Kahani Pyar ki - 35 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 35

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कहानी प्यार कि - 35

अंजली आंखे खोलो ... लुक एट मि..." मोहित थोड़ा गुस्से में बोला...

" इट्स हर्टिंग मोहित..." मोहित ने इतना कसके अंजली का हाथ पकड़ा था की अंजली की आंखो से पानी आ गया था..

उसे देखकर मोहित ने तुरंत अंजली को छोड़ दिया और उससे थोड़ा दूर हो गया..

अंजली अब भी मोहित की और देख नही रही थी..

" क्यों तुम मुझसे नजरे नही मिला पा रही हो हा ? "

मोहित के इस सवाल पर अंजली चुप रही..

" हह.. मिस अंजली खन्ना... इतने बड़े जूठ के बाद अब क्या तुम्हे गिल्टी फील हो रहा है की तुम मुझसे छिपते हुए फिर रही हो ? " मोहित ने फीकी हसी हस्ते हुए कहा ..

" हा मोहित ..." अंजली ने इस बार मोहित की और देखते हुए कहा..

" आई एम वेरी सोरी मोहित.. में यह सब नही करना चाहती थी.. में जानती हु मैने जो किया वो बहुत गलत था .. प्लीज मुझे माफ करदो..." अंजली ने मोहित के करीब जाते हुए कहा..

" नही .. दूर .. मुझसे दूर रहकर बात करो.." मोहित ने अंजली से दूर जाते हुए कहा..

अंजली यह सुनकर हैरान थी..

" मोहित प्लीज एक बार मेरी बात सुनो..."

" मुझे नही लगता अब सुनने के लिए कुछ बचा है.. पर एक बात में जरूर तुमसे सुनना चाहूंगा की आज तक तुमने मुझसे जो भी कुछ कहा था उसमे थोड़ी सी भी सच्चाई थी क्या ? या आज तक तुम मुझसे जूठ ही बोलती आई हो.."

यह सुनकर अंजली चुप हो गई.. जो मोहित उस पर आंख बंद करके विश्वास किया करता था वो आज उसकी एक भी बात को सच मानने के लिए तैयार नहीं था..

" तुम्हारे यह साइलेंस ने मुझे मेरा जवाब दे दिया.. शायद तुम्हारे लिए यह प्यार भी एक जूठ ही था..."

" मोहित..." अंजली ने गुस्से में कहा..

" व्हाट ? सच सुनकर बुरा लगा...? "

" मोहित तुम चाहे मेरी हर बात को जूठी समझ लो पर मेरे प्यार पर कभी शक मत करना ! "

" क्या मेरे लिए प्यार था तुम्हारे दिल में ? "

" ये तुम क्या पूछ रहे हो मोहित... इसका जवाब तुम जानते हो "

" जस्ट गिव आंसर... यस और नो...! " मोहित ने गुस्से में कहा..

" यस ... ऑब्विसिली मोहित..."

" तो फिर शादी की बात आते ही तुम मुझे छोड़ कर क्यों चली गई हा ? " मोहित ने फिर से अंजली का हाथ पकड़ लिया..

" बोलो ना क्या नही है इसका जवाब तुम्हारे पास ? "
" मोहित लीव मि..."

" नो ... आज मुझे इसका जवाब चाहिए... "

" भाई ...." संजना ने गुस्से से कहा..
संजना की आवाज सुनकर मोहित ने तुरंत अंजली का हाथ छोड़ दिया और उससे दूर हो गया..
उसने पीछे मुड़कर देखा तो संजना उनसे थोड़े दुर गुस्से में खड़ी थी...

संजना उनके करीब आई..
" अंजली तुम ठीक तो होना..." संजना ने अंजली का हाथ देखते हुए कहा जो लाल हो चुका था..
" आई एम फाइन भाभी.. "

संजना ने मोहित की तरफ देखा तो वो आंख जुकाए खड़ा था..
" अंजली तुम जाओ.. मुझे भाई से कुछ बात करनी है "
संजना के कहने पर अंजली रोती हुई वहा से चली गई..

" यह सब क्या था भाई ? "

" आई एम सोरी संजू.. वो गुस्से में मुझे कुछ ध्यान ही नही रहा "

" मैने आपको पहले कभी भी इतने गुस्से में नही देखा भाई "

" प्लीज मुझे माफ करदो संजू .. में प्रोमिस करता हु की ऐसी गलती मुझसे दोबारा कभी नही होगी "

" हा पर भाई आप अंजली पर इतना गुस्सा क्यों थे .. ? "

" कुछ नही तो कहना ही नही भाई आप .. में जानती हु आपके और अंजली के बीच कुछ तो है जो आप हमसे छुपा रहे हो.. मुझे सब कुछ जानना है .. "

" संजू में तुम्हे सब बताऊंगा पर अभी नही.. पार्टी में सब तुम्हारा वैट कर रहे होंगे..."

" आई डोंट केयर.. "

" संजू प्लीज बात को समझ अभी तेरा अंदर होना ज्यादा जरूरी है.. में कल तुम्हे पक्का सब कुछ बताऊंगा.. और यह तेरा भाई का प्रोमिस है ..."

" ठीक है भाई कल में घर आऊंगी आपसे मिलने.. पर आप यह मत समझ लेना की मै आपसे गुस्सा नही हू.. .." इतना बोलकर संजना पार्टी में वापस चली गई..और मोहित उसे अंदर जाते देखता रह गया.. उसने अंजली को जो दर्द दिया था उसकी वजह से वो खुदको भी माफ नही कर पा रहा था..



पार्टी खत्म होने के बाद संजना कमरे में उदास सी बैठी थी.. अनिरूद्ध कमरे में आया तो संजना को ऐसे उदास देखकर वो उसके पास गया..
" संजू क्या हुआ ? "

" कुछ नही अनिरुद्ध..."

" तो फिर इतनी उदास क्यों हो.. किसीने तुमसे कुछ कहा क्या ? "

" नही नही ऐसा कुछ नही है..."

" तो फिर ...? "

संजना ने एक पल सोचा कि अनिरुद्ध को सब बताए या नही ..
" संजू बोलो ना .. तुम मुझसे शेयर कर सकती हो.. "

" हा ...वो..."

" हा वो क्या संजू ? आगे भी तो बोलो..."

" वो मोहित भाई और अंजली ..." संजना ने मोहित का अंजली के बारे में पता लगाने के लिए कंपनी में आने से लेकर पार्टी के वक्त जो हुआ था वो सब बात अनिरुद्ध को बताई..

" तो संजू क्या तुम अंजली को पहले से ही जानती थी? "

" नही .. भाई ने कभी हमे इस बारे में नही बताया.. भाई कभी कोई बात बताते नही.. उनके दोस्तो के बारे में भी उन्होंने कभी कुछ नही बताया हमे... "

" ओह.. मुझे लगता है की अंजली और मोहित का कोई तो पास्ट रहा है .."

" हा .. तुम्हे याद है अनिरुद्ध अंकल ने कहा था की अंजली दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही पढ़ती थी.. भाई भी तो वही थे.. और दोनो वही एम बी ए कर रहे थे.. "

" हा संजू.. और अंजली बीच सेमेस्टर में ही लंडन चली गई थी..."

" हम... सुनो में कल अपने घर जाने वाली हु भाई से बात करने..."

" में भी चलूंगा तुम्हारे साथ..."

" नही अनिरुद्ध... में अकेली ही भाई के साथ बात करना चाहती हू..."

" अच्छा ठीक है..."

" सुनो वो मोनाली के बारे में कुछ इन्फॉर्मेशन मिली क्या ? "

" हा वो तो में तुम्हे बताना ही भूल गया..."

" क्या ? "

" मोनाली यहां पर अपने भाई के यहां रुकी हुई है.. उसका भाई यानी अथर्व मैथ्यूज... "

" यह नाम कही सुना हुआ लगता है.."

" हा .. न्यूज पेपर में इसका पूरा आर्टिकल आया था ..टॉप का फैशन डिजाइनर है ये .. और उसकी बहुत सारी कंपनी इंडिया के साथ और भी कई देशों में है और लंडन में जो कंपनी थी ना जहा से चाची को निकाल दिया गया था वो कंपनी भी अथर्व की ही थी जो उसने मोनाली के नाम करदी थी... "

" ओह .. क्या प्लानिंग की है दोनो ने.."

" नही संजू दोनो ने नही सिर्फ मोनाली ने.. क्योंकि अथर्व अपने उसूल का पक्का है.. उसे तो शायद इस सब के बारे में पता भी नही है.. "

" तुम इतने यकीन से कैसे कह रहे हो ? "

" क्योंकि मैंने अथर्व की पूरी कुंडली निकाल ली है.. मोनाली के मोम और डेड ने अथर्व को गोद लिया था यहां इंडिया में.. अथर्व पहले से ही समझदार , टैलेंटेड और सबकी इज्जत करने वालो में से है..मतलब मोनाली से टोटली ऑपोजिट.. और फिर पढ़ाई खत्म होने के बाद वो इंडिया आ गया और यहां अपना पूरा बिजनेस शुरू किया..."

" वाउ .. इट्स रियली गुड..."

" मोनाली जरूर कुछ बड़ा प्लान कर रही है.. पर क्या यह अब भी समझ नही आ रहा है ..और करन को हम रोक भी नही सकते है .. "

" हम.. जब तक उसकी गलतफहमी दूर नहीं हो जाती हम कुछ नही कर सकते ... अब तो मुझे एक बार उस मोनाली से मिलना होगा.."

" तुम उससे मिलकर क्या करोगी संजू ? "

"वो तुम बस देखते जाना "

" देखो तुम मुझे बिना बताए ऐसा वैसा कुछ नहीं करोगी ओके? "

" अं... सोचूंगी ..." कहकर संजना ब्लैंकेट ओढ़कर सो गई..

सुबह संजना अपने घर सिंघानिया मेंशन जाने के लिए निकल गई...
मोहित परेशान सा अपने कमरे में टहल रहा था.. तभी संजना ने उसके कंधे पर हाथ रखा..

मोहित रुक गया..
" भाई आप इतने परेशान क्यों है ? "

" आई एम सोरी संजू .. प्लीज मुझे माफ करदे.."
मोहित ने संजना को गले लगाते हुए कहा..

" भाई मैने आपको माफ कर दिया है... में जानती हु बिना वजह के आप कभी इतना गुस्सा नही करते हो.. पर ऐसी कौन सी वजह थी जो आपने यह सब किया.. में जानती हु की आप पहले भी अंजली के बारे में पता लगाने के लिए गए थे.."
यह सुनते ही मोहित संजना की तरफ आश्चर्य से देखना लगा..

" हा भाई सौरभ ने मुझे बताया था..."

" हा ठीक कहा में वहा अंजली के बारे में ही पता लगाने गया था.. पर मुझे कुछ समझ नही आ रहा है संजू.. अंजली जतिन खन्ना की बेटी कैसे हो सकती है .. उसने तो मुझे अंजली जोशी कहा था.. और इतने वक्त साथ बिताने के बाद भी मुझे इस बारे में जरा सा भी पता नही चला.." मोहित परेशान हो गया था..यह सब सोच कर

" भाई ये आप क्या कह रहे हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा.. क्या आप और अंजली एक दूसरे से प्यार करते थे ? "
मोहित एकदम शांत हो गया..और उसने हा में अपना सिर हिलाया..

" तो फिर आप दोनो आज अलग क्यों हो ? और आपने हमे कभी बताया क्यों नही ? " संजना की आंखों में आंसू आ गए थे..

" कैसे बताता संजू .. जब बताने को कुछ रहा ही नहीं था..! "

" क्या मतलब ? "

" में समझाता हु ..."

" यह उस समय की बात है जब हम कॉलेज में थे... बिकोम और एमकॉम के टाइम अंजली मेरी जूनियर थी मुझसे तीन साल पीछे थी.. फिर तुम तो जानती हो एमकॉम के बाद मैने तीन साल का गैप लिया था .. क्योंकि पापा चाहते थे की मै उनका बिजनेस संभाल लू.. उस तीन साल में पापा ने मुझे सब सिखा दिया था.. पर एम बी ए करने की मेरी ख्वाइश थी तो मैने फिर से दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.. और उस वक्त अंजली भी एम बी ए कर रही थी.. हमारा क्लास भी सेम था..
उस वक्त हमारी दोस्ती हुई.. जब मैंने उससे उसका नाम पूछा तो वो थोड़ी देर सोच में पड़ गई थी वो दिन मुझे आज भी याद है...
" हेय क्या में तुम्हारा नाम जान सकता हु ? "

" हा? मेरा नाम ..."

" हा.. क्यों कोई प्रोब्लम है ...? "

" नही नही ऐसा कुछ नही है..."

" लाओ में तुम्हारे आईकार्ड में देख लेता हु.." मोहित ने मस्ती में उसका आईकार्ड लेने की कोशिश की पर अंजली ने उसे रोक लिया..

" रुको.. में बताती हु ना..."

"ओहो इतना क्या सोच रही हो.. मैने तुम्हारा ही नाम पूछा है ..."

" अंजली जोशी..."

"अंजली नाइस नेम.. माय नेम इज मोहित सिंघानिया..."

" पर भाई उसने ऐसा क्यों किया ..? " संजना की बात सुनकर मोहित अपनी इस याद से बाहर आया..

" आई डोंट नो... उसने ऐसा क्यों किया .."

" फिर क्या हुआ..."

" धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती गई.. और कब प्यार हो गया पता ही नही चला.. पर में उस वक्त यह प्यार को समझ नही पाया था.. फिर .."

" फिर क्या भाई ? "

" फिर एक दिन अंजली ने मुझे प्रपोज किया.."

" क्या अंजली ने पहले प्रपोज किया था? "

" हा संजू ..."

" ओह हाउ स्वीट... "

" और अंजली ने मुझे इस प्यार का यकीन दिलाया.. एक साल खत्म होने को आया था और हमारे एग्जाम्स भी थे.. हम दोनो ने डिसाइड किया की एग्जाम्स खत्म होने के बाद हम दोनो अपने अपने घर में हमारी शादी की बात करेंगे .."

" और आपने की नही ... ऐसा क्यों भाई ? "

" संडे का दिन था दोपहर में हम दोनो लंच के लिए गए थे और तब हमने डिसाइड किया था की हम रात को मेरे घर डिनर पर जायेंगे और तभी शादी की बात करेंगे...उसके बाद में अंजली को घर छोड़ने गया.. वो हमारी आखरी मुलाकात थी..."

" आखरी मुलाकात ? पर ऐसे कैसे .. ? "

" रात को में अंजली को लेने गया था.. उसने मुझे घर से कुछ दूर खड़े रहने के लिए बोला था.. में वहा घंटो खड़ा रहा पर अंजली वहा पर आई नही.. मुझे उसकी फिक्र होने लगी तो में उसके घर गया तो बाहर गार्ड ने बताया की वो सब तो चले गए ..."

" कहा चले गए ? "

" मुझे कुछ नही पता था उस वक्त .. में पूरे शहर में पागलों की तरह अंजली को ढूंढता रहा .. कितने फोन किए पर कोई फायदा नही हुआ... वो नही मिली मुझे..." मोहित फुटफुटकर रोने लगा.. उसके वो सारे जख्म ताजा हो गए थे..
" भाई संभालिए खुदको... अब तो वो वापस आ चुकी हैं ना .."

" अब कोई फायदा नही संजू.. अब हमारे रिश्ते का कुछ भी नही हो सकता है "

" नही भाई .. आप हिम्मत मत हारिए.. अच्छा आप ये बताइए भाई उसने जाने के बाद कभी फोन या मेसेज तो किया होगा ना आपको ? "

" हा एक मेसेज आया था.. "

" और वो मेसेज क्या था ? "

" में जा रही हू मोहित .. तुमसे बहुत दूर.. शायद हमारा साथ यही तक का था.. हो सके तो प्लीज तुम मुझे माफ कर देना.. और हा आई लव यू..." संजना ने वो मेसेज रीड किया..जो मोहित के मोबाइल में था..

" भाई आपने इस नंबर पर फोन ट्राय किया था..? "

" हा पर वो किसी और ने उठाया था.. अंजली ने किसी अनजान आदमी के फोन से यह मेसेज किया था.. "

" आखिर अंजली चाहती क्या थी ? पहले प्यार का नाटक किया और फिर शादी की बात आते ही चली गई ?" संजना ने गुस्सा होते हुए कहा..

" में अभी उसे फोन करके पूछती हूं की उसने ऐसा क्यों किया " संजना ने गुस्से में फोन लगाया पर फोन स्विच ऑफ आ रहा था..

" बंध आ रहा है भाई..."

" रहने दे संजू मुझे अब इस बारे में कुछ जानना नही है.. में अब यह सब भुलाकर अपनी लाइफ में आगे बढ़ना चाहता हु.. " मोहित ने उदास होकर कहा..

" हम भाई ..." संजना ने मोहित के कंधे पर हाथ रखकर कहा..

" ठीक है भाई में चलती हु आप अपना ख्याल रखियेगा.. ओके.."

" ओके मेरी गुड़िया.. अब तू जा..बाय "

" बाय.." संजना ने कहा और वो बाहर जाने लगी.. संजना के जाते ही मोहित उदास होकर बेड पर बैठ गया.. संजना दरवाजे के पीछे खड़ी रहकर मोहित को देखने लगी.. आंखो की कोरो में फसी बूंदे मोहित का दर्द साफ बया कर रही थी...

"भाई अंजली ने ऐसा क्यों किया ये तो में पता करके ही रहूंगी.. भले आप चाहे या ना चाहे ..अब एक बहन की बारी है.. अपने भाई की खुशियों के लिए लड़ने की.. और यह बहन अपने भाई के लिए किसी भी हद तक जा सकती है " बोलकर संजना वहा से चली गई..

अनिरूद्ध आज ऑफिस में ही था.. तो संजना भी अनिरुद्ध से बात करने वही आ गई..
संजना की पूरी बात सुनने के बाद अनिरुद्ध भी सोच में पड़ गया..
" संजू मुझे नही लगता अंजली किसी के साथ भी गलत कर सकती है..."

" तुम यह सब सुनने के बाद भी ऐसा कह रहे हो ? "

" हा क्योंकि हम अभी सिर्फ मोहित के एंगल से सब देख रहे है.. हमे एक बार अंजली से भी जानना चाहिए..."

" वो कैसे ? फोन स्विच ऑफ करके बैठी है कल से.. "

" तो हम उसके घर जाकर बात करेंगे..."

" क्या यह सही रहेगा अनिरुद्ध ...? "

" पता नही पर हमारे पास यही एक ऑप्शन है "

" ठीक है तो फिर कल हम अंजली के घर जायेंगे..अभी में चलती हु.."

" ओके बाय.. लव यू.."
अनिरुद्ध ने फ्लाइंग किस देते हुए कहा..

" हा बाय एंड लव यू टू.." संजना ने अनिरुद्ध को हग कर लिया..

" थैंक यू सो मच .. अगर तुम नही होते तो क्या होता मेरा ? में अकेले यह सब कभी संभाल नही पाती.."

" डोंट वरी.. आई एम विथ यू.. ऑलवेज... " अनिरूद्ध ने हल्के से संजना के माथे को चूमा ..

" बाय...अनिरूद्ध.."

रात हो चुकी थी... करन अपने घर में बैठा लैपटॉप में काम कर रहा था तभी उसके घर की घंटी बजी..

" आ रहा हु..." कहकर करन दरवाजा खोलने गया..

जैसे ही उसने दरवाजा खोला वो शॉक्ड रह गया..

" हेय बेबी...." मोनाली ने स्माइल करते हुए कहा..

" तुम यहां क्यों आई हो ? "

" अब में तुम्हारे पास भी नही आ सकती ..? "

मोनाली अपने आप ही अंदर आ गई और उसने करन का हाथ पकड़ लिया..
करन कुछ बोलने ही वाला था की मोनाली ने उसके मुंह पर उंगली रख दी..

" शी... कुछ मत बोलना .. में जानती हूं तुम अब भी मुझसे प्यार करते हो..."

" प्लीज दूर रहो मेरे से ..." बोलकर करन दूर हो गया..

" आई मिस यू सो मच करन " मोनाली ने पीछे से करन को हग करते हुए कहा..

करन ने कुछ जवाब नही दिया..

" करन कुछ तो बोलो..."

" ओह तो अब इतने समय बाद तुम्हे मेरी याद आई.. ! "

" ऐसा नहीं है .. हर वक्त मेरे मन में तुम रहते थे करन "

" तो फिर एक बार भी मुझे फोन क्यों नही किया ? और ना ही मुझसे मिलने आई..? "

यह सुनकर मोनाली ने कुछ कहा नहीं..करन ने फीकी हसी के साथ मोनाली को अपने आप से दूर कर दिया..

" सुनो करन .. वो पापा ने मना कर दिया था .. उन्होंने अपनी कसम देदी थी मुझे की में तुमसे बात नही करूंगी..."

" ओह.. तो अब उस कसम का क्या हुआ ? "

" जब पापा से मेरा यह हाल नही देखा गया तो उन्होंने ही मुझे यहां इंडिया भेजा तुमसे मिलने के लिए.."
मोनाली बड़े ही इनोसेंट फेस से यह सब बता रही थी की कोई भी उसकी बातो पर यकीन करले..

" क्या में मोनाली पर यकीन करू या नही ? कुछ समझ नही आ रहा है.. किससे बात करू... किंजल से ? नही नही उससे में क्यों बात करूंगा.. "

" करन क्या सोच रहे हो...? "

" नही कुछ नही ..."

" में जानती हु की अब तुम्हरा मुझ पर भरोसा करना मुश्किल है पर मेरा यकीन करो में सच कह रही हू.."

" हम..." करन ने सिर्फ इतना ही कहा..

" तो क्या तुमने मुझे माफ कर दिया ? "

" नहीं.... मेरा मतलब है मुझे कुछ वक्त चाहिए..."

" ठीक है करन तुम्हे जितना टाइम चाहिए उतना ले लो.. पर प्लीज मुझे माफ करदो...में तुम्हारा वैट करूंगी .. बाय " कहकर मोनाली वहा से चली गई..

करन सोच में डूब गया.. उसे सही गलत में कुछ फर्क नहीं नजर आ रहा था.. वो बहुत कन्फ्यूज्ड हो गया था .. उसे किसीकी जरूरत थी जो उसे समझे.. उसकी परेशानी को सुलझाए.. उसे सही एडवाइस दे... तभी करन को फिर से किंजल का ख्याल आया और वो उठकर किंजल के घर जाने के लिए निकल गया..

🥰 क्रमश: 🥰