Sapne - 47 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-47)

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सपने - (भाग-47)

सपने.......(भाग-47)

आस्था अगली सुबह तैयार हो कर नाश्ता कर रही थी। आदित्य भी जल्दी से तैयार हो कर आ गया। आदित्य ने आस्था को छोड़ने जाना था तो नवीन ने कहा," मुझे भी छोड़ देना"! आदित्य ने पहले नवीन को छोड़ा फिर आस्था को। "आस्था जब फ्री हो जाओ बता देना, मैं आसपास ही रहूँगा तो तुम्हें लेने आ जाऊँगा"।आदित्य ने कहा तो आस्था ने उसे बहुत मना किया पर वो माना नहीं तो हार कर आस्था ने ही कहा,"ठीक है, मैं कॉल कर दूँगी। अब आदित्य कभी किसी कैफे में बैठ जाता तो कभी यूँ ही किसी जगह पर टाइम बिताने लगा, पर आस्था को पिकअप एंड ड्रॉप का जिम्मा आदित्य ने ले लिया था, कभी कभी इसका फायदा नवीन को भी मिल ही जाता। सुबह कहीं न कहीं वो नवीन को छोड़ तो रोज ही देता था पर कई बार कॉल करके पूछ भी लेता था कि घर चलना है या कहाँ हो? इन सब के बीच हुआ ये कि सविता ताई दोपहर को बिल्कुल फ्री हो जाती थी तो वो रात के लिए सब्जी दाल बना कर चली जाती थी। सुबह लंच नवीन भी घर से ले जाता था और आस्था अपना और आदित्य का भी पैक कर लेती थी। कभी कभी जल्दी फ्री हो जाते तो कभी तो शाम हो जाती। आदित्य के पैरेंटस उसे आस्ट्रेलिया जाने का बार बार पूछ रहे थे।
आदित्य ने उन्हें बोल दिया कि," बस अगले महिने जाने की टिकट वो बुक करा लेगा"। आदित्य और आस्था प्यार में थे तो वो एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहते थे। जब भी मौका मिलता घूमने निकल जाते। राजशेखर और रश्मिकीर्ति भी हनीमून के बाद बैंग्लूरू से हो कर वापिस आ गए थे, तो उस दिन सबने पार्टी खूब पार्टी और मस्ती की। राजशेखर और रश्मि दूसरे फ्लैट में शिफ्ट हो गए थे। नवीन बिजी से और बिजी होता जा रहा था, पर आदित्य और आस्था के बीच बढती नजदीकियों को वो साफ देख रहा था.....। राजशेखर ने भी ये बात महसूस की तो उसे दोनो के लिए अच्छा लगा। नवीन एक बार फिर अपने शो के सिलसिले में बाहर जा रहा था जो उसके लिए काफी एक्साइटिंग था......। उसके लिए सब बहुत खुश थे। श्रीकांत और सोफिया सब से बात करते ही रहते थे। आस्था का प्ले देखने आने का उन्होंने वादा भी किया था। आदित्य का आस्था के लिए प्यार जितना बढता जा रहा था वो उतना ही पजेसिव भी हो रहा था.... और आस्था को आदित्य का उसके लिए पजेसिव होना अच्छा रहा था। 2 महीनों से तैयारियाँ चल रही थी। आस्था के लिए तो वैसे भी हर प्ले खास रहा है, पर पिछली बार के मुकाबले इस पर और ज्यादा खर्च किया गया था। नए स्पांसर मिलने का मौका था और आर्टिस्टों को अपने आप को साबित करने वाला प्ले शानदार होगा, ये नचिकेत को पक्का यकीन था। इन सब के बीच नवीन को भी मौका मिला था इस प्ले में गाने के लिए।
आदित्य चाहा रहा था कि प्ले हो जाए उसके बाद आस्था से बात करेगा आस्ट्रेलिया चलने के लिए, पर आप जो सोचते हैं वो नहीं हो पाता। ऐसा ही कुछ आस्था के साथ हुआ। एक दिन उसकी तबियत खराब हुई तो नचिकेत ने उसे डॉक्टर को दिखाने के लिए चलने को कहा तो आस्था ने रिहर्सल के बाद चली जाऊँगी कह कर नचिकेत को टाल दिया। आदित्य के साथ घर पहुँची पर उसे अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी तो आदित्य उसे पास के ही एक नर्सिंग होम में ले गया। डॉ. ने चेकअप और टेस्ट किया तो पता चला कि वो प्रेग्नैंट है। आस्था ने जब आदित्य को बताया तो उसने कहा," आस्था प्लीज अभी हम इस बच्चे को दुनिया में नहीं ला सकते, अभी पूरी उम्र पड़ी है। अभी दुनिया देखनी है तुम्हारे साथ और मस्ती करनी है। मेरे साथ इस प्ले के बाद ऑस्ट्रेलिया चलो वही हम एबोर्ट करा लेंगे और नए सिरे से अपनी दुनिया बसाएँगे.... अभी बच्चा पैदा करके हम ये जिम्मेदारी नहीं ले सकते, जिस बात के लिए मैं अपने पैरेंटस से नाराज रहा, वो गलती मैं नहीं करना चाहता। मैं चाहता हूँ कि जब हमारे बच्चे हो तो मैं उन्हें पूरा टाइम दूँ जो अभी नहीं हो सकता। बिजनेस को बढाने का टाइम है, तुम समझ रही हो न मैं क्या कह रहा हूँ आस्था"? आस्था ने चुपचाप आदित्य की पूरी बात सुनी और बोली, "सब कुछ तुम अकेले डिसाइड नहीं कर सकते आदित्य, मैं अपना देश नहीं छोड़ना चाहती ये बात तुम अच्छे से जानते हो, पर तुम्हें भी मैं नही रोकूँगी"।"आस्था अभी टाइम है, तुम अच्छे से सोचो, बाहर की लाइफ का मजा ही कुछ और है, हम दोनो शादी करके सैटल्ड हो जाँएगे।बस तुम अभी इस बच्चे के लिए जिद मत करो प्लीज"। आदित्य पूरी कोशिश कर रहा था आस्था को मनाने की पर आस्था का कहना था कि," उसका कांट्रेक्ट पूरा नही हुआ, तो मेरा जाना पॉसिबल नहीं है, फिर तुमने कभी मुझे कहाँ बताया कि तुम बाहर सैटल होना चाहते हो? लास्ट टाइम भी तो तुमने यही कहा कि तुम अपने देश में ही रहना चाहते हो तो अब क्या हुआ"? आदित्य को वैसे ही बहुत गुस्सा आ रहा था आस्था के बहस करने से और अब वो कांट्रेक्ट की बात कर रही थी तो वो बोला," मैं नचिकेत से बात कर लूँगा, मुझे यकीन है वो मान जाएगा, पर पहले तुम तो मान जाओ न अभी तो हम ही बच्चों जैसे हैं, ऐसे में हम बच्चा प्लान कर सकते हैं"? आदित्य की सुई एक ही जगह पर अटकती देख आस्था को भी गुस्सा आ रहा था, पर फिर भी वो सब्र से काम ले रही थी," आदित्य आस्ट्रेलिया चलने को मैं तैयार हूँ, पर एबोर्शन के लिए नहीं, हम शादी करके जा सकते हैं, मैं बात कर लूँगी अपने घर पर और नचिकेत से भी, तुम भी अपने मॉम डैड से बात कर लो"!आदित्य को कोई ऐतराज नहीं था शादी से पर वो बच्चा नहीं चाहता था कुछ सालों तक और आस्था उसकी बात नहीं मान रही थी..... तो वो बोला, " आस्था मुझे सब मंजूर है,पर आने वाले चैइम में मुझे तुम्हारी हेल्प की भी जरूरत पड़ेगी, ऐसे में तुम बच्चे में उलझी रहोगी, और मैं अपने बच्चे को वो सब नहीं देना चाहता जो मुझे मिला"!"आदित्य मैं कुछ ऐसा नहीं करूँगी, जिससे मेरी आत्मा मुझे धिक्कारे, एक गलती तो मैं कर चुकी हूँ, उस दिन जो हमने किया वो नहीं होना चाहिए था, अब एक और गलती नहीं करूँगी, ये बच्चा हमारी अय्याशी का नहीं प्यार का अंश है तो इसे मैं यूँ खत्म नहीं कर सकती, तुम जितना जल्दी हो सके चले जाओ और अपना फैमिली बिजनेस संभालो"। दोनों के अपने अपने तर्क थे, और दोनों शायद अपनी जगह सही भी थे पर आस्था की बात सुन कर आदित्य को बुरा लगा और खूब गुस्सा आया," आस्था तुम मुझे इमोशनली ब्लैकमेल नहीं कर सकती, तुम्हें पता है न मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ, तभी बेकार की जिद ले बैठी हो? अभी तो बेबी में जान भी नहीं है और तुम उसके लिए मुझे छोड़ने को तैयार हो तो ठीक है आस्था अगर तुम मेरे बिना रह सकती हो पर इस बच्चेे के बिना नहीं तो मैं भी प्यार की भीख नहीं मानने वाला, मैं तुमसे बहुत दूर जा रहा हूँ"। आदित्य गुस्से में अपने कमरे में चला गया और आस्था अपने कमरे में.....। घंटो की बहस से भी नतीजा नहीं निकला और बात गोल गोल घूम कर वहीं आ गयी।
क्रमश: