Beshak Ishq - 11 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | बेशक इश्क - Part-11

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बेशक इश्क - Part-11

वीर पथिक कॉलेज
देहरादून, उतराखण्ड

रूपिका उस लडकी के जाने के बाद कुछ देर तक वही खडी रहती है फिर वहां से कॉलेज के अन्दर बढ जाती है, वो जैसे-जैसे कॉलेज के अन्दर बढती जाती है, रूपिका को कुछ अजीब लगने लगता है ।

रूपिका कॉलेज को चारो तरफ देखती है तो कॉलेज में काफी भीड थी, कॉलेज में कुछ स्टुडेन्टस पेड के पास खडे थे, तो कुछ स्टुडेन्टस ग्राउड में खेल रहे थे, कुछ लडकियां रंगोली वगैरे बना रही थी, तो कुछ लडकियां बास्केटबॉल, फुटबॉल और कुछ अन्य एक्टिविटी कर रही थी ।

रूपिका यह सब देखकर थोडी हैरान थी क्योकि आज तक उसनें किसा भी कॉलेज में इतना भीड और इतने एक्टिविज होते हुए नही देखे थे ।

" कॉलेज में क्लासेज के बाहर ही सब स्टुडेन्ट है क्या,,,?!! क्या यहां पढाई की जगह यह सब होता है,,, ," रूपिका के मन में यह सब सवाल गोते खा रहे थे ।

" शायद,,, यहां गेम्स वगैरे के एक्टिविज होते है,,, तभी तो कॉलेज का नाम भी है वीर पथिक न्यू सब्जेक्ट कॉलेज,,,!! तो डैड इसलिये यहां कि इतनी तारिफ करते है,,,,??? रूपिका नें मन ही मन खुद से कहा ।

कॉलेज का ग्राउंड ही इतनी जगह तक फैला था कि रूपिका को दस मिनट तो क्लास रूम तक पहुचने में ही लग गये ।

" औह,,, इतना बडा कॉलेज,,, इतना बडै कॉलेज तो मैने अमेरिका में भी नही देखा था, जितना बडा यहा देख रही हू,,,,!! रूपिका के मन में यह सब बाते चल रही थी ।

वही वो जैसे-जैसे क्लास रूम्स के सामने से गुजरती है वैसे-वैसे उसे हैरानी होने लगती है क्योकि अभी दस से ही हजार बच्चे वो बाहर ग्राउंड में देखकर आ रही थी वही अभी हर क्लास में करीब 500-500 स्टुडेन्ट उसे दिखाई दे रहे थे, साथ ही हर क्लास में करीब चार से चार टिचर एक साथ उन स्टुडेन्टस को पढा रहे थे । रूपिका ने पहली बार इतने स्टुडेन्टस को किसी कॉलेज में देखा था,,, या कहे उसे यकीन नही हो रहा था कि वो जिस कॉलेज की मालकिन है उस कॉलेज में इतने स्टुडेन्टस भी हो सकते है।रूपिका धीरे-धीरे करके प्रोफेसर के ऑफिस पहुचती है ।

" हेलो सर,,,, मे आई कम इन,,!!!

" यस,,,,"

" हैल्लो सर आई एम रूपिका रहेैजा,,,,मुझे इस कॉलेज के बारे में आपसे कुछ बात करनी थी,,,,,,"

रूपिका ने जैसे ही अपना नाम लिया, चेयर पर बैठे प्रिंसिपल जो अभी तक अपने कुछ काम में लगे हुए थे, तुरंत उठकर खड़े हो जाते हैं ।

" आप,,, बेटा आप आ गयी,,,,!!! मैं इतने दिनो से आपका ही वेट कर रहा था, बैठो बेटा,,,,,," प्रिसिपल यानि देवेंद्र सिंह चौधरी के कहने पर रूपिका बैठ जाती है ।

" बेटा तुम्हारे डैड और गार्गी के बारे में जब से पता चला है मुझे समझ नही आ रहा कि कैसे तुम्हारे पास आऊं और कैसे तुम्हें हिम्मत दिलाऊं,,, तुम्हारे डैड के जाने के बाद मुझे भी बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है,,,,,!!! पता नही तुम कैसे सबकुछ सह रही होगी,,," देवेंद्र जी नें दर्द के साथ कहा ।

" सर,,, क्या आप डैड को पहले से जानते थे,,,, "

" बेटा , आपके डैड और मैं बचपन के दोस्त है,,,,!!! उन्हें मैं कैसे नही जानूंगा, शायद आप मुझे भूल गयी है,,,बचपन में आपके घर आता था, आप मेरी बेटी सनाया के साथ खेला करती थी,,,,"

" सॉरी सर, मुझे याद नही है,,,, !!! शायद मेैं भूल गयी हूं,,,," रूपिका नें कुछ देर सोचने के बाद कहा ।

" औके कोई बात नही बेटा, और तुम मुझे सर बोलना बन्द करो,,,,!!! मुझे तुम अंकल बुला सकती हो,,,,,,"

" औके अंकल,,,,"रूपिका नें एक हल्की मुस्कान के साथ कहा ।

" हां अब कहो बेटा तुम क्या पूछना चाहती हो,,,,, ???"

" डैड,,, ने यह कॉलेज क्यो खरीदा और उन्होने यह कॉलेज मेरे नाम पर क्यो खरीदा है क्या आप जानते है,,,"

" यह तो मैं नही जानता कि उन्होने क्यो खरीदा पर उनके एक्सीडेन्ट के एक दिन पहले वो मेरे पास बहुत जल्दी में आये थे और मुझसे कहा था कि वो इस कॉलेज को खरीदना चाहते है उन्होने मुझे दस करोड रूपये उसी समय दे दिये थे, और कहा था कि मैं अपना कॉलेज उनके नान कर दूं,,, मैने उनसे पूछा था कि इतनी भी क्या जल्दी है पर वो सिर्फ इतना बोले थे कि उनको तुम्हारे लिये यह कॉलेज चाहिये,,,,,"

" मेरे लिये,,,???? पर क्यो,,, मैं तो अमेरिका में थी और शायद कभी यहां आती भी नही,,, क्योकि डैड मुझे और गार्गी को यहां आने भी नही देते थे,,,!!!!

" वो तो मैं नही जानता हूं बेटा पर,,, वो हमेशा से इस कॉलेज को खरीदना चाहते थे,,, शायद इसलिये कि वो इस कॉलेज को बहुत पसन्द करते थे,,,, और तुम्हारे लिये इसे खरीदना चाहते हो,,, खैर जो भी वजह हो मैने उसके इतना कहने पर उसे यह कॉलेज बेच दिया था और जब वो अगले दिन यहां आने ही वाला था तो उसका एक्सिडेन्ट,,,,," कहते हुए देवेंद्र जी नें एक गहरी सांस ली।

" अंकल,,, मुझे नही पता डैड यह क्यो खरीदना चाहते थे पर उन्होने मेरा एडमिशन तक इस कॉलेज में क्यो करवाया है,,,,,??? मुझे यह बात समझ नही आ रही है, आज सुबह यह लेटर मुझे मिला जिसमें मेरा एडनिशन तक इस कॉलेज में है,,,,," रूपिका नें एडमिशन लेटर देवेंद्र जी की तरफ बढाते हुए कहा ।

" हां बेटा अब तुम इसी कॉलेज में पढ़ोगे और तुम्हारा पूरा ख्याल रखने की जिम्मेदारी मेरी है,,,, जब मानव ने यह कॉलेज खरीदा था तभी उसने मुझसे तुम्हारा ख्याल रखने का वादा भी लिया था, मुझे तब नहीं पता था कि वह है यह सब क्यों कर रहा है पर मुझे लगता है वह पहले ही जान गया था कि वो इस दुनिया से जाने वाला है,,,,"

रूपिका , देवेन्द्रजी की बात सुनकर सोच मे पड जाती है ।

" क्या, डैड पहले से जानते थे कि वो हमे छोडकर जाने वाले है, क्या वो यह भी जानते थे कि गार्गी भी,,,, इसलिये उन्होने अपने घर से लेकर हर प्रॉपर्टी सिर्फ मेरे नाम पर खरीदी है और सब कुछ सिर्फ मेरे ही नाम पर है पर डैड ऐसा क्यों करके गये,,, और उनको गार्गी के एक्सिडेन्ट के बारे में पहले से जानते थे पर कैसे? "

" बेटे क्या सोच रही हो तुम,,,,,,???? "देवेन्द्रजी ने कहा तो रूपिका होश में आती है ।

" नही,,, कुछ नही अंकल बस मुझे कॉलेज देखना है,,,, क्या मैं देख सकती हूं,,,,"

" बिल्कुल बेटा तुम्हारा ही है कॉलेज,,,, तुम बिल्कुल देख सकती हो, यह लो चाबी,,,, " देवेन्द्रजी नें चाबी रूपिका की तरफ बढाते हुए कहा ।

" थैंक्यू अंकल,,,"

" अच्छा क्या मैं तुम्हारे साथ किसी को भेंजू,,, तुम्हे कॉलेज का पता नही है यहां बहुत से रास्ते कन्फ्यूजन क्रिएट करने वाले है हम जाते एक रास्ते से है और वो रास्ता कही ओर ही निकल जाता है, पता नही किस आर्किटेक्ट ने इसका डिजाइन बनाया था,,,,"

" अरे अंकल कोई बात नही मैंनें इस कॉलेज का पूरा नक्शा देखा है मैं चली जाऊंगी,,,,,"

"ठीक है बेटा, जैसा तुम चाहो,,,, "

देवेन्द्रजी से बात करके रूपिका वहां से निकलकर ऊपर रूम्स की तरफ बढ जाती है । रूपिका जैसे-जैसे ऊपर के रूम्स की तरफ जाती है वैसे-वैसे वो कॉलेज बिल्कुल अलग होता जा रहा था, मतलब उसनें पहली बार कोई ऐसा कॉलेज देखा था जिसमें हर बिल्डिंग पर एक नया आश्चर्य था, फस कॉलेज की सैकैण्ड बिल्डिंग पर एक बडा सा गार्डन था, जिसनें काफी पेड-पौधे लगे हुए थे, कम से कम दस माली वहां खडे थे, जो उन पेड-पौधो की रखवाली कर रहे थे, पर उन लोगो की एक बात रूपिका को हैरान करने वाली थी कि सभी लोगो नें सफेद रंग के कपडे पहने हुए थे और वो लोग एक-दूसरे से पास साथ काम करके हुए भी कुछ भी बात नही कर रहे थे, बस अपने काम से काम रख रहे थे जैसे उन्हे सिर्फ अपने काम से काम रखने को ही कहा गया हो और वो किसी का आदेश मान रहे हो ।

रूपिक इस तरह हर एक बिल्डिंग पर अलग-अलग लोगो को देखती है जिनमें एक बात कॉमन थी कि उन्होने सबने एक तरह के सफेद कपडे ही पहने हुए थे ।

" ताजुब्ब की बात है, सभी एक ही ड्रैस कोड में है और यह जगह कॉलेज कम फाइव स्टार होटल ज्यादा लग रही है,,, मतलब होटल्स, रेस्टोरेन्टस, स्विमिंगपुल्स,,,!!! यह कॉलेज सच में कुछ ज्यादा ही अलग और अजीब है,,,," रूपिका ने हैरानगी के साथ कहा ।

रूपिका उस सब चीजो के बारे में सोचना छोडकर अब लास्ट बिल्डिंग पर जाती है तो वहां एक पूरा हॉस्पिटल था,,,, जिसे देखकर रूपिका बिल्कुल हैरान थी, यह हॉस्पिटल बहुत बडा था, काफी सारे कमरे और एक इतना शानदार हॉस्पिटल एक कॉलेज में । रूपिका हॉस्पिटल के हर एक रूम के अन्दर जाकर देखती है वो धीरे-धीरे पूरे हॉस्पिटल को देख लेती है उसे वहां एक बात सबसे ज्याता खलती है नीचे कि हर एक बिल्डिंग में लोग मौजूद थे, पर यहां पर कोई भी दिखाई नही दे रहा था । सब ओर सिर्फ सन्नाटा पसरा हुआ था, इतना सन्नाटा की रूपिका का सांसे भी वहां आवाज कर रही थी ।

रूपिका हॉस्पिटल को पूरी तरह देखने के बाद वापस जाने लगती है तो उसे अपने पीछे से कुछ आवाज आती है जैेसे कोई तेज रफ्तार से उसकी तरफ आ रहा हो ।

रूपिका के कदम रूक जाते है वो पीछे मुडकर देखती है, धीरे-धीरे वो आवाज तेज होने लगती है । सामने से एक बुढ्ढाआदमी जो एक व्हील चेयर पर बैठा हुआ था तेजी से उसकी तरफ आ रहा था, शायद उसका बैलेस बिगड गया था । रूपिका उस बुढ्ढे आदमी को अपनी तरफ देखकर हैरान थी । उसे कुछ समझ नही आता वो क्या करे, उसका दिमाग बिल्कुल ब्लैक हो गया था, रूपिका बस बूत बनकर खडी रह जाती है । देखते ही देखते वो बुढ्ढा आदमी और व्हील चेयर रूपिका के आर-पार निकल जाते है, रूपिका इस चीज से चौंक उठती है, वो तुरन्त पीछे पलटकर देखती है तो व्हील चेयर दिवार से बाहर की तरफ निकल जाती है ।

रूपिका के बुरी तरह डर जाती है उसे उस नीली आंखो वाले लडके की बाते याद आती है ।

" तो क्या यह सब भी आत्माएं है,,,, ??? क्या मैं आत्माओ को देख सकती हूं,,, क्या यहां सब आत्माएं ही है,,,, ???

रूपिका बुरी तरह डर गयी थी , उसनें नीचे सफेद कपडो में जो लोग देख थे, वो भी आत्माएं है और यह कॉलेज इसमें इतनी आत्माएं कैसे हो सकती है???? वो आत्माओ को कैसे देख रही है यही बात रूपिका को समझ नही आती । रूपिका का दिमाग अब काम करना बन्द कर चुका था, वो अपने आप को सम्भालते हुए तेजी से वहां से निकल जाती है ।

" अरे आराम से चलो,,,, " रूपिका सीढियो से गिरने को हुई तो किसी नें उसे पकडते हुए कहा ।

रूपिका नें सामने की तरफ देखा तो वदान्य नें उसका हाथ पकडा हुआ था । वदान्य, रूपिका को देखकर हैरान था वही रूपिका तो पहले ही अपने मन और दिमाग में चल रही बातो से परेशान थी, उसका वदान्य पर जरा भी ध्यान नही जाता ।

" रूपिका, आप यहां,,,,, ??? "वदान्य नें रूपिका को अपनी तरफ खींचते हुए कहा ।

रूपिका का उस पर बिल्कुल ध्यान नही था, वो बार-बार ऊपर की तरफ देख रही थी ।

" रूपिका,,, क्या आप सुन रही है,,,, " वदान्य नें रूपिका को कंधो से पकडते हुए कहा ।

" वो,,, वदान्य,,,,,, वो,,,, " रूपिका सिर्फ इतना ही कह जाती है और अचानक ही बेहोश होकर गिरने को होती है पर वदान्य , रूपिका को पकड लेता है ।

" रूपिका क्या हुआ आपको,,,, ???"वदान्य नें रूपिका को देखते हुए कहा । पर बेहोश रूपिका उसकी बांहो में झूल रही थी । वदान्य उसका इस तरह अचानक बेहोश होना और वो इस कॉलेज में क्या कर रही थी यह बात बिल्कुल नही समझ पाता , बस हैरानगी से उसे देखता रहता है ।

धारावाहिक जारी है............