Love Life - 8 in Hindi Fiction Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | लव लाइफ - भाग 8 - श्रेया की प्रेजेंटेशन और गाना ।

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लव लाइफ - भाग 8 - श्रेया की प्रेजेंटेशन और गाना ।

श्रेया ने अक्षत के लिए खाना परोसा | अक्षित को श्रेया के हाथ का खाना बहुत पसंद आया | उसने सोचा नहीं था। कि श्रेया के हाथ के खाने का टेस्ट बिल्कुल उसकी मां के हाथ के खाने की टेस्ट की तरह होगा।

सुशीला ( श्जीरेया की माँ ) भी अक्षत को जब अपने हाथ से बना खाना खिलाती थी। तो उस खाने का टेस्ट बिल्कुल ऐसा होता था। अक्षत को खाना खाते समय , वह पुराने पल याद आ गए | उसने खुद को संभाला और श्रेया से कहा |

अक्षत : " खाना सच में बहुत अच्छा बना है |

उसके बाद श्रेया ने अभी जल्दी से नाश्ता किया। और वहां से जाने लगी | तो अक्षत श्रेया से पूछा |

अक्षत : कहां जा रही हो ?

श्रेया : "मुझे ऑफिस जाना है मेरी 9:00 बजे प्रेजेंटेशन है।"

तो अक्षत में सनी की तरफ देखा और कहा |

अक्षत : "श्रेया को ऑफिस ले जाना।"

श्रेया : नहीं इसकी जरूरत नहीं है | मैं चली जाऊंगी|

अक्कीषत ने तो जैसे श्रेया की बात ही नहीं सुनी हो | उसने सनी की तरफ देखा और कहा |

अक्षत : "घर के गैराज में इतनी गाड़ियां पड़ी है मैंने इतना कमाया है उसका कुछ फायदा तो उठाओ |

श्रेया को समझ आ गया , की अक्षत ये सीधा-सीधा उस के लिए कह रहा था।" ओऊ अक्षत का मत्लाक्ब ये भी था कि वह किसी में नहीं | बल्कि गैराज से कोई गाड़ी लेकर | उसमें जाएगी | सनी ने कहा |

सनी : ठीक है भाई , मैं भाभी को ले जाऊंगा |

ऑफिस पहुंचने से कुछ मीटर दूर ही श्रेया सनी की कार से उतर गई | वह नहीं चाहती थी। कि किसी को भी यह पता चले कि उसका और सनी का क्या रिश्ता है | और वह अक्षत की बीवी है | उसने अक्षत से वादा लिया था। कि जब तक वह अपने पैरों पर खड़ी ना हो जाए | तब तक वह किसी को ना बताएं , की श्रेया उसकी बीवी है | तो अक्षत उसकी बात मान गया था।

श्रेया को ऑफिस जाने में डर लग रहा था। अभी भी उस रात जो सब उसके साथ हुआ वह भूल नहीं पाई थी। तभी पीछे से सनी आया फिर उसने कहा |

सनी : मेरे होते हुए आप डरे , तो मेरा होने का क्या फायदा था।

श्रेया ने पीछे देखा तो सनी बिल्कुल श्रेया के पास आकर खड़ा हो गया | फिर सनी ने कहा |

सनी : "चलिए मैं आपके साथ हूं | आप टेंशन मत लीजिए | सब कुछ ठीक है |

सनी पर भरोसा करके श्रेया अंदर चली गई | उसने फील किया की अंदर सब नॉर्मल था।" उसने सबको गुड मॉर्निंग विश किया , बाकियों ने भी रिटर्न को गुड मॉर्निंग विष किया | मानों कुछ हुआ ही न हो | फिर श्औरेया जल्रदी से अंदर गई | और अपना काम करने लगी सुबह के 8:50 हो चुके थे 9:00 बजे श्रेया की मीटिंग थी।

श्रेया अपना लैपटॉप लेकर मीटिंग रूम की तरफ गई | आज मीटिंग रूम में सब होने वाले थे | हिना , श्रेया , सनी और अक्षत भी । श्रेया आज पहली बार अक्षत से मिलने वाली थी | पहली बार अक्षत के सामने , ऑफिस में आने वाली थी।

श्रेया थोड़ी नर्वस भी थी। जब वो मीटिंग रूम में एंटर हुई , तो मीटिंग रूम में सब बैठे थे |श्रेया जैसे ही अंदर आने लगी | तभी हिना भी अंदर आने के लिए आगे आई | ओर उसने श्रेया को धक्का देते हुए , ऑफिस मैं आई | ये चीज़ सब ने देखि | की कैसे हिना , श्रेया को धक्का देकर आई | अक्षत को तो हिना पर , इस बात पर बहुत गुस्सा आया | बाकि किसी का ध्यान नहीं गया , की जब श्रेया को धक्का लगा , तो दरवाजे का कौन श्रेया की कमर पर लगा | श्रेया को दर्द मैं डेक , अक्षत ज़ोर से श्रेया से बोला |

अक्षत : संभल कर |

अक्षत को इस तरह बिहेव करता देख , सब उसकी तरफ देखने लगे | पर अक्षत का ध्यान इस वक्त सिर्फ श्रेया की चोट पर था | उसने देखा कि श्रेया ने अपना पेट पकड़ा हुआ था। जाहिर सी बात है , की उसे दर्द हो रहा होगा | तभी अक्षत का ध्यान बाकियों की तरफ गया | तो उसे याद आया कि , वो ऑफिस मैं है | ओर श्रेया ने कहा था की ,

श्रेया : "ऑफिस में किसी को पता ना चले कि मैं आपकी वाइफ हूँ |

अक्तोषत ने खुद को संभाला | और इश्रों ही इशारों मैं श्रेया से पुछा |

अक्षत : तुम ठीक तो हो ?

श्रेया की आँखें दर्द की वजह से नाम हो चुकी थी | पर उसने खुद को संभला , और अक्षत को दिलासा देते हुए , इशारा किया , की वो ठीक है | पर उसे बहुत दर्द हो रहा था | पर क्यूंकि अभी उसको प्रेजेंटेशन प्रेजेंट करनी थी। इसलिए खुद को संभाला और ज़ोर से कहा |

श्रेया : मैं ठीक हूं | थैंकयू |

फिर वो जल्दी से अपनी सीट पर आकर बैठ गई | कुछ ही देर में अपनी प्रेजेंटेशन देकर श्रेया फ्री हो चुकी थी।" वह सबके सामने खड़ी थी। ताकि अगर किसी को कोई कुंवारी हो , तो वह उससे पूछ ले । क्कोयूंकि उसे शायद ये भी पता था , की और कोई कुछ पूछे ना पूछे , हिना बीच में टांग जरूर डालेगी और वैसा ही हुआ | फिर हिना के सवाल शुरू हो गये | सब ये चीज़ अच्अछे से देख सकते थे , की हिना जीबोगरीब सवाल पूछे रही थी | श्रेया ने बहुत मेहनत से सारा काम किया था । उसके पास इस प्रेजेंटेशन की सारी नॉलेज थी।

उसने सभी क्वेश्चन के आंसर बहुत अच्छे से दिए | इस तरह श्रेया का कॉन्फिडेंस देखकर अक्षत बहुत खुश हुआ | इसके बाद सनी जोर से तालियां बजाता हुआ कहने लगा |

सनी : वेरी गुड भा ... फिर सनी ने खुद संभाला और फिर से कहा :: वेरी गुड | बहुत अच्छी थी। भाई को भी पसंद आई होगी |

अक्षत ने अपना सर हाँ मैं हिलाया और कहा |

अक्षत : हां वाकई | यह बहुत अच्छी थी।

अक्षत ने उसके बाद सब को मीटिंग रूम लीव करने के लिए कह दिया।

अक्षत : तो अब सब जाकर अपना काम कर लीजिए और अपने गोलज़ कंप्लीट कर लीजिए |

जाने से पहले अक्षित के साथ सभी ने अपना हाथ मिलाया , ओर जब श्रेया की बारी आई तो , वो थोड़ी नर्वस हो रही थी।उसके बाद उसने अक्षत से हाथ मिलाया और सब लोग वहां से चले गए। ऑफिस रूम में अब सिर्फ अक्षत और श्रेया थे।

फिर अक्षत श्रेया से पूछने लगा

अक्षत : "तुम ठीक हो | तुम्हारी पेट में ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा |

अक्षत को इस तरह अपनी फिक्र करते देख श्रेया थोड़ी इमोशनल हो गई पर उसने खुद को संभाला और कहने लगी।"

श्रेया : नहीं मैं ठीक हूं | वो बस शायद मैं किसी चीज से टकरा गई थी। इसलिए मुझे थोडा दर्द हो रहा है |

अक्षत ने गुस्से में मन ही मन कहा

अक्षत : "यह लड़की हिना , मुझे इसका कुछ करना होगा | वरना एक दिन यह मेरे गुस्से का बहुत बुरी तरह से शिकार होगी |

हिना ने यह सबकुछ जानबूझकर किया था।"अक्षत को यह पता था। और श्रेया को भी आईडिया हो गया था। कि अक्षत अभी क्या सोच रहा है | तो उसने अक्षत से कहा |

श्रेया : आप प्लीज हिना पर गुस्सा मत कीजिएगा | उसने जानबूझकर कुछ नहीं किया | वो बस गलती से ...

तो अक्षत ने श्रेया को घूर कर देखा। तो फिर वो चुप हो गई | उसके बाद अक्षत ने श्रेया से कहा

अक्षत : "अब तुम घर चली जाओ |

श्रेया कहने लगी |

श्रेया : नहीं मेरा काम .... मैंने अभी-अभी इंटर्नशिप ज्वाइन की है। "अगर मैं ऐसे ही चली गई ,, तो सबको ले गया कि मैं बहाना मार रही हूं।

अक्षत ने कहा |

अक्षत : इन सब की चिंता मत करो | सनी सब संभाल लेगा | बाकी काम तो तुम घर से भी कर सकती हो ।

श्रेया को अब तक तो समझ आ ही गया था | की वो कुछ मर्जी कह ले , अक्षत से , मर्जी तो अक्षत की ही चेल्गी | उसके पास कोई ओर चॉइस नहीं थी | तो श्रेया ने अक्षत की बात मानकर , प्रेजेंटेशन सबमिट की , ओर फिर घर चली गई | श्रेया के मीटिंग रूम से बहर निकलते ही , अक्षत ने ड्राईवर को कॉल किया , और कहा |

अक्षत : श्रेया को घर ले जाओ | ओर हाँ , कार आराम से चलाना |

ड्राईवर : जी सर |

जेसे ही श्रेया ड्राईवर को आती हुई दिखी , उसने जल्दी से श्रेया के लिए दरवाज़ा खोला | ओर बोला |

ड्राईवर : हेल्लो , मैम |

श्रेया के लिए , अभी भी ये सब एक्सेप्ट करना मुश्किल था | पर उसने आराम से आपना सर हिलाया | ओर कार मैं बेठ गई | तभी श्रेया को याद आया , की उसे हॉस्टल से कुछ सामन लेना है | वो ड्राईवर से बोली |

श्रेया : भईया ,, गाड़ी हॉस्टल की तरफ ले लो , प्लीज | मुझे कुछ सामन लेना है |

ड्राईवर : जी मैम |

जैसे ही श्रेया हॉस्टल पहुंची | उसे वहां राहुल ओबेरॉय के साथ , हिना दिखाई दी | हिना ने भी श्रेया को आते देख लिया था | श्रेया को वहां देखते ही , हिना ने राहुल के कहंदे पर आपना सर रखा , ओर बोली , ताकि श्रेया को सुनाई दे जाये |

हिना : देखो न , बेबी | मेरी बहन पिछले एक दो दिनों से कहाँ है , मुझे कुछ नहीं पता | मैं उसे कब से कॉल कर रही हूँ | न वो मेरा फ़ोन उठा रही है | ओर न अभी तक हॉस्टल वापिस आई है | मुझे तो उसकी बहुत फिकर हो रही है | न जाने ...

जैसे अभी हिना ने श्रेया को देखा हो | वो बोली

हिना : अरे , देखो बेबी ,, दी आ गई | ( फिकर जताते हुए )

श्रेया ने नोटिस किया , की हिना उसे कुछ अजीब नजरों से दख रही है | माओं उसका मजाक उदा रही हो | आगे बढ़कर हिना ने श्रेया का हाथ पकड़ा ओर कहने लगी

हिना : दी , कहाँ थी तुम इतने दिन | किसके साथ थी ( ज़ोर देते हुए बोली ) आपको पता है , मैं , ओर मम्मी , पापा आपके लिए कितना प्रेषण हो रहे थे |

श्रेया को पहले ही आईडिया हो चूका था | की अभी तक तो हिना ने घर पर अच्छे से आग लगा ही दी होगी | श्रेया को आइडिया हो चुका था। कि अब तक हिना ने पापा को बता दिया होगा कि वह अभी हॉस्टल में नहीं थी। फिर उसने हिना से कहा

श्रेया : "जब तक मेरी इंटर्तनशिप पूरी नहीं हो जाती , तब तक मैं अभी हॉस्टल नहीं आऊंगी | मैंने बाहर ही रूम देख लिया है |

तो हिना ने श्रेया से बोली

हिना : ( उसके पास जाते हुए , कान मैं ) "क्या तुम्हारी इतनी औकात है कि तुम एक किराये का घर देख सको ?।"

हिना की बात सुन , श्रेया ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और खुद को शांत करते हुए कहा

श्रेया : "हां मेरी स्कॉलरशिप लगी थी।" "तो जाहिर सी बात है कि मेरे पास पैसे होंगे और वैसे भी मैं हॉस्टल में रहकर इंटर्नशिप का काम आराम से नहीं कर पा रही थी। इसलिए मुझे पीजी लेना पड़ा | तुम मेरी चिंता मत करो मैं खुद का ख्याल रखना जानती हूं।"

हिना को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया | उसने कहा

हिना : ( श्रेया के कान मैं ) "तुम अपनी औकात में रहो और भूलो मत , पापा ने मुझे यहां तुम पर नजर रखने के लिए भेजा है | ( अब ज़ोर से , राहुल को सुनाने के लिए ) अगर तुम्हें यहां कुछ हो गया तो मैं क्या जवाब दूंगी पापा को | वैसे तुम किसके साथ रह रही हो ? अपना एड्रेस दे देना। ताकि मुझे पता हो , की तुम कहाँ हो |

श्रेया को अब हिना पर गुस्सा भी आ रहा था | ओर खुद की किस्मत पर रोना भी | तभी श्रेया हिना से बोली |

श्रेया : तुम यहाँ क्या कर रही हो | तुम्हे तो ऑफिस मैं होना चाहिए न ?

हिना : वो , हाँ | मैं छुट्टी लेकर आई हूँ | कुछ काम था |

श्रेया मन ही मन सोचने लगी | क्या किस्मत पाई है मैंने , जब वो यह सब सोच रही थी। तब अचानक उसे अक्षत का ख्याल आया | फिर श्रेया सोचने लगी कि , नहीं हालांकि उसकी किस्मत बहुत खराब है। पर फिर भी शायद अब उसकी किस्मत बदल जाए , क्योंकि अब उसकी लाइफ में अक्षत आ गया है | जिसको वह अपना कह सकती थी | जिसके साथ वो सब कुछ शेयर कर सकती थी।

फिर श्रेया वहां से चली गई | घर पहुंच कर उसे अकेले ही लांच करना पड़ा | क्योंकि अक्षत और सनी ऑफिस में थे | और अक्षत की मां ललिता जी तो अभी यहां थी। श्रेया ने सोचा कि आज रात का डिनर भी वही बना दे । सनी को उसके हाथ का खाना सुबह कितना पसंद आया था। और श्रेया को ये बहुत अच्छा लगा था।

मैड्ज़ ने देख की श्रेया डिनर बना रही थी | पहले उन्हें लगा था , की श्रेया ने अक्षत को आपनी सुन्दरता से फसा लिया होगा | और वह बहुत बुरी होगी | पर धीरे-धीरे मैड्ज़ को समझ आ गया | की श्रेया कितनी अच्छी है |

सनी जब ऑफिस से घर आया तो उसे गाड़ी से उतरते ही खाने की बहुत अच्छी खुश आई | वो जल्दी से अंदर भागा | अक्षत अभी तक नहीं आया था | क्योंकि उसकी कुछ मीटिंगज़ थी | डिनर के बाद सब अपने रूम में चले गये | अक्षत को आने में थोड़ा टाइम लग गया था। तो उसे डिनर बाहर ही कर लिया था। जैसे ही वह रूम में आया उसने देखा की श्रेया कोई गाना गुनगुना रही है और उसकी आवाज अक्षत के कानों में चाशनी की तरह घुल रही थी | आकषत को गाने सुनना पसंद नहीं था | पर अक्षत को श्रेया का गाना सुन कर बहुत मजा आ रहा था। तो तो , दरवाजे पर खडके श्रेया को गुनगुनाते हुए देखने लगा | श्रेया गाना गा रही थी।

एक प्यार का नगमा है |

मौजों की रवानी है ,

जिंदगी और कुछ भी नहीं , तेरी मेरी कहानी है |

एक प्यार का नगमा है ,

तभी गुनगुनाते समय श्रेया ने ध्यान दिया। कि कोई उसे देख रहा है | उसने दरवाजे की तरफ देखा वहां से अक्षत उसे देख रहा था | वो अचानक चुप हो गई | अक्षत ने जब देखा कि श्रेया ने गुनगुनाना बंद कर दिया है।

तो वह कमरे के अंदर आया | और उससे पूछने लगा |

अक्षत : क्या हुआ ? तुमने गाना गाना बंद क्यों कर दिया ?

तो श्रेया हकलाते हुए कहने लगी |

श्रेया : वो वो वो , मैं तो बस ऐसे ही गा रही थी। बस |