the agony of a chital deer in Hindi Short Stories by धरमा books and stories PDF | एक चीतल हिरण की व्यथा

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एक चीतल हिरण की व्यथा

एक चीतल हिरण की व्यथा-

आप लोग ठीक कह रहे हैं कि मैं एक जानवर हूँ और मुझे जंगल में शिकारी जीवों के बीच ही जीवन की जद्दोजहद करनी है।
लेकिन मैं अभी जिस जंगल में रहता हूँ वंहा के शिकारी जानवरों के साथ मेरे पूर्वज भी जिए मरे।
मैं उनके शिकार के तौर-तरीकों से वाकिफ हूँ और कभी-कभी मेरे दुर्भाग्य से मैं उनका शिकार भी बनता हूँ।
लेकिन प्रकृति ने कभी भी मेरे साथ भेदभाव नहीं किया मुझे भी इस जंगल में अपनी जान बचाने का पूरा अवसर है।
लेकिन अचानक से धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला शिकारी जानवर जिससे कभी मेरे पूर्वजों का भी पाला नहीं पड़ा उसके सामने तुम इंसानों ने मुझे फेंक दिया।
जबकि मैंने कभी उस शिकारी के दांव नहीं देखे और ना ही उससे बचने का कोई उपाय सीखा जो कि प्रकृति ने मुझे पैदा होते समय दिया था।
आज मैं तुम सबसे पूछ रहा हूँ मेरे प्राकृतिक अधिकारों को छीनकर मुझे असहाय करके पृथ्वी के सबसे खतरनाक शिकारी के आगे क्यों रख दिया?
मुझसे क्या गलती हुई?
क्या मैं दिखने में सुंदर नहीं हूँ?
क्या मैं मेरे परिवार के साथ हरे-भरे जंगल में जब ऊँची-ऊंची कुलांचे मारते हुए दौड़ता हूँ तब तुम्हें अच्छा नहीं लगता?
क्या तुम मुझे छू नहीं सकते और तुम्हारे प्यार से छूते ही मैं तुम्हारी गोद में नहीं सिमट जाता?
आज तुम मेरे जीवन के अधिकार को छीनकर एक ऐसे शिकारी को सौंप रहे हो जिसको छूना तो दूर देखने भी लौहे के पिंजरे में सवार होकर जाओगे।
जरा सोचना मेरे प्राकृतिक अधिकारों के बारे में इंसानों जिन्हें तुम छीन रहे हो।
एक चीतल हिरण की व्यथा-

आप लोग ठीक कह रहे हैं कि मैं एक जानवर हूँ और मुझे जंगल में शिकारी जीवों के बीच ही जीवन की जद्दोजहद करनी है।
लेकिन मैं अभी जिस जंगल में रहता हूँ वंहा के शिकारी जानवरों के साथ मेरे पूर्वज भी जिए मरे।
मैं उनके शिकार के तौर-तरीकों से वाकिफ हूँ और कभी-कभी मेरे दुर्भाग्य से मैं उनका शिकार भी बनता हूँ।
लेकिन प्रकृति ने कभी भी मेरे साथ भेदभाव नहीं किया मुझे भी इस जंगल में अपनी जान बचाने का पूरा अवसर है।
लेकिन अचानक से धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला शिकारी जानवर जिससे कभी मेरे पूर्वजों का भी पाला नहीं पड़ा उसके सामने तुम इंसानों ने मुझे फेंक दिया।
जबकि मैंने कभी उस शिकारी के दांव नहीं देखे और ना ही उससे बचने का कोई उपाय सीखा जो कि प्रकृति ने मुझे पैदा होते समय दिया था।
आज मैं तुम सबसे पूछ रहा हूँ मेरे प्राकृतिक अधिकारों को छीनकर मुझे असहाय करके पृथ्वी के सबसे खतरनाक शिकारी के आगे क्यों रख दिया?
मुझसे क्या गलती हुई?
क्या मैं दिखने में सुंदर नहीं हूँ?
क्या मैं मेरे परिवार के साथ हरे-भरे जंगल में जब ऊँची-ऊंची कुलांचे मारते हुए दौड़ता हूँ तब तुम्हें अच्छा नहीं लगता?
क्या तुम मुझे छू नहीं सकते और तुम्हारे प्यार से छूते ही मैं तुम्हारी गोद में नहीं सिमट जाता?
आज तुम मेरे जीवन के अधिकार को छीनकर एक ऐसे शिकारी को सौंप रहे हो जिसको छूना तो दूर देखने भी लौहे के पिंजरे में सवार होकर जाओगे।
जरा सोचना मेरे प्राकृतिक अधिकारों के बारे में इंसानों जिन्हें तुम छीन रहे हो।