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उसने शुभांगी को ऐसा घुमाया कि वह कमरे के हर कमरे में घूम-घूमकर चोटिल हो गई। मगर उसकी सांस अब भी चल रही है । वहाँ जंगल में सागर और अनन्या से डरकर भागती रिया से विशाल और अतुल टकरा गए । अतुल!!! वहाँ सागर और अनन्या उसकी आवाज़ गले में ही अटक गई । इन दोनों को हम देख देख लेंगे । कम से कम एंडरसन के भूत से तो पीछा छूटा । अतुल ने खुद को सँभालते हुए कहा । मुझे लगता है वो शुभांगी के पीछे पड़ गया होगा । हमें शुभांगी के पास पहुँचना होगा । विशाल के यह कहते ही तीनों भागने लगे । मगर अनन्या ने उन्हें रोक लिया और विशाल की कमर पर ज़ोर से वार किया । वह कराहता हुआ वहीं नीचे बैठ गया । अतुल ने मिट्टी अनन्या के चेहरे पर डाल दी । मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ । अनन्या ने अतुल को ज़ंज़ीरो में जकड़ लिया । अब उसका दम घुटने लगा । दोनों दोस्तों की हालत देख रिया जैसे ही भागने के लिए मुड़ी सागर का सफ़ेद पीला चेहरा देखकर वहीं डर के मारे बेहोश हो गई । सागर बेहोश रिया को उठाकर चल दिया । अरे ! कहाँ ले जा रहा है उसे ? छोड़ रिया को अतुल का दम घुटने को है ।
उस प्रेत का चेहरा और डरवाना होता जा रहा है । शुभांगी ने कमरे में रखा टूटा काँच उठाया और उसके मुँह पर दे मारा । खून की धार निकली और फ़िर बंद हो गई । शुभांगी ने तेल ज़मीन पर गिरा दिया और वॉचमैन की जेब से गिरा लाइटर शुभांगी ने देख लिया है । पर अब उसे प्रेत का ध्यान भटकाना होगा ताकि वह लाइटर तक पहुंच सके । मगर अब तो खुद ही उसकी मौत उसके सामने है। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है । उसने शुभांगी को एक हाथ से पकड़ा और खिड़की से फेंकने लगा । मगर शुभांगी ने तभी कहना शुरू किया "एंडरसन आप याद कीजिये आप सबकी मदद करते थें । हम आपकी मदद करना चाहते है । आप नहीं चाहते आपको इन सबसे मुक्ति मिल जाए"। यह बात सुन कुछ पल के लिए वह प्रेत रुका और शुभांगी ने मौका देखकर उसे धक्का मारा और लाइटर की तरफ़ लपकी ।
सागर रिया को आग में फेंकने जा रहा है। अतुल पूरी तरह से अनन्या के बस में है। विशाल ने अपने घायल हाथ से अपने पास गिरे औज़ार से अनन्या पर वार किया । जिससे अनन्या ने अतुल की तरफ़ से ध्यान हटा लिया और उसे फ़िर सांस महसूस हुई । मगर अब अनन्या ने विशाल के और अतुल दोनों को एक साथ उठाया और जलती हुई आग की तरफ़ फ़ेंक दिया । सागर ने भी रिया को फ़ेंक दिया। तभी अचानक तीनों नीचे गिर गए और आग में गिरने से बच गए । उन्होंने देखा सागर और अनन्या दोनों जलकर एक धुँआ बन गायब हो गए। अतुल ने अपनी ज़ंज़ीरे खोली, विशाल को खड़ा किया । रिया उठो ! रिया उठो, रिया उठो, दोनों रिया को जगाने लग गए । शुभांगी अपना काम कर चुकी है। उसने लाइटर की चिंगारी ज़मीन पर गिरा दी और सारे कमरे में आग फैल गई । वो कंकाल भी उन्हीं आग की लपटों में आ गये और वो प्रेत जलता हुआ धुँआ बन गायब हो गया । वॉचमैन को जैसे होश आया । मैडम जी सब ठीक है ? शुभांगी ने खाँसते हुए कहा कि हाँ भैया लग तो यही रहा है कि सब ठीक है ।
शुभांगी और वॉचमैन जैसे ही एंडरसन के घर से निकले उसने तीनों दोस्तों को अपनी ओर आते हुए देखा । रिया ने उसे गले लगा लिया । शुभु हम बच गए । हाँ, रिया हम बच गए। अब शुभांगी की भी आँखें भर आई । अतुल और विशाल भी एक दूसरे के गले मिले । जान बची तो लाखों पाए । सुबह हो चुकी है । अब चलना चाहिए । ऑउट हॉउस जाकर अपना सामान ले लेते हैं। विशाल ने कहा । यार ! एक बात समझ नहीं आई कि कंकाल उस कब्र से कैसे निकले? अतुल ने सवाल किया । आपके सारे सवालों के जवाब आप इनसे ले लो । वॉचमैन ने सामने की ओर इशारा किया । सबने देखा एक बुजुर्ग आदमी कमर झुकाए और हाथ में लाठी लिए उनकी तरफ़ आ रहा है। यह कौन है ? यह पहले वाले चौकीदार है । नमस्ते बाबा सबने हाथ जोड़े । बुज़ुर्ग ने हाथ उठाकर ज़वाब दिया । अब बताए बाबा असल कहानी क्या है ? अतुल का सवाल है । विशाल ने झट से जेब से फ़ोन निकाल रिकॉर्डर ऑन कर लिया ।
बाबा ने चारों की ओर देखकर बोलना शुरू लिया। दरसअल पॉल एंडरसन भले इंसान थें। सुना है कि अपनी मौत से कुछ दिन पहले वह बड़े परेशान से थें । फ़िर किसी ने उनको मारकर वही कॉन्फेशन बॉक्स में फ़ेंक दिया था । जब उन्हें दफनाया गया तो कुछ समय की बात उनकी लाश कब्र से गायब हो गई । खाली कब्र को मिट्टी से भर दिया गया। मगर जब लोगों को पॉल एंडरसन के घर से आवाजें आने लगी कि "मुझे दफनाओ मत जला दो, वरना मैं ऐसे ही भटकता रहूँगा। मगर जलाते कैसे ? जलाने के लिए चाहिए । फ़िर आवाज़ें आनी बंद हो गई। सब सही चल रहा था, मगर जब सरकार ने उनके घर को म्यूजियम बनाने का फैसला लिया, तब यह कंकाल उन्हें मिले थें । सबने बहुत कोशिश की, मगर कोई इन्हें हाथ नहीं लगा सका था । । पॉल एंडरसन की दर्द्द भरी आवाज़ें कभी-कभी कंकालों से सुनाई देती थीं। लोग का यही कहना था कि वो इसी घर में है । जब मैंने ड्यूटी ज्वाइन की तब इनके घर में सन्नाटे के अलावा मुझे कुछ महसूस नहीं हुआ । मेरे समय में भी लोग इनके घर को देखने आए पर कभी कुछ उन्होंने भी नहीं बताया । फ़िर धीरे-धीरे सब खत्म होता गया । कहते हुए बाबा ने गहरी सांस ली ।
इसका मतलब आज हमने उनकी आखिरी इच्छा पूरी कर दी ? रिया ने सवाल किया । हाँ, उन्होंने शायद तुम्हे ही चुना होगा। बाबा ने जवाब दिया। थैंक्यू बाबा, विशाल ने रिकॉर्डर बंद करते हुए कहा । अपना ध्यान रखना। बाबा ने शुभांगी के सिर पर हाथ रखते हुए कहा। बाबा तो चले गए। मगर शुभांगी सोचने लगी आखिर उन्हें मारा किसने होगा । क्या सोच रही हों शुभांगी ? यही कि एंडरसन के कातिल कौन है ? ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। हमारे प्रोजेक्ट के लिए इतना ही काफी है । विशाल ने शुभांगी को देखते हुए उसकी बात का जवाब दिया। सभी ऑउटहॉउस गए, वहाँ से अपना सामान लिया । ऑउटहॉउस अब शांत है । मगर यह शांन्ति उन्हें अच्छी लग रही हैं। रिसेप्शन पर मैडम देखकर उन्हें धक्का लगा। आप ? सब हैरान है। हाँ, मैं सिर्फ एक-दो घंटे के लिए आती हूँ । अभी आई हूँ। उसने बड़े ही बेफिक्र होकर ज़वाब दिया । आपको यहाँ अकेले डर नहीं लगता ? अतुल ने सवाल किया । कभी- कभार कोई आता है, मगर रात तक कोई नहीं रुकता। एक-दो स्टॉफ है वो भी अब बुलाने पर ही आते हैं। जब आप आये थें, तब शाम हो चुकी थीं। सब जा चुके थें और मैं आपके आने के बाद चली गई। उसने मुस्कुरा कर ज़वाब दिया। आप बता नहीं सकती थी कि रात को यहाँ रुकना नहीं चाहिए। आपको क्या पता कैसे हमारी जान बची है । रिया ने ज़ोर से कहा तो शुभांगी ने उसे चुप रहने का ईशारा किया । मेरा काम डराने का नहीं है और जिनकी किस्मत ख़राब होती है, वे लोग अपने आप ही किसी मुसीबत में फँस जाते हैं । उसने मुँह बनाकर जवाब दिया।
ठीक है, सब चलते है । शुभांगी ने रिया को खीचते हुए कहा। मैं उसका मुँह तोड़ देती। छोड़ न रिया, दफा कर। अपना मूड़ ख़राब मत कर। विशाल ने जीप चला दी और सबने एक बार फ़िर एंडरसन के घर को देखा । वॉचमैन को हाथ हिलाया । रिसेप्शन की मैडम को देखा, उसके चेहरे पर मुस्कान है । एक डरावनी मुस्कान। जिसे देखकर चारों थोड़ा डरे, मगर फिर चलती जीप के साथ पीछे छूटते हुए रास्ते पर अपनी ये खौफनाक यादें छोड़कर आगे बढ़ गए।
इंतज़ार करती माँ को देखकर शुभांगी ने उन्हें गले लगा लिया और वह नहाने के लिए बाथरूम में चली गई । जब बाहर आई तो उसने खुद को शीशे में देखा । चेहरा अब सूजा हुआ नहीं लग रहा है । उसने अपना लैपटॉप बैग से निकाला । बैग में देखा अरे! हम वीडियो कैसेट और भैया का एंट्री रजिस्टर साथ ले आये । अब इनका क्या काम। मैं इसे बैग में रख देती हूँ । उसने सारा सामान बैग में डाला और अपनी अलमारी के ऊपर रख दिया। माँ की आवाज़ आते ही वह नीचे आ गई और बता कैसा रहा तेरा यह ट्रिप? माँ ने उसकी तरफ खाने की प्लेट सरकाते हुए कहा । बस माँ बीत गया। अब सारा ध्यान फाइनल स्कोर पर है । शुभांगी ने जवाब दिया । मेरा दिल कहता है कि मेरी बेटी ज़रूर विदेश जाकर पढ़ेगी । काश ! ऐसा ही हों । शुभांगी भविष्य के सपने देखने लगी । अब ख़्वाब ही देखती रहेगी या कॉलेज भी जायेगी । माँ ने हँसते हुए कहा ।
कॉलेज पहुँचते ही अतुल मिला । यार! रिया और विशाल कहाँ है ? शुभांगी ने पूछा । उसका आने का मन नहीं कर रहा है। इसलिए वह नहीं आई । अतुल ने जवाब दिया और विशाल अनन्या के कॉलेज उसकी सहेली से मिलने गया है । उसके पेरेंट्स तो यहाँ नहीं रहते न ? नहीं, उसके चाचा-चाची है जो विदेश में है । माँ-बाप तो बचपन में अलग हो गए थे । यहाँ तो वो पीजी में रहती थी। अतुल ने जवाब दिया । ओके, हम क्लॉस में चलते हैं। हाँ चलो, अतुल ने अतुल ने शुभांगी के हाँ में हाँ मिलाई ।
क्लॉस में प्रोफेसर ने उन्हें अपना प्रोजेक्ट देने के लिए पंद्रह दिन और दिए । सभी स्टूडेंट्स अपने-अपने प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है । हमारा प्रोजेक्ट तो रियल प्रोजेक्ट हो गया है । अतुल कहकर मुस्कुराया । इतना रियल की हम मर भी सकते थें । क्या शुभांगी अब अच्छा सोचो । पंद्रह दिन के बाद हमारे आखिरी सेमेस्टर के पेपर है, पिछले पेपर भी हम लोगों के बढ़िया गए । फ़िर एक महीने की छुट्टियाँ, रिजल्ट और हम चारों विदेश जायेगें। याहू ! अतुल ख़ुशी से पागल हो रहा है । फिलहाल तो मेरे साथ कैंटीन चल ले । तू चल मैं आया । जल्दी आना कहकर शुभांगी अकेले ही कैंटीन में चली गई।
कैंटीन में अच्छी खासी भीड़ है । उसने काउंटर से एक कप कॉफी ली और खाली हुई चेयर देखकर वहीं कोने में बैठ गई । कॉफ़ी का एक घूँट ही पिया है कि विशाल उसके पास आकर बैठ गया । सब ठीक है न? शुभांगी ने उसे परेशां देखकर पूछा । ठीक है भी और नहीं भी । मतलब ? उसकी फ्रेंड बता रही है कि उसके चाचा मुझ पर पुलिस केस कर सकते हैं । क्या ! उसने कॉफी का कप नीचे रख दिया । हम सब उसके चाचा से बात करते हैं और उन्हें सारी कहानी बताते हैं । मगर हमसे पहले यह कहानी उन्हें कोई और सुना चुका है वो भी इस अंदाज़ में कि कहानी का विलन में हूँ, यानि उनकी भतीजी का मर्डर मेरी वजह से हुआ है । उसकी फ्रेंड ने यह कहानी सुनाई ? नहीं, हमें अपनों ने ही लूटा गैरो में कहाँ दम था, अब पहेलियाँ न बुझा विशाल ? बता कौन ? हमारी अपनी रिया !!!!!विशाल के मुँह से रिया का नाम सुनते ही शुभांगी के हाथ से कॉफी का कप छूट गया। अच्छा है, यह कागज़ का कप था और कॉफी भी खत्म हो चुकी हैं। मगर रिया ने अच्छा नहीं किया।