Unsolved Case - 5 in Hindi Detective stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | Unsolved Case - Part 5

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Unsolved Case - Part 5

एपिसोड 5 ( सीरियल किलर )
सीन 1
माया अपनी आँखें खोलती है | ओर खुद अँधेरे मैं पाति है | माया को याद आया की कैसे वो यहाँ पहुंची थी |
पास्ट
जब वो उस घर मैं उस अजीब आदमी के साथ गई थी | तो अंदर जाते ही वो हैरान रह गई थी | पूरे घर खून से लथपथ था | उसने देखा की घर की दीवारों मैं पेंट की जगह खून लगा था | वो खून की स्मेल को बहुत अच्छे से जानती थी | वो बोली |
माया : ये क्या है ? कहाँ हैं हम ? और ये स्मेल ?
वो अजीब आदमी बोलता है |
आदमी : ये , ये तो मेरी त्रोफिएस है | आओ न | मैं तुम्हे बताता हूँ | ये देखो , ये मेरी पहली त्रिफी |
वो आदमी माया को एक फोटो दिखता है | माया उस फोटो को देखते ही पहचान लेती है | वो फोटो एक लडकी की थी | क्यूंकि वो बहुत आदमी की बेटी थी | इसलिए उसका केस सीबीआई को सौंपा गया था | पर माया ओर उसकी टीम को उस बच्ची के बारे मैं , कभी भी कुछ भी पता नहीं चला | बाद मैं वो केस बंद करना पड़ा था |
वो आदमी माया को अलग अलग फोटेस दिखा रहा था | माया मन ही मन सोच रही थी |
माया : हे भगवन | ये सब क्या हो रहा है | मुझे तो लगा था की ये ड्रग त्रफिकिंग मैं इन्वोल्व है | पर क्या मैं , एक सीरियल किलर के साथ हूँ |
उस घर मैं , वो आदमी माया को कम से कम पन्द्रा बच्चों की फोटेस दिखाई | और वो माया को सब तो ऐसे बता रहा था | मानों वो कोई एक खजाने के बारे मैं बता रहा हो | माया को उस आदमी की आँखों मैं वो पागल्पंती , वो जनून , दिखा | जिससे माया सोचने लगी |
माया : शायद मुझे यहाँ अकेले नहीं आना चाहिए था |
माया ने फिर उस आदमी से पुछा |
माया : ओर ये स्मेल |
क्यूंकि माया प्रेग्नेंट थी , उसे ये स्मेल बहुत गंदी लग रही थी | उसका तो उलटी का मन हो रहा था | वो आदमी बोला |
आदमी : ये , ये इन सब का खून | अच्छा है न |
माया का तो वहां से भाग जाने को मन कर रहा था | अगर कोई मामूली इन्सान होता , माया की जगह | तो अब तक पागल हो चूका होता | ये नज़र देखकर | वो सीन इतना ग्न्द्दा था , की माया का वहां पर रुकने का मन ही नहीं कर रहा था | पर माया ने कैसे भी कर के खुद कू संभल | और कहने लगी |
माया : ठीक है | तो मेरा सामन ?
माया की बात सुन , मानों उस आदमी को होश आई हो | वो बोला |
आदमी : हाँ हाँ | रुको आभी देता हूँ न |
माया आपने आसपास देखने मैं बिजी थी | उसका ध्यान नहीं था | की वो आदमी क्या कर रहा है | वो तो बीएस उन मासूम बच्चों की तस्वीरों को देख रही थी | जो उस आदमी की पागल्पंती का शिकार बने थे | माया को रोना आ रहा था | पर वो रो नहीं सकती थी | उसका उस घर मैं डीएम घुट रहा था | माया को तो अब साँस लेने मैं भी दिक्कत हो रही थी | तभी उसे अपने सर में शार्प पेन हुआ | और वो बेहोश हो गई | जब माया की आँखें खुली | तो उसने खुद को इस जगह मैं पाया |
करंट
माया को अभी तो सिर्फ 2 ही दिन यहाँ हुआ थे | वो अब सोच रही थी , की यहाँ से कैसे , खुद को बचाया जाये | उसने अपने आसपास देखा , ओर उसे पास मैं ही एक कांच की बोतल टूटी हुई दिखी | उसने हिम्मत करके खुद को उठने पर मजबूर किया | उसे सर में बहुत दर्द हो रहा था | पर उसने वो इगनोरे कर दिया | वो थोडा साइड मैं गई | ओर वो कांच उठाया | पर वो कांच उठाते हुए ., उसका हाथ कट जाता है |
माया : ( दर्द मैं ) आह !
माया बहुत कमज़ोर हो चुकी थी | उसमें हिमत अब जवाब दे रही थी | क्यूंकि उसे कुछ भी पता नहीं था | की वो कहाँ है | ओर क्यूँ उसे यहाँ लाया गया है | उसने वो कांच पकड़ा और अपनि , हाथ की रस्सी काटना शुरू किया | माया के लिए ये बहुत मुश्किल था | क्यूंकि उसके हाथ उसके पीछे बंधे हुए थे | पर फिर भी वो कामियाब रही | फिर जल्दी से उसने अपने पेरों की रस्सी को भी कटा | और उठने की हिम्मत की | पर माया बहुत कमज़ोर हो चुकी थी | उसे बहुत मुश्किल हुई | उठने मैं | पर उसने पूरी कोशिश की , की उसकी दर्द भरी आवाज़ किसी के भी कानों मैं न जाये |
धीरे से माया आगे बढ़ी | पर क्यूंकि वहां पर अँधेरा था | तो वो किसी चीज़ से टकराई | और बुरी तरह जमीन पर गिरी | पर उसने खुद को संभाला | उसे अपने पेट मैं थोडा दर्द हुआ | पर उसने हिम्मत नहीं हारी | वो अपने पीट पर हाथ रखते हुए , अपने बक्स से बोली |
माया : बीएस थोडा सा ओर , बेबी | प्लीज | ( उसकी आँखें लाल हो चुकी थी ) ममा आपको जल्दी ही यहाँ से ले जाएगी | ओर सब ठीक हो जायेगा | ( गहरी साँस लेते हुए ) सब थोडा सा ओर |
ये कहते हुए वो उठी | ओर ध्यान से वहां से जाने लगी |
क्लिफेंगर : क्या माया वहां से खुद को बहर निकाल पायेगी | ओर क्या शौर्य माया को बचा पायेगा | जनन्ने के लिए , इंतज़ार कीजिये आगले भाग का | धन्यवाद |