल जाया करते थे,,, ,"
" हां ,,,,"
" तो क्या अब यह हमारे साथ ही रहेगी,,,,, "
" हां,,, "
" मतलब,,, इस घर में,,, यह अपने घर क्यो नही जा सकती,,, पहले ही वदान्य भाई से में परेशान हूं, अब अगर इसनें भी मुझे परेशान किया तो,,"
" तुम्हे कोई परेशान नही कर सकता, तुम ही दूसरो को परेशान करती हो, रघु भाई नें तुम्हे छूट दी हुई है वरना मैने तो दो थप्पड में तुम्हारी अकल ठिकाने लगा देनी थी,,,"
" आप मुझे हाथ भी नही लगा सकती है,,, अभी तो आप इसे सम्भालिये,,, और जितना जल्दी हो सके इसे इस घर से रवाना कर दिजिये, वरना आपकी रोज की डांट से मैं परेशान हो जाऊंगी,,,,, "
" तुम्हें अगर अब मेरे हाथो से थप्पड नही खाना है तो जाओ यहां से,,,,, वरना अब मुझसे बुरा कोई नही होगा,,, ,"
" हां जा रही हूं,,, सब के सब मेरे ही पीछे पडे रहते है, अब एक नयी आफत आ गयी इस घर में, पहले ही एक बन्दर इस घर में मौजूद है अब इस छिपकली को भी देखना पडेगा,,,," बडबडाते हुए राव्या वहां से निकल जाती है ।
" यह मेरी बेटी हो ही नही सकती,,,, इसकी हरकत एकदम इसके बाप की जैसी है,,,, " निवेदिता नें सिर झटकते हुए कहा ।
रात का समय......
करीब दो बजे.......
रूपिका रूम में सोयी हुई थी, उसके रूम की लाइट्स ऑफ थी,,, उसे शाम को होश आ गया था तब निवेदिता नें उसे खाना खिला दिया था । रूपिका के रूम की दिवार से एक दरवाजा खुलता है, यह दरवाजा पास के रूम का था जो उसके रूम में खुलता था ।
दरवाजा खुलते ही वदान्य, रूम में आता है । वदान्य , रूपिका के पास आकर उसके चेहरे को एकटक देखने लगता है, रूपिका आज शांति से सोयी हुई थी । वही उसके चेेहरे पर बाल आ रहे थे । वदान्य ने धीरे से उसके चेहरे से बालो को हटाया फिर चुपचाप उसके पास ही चेयर पर बैठ गया ।
" आखिर आज तुम वापस मेरे घर पर हो,,, काफी इंतजार किया था कि तुम वापस आओगी, फिर हमारा ओक नया सफर शुरू होगा,,,, आखिर वो इंतजार खत्म होता है,,, तुम अब मेरे पास हो,,,, मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर नही भेज सकता हूं क्योकि वहां बहुत खतरा है, तुम्हारे लिये और मेरे लिये भी,,,, पर तुम यहां बिल्कुल महफूज हो,,, आज मुझे समझ नही आया था कि तुम मेरे कॉलेज में क्या कर रही थी पर तुम्हारा उस कॉलेज में आना भी ठीक नही है,,,, तुम्हें वहां पर जाने से रोकना होगा मैं तुम्हारे साथ कोई रिस्क नही ले सकता हूं,,, मैं नही चाहता कि वो सब तुम्हें कोई चोट पहुचाये,,,!!! इसलिये मेरे साथ, मेरे पास रहना ही तुम्हारे लिये ठीक है,,,," वदान्य ने रूपिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ।
कुछ देर तक रूपिका के पास बैठे रहने के बाद वदान्य नें धीरे से उसके माथे को चुम लिया फिर वापस वहां से चला जाता है ।
धारावाहिक जारी है.............