प्रिय मानव ,,
आज की आधुनिकता भरी जिंदगी में लोग सत्कर्म के बारे में सोचते भी नहीं है
क्योंकि आज के संसाधन देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे पास सब कुछ है
"लेकिन जो नहीं है उसकी प्राप्ति के लिए हम अनेकों प्रयास करते है लेकिन भगवान को भूलकर ।"
हम अपने माता पिता को सर्वोच्च स्थान इसीलिए नहीं देते क्योंकि भगवान का चक्कर ही हमें नहीं मालूम ।
जबतक ईश्वर या प्रकृति यानि की जिसने इस संसार का निर्माण किया है
अगर हम उसके लिए कुछ नहीं करते तो हम कई जन्म तक ऋणी रहते है, लेकिन हमें ये मालूम ही नहीं है
गुरु ऋण पितृ ऋण का हम लोग मतलब ही कहां समझते है
शास्त्रों , वेदों, पुराणों , गीता, रामायण, आदि को हम अब जानते ही कहां है ?
"इसीलिए हम अब कुछ नहीं जानते।"
अगर हम इन सब चीज़ो
को जान लेते तो हम इतना जान लेते की हमें इस दुनिया में ज्यादा भटकने की जरूरत ही नहीं होती
क्योंकि लोग कितना भी प्रयास कर लें लेकिन उसके भाग्य से ज्यादा उसको कुछ नहीं मिलता
मगर कितना कर्म करना चाहिए उसका ज्ञान भी ये किताबें सिखाती है
लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हम वो सीख नहीं पाए
इसीलिए लोग लगातार काम करते करते थक जाते है और लक्ष्य प्राप्त न होने के बाद अज्ञान के वशीभूत होकर आत्महत्या के रास्ते तक पहुंच जाते है ।
भगवान के अवतार की जितनी भी कथाएं है उनको जो कोई भी पढ़ता सुनता है वो कभी भी आत्महत्या इसीलिए नहीं करता क्योंकि उसके पास बुरे से बुरे समय से लड़ने की क्षमता प्राप्त हो जाती है और वो फिर कभी किसी परिस्थिति से नहीं घबराता ।
हम अगर भगवान की कथाओं का सच्चे मन से श्रवण करते है तो हमें भगवत कृपा से ही एक जिंदगी जीने का एक सरलतम मार्ग मिल जाता है
जिसके सहारे हम अपनी जिंदगी का आराम से पार पा जाते है
और सबसे बड़ी बात ये है कि जो व्यक्ति भगवान की कथाएं पढ़ता सुनता है वो अपने माता पिता को कभी नहीं छोड़ता न उनका दिल तोड़ता न उन्हें ठुकराता
क्योंकि कथाओं से यही सीखने को मिलता है कि माता पिता और गुरु इनका कभी अपमान नहीं करना चाहिए ।
जो व्यक्ति इनका अपमान करता है वह कितनी भी प्रगति कर ले लेकिन अंत समय में वह अधोगति ही प्राप्त करता है ।
इस भय की वजह से भी लोग अपने से बड़े बुजुर्गो का सम्मान कर पाते है ।
लेकिन आजकल के लोगों को जब यही पता नहीं कि अधोगति क्या चीज है और ये कब मिलती है
तो लोग यही कहते है चार दिन की जिन्दगी है इसको जी भर के जी लो ,अच्छे बुरे सब कर्म कर लो कौन देखता है
जबकि ये शरीर मर जाएगा लेकिन तुम्हारे अंदर के जो प्राण है , आत्मा है वो फिर भी जिंदा रहेगी और हजारों हज़ारों साल तक तुम यूं ही किसी काम के सिलसिले में भटकते रहोगे जैसे अभी फड़फड़ा रहे हो ।
इसी को तो समझना है आपको ।
ये जिंदगी इसीलिए मिली है कि इस जिन्दगी के रहते आप वो उपाय भी कर लो जिससे आपको जन्म जन्मांतर तक न भटकना पड़े ।
और ये सब तभी हो सकता है जब आप थोड़ा थोड़ा समय भगवान की कथाओं को सुनने के लिए निकालें
और मन क्रम वचन से उन्हें फालों करें
जैसे आप सोशल मीडिया को फॉलो करते है
धन्यवाद !
जीतेन्द्र कानपुरी टैटू वाले
9118837179