पियूष हड़बड़ा गया बुरी तरह से, उसकी असलियत आखिरकार निशिका यानी निशा के सामने आ ही गयी। अब छुपाने का कोई फायदा न रहा। परन्तु उसने अपने चेहरे पर कोई भाव न आने दिए।
निशा ने आगे कहना शुरू किया-" मैं तो सिर्फ शक कर रही थी, पर तुम तो इस यूनिवर्स के ही सबसे बड़े विलन हो। तुमसे बड़ा गद्दार तो कोई हो ही नहीं सकता। परमपिता की संतान होना अपने आप में सबसे बड़ी बात है परन्तु तुमने अपने पिता को भी धोखा दिया?? क्या मिला तुम्हें ऐसा करके??
पियूष -" लुक निशा, बात इतनी सीधी नहीं है जो तुम समझ रही हो। मैंने तुमसे हमेशा से ही सच्चा प्यार ही किया था और अभी भी करता हूँ। अरे मुझे खुद को अभी कुछ दिन पहले जब तुम जंगल में मिली थी तब से याद आया है। मैं जानता हूँ कि इन हत्याओं का जिम्मेदार तुम मुझे ही समझ रही हो, मैं कोई सफाई नहीं दूंगा पर इतना जरूर कहूंगा कि तुम स्थिति को समझ नहीं पा रही हो।"
निशा -" झूठ; तुम झूठ पर झूठ बोले जा रहे हो, मुझे नहीं पता कि तुम जैसे सर्व शक्तिशाली को झूठ बोलने की क्या जरुरत है?? उठाओ अपना परशु और लग जाओ दुनिया को खत्म करने में, जैसे तुमने मेरे गृह को खत्म किया था, बाद में मुझे भी खत्म किया था। एक मिनट..... एक मिनट, कहाँ है तुम्हारा परशु?? मैंने अब तक नहीं देखा. कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हारे पिता ने तुम्हारे कुकर्म देख कर वो तुमसे वापस ले लिया हो?? शायद वो आयुध के पास हो.... आ.....हाहाहाहा..... तो ये बात है। महान गद्दार योद्धा आयु के हाथ में तो परशु है ही नहीं, तो अब वो शैतान का काम कैसे करेगा??
निशा पियूष का मजाक बनाये जा रही थी और पियूष का खून उबाल मार रहा था। जब उस से बर्दाश्त होना बंद हो गया तो उसने निशा की कलाई कस कर पकड़ी और उसे खींच कर थप्पड़ लगा दिया। वार जोरदार था, निशा की आँखों के आगे तारे नाच उठे। वो गिरने को हुई पर पियूष ने उसे पकड़ा हुआ था तो वो गिरी नहीं। अभी वो संभली भी नहीं कि उसे एक और थप्पड पड़ा। उसकी आँखों में आंसू आ गए।
पियूष ने उसके गले को पकड़ा, उसे धक्का देकर पीछे दिवार से लगाया और जहरबुझे शब्दों में बोला -" कैसा लग रहा है, स्वीटहार्ट?? मिजाजपुर्सी में कोई कमी हो तो बताओ मेरे हाथ और भी मचल रहे है।"
निशा आँखों में आंसू लिए बड़ी मुश्किल से बोल पायी -" आई हेट यू पियूष, आई रियली हेट यू।"
एक बार तो पियूष के चेहरे के भाव बदले परन्तु तुरंत ही उनकी जगह व्यंग्य मुस्कान ने ले ली -" तुम नहीं कर सकती, क्यूंकि अगर तुम मुझसे नफरत करती तो तुम उस चाक़ू को मेरी पीठ की बजाय मेरे दिल में उतारती। तुम्हें मालूम है कि एक फरिश्ते को कैसे कमजोर किया जा सकता है। तुम नाराज हो मुझसे, पर नफरत नहीं करती.... और एक बात, समय की प्रतीक्षा करो, मैं जब सब कुछ मेरे हिसाब से करूँगा तब तुम मेरी तरफ स्वयं ही आ जाओगी।"
ऐसा कहकर पियूष ने पकड़ ढीली की। निशा कुछ पल उसकी आँखों में घूरती रही, फिर बोली -"आई डॉन्'ट बिलीव, तुम अभी भी ये उम्मीद कर रहे हो कि मैं तुम्हारा साथ दूँ। तुम वाकई में निहायत ही घटिया हो। पर मेरी एक बात ध्यान रखना पियूष कोई भी बुराई मुझे छू भी न सकेगी।
पियूष व्यंग्य से मुस्कुराता रहा, जैसे चिढ़ा रहा हो निशा को। निशा उसकी ढिठाई देख कर पैर पटकते हुए वहाँ से चली गयी। उसके जाते ही पियूष के चेहरे की हंसी गायब हो गयी और उसकी जगह मायुसी और गंभीरता ने ले ली।
निशा ने रूम में आकर सामान पैक किया और वहाँ से निकल गयी। वो वहीं रोड किनारे बैठकर रोने लगी। वो अब पियूष के आस-पास भी नहीं रहना चाहती थी। थोड़ी देर बाद उसने सोचा कि अब वापस अपने शहर लौटा जाए, बाद में आगे क्या करना है वो देखना है। वो काम छोड़ देगी और आयुष से इस बारे में बात करेगी वो उसकी हेल्प जरूर करेगा।
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निशा जैसे ही अपने घर पहुंची उसने वहाँ ताला लगा देखा। दूसरी चाभी वो हमेशा अपने पास रखती थी तो वो घर के अंदर
गयी। राहुल जरूर आयुष के पास ही होगा, सोचकर उसने आयुष को फोन लगाया -" आयुष कहाँ हो?? मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है।"
आयुष-" हाँ निशा, तुम शाही रेस्टॉरेंट आ जाओ मैं वहीँ मिलूंगा।"
निशा लगभग 10 मिनट में शाही रेस्टॉरेंट पहुँचती है। वहाँ आयुष उसका इंतजार कर ही रहा होता है। निशा उसे कहती है -" आयुष वो एक्चुअली मुझे तुमसे एक काम था। पता नहीं कैसे कहूँ पर सिर्फ तुम पर ही भरोसा है कि तुम मुझे नाउम्मीद नहीं करोगे।"
आयुष-" कहो निशा, मैं बिलकुल तुम्हारा काम कर दूंगा
आखिर तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। बोलो क्या कहना चाहती हो तुम??"
निशा -" पता नहीं कैसे कहूँ तुम समझ पाओगे की नहीं?"
आयुष -" ओह्ह्ह निशा, कम ओन, एक बार कहकर तो देखो।"
निशा -" आयुष गौर से सुनना, वो जो मेरा एम्प्लायर है न, पियूष... वो कुछ ठीक नहीं लग रहा। उसकी नजरें मुझे बहुत अजीब लगती है। उसका बिहैवियर भी मेरे साथ थोड़ा अलग है तो मैं उसकी जॉब छोड़ना चाहती हूँ।"
आयुष -" बस इतनी सी बात!!! मुझे लगा कोई बड़ा इश्यू होगा। कोई बात नहीं मेरी कंपनी भी तो तुम्हारी ही है।" ऐसा कहते हुए आयुष ने निशा का हाथ अपने हाथों में ले लिया। वो उसकी आँखों में देख रहा था। निशा को थोड़ा अजीब सा लगा। वो समझ गयी कि आयुष उसे मन ही मन चाहने लगा है और निशा उसे लेकर कसमकश में थी।
आयुष भी समझ रहा था कि निशा के मन में कुछ और बात है उसने बात चेंज कर दी थी। वो कहना कुछ और चाहती थी पर किसी कारण से कह नहीं पायी। आयुष भी निशा की बात सुनकर समझ गया था कि निशा ने बहुत कुछ छुपाया है।
निशा बोली -" आयुष असल में एक प्रॉब्लम और है। मेरा हाल ही में प्रमोशन हुआ था। चार्ज लेने से पहले बांड(एग्रीमेंट) भरवाया गया उसके अनुसार मैं अगर 1 साल से पहले जॉब छोडूं तो मुझे 20 लाख पे(चुकाने) करने पड़ेंगे।
"तो इसमे प्रॉब्लम क्या है 20 की जगह 40 मारो उसके मुँह पर। कह तो रहा हूँ कंपनी ही तुम्हारी ही है तो अब इश्यू क्या है??" मुस्कुराते हुए आयुष ने कहा।
प्रॉब्लम है आयुष, मेरा सेल्फ रेस्पेक्ट मुझे इसकी इजाजत नहीं देता। मैं उधार ले सकती हूँ पर पूरी तरह नहीं ले सकती और 20 लाख चुकाने की मेरी अभी कोई औकात नहीं है। हाँ मेरी सेविंग्स है जो मैंने राहुल के लिए की थी उसमें कोई 15 लाख होंगे बाकी के रुपये अगर दे सको तो तुम मुझे उधार दे दो। बाकी मैं आगे देख लूंगी।
To be continued....