Kahani Pyar ki - 36 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 36

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कहानी प्यार कि - 36

करन रात को ही किंजल के घर आ गया..

किंजल इस वक्त टीवी देख रही थी..
करन ने बेल बजाई...

"अरे ! इस वक्त कौन आया होगा ? " बोलते हुए किंजल ने दरवाजा खोला..

" करन ? "

किंजल को सामने देखकर करन उसे एकटक देखने लगा..

" ये में क्या कर रहा हु... में यहां इस किंजल के पास क्यों आ गया ...! " करन ने सोचते हुए आंखे बंध करदी..

" क्या हुआ करन ? कुछ काम था क्या ? "

" नही आई एम सोरी.. में जाता हूं..." बोलकर करन जाने लगा..

" इसे अचानक क्या हो गया..! एक तो पहले खुद यहां आता है और बिना कुछ कहे ही जा रहा है..! " किंजल करन को देखते हुए सोच रही थी..

" रुको करन ..." किंजल ने करन का हाथ पकड़ लिया..

करन ने पीछे मुड़कर किंजल की तरफ देखा..

" में जानती हु की मोनाली के वापस आने से तुम परेशान हो.. पर तुम मुझे दोस्त समझकर तुम्हारी परेशानी बता सकते हो.."
दोस्त शब्द सुनकर करन ने गुस्से वाली नजर से किंजल की तरफ देखा..
" सोरी... दोस्त नही तो पड़ोसी...! अब ऐसा मत बोलना की में तुम्हारी पड़ोसी भी नही हू.. क्योंकि वो तुम बदल नही सकते...हा"

किंजल की बात सुनकर करन के चहेरे पर थोड़ी स्माइल आ गई .

" क्या तुमने अभी स्माइल की ? "

" व्हाट नो... में क्यों स्माइल करूंगा ..."

" नही नही मैने देखा अभी .. तुम स्माइल कर रहे थे.."

" व्हाट नॉनसेंस... में तुम्हारी बात सुनकर क्यों स्माइल करने लगा.. भला.. "

" ह ह.. अकडू कहिका... स्माइल की है तो फिर एक्सेप्ट करने में क्या जाता है ! पर नही .. इसे तो हमेशा मुंह फुलाकर ही घूमना होता हैं.. "

" एक्सक्यूज मि.. क्या कहा तुमने ? "

" हा ? सुन लिया क्या " किंजल ने मन में कहा

" एक्सक्यूज मि.. में तुमसे पूछ रहा हु " करन ने चुटकी बजाते हुए कहा..

" नही कुछ भी तो नहीं "

" ठीक है में चलता हु ..."

" पर तुम यहां कुछ कहने आए थे ना ? "

" नही कुछ नही " बोलकर करन वापस चला गया..

" कितने अच्छे से बात की थी मैंने.. मुझे तो लगा .. मेरी बात सुनकर वो मुझे सब कुछ बता देगा .. पर में ये कैसे भूल गई की ये धी ग्रेट मि. करन अकड़ के सरदार है .. वो यही करता है जो उसे सही लगता है.. चलो कोई बात नही कल फिर से बात करूंगी..." बोलकर किंजल भी सोने चली गई..

अगले दिन संजना और अनिरुद्ध जतिन खन्ना के घर अंजली से मिलने के लिए गए...

बेल बजाते ही अंजली ने दरवाजा खोला..

अनिरूद्ध और संजना को सामने देखकर अंजली थोड़ी डर गई... क्योंकि वो जानती थी की संजना और अनिरुद्ध उसे कुछ ऐसे सवाल करने वाले थे जिसका जवाब वो उनको देना नही चाहती थी..

" अंजली कौन आया है ..? " विनीता जी ने वहा आते हुए कहा..

" अरे ! अनिरूद्ध बेटा संजना आओ ना अंदर..."

" जी आंटी.."

" जाओ अंजली पानी लेकर आओ.."

" हम..." इतना बोलकर अंजली अंदर चली गई..

" तो बताओ बेटा आज यहां कैसे आना हुआ ? "

" बस ऐसी ही.. अंजली बहुत बोल रही थी .. हमे घर आने के लिए तो हम आ गए .." संजना ने हस्ते हुए कहा..

" बहुत अच्छा किया.."

तभी अंजली पानी लेकर आई..

" आप मेरे कहने पर आए मुझे बहुत अच्छा लगा.." अंजली ने भी स्माइल करते हुए कहा..

" तो क्या लेंगे आप दोनो ? "

" नही कुछ नही " अनिरूद्ध ने कहा..

" अरे ऐसे कैसे .. नाश्ता तो आप दोनो को करना ही होगा.. में अभी आती हु गर्मागर्म नाश्ता लेकर . .." अंजली ने कहा और वो जल्दी से किचन में चली गई.. क्योंकि वो अब और ज्यादा संजना को फेस नही करना चाहती थी..

अनिरूद्ध ने संजना की और देखकर इशारा किया..

संजना समझ गई की उसे क्या करना है..

" आंटी में भी अंजली की थोड़ी हेल्प कर देती हु.."

" अरे नही बेटा वो कर लेगी.."

" नही नही में भी तो आपके घर की बेटी हु ना तो फिर ? में अभी आती हु.."
संजना भी अब किचन में आ गई..

अंजली ने चाय उबलने रखी थी पर उसका ध्यान कही और था.. खिड़की के बाहर देखकर वो कुछ सोच रही थी..

" चाय तैयार है ..." बोलकर संजना ने गैस बंध कर दिया..

तो अंजली ने उसकी तरफ देखा..

" ओह हा.. वो मेरा ध्यान नहीं था..."

" हा वो तो मैने देखा... वैसे क्या सोच रही थी ? "

" नही कुछ खास नहीं बस ऐसे ही.."

" ओह.. मुझे लगा शायद भाई के बारे में सोच रही हो.."

संजना के मुंह से यह सुनकर अंजली ने अपनी नजरे जुकाली..

" देखो अंजली तुम हमसे नजरे क्यों चुरा रही हो.. ? और प्लीज हमसे डरो मत... में सब जानती हु की भाई और तुम्हारे बीच क्या हुआ था..."

" आप सब जानती है फिर भी आप मुझसे बात करना क्यों चाहती है ? मोहित ने जो कहा वो सब सच ही है "

" नही अंजली.. ऐसा भी तो हो सकता है की जो भाई जानते है वो पूरा सच ना हो...! इसीलिए में तुमसे यह जानने के लिए आई हु की ऐसा क्या हुआ था की तुम बिना कुछ बताए भाई को छोड़कर चली गई ? "

" मैने अपनी पढ़ाई और करियर के लिए यह किया है .. और इससे आगे में आपको कुछ बता नहीं सकती सोरी.."

अंजली चाय लेकर बाहर आ गई.. संजना भी नाश्ता लेकर बाहर आई..
" कुछ पता चला ? " अनिरूद्ध ने इशारे से संजना से पूछा..

संजना ने ना में अपना सिर हिला दिया..

फिर अनिरुद्ध और संजना भी वहा से निकल गए..

इस तरफ करन सोफे पर बैठकर मोनाली के बारे में सोच रहा था.... जितना वो उसकी बातो के बारे में सोचता वो और भी ज्यादा कन्फ्यूज्ड हो जाता.. तभी उसे किंजल की कही हुई बात फिर से कानो में सुनाई दी..

" अनिरूद्ध तुम मुझे दोस्त समझकर तुम्हारी परेशानी बता सकते हो.."

" क्या किंजल मुझे अपना दोस्त समझती है .." करन ने सोचते हुए मन में ही कहा..

" वैसे वो इतनी भी नकचड़ी नही है जितना में समझता था.. हा बच्चे जैसी हरकते करती है पर कभी कभी बात ढंग की कर देती है.."

" कॉलेज में साथ होने के बावजूद हम कभी दोस्त नही बने.. कैसे बनते मैने मोनाली के अलावा किसी और पे कभी ध्यान ही नही दिया.. ! "

करन ऐसी ही सब बाते सोच रहा था की उसकी फोन की रिंग बजी..

" हाय बेबी.." मोनाली ने कहा..

" तुमने इस वक्त कोल किया .. कुछ काम था क्या ? "

" वॉट्स रॉन्ग करन क्या में काम के अलावा तुम्हे कोल नही कर सकती क्या ? "

" नही ऐसा नहीं है ... बोलो ना..."

" क्या तुमने मुझे माफ कर दिया ? "

" हम..."

" सच में...! थैंक यू सो मच करन... थैंक यू वेरी मच.."

" इट्स ओके.."

" तो चलो आज हम एक नई शुरुआत करते है ... एक काम करते है आज हम हमारी पहली डेट के लिए चलते है क्या कहते हो ? " मोनाली ने एक्साइटेड होकर कहा..

पर करन ने कोई जवाब नही दिया..

" करन में तुमसे कुछ पूछ रही हू ? "

" देखो मोनाली मैने तुम्हे माफ कर दिया है इसका मतलब यह नहीं है की में रिलेशनशिप में आने के लिए रेडी हू.. अभी मुझे सिर्फ अपने करियर पर फोकस करना है .. सॉरी" कहकर करन ने कोल कट कर दिया..

मोनाली को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया..
" हाउ डेयर यू करन... तुम्हे थोड़ा सा भाव क्या दिया तुम तो मेरे सिर पर चढ़कर नाचने लगे .. अब बहुत मांग ली माफी .. अब पीछे से नही सामने से वार करने का टाइम आ गया है..." मोनाली ने शैतानी स्माइल करते हुए कहा और किसी को फोन लगाया..

" हेय यू मैने तुम्हें क्या करने को बोला था और तुम क्या कर रही हो हा ...! शायद तुम हमारी डील भूल गई हो.. "

" डील तो तुम भूल गई हो... पहले मैंने वो सब किया जो तुमने मुझे करने को कहा.. अपनी जॉब छोड़ी.. अपने पति से जूठ कहा.. अनिरूद्ध हमारी बात सुने इस तरह मैने अपने हसबेंड को वो सब कहा जो तुमने मुझे कहने के लिए कहा था.. पर तुमने मुझे अभी तक एक लाख एडवांस नही भिजवाए.. " वैशाली चाची ने गुस्से में मोनाली से कहा..

"देखो अपने मोबाइल में " मोनाली ने उसी समय ऑनलाइन एक लाख वैशाली के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए..

वैशाली को तुरंत नोटिफिकेशन आई..
" हम.. ठीक है.... अब जल्दी से तुम मुझे तुम्हारे भाई अथर्व के साथ फैशन डिजाइनर की कोई ऊंची पोस्ट पर लगवा दो.. जैसे तुमने मुझे प्रोमिस किया था.."

" हा मुझे याद है पर वो में तब करूंगी जब तुम अपने हसबेंड से वो पेपर्स साइन करवा लो और उसके सभी शेयर्स मेरे नाम करदो .. और हा सुनो.. मुझे अनिरुद्ध और उसकी वाइफ की एक एक खबर चाहिए .. "

" ठीक है पर अब से तुम मुझे फोन मत करना .. में ही तुम्हे फोन करूंगी.. " कहकर वैशाली ने फोन रख दिया..

" अब सबसे पहले मुझे उस अनिरुद्ध से मिलना है .. उसकी कुछ गलतफहमी जो दूर करनी जरूरी है.. पिछली बार तुम पर पीछे से वार किया था मैने पर इस बार तुम्हे बताकर वार करूंगी और वो भी सामने से... बी रेडी स्वीट हार्ट .. वैसे आज भी उतने ही हेंडसम लगते हो.. कही फिरसे तुम पर मेरा दिल ना आ जाए..." मोनाली ने अभी अभी फोन में आए एक आर्टिकल जिसमे अनिरुद्ध की फोटो थी उसे देखते हुए कहा..और फिर जोर जोर से हसने लगी...



🥰 क्रमश: 🥰