Kahani Pyar ki - 34 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 34

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कहानी प्यार कि - 34

संजना अपने कमरे में पार्टी के लिए तैयार हो रही थी .. पर उसके दिमाग में अभी भी सौरभ की कही बाते घूम रही थी...

अनिरूद्ध दरवाजे पर हाथ बांधे हुए कब से संजना को तैयार होता हुआ देख रहा था...संजना ने तभी मंगलसूत्र पहना और फिर मांग में सिंदूर भरा.. यह देखकर अनिरुद्ध के चहेरे पर स्माइल आ गई...

वो धीरे धीरे संजना के करीब आया... और उसके पीछे खड़ा हो गया.. पर संजना अपने ही विचारो में खोई थी उसने अनिरुद्ध पर ध्यान ही नही दिया...तो अनिरुद्ध ने उसे गोद में उठा लिया...

"आऊ! ये क्या कर रहे हो....उतारो मुझे..."

" ऐसे कैसे ! इतना हेंडसम पति तुम्हारे पीछे खड़ा था और तुम ध्यान ही नही दे रही थी क्यों ? "

" अब ध्यान नहीं था तो नही था... "

" तो में भी नीचे नही उतारूंगा... इसकी सजा तो आपको मिलेगी मोहतरमा... "

" प्लीज अनिरुद्ध ... अच्छा सोरी बस... " संजना ने प्यार से कान पकड़ते हुए कहा..

" ऐसी प्यारी शकल बनाओगी तो में तुम्हे कैसे छोड़ पाऊंगा यार.... "

ये सुनकर संजना हसने लगी... तो अनिरुद्ध भी हसने लगा और फिर उसने धीरे से संजना को नीचे उतारा..

" यू लुकिंग ब्यूटीफुल संजू...."

" थैंक यू फॉर योर स्वीट कॉम्प्लीमेंट.. पर आज मुझसे भी ज्यादा तुम हेंडसम लग रहे हो... हाय में मरजावा..." बोलकर संजना गिरने का नाटक करने लगी.. तो अनिरुद्ध ने हाथ पकड़कर उसे पकड़ लिया...

" क्या कर रही हो संजू गिर जाओगी...."

" गिर ही तो गई हु.. तुम्हारे प्यार में..." ये सुनते ही अनिरुद्ध के चहेरे पर स्माइल आ गई और गालों पर लाली भी...

" देखो देखो कोई ब्लश कर रहा है...." संजना ने अनिरुद्ध का फेस देखकर हस्ते हुए कहा...

" क्या संजू... तुम भी .. कुछ भी बोलती हो... "

" कुछ भी नही .. जो है वो बोल रही हू.. और हा आज खबरदार मुझसे थोड़ी देर के लिए भी दूर हुए हो तो... मुझे सामने ना देखकर लड़कियों को तो मौका मिल जायेगा तुम्हारे पास आने का..."

" हा... कुछ भी ? "

" हा तो... इस हेंडसम बंदे पर सिर्फ मेरा हक है... कैसे घूर घूर कर देख रही थी तुम्हे रिसेप्शन पार्टी में वो कौन थी तुम्हारी दोस्त... रीना.. और मिली .. "

संजू इतना बोली ही थी की अनिरुद्ध ने उसका हाथ पकड़कर उसे करीब खींच लिया..इतना करीब की संजना को उसकी सांसे भी सुनाई दे रही थी...
" इस हेंडसम बंदे पर सिर्फ उसकी प्रिंसेस का ही हक है .. और सुनो मिस संजना अनिरुद्ध ओब्रॉय... किसी रीना , मिली के देखने से इस अनिरुद्ध को कोई फर्क नहीं पड़ता है.. उसे फर्क पड़ता है तो सिर्फ उसकी पत्नी की इन प्यारी प्यारी आंखो से... ये खुली लहराती जुल्फो से.. ये कोमल गोरे गालों से .. ये गुलाबी मुलायम होठों से और सबसे इंपोर्टेंट उसके प्यार से..."

संजना का चहेरा यह सुनते ही शर्म से लाल हो गया..

" देखो इस शर्म से लाल चहेरे को .. इसे देखने के बाद मेरा दिल किसी और के बारे में सोच भी नही सकता संजू... "

संजना ने अनिरुद्ध को हग कर लिया...
" आई लव यू अनिरूद्ध ..."

" लव यू टू संजू...."

थोड़ी देर दोनो ऐसे ही एक दूसरे को महसूस कर रहे थे..
" चलो पार्टी में नही जाना क्या... ! " संजना ने कहा

" मन नहीं कर रहा तुमसे दूर होने का "

" चलो भी अब "

" ठीक है चलो..."

इस तरफ अंजली तैयार होकर गाड़ी के पास खड़ी हुई इधर उधर चलते हुए पार्टी में ना जाने का बहाना सोच रही थी..
तभी जतिन और विनीता खन्ना तैयार होके आ गए..

" चल बेटा..."

" पापा....." अंजली आगे कुछ बोलती उससे पहले ही जतिन खन्ना ने उसे रोक लिया..

" कोई बहाना नहीं हमे देर हो रही है गाड़ी में बैठो"
यह सुनकर अंजली मायूस होकर गाड़ी में बैठ गई..

पार्टी में गेस्ट आने लगे थे.. अनिरूद्ध और संजना सब रिश्तेदार से मिलकर बाते कर रहे थे... तभी संजना के मम्मी पापा और किंजल वहा आ गए..

संजना उनको देखते ही खुशी से उछलने लगी... उसने भागते हुए रागिनी जी को हग कर लिया और फिर राजेश जी को और फिर किंजल को...

" अरे ! भाई कहा है ? "

" वो उसे अर्जेंट काम से जाना पड़ा तो वो नही आ पाया... " राजेश जी ने सब बात संजना को बताई..

" क्या यार.. भाई को मिलने का बहुत ही मन था" संजना उदास हो गई..

" सुनो संजना .. बेटा जतिन जी और उनका परिवार अभी तक नही आए है तुम उन्हे फोन करके पूछो ना वो कहा पहुंचे है ? वो तुम्हारे अंकल दूसरे गेस्ट को अटेंड कर रहे है तो " अनुराधा जी ने संजना के पास आते हुए कहा..

" हा आंटी अभी फोन करती हु.. उनकी बेटी अंजली का नंबर है मेरे पास शायद .. जतिन अंकल से लिया था मैंने.."

बोलकर संजना ने अंजली को फोन लगाया..

" हेलो... " अंजली ने फोन उठाते हुए कहा..

" हेलो अंजली में संजना बोल रही हू..."

" हा संजना भाभी ! बोलिए ना..."

" अरे वाह ! तुम ने जट से पहचान लिया मुझे ! "

" हा तो.. और पार्टी में आते ही सब से पहले मुझे आपसे मिलना है ... "

" वो तो तभी होगा जब आप लोग पार्टी में पहुंचेंगे... वैसे कहा पहुंचे आप ? "

" बस पहुंच ही रहे है भाभी .. "

" अच्छा ठीक है "

" सुनिए भाभी...! "

" हा बोलो ...."

" आज तो आप बहुत खुश होगी .. आपका पूरा परिवार जो आया होगा..."

" कहा यार... मेरे भाई ही नही आए.. जिसका मुझे सबसे ज्यादा इंतजार था.. "

" क्या सच ? " अंजली खुश होती हुई बोली..
तभी उसे समझ आया की वो कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड होकर बोली है ..

" मेरा मतलब है .. आपके भाई क्यों नही आए ? "

" कुछ काम आ गया था उन्हें तो..."

" ओह.. कोई बात नही चलिए हम तो मिलते है ..."

" हा जल्दी आइए आपकी राह देख रहे है "
कहकर संजना ने फोन रख दिया...

" मतलब मोहित पार्टी में नही आ रहा है ... थैंक्स गॉड आपने मुझे बचा लिया ... अब में अच्छे से पार्टी एंजॉय करूंगी..."
अंजली ने मन में ही खुश होते हुए कहा...

" ए लल्ले ये क्या कब से ठूस रहा है यहां... " दादी ने सौरभ को खींचते हुए कहा जो कोने में छुपकर रसमलाई खा रहा था..

" क्या दादी आप भी ... खाने भी नही देती..."

" अभी सब मेहमान आए भी नही है और तू कह रहा है की में तुम्हे खाने भी नही देती हु...अब पार्टी हमने रखी है तो सभी मेहमानों के खाने के बाद ही हमे खाना होता है..समझे कुछ बिना अक्ल के बंदर.." दादी ने सौरभ का कान खींचते हुए कहा..

" ऐसे रूल्स आप सब ओल्ड लोगो ने ही बना रखे है.. बोरिंग रूल्स...बिलकुल आप सब की तरह .. तो आपको आपके रूल्स मुबारक में तो ये रसमलाई छोड़ने नही वाला हु "

" हे भगवान .. इस छोरे का क्या होगा...ऐसे तो कौन देगा इसे लड़की...! "

" हाय सौरभ ...." दादी के बोलने के बाद तुरंत ही पीछे से मीरा ने आवाज लगाते हुए कहा...

सामने मीरा को देखकर सौरभ ने तुरंत रसमलाई की डिश पीछे छुपा दी...
मीरा उनके पास आने लगी..

" नमस्ते दादी " मीरा ने हाथ जोड़ते हुए दादी को नमस्ते किया..

" खुश रहो बेटा... और इस नालायक से दूर रहो.. नही तो तुम्हारी भी बुद्धि भ्रष्ट कर देगा.. " इतना बोलकर दादी मुंह बिगाड़ती हुई वहा से चली गई..

सौरभ को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया पर मीरा के सामने वो जबरदस्ती से हसने लगा...
" वो दादी कुछ भी बोलती है... मजाक करने की आदत है उनकी.." सौरभ हसता हुआ बोला..

" इट्स ओके...में समझ गई.." मीरा ने स्माइल करते हुए कहा..

" तुम्हे देखा तो मिलने चली आई.. और उस दिन मुझे मेरी गलती का अहसास दिलाने के लिए थैंक यू... और मेरी संजना के बारे में गलतफहमी दूर करने के लिए इससे भी बड़ा थैंक यू..."

" क्या मीरा दोस्ती में सोरी और थैंक यू होता है क्या ? "
बोलकर सौरभ हसने लगा..

" पर हम दोस्त कब बने ? " मीराने उसे आश्चर्य से देखते हुए पूछा ..

यह सुनते ही सौरभ चुप हो गया..

" तो क्या हम दोस्त नही बने थे ..? मैंने सोचा कि उस दिन के बाद ... आई एम सोरी..." सौरभ ने अटकते हुए कहा.. वो अपनी इस हरकत के बाद ओकवर्ड हो गया ..और उसका मुंह उतर गया..

सौरभ का यह सीरियस फेस देखकर मीरा हसने लगी ... मीरा को हस्ते हुए देखकर सौरभ उसे घूरने लगा...

" व्हाट ? ऐसे क्या घूर रहे हो... ये एक्सप्रेशन तुम पे बिलकुल सूट नही करते... तुम हस्ते हुए मस्ती करते हुए ही अच्छे लगते हो.." मीरा ने हस्ते हुए सौरभ से कहा..

यह सुनकर सौरभ खुश हो गया और अपनी तारीफ मीरा के मुंह से सुनने के बाद तो उसका पूरा फेस ब्लश करने लगा और वो स्माइल करते हुए अपने माथे पर हाथ फेरने लगा..

" में मजाक कर रही थी सौरभ... "

" तो फिर अब हम फ्रेंड्स है ना ? " सौरभ ने आतुरता से पूछा..

" हा... हम फ्रेंड्स है..." मीरा ने अपना हाथ सौरभ की तरफ बढ़ाया... सौरभ ने भी अपना हाथ आगे बढाया और शेक हैंड करके दोनो ने अपनी नई फ्रेंडशिप की शुरुआत की...

अंजली भी पार्टी में आके बहुत ही ज्यादा खुश थी... संजना और अंजली ने साथ में मिलकर बहोत सारी बाते की.. मनीष चाचू को भी सब ने मिलकर बहुत सारी बधाईयां दी..

इस तरफ मोहित ने अपना काम पूरा कर लिया था और वो ओब्रॉय मेंशन आने के लिए निकल चुका था..

अंजली इस सब से अनजान पार्टी का लुप्त उठा रही थी.. मोहित होल में एंटर हुआ... पार्टी में बहुत सारे लोग थे...

अंदर पहुंचते ही मोहित सब से पहले संजना से मिला... संजना मोहित से मिलकर और भी ज्यादा खुश हो गई थी... सब से मिलने के बाद मोहित का ध्यान जतिन खन्ना पर गया...

" हेलो अंकल " मोहित ने जतिन खन्ना के पास जाते हुए कहा..

" ओह मोहित बेटा कैसे हो? "

" बहुत बढ़िया आप कैसे है ? "

" में भी एकदम ठीक हु ..." जतिन जी हस्ते हुए बोले..

" चलो तुम्हें मेरी वाइफ और मेरी बेटी से मिलवाता हूं ..."

" आपकी बेटी यहां इंडिया में है ? "

" हा कुछ दिन पहले ही आई है .. चलो में तुम्हे मिलवाता हूं "

" ठीक है चलिए "

फिर जतिन खन्ना ने अपनी वाइफ विनीता खन्ना को इंट्रोड्यूस करवाया.. फिर वो मोहित को अंजली से मिलवाने ले जाने लगे..

" वो देखो वो रही अंजली " जतिन जी ने अंजली को देखते हुए कहा..

मोहित ने देखा तो अंजली पीछे मुड़ी हुई किसी से बात कर रही थी.. मोहित उसका चेहरा नही देख पा रहा था..

तभी जतिन खन्ना को उनके किसी दोस्त ने बुलाया.. ये सुनते ही दोनो उनकी तरफ मुड़े..
जतिन खन्ना के दोस्त को उनका कुछ काम था..
" में अभी आता हु " इतना कहकर जतिन जी उनके साथ चले गए..

उनके जाते ही मोहित ने तुरंत पीछे मुड़कर अंजली की तरफ देखा पर इतनी देर में अंजली वहा से जा चुकी थी..

मोहित उसे पार्टी में इधर उधर ढूंढने लगा.. अपने दिमाग में चल रहे अंजली के विचारों की वजह से वो अंजली खन्ना को देखकर अपना शक दूर करना चाहता था..

तभी उसे सामने अंजली दिखी .. वो तुरंत उस और जाने लगा.. बीच में सब डांस कर रहे थे .. इसी वजह से मोहित अंजली को ठीक से देख नही पा रहा था.. तभी अंजली मोहित की तरफ मुड़ी.. और एक ही साथ दोनो की नजर एक दूसरे से मिली... मोहित अंजली को देखकर शॉक्ड रह गया और ऐसा ही कुछ हाल अंजली का भी हुआ..

मोहित को अपनी आंखो पर विश्वास नहीं आया तो उसने एक बार अपनी आंखे मिंची और खोली तो सामने अंजली नही थी... अंजली तुरंत ही वहा से छुप कर निकल गई.. मोहित उसे ढूंढने उसी तरफ जाने लगा..

अंजली भागती हुई बाहर गार्डन में आ गई और डर के मारे हांफती हुई छुपने की जगह ढूंढने लगी..

मोहित भी उसी तरफ आ रहा था...
तभी अंजली को एक खंभा दिखा.. वो वहा पीछे छुपने जा ही रही थी की किसी ने आके उसका पीछे से हाथ पकड़ लिया...
अंजली ने उसकी और देखा तो वो मोहित था...

मोहित का चेहरा गुस्से से लाल था.. उसने बहुत जोर से अंजली की कलाई पकड़ी हुई थी..

मोहित ने जोर से अंजली को अपनी तरफ खींच लिया.. अंजली मोहित के बहुत ही करीब खड़ी थी पर मोहित की गुस्से वाली लाल आंखो में देखने की हिम्मत अंजली में नही थी तो उसने अपनी आंखे बंध करदी..

🥰 क्रमश: 🥰