muskarate chahare ki hakikat - 3 in Hindi Fiction Stories by Manisha Netwal books and stories PDF | मुस्कराते चहरे की हकीकत - 3

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मुस्कराते चहरे की हकीकत - 3

कुछ देर में अवनी एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास पहुंचती हैं जिस पर नेमप्लेट लगी हुईं थीं R. K. कंपनी, भोपाल,,,,
अवनी कम्पनी के ऑफिस के बाहर आकार बैठ जाती हैं वहा पहले से इंटरव्यू के लिए सात आठ कैंडिडेंट बैठे थे।15 मिनट बाद अवनी को अन्दर बुलाया जाता है,, अवनी अन्दर पहुचती हैं सामने पाच लोग बैठे थे जो इंटरव्यू ले रहे थे। अवनी सबको गुड मॉर्निंग बोलती हैं और उनमें से एक आदमी उसे सामने रखी चेयर पर बैठने का इशारा करता हैं। फ़िर अवनी की फाइल्स देखकर उससे कुछ सवाल करते हैं और एक प्रोजेक्ट को एक्सप्लेन करने के लिए बोलते हैं। अवनी कॉन्फिडेंस के साथ कम्प्यूटर पर प्रोजैक्ट एक्सप्लेन करती हैं और अपनी बनाई हुईं कुछ डिजाइन्स दिखाती हैं पांचों अवनी की डिजाइन्स को देखकर एक दूसरे से बात करते है और अवनी की तरफ़ देखकर- you are selected miss Avni,, हमे आपका प्रोजैक्ट एक्सप्लेन करने का तरीका, आपकी डिजाइन्स बहुत पसंद आयी और आपकी क्वालिफिकेशन का भी अच्छा स्कोर है तो आप कल से ज्वॉइन कर सकते हो। सुबह 10 बजे ऑफिस पहुंच जाना।
अवनी ख़ुश होकर- थैंक्यू सर........
अवनी ऑफिस से बाहर आती हैं और ऑटो मे बैठकर घर की और निकल जाती हैं रास्ते में अवनी के पास मैसेज आता है अवनी दूसरी सिम से कॉल लगाती हैं।
सामने से किसी की आवाज़ आती हैं- क्या हुआ अवनी,सब ठीक है ना...
अवनी- हा, अभी तक तो सब ठीक है। मुझे जॉब मिल गई है,,,, कुछ दिनों बाद वहा पार्टी होगी।
ओके ध्यान रखना अपना मै भी आगे की तैयारी करता हूं,,,, इतना कहकर वह फोन काट लेता है। अवनी फोन रखकर कुछ सोचने लगती हैं।
अवनी घर आती हैं और काव्या को अपनी जॉब के बारे में बताती हैं। दोनों बहुत खुश होते है। काव्या अवनी को अपने साथ बाहर ले जाती हैं
अवनी तुम्हारे साथ बहुत अच्छा लगता हैं, इतने से दिनों में ही तेरी आदत हो गई है, कभी साथ छोड़ना मत।पता नहीं क्यों लगता है कि हमारा साथ बहुत लंबे समय तक चलने वाला है,,,,,, काव्या कहते हुए कार चला रही थीं अचानक सामने से एक कार काव्या की कार के बिल्कुल सामने आकर खड़ी हो जाती हैं।काव्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था अवनी काव्या को दूर करके ख़ुद कार को साइड में करते हुए- तेरा ध्यान कहा था अभी....
काव्या अवनी का हाथ पकड़कर हसते हुए- बचा लिया आज तो तूने नहीं तो अभी हम हॉस्पिटल में एडमिट होते।
अवनी काव्या की बात पर हसने लगती हैं। दोनों घर आते है।
काव्या अवनी के पास आकर- कल मॉम डेड आ रहे हैं हम दोनों घर चलेंगे
अवनी- मै भी....
काव्या- हा तू भी चल रहीं हैं कल 4 बजे बाद चलेंगे तेरा ऑफिस वर्क खत्म होने के बाद।
अवनी मुस्कराते हुए हा मे सिर हिलाती हैं,,,,
सुबह दोनों उठकर अपने अपने काम पर चली जाती हैं अवनी ऑफिस के लिऐ, और काव्या कॉलेज,,,,,,, तीन बजे बाद अवनी ऑफिस से बाहर आती हैं तो उसे सामने काव्या दिखाई देती हैं
अवनी उसके पास आकर- तू यहां काव्या...(आश्चर्य से)
काव्या कार में बैठते हुए- आज कॉलेज से जल्दी आ गई थीं अब बैठ मॉम डेड ने जल्दी बुलाया है।
दोनों कार में बैठकर घर आती हैं और काव्या के घर के लिए निकल जाते है जहा उसके पैरेंट्स रहते हैं
आधे घंटे बाद दोनों एक बड़े से बंगो के पास पहुंचती हैं जहां पहले से दो तीन कारे खड़ी थीं काव्या कार को पार्क में खडी करके अवनी का हाथ पकड़कर अंदर की ओर भागती हैं।
काव्या अन्दर हॉल मे पहूचती हैं सामने उसके पापा खडे थे काव्या दौड़कर उनके पास जाती हैं और उनके गले लगते हुए- मैने आपको बहुत मिस किया पापा...
अनुराग बजाज (काव्या के पापा) काव्या के सिर पर हाथ फेरते हुए- हमने भी तुम्हे बहुत याद किया बेटा...
अरे हम भी हैं,,,, सीढ़ियों से उतरती हुई काव्या की मम्मी की आवाज़ आती हैं। काव्या उनके पास आकर उन्हें गले लगाती हैं
स्वाति (काव्या की मम्मी)- तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है...
काव्या-बहुत अच्छी मम्मा, अब तो कुछ दिन बचे हैं चार-पांच दिन में एग्जाम्स खत्म और कॉलेज भी... काविन कहां है मम्मा.....(चारो तरफ देखकर)
स्वाती- वो ऊपर है बोल रहा है दीदी खुद आएगी मुझसे मिलने।
काव्या को अपने पैरेंट्स से मिलते देखकर अवनी पीछे हट जाती हैं और अपनी आंखे बंद कर लेती है उसकी आंखो के सामने अपने परिवार की एक धुंधली तस्वीर थीं
काव्या,अवनी की तरफ देखकर- मुझे आपको किसी से मिलाना है मम्मा पापा.... ये अवनी है मेरी बेस्ट फ्रेंड ,यही आर के कंपनी में जॉब करती है।
अवनी, अनुराग और स्वाति के पास आती हैं और उनसे मिलती हैं कुछ देर सब यूंही बाते करते है
अनुराग, काव्या से- तो काव्या बेटा अब तो तुम्हारी पड़ाई भी पूरी हो रहीं हैं तो क्या सोचा आपने.........
काव्या - जैसा आपको ठीक लगे पापा।
अनुराग, काव्या के सिर पर हाथ फेरते हुए- काव्या बेटा परसो अग्रवाल फेमिली में बहुत बड़ी पार्टी अरेंज कि है हम सबको बुलाया है। तैयार रहना हमे वहा चलना है।
काव्या- हा पापा मुझे भी करण ने बताया था
स्वाति- पार्टी तो होगी ही उनका बेटा जो इतने सालों बाद घर आ रहा है।
अवनी, कुछ सोचकर- कौन आ रहा है..?
काव्या, अवनी के पास आकर- विवाव अग्रवाल
अवनी, हैरानी से - विवान...........
काव्या,अवनी से- अवनी,, क्या तुम जानती हो विवान को....?
अवनी मुस्कराते हुए- न.. न.. ही... नहीं....
काव्या- चल उपर चलते हैं कावीन से मिलाती हूं तुझे।
अवनी और काव्या ऊपर आते हैं काविन काव्या का छोटा भाई था दोनों उसके पास जाते है तीनों कुछ देर बाते करते है फ़िर काव्या अवनी को अपने रूम मे लेकर आती हैं
अवनी, काव्या से- अच्छा तु शादी कर रहीं हैं और मुझे बताया भी नहीं।
काव्या, अवनी के कंधो पर हाथ रखकर- तेरे लिए सरप्राइज़ हैं आज शाम सात बजे तैयार रहना ओके।
इतना कहकर काव्या बाहर चली जाती हैं अवनी यहां कमरे में अकेली थी वह फोन निकालती हैं और किसी के नंबर ढूंढती है फ़िर कॉल लगाती हैं थोड़ी देर रिंग जाने के बाद आवाज़ आती हैं- अवनी....
अवनी, थोड़ी देर रुककर- भाई कहा हों आप....? कितने दिन हो गए मुझे यहां आए हुए।
प्रवीण- अवनी मै यही हूं ' अग्रवाल सन्स ग्रुप कम्पनी'' मे,,तुम मुझसे मिल सकती हो कल।
अवनी- ओके भाई, मै कल आपसे मिलती हूं।
अवनी फोन काटकर खिड़की के पास जाकर- थैंक्यू भाई मेरा साथ देने के लिए....अब दो दिन और बचे हैं एक बार उस इंसान का नाम पता चल जाए बस....
शाम के छ बजे काव्या अवनी के पास आती हैं और उसके सामने एक ड्रेस रखते हुए- अवनी याद है ना तुम्हे मेरे साथ बाहर चलना है अब तैयार हो जा, मैं नीचे वेट कर रही हूं।
कुछ देर में दोनों तैयार होकर नीचे आते हैं और कार लेकर एक बड़े से रेस्टोरेंट्स में जाते हैं जहां दो आदमी उन्हे लेने आते हैं और एक टेबल की ओर इशारा करते हुए उन्हे बैठने के लिए कहते हैं दोनों एक टेबल के पास जाकर बैठ जाते हैं जहां तीन कुर्सियां लगी हुई थी और सामने कांच की बड़ी सी खिड़की थीं।
अवनी काव्या की तरफ देखकर- हम यहां क्यों आए हैं काव्या?
काव्या मुस्कराते हुए- तुझे किसी से मिलाना है.....
अवनी, हैरानी से- किससे...?
काव्या दरवाजे की तरफ देखते हुए- वेट अव्वी जस्ट रिलैक्स यार,,,,,,
तभी सामने से 28 साल का लड़का आता है ब्लैक पेंट शर्ट, ब्लैक चश्मा, हाथ में महंगी घड़ी, फोन को कान पर लगाकर बात करता हुआ आ रहा था। उसके पीछे दो आदमी भी थे उन्हें हाथ से इशारा करके बाहर रुकने के लिए बोलता हैं और खुद आकर अवनी और काव्य के पास खड़ा हो जाता है।
काव्या, उसे गले लगाते हुए- हाय करण, तुम्हे वक्त मिल गया आने के लिए.....
करण हंसते हुए - तुम बुलाओ और मैं ना आऊ ऐसा हुआ है कभी
करण, काव्य और अवनी के पास बैठ जाता है और अवनी की तरफ देखकर- तो काव्या यह है तुम्हारी स्पेशल गेस्ट....
करण अवनी की तरफ हाथ बढ़ाकर - हेलो, आई एम करण अग्रवाल...
अवनी हैरानी से करण को देखती है फिर अपना हाथ आगे बढ़ाकर - हेलो आई एम अवनी... अवनी मिश्रा... आप मुझे कैसे जानते हो...?
काव्या बीच में ही -यार कोई मुझे भी बोलने देगा या मैं यहां से जाऊं ....
काव्या की बात सुनकर दोनों हंसने लगते हैं और काव्या को बोलने के लिए कहते हैं
काव्या अवनी की तरफ देखकर- अवनी यही वह शख्स है जिससे मैं शादी करने वाली हूं करण अग्रवाल और करण यह है मेरी बेस्ट फ्रेंड अवनी जिसके बारे में मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया था।
अवनी मुस्कुराते हुए करण की तरफ देखकर- नाइस टू मीट यू मिस्टर करण अग्रवाल।
करण -नाइस टू मीट यू टू अवनी.....
तीनों एक दो घंटे तक वही बैठते हैं और बातें करते हैं
काव्या - तो आज से हम तीनों दोस्त हुए....
करण बीच में ही हंसते हुए- नहीं हम दोनों तू मेरी पत्नी बनने वाली है याद रखना काव्या जी....
करण की बात पर अवनी और काव्या दोनों हंसने लगते हैं
करण अवनी से- यहां तुम अभी आई हो अवनी यदि कभी जरूरत पड़े तो बेझिझक तुम मुझे बोल सकती हो
अवनी -थैंक्यू करण,,,जरुर
करण खड़ा होकर- परसों विवान आ रहा है तो घर में पार्टी है तुम सब आ रहे हो ना और अवनी तुझे भी आना है ओके
अवनी हा मे सिर हिलाती है कुछ देर में तीनों यहा से चले जाते हैं ।
काव्या और अवनी दोनों काव्या के अपार्टमेंट में चले जाते हैं।
सुबह अवनी के फोन पर एक मैसेज आता है और अवनी रामू काका को ऑफिस के लिए बोलकर वहां से चली जाती है
अवनी रिक्शा से एक कैफे के पास पहुंचती है जहां एक लड़का पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था अवनी उसके पास जाकर बैठ जाती हैं
अवनी, थोड़ा उदास होकर- भाई आप स्टेशन पर क्यों नहीं आए और यहां भी आज मिलने आए हो।
वह लड़का प्रवीण था अवनी का भाई जिसकी उम्र 28 साल थी इसने अवनी को मैसेज करके यहां बुलाया था दोनों वहीं पास में रखी चेयर पर बैठते हैं
प्रवीण,अवनी से -कल तुम जा रही हो ना वहां.....
अवनी- हां भाई एक बार उस इंसान का पता लग जाए
प्रवीण, उसे समझाते हुए- मुझे पता है अवनी तुम कर लोगी.... अपना ध्यान रखना ओके।
अवनी -आप नहीं आ रहे वहा?
अभी पता नहीं है करण का कॉल आएगा तो मैं तुझे बता दूंगा
कुछ देर बात करके दोनों वहां से चले जाते हैं शाम को अवनी उस इंसान के पास फोन लगाती है- कल मैं जा रही हूं वहां,वह इंसान वहां होगा या नहीं....
सामने से आवाज आती हैं- जरूर मिलेगा लेकिन उसे बिल्कुल शक मत होने देना बड़ा शातिर इंसान है वह अवनी तुम भी ज्यादा कुछ मत करना अभी भी बहुत वक्त है हमारे पास।
अवनि फोन रख देती और काव्या के पास चली जाती है।

अग्रवाल मेंसन
शालिनी जी तैयार रहियेगा आज हम ख़ुद अपने बेटे को लेने जा रहें हैं.... ये आवाज़ थी भोपाल के सबसे बड़े बिजनेसमैन कृष्णमूर्ति अग्रवाल की, उनकी पत्नि का नाम था शालिनी,,,,,,,,,,,
श्रेया (कृष्णमूर्ति और शालिनी जी की बेटी, उम्र 23 साल), कृष्णमूर्ति के पास आकर- मै भी आपके साथ चल रही हूं पापा, मुझे भाई से सबसे पहले मिलना है।
शालिनी, श्रेया को समझाते हुए- नहीं श्रेया, क्या करेगी तु यही मिल लेना अपने भाई से, अभी उन्हे जाने दे......
तभी दरवाजे से राजेश अग्रवाल (कृष्णमूर्ति का भाई) और उनकी पत्नी कविता आते हैं।
राजेश, कृष्णमूर्ति के पास आकर- भैया मै तो चल सकता हूं ना आपके साथ।
कृष्णमूर्ति - हा राजेश तुम सही वक्त पर आये हो। कुणाल और रिया कहा है.......
कुणाल (राजेश का बेटा,उम्र 24 साल)- मै यहा हू ताऊजी,,, शालिनी के पिछे से, हसते हुए उनके पास आता है और लगे लगता हैं
रिया (कुणाल की बहन ,उम्र 22 साल), दरवाजे से आते हुए- मै भी हूं ताऊजी आपने मुझे तो देखा ही नहीं।
शालिनी, उसके पास आकर उसके गालों पर हाथ रखकर- तु किसी से बचकर रहतीं कहा है।
सब हसने लगते है।
राजेश चारो तरफ देखकर- भैया मा कहा है.....
पिछे से करण की आवाज़ आती हैं- दादी यहां है चाचू
सब करण की तरफ देखते हैं जो सुधा जी के पास उन्हे पकड़कर खड़ा था। सुधा जी कृष्णमूर्ति और राजेश की मां थीं
राजेश और कविता सुधा जी के पास आकर उनका आशिर्वाद लेटे है, तभी पीछे से आवाज़ आती हैं- हम भी हैं मा......सब पीछे देखते हैं
श्रेया चिल्लाते हुए- बुआ....... श्रेया और रिया रश्मि के पास आकर उन्हे गले लगाती हैं।
रश्मि ,राजेश और कृष्णमूर्ति की बड़ी बहन थीं उनके साथ उनके पति थे राजवीर गोयल। सब कुछ देर बैठकर बाते करते है और थोड़ी देर बाद कृष्णमूर्ति और राजेश कार लेकर एयरपोर्ट पहुंचते हैं
भोपाल एयरपोर्ट शाम 4:00 बजे
पांच साल बाद घर लौट रहे हो, कैसा लग रहा तुझे इंडिया में,,,,,, प्लेन से उतरते हुए यश ने पूछा
विवान अग्रवाल उम्र 26 साल, हेंडसम, हल्की दाढ़ी, आंखो पर काला चश्मा, कोट पेंट पहने हुए, हाथ में सोने कि महंगी घड़ी, चेहरा किसी मॉडल से कम नहीं था और हो भी कैसे, यही तो नशा है अमिरी का,,,,,, विवान के साथ उसका दोस्त था जो बिल्कुल विवान के जैसा ही था दोनों एक ही उम्र के थे और बचपन से साथ थे दोनों अपना सामान लेते हैं और आगे बढ़ते हैं तभी उनकी नजर सामने कृष्णमूर्ति और राजेश पर जाती है जो उनका ही वेट कर रहे थे विवान कृष्णमूर्ति के पास आकर उन्हें गले लगाता हैं और फिर राजेश से मिलता है
विवान, कृष्णमूर्ति से - आप क्यों आए डेड करण भाई या कुणाल को भेज देते।
राजेश- क्यों हम अपने बेटे को लेने भी नहीं आ सकते क्या...
विवान मुस्कुराकर -नहीं चाचू क्यों नहीं मैं बहुत खुश हूं आपसे यहां मिलकर,,,,
कृष्णमूर्ति, विवान के कंधे पर हाथ रखकर -क्यों नहीं आते आखिर इतने सालों से आपको अपने से दूर रखा है तुमने पढ़ाई पूरी कर ली है अब यह बिजनेस तुम्हे ही संभालना है ...
राजेश, विवान से- हां बेटा करण ने ये जिम्मेदारियां निभाने से पहले ही मना कर दिया और कुणाल अभी छोटा है इसलिए तुम्हें इतने सालों दूर रखा........
विवान -डोंट वरी चाचू,, अब मैं आ गया हूं ना....
कृष्णमूर्ति -बातें हो गई हो तो चले घर पर मेहमान वेट कर रहे होंगे,,,चलें.......
राजेश और विवान हा में सिर हिलाते हैं और चारो घर की ओर निकल जाते हैं
एक घंटे बाद विवान घर पहुंचता है जहां सब पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे विवान सबसे पहले अपनी दादी के पास जाता है और उनका आशीर्वाद लेता है फिर मां के पास आता है और उनके गले लगता है फिर बुआ, चाची कुणाल ,श्रेया, रिया और करण से मिलना है सब बहुत खुश होते हैं यश भी अन्दर आता है और सबका आशिर्वाद लेकर कुणाल रिया और श्रेया के पास आकर खड़ा हो जाता हैं करण कृष्णमूर्ति के पास आकर -शाम की पूरी तैयारियां हो गई है पापा कुछ देर में सब पहुंचते ही होंगे (फ़िर विवान के पास आकर) एंड विवान आज मैं बहुत खुश हूं आखिर इतने इंतजार के बाद अब तु आ ही गया और विवान को गले लगाता हैं।
विवान- भाई अब आ गया हूं मैं अब कहीं नहीं जाने वाला आप सबको छोड़कर.....
कुणाल श्रेया और रिया एक साथ -और हम जाने भी नहीं देंगे भाई.....
विवान सबकी तरफ़ देखकर हसता हैं,,,,
करण बाहर निकलकर प्रवीण को कॉल करता है, प्रवीण कॉल अटेंड करता है।करण प्रवीण से कुछ देर बाद करता हैं फ़िर फोन रखकर अन्दर चला जाता हैं
कृष्णमूर्ति ,राजेश के पास आकर -राजेश अनुराग भाईसाहब कितनी देर में पहुंच रहे हैं ।
राजेश- अभी बात हुई है भैया वो लोग निकलने वाले हैं। कृष्णमूर्ति- ठीक है, और सुनो भाईसाहब भी कुछ ही देर में आ रहे हैं सब कुछ ठीक होना चाहिए वरना तुम जानते हो उनको.........
राजेश- ओके भैया सब ठीक होगा .......

बजाज हाउस (काव्या का घर)
अनुराग - स्वाति जी जल्दी नीचे आइए हमें वहां जल्दी पहुंचना है अभी अभी फोन आया है।
स्वाति तैयार होकर नीचे आती है और काव्य को आवाज देती है।
काव्या ,अपने कमरे से ही- आई मम्मा.......
काविन काव्य के रूम में आकर- दीदी अच्छे से तैयार होना अपने ससुराल जा रही हो,,,,, हंसते हुए
काव्या, - बहुत शैतान हो गए हो तुम, अभी पापा वेट कर रहे हैं निचे चल।
काविन -अवनी दीदी तैयार हुई या नहीं.....
काव्या- पता नहीं मैं जाकर दिखती हूं, तू चल मैं उसे लेकर आती हूं । काविन निचे चला जाता है और काव्या अवनी के रूम में आती हैं
काव्या ने रेड फुल साइज गाउन पर बालो का जुड़ा बनाया हुआ था और हल्का मेकअप। काव्या अवनी के पास आती हैं जो पहले से तैयार होकर खिड़की के पास खड़ी थी
काव्या, अवनी से- आज भी तुमने जींस शर्ट पहनी है यार हम पार्टी में जा रहे हैं ऑफिस में काम करने नहीं,,, हंसते हुए ,,,चल कोई ना तु इन्हीं में ज्यादा अच्छी लगती है अब चले,,,,,,,,
अवनी ने ब्लैक पेंट ब्लू शर्ट पहनी हुई थी कंधे तक खुले बाल होठों पर हल्की लिपिस्टिक,,,,, दोनों बहुत सुंदर लग रही थी ।
अवनी, काव्य के गले में हाथ डालकर- तुम बहुत सुंदर लग रही हो बिल्कुल राजकुमारी की तरह....
काव्या उसके हाथों के गहरे से निकलकर मुस्कुराते हुए-अच्छा हो गया तेरा,,, अब चले।
अवनी हंसते हुए - हा चलो।
दोनों बाहर आते हैं और अनुराग स्वाति और काविन के साथ अग्रवाल मेंशन की ओर की निकल जाते हैं।
इधर यश और कुणाल विवान के पास आते है,जो किसी से फोन पर बात कर रहा था
कुणाल ,विवान से- भैया आपके कॉलेज फ्रेंड आ रहें हैं पार्टी में,,,,,,,
यस धीरे से हंसते हुए - कॉलेज की लड़कियां भी आ रही है,,,
विवान, यश के कंधे पर हाथ रखकर- आने दो मैं भी उनका ही वेट कर रहा हूं।
श्रेया भी उनके पास पहुंच जाती हैं श्रेया विवान के कंधे पर हाथ रखकर - भाई प्रिया भी आ रही है, लंदन से अब आपका क्या होगा। सब हंसने लगते हैं,,,,,,,,
बाहर से करण उनके पास आता है और सबको नीचे आने के लिए कहता है । सब करण के साथ नीचे आते हैं ।
अनुराग,,,,,शालिनी, काव्या,काविन और अवनी के साथ अंदर पहुंचते हैं ।अवनी सबसे पीछे हट जाती है वह चारों आगे चले जाते हैं।कृष्णमूर्ति और उनका परिवार अनुराग जी से आकर मिलता है शालिनी,कविता और सुधा जी स्वाति जी के पास आती है उन्हें गले लगाकर अंदर आने के लिए बोलती हैं। काव्या सबका आशिर्वाद लेती हैं।
शालिनी अवनी की तरफ देखकर - काव्या बेटा यह कौन है आपके साथ पहले कभी नहीं देखा।
काव्या अवनी की तरफ देखकर जो उससे बहुत दूर खड़ी चारों तरफ देख रही थी - आंटी यह अवनी है मेरी फ्रेंड हमारे साथ ही रहती है।
काव्या अवनी के पास जाती है और उसका हाथ पकड़कर अपने साथ लेकर आती है।
काव्य अवनी से -क्या देख रहे हो अवि,,, चलो मेरे साथ.... अवनी सबके पास आती हैं और सबसे मिलकर अपना परिचय कराती हैं काव्या भी अवनी को सबके बारे में बताती है। सब अन्दर बाकी मेहमानों से मिल रहें थे अवनी काव्या के पास खड़ी थी वह अपना फोन निकालकर काव्या से- काव्या पापा का फोन आ रहा है। मैं अभी आती हूं,,,, कहकर अवनी बाहर चली जाती है
अवनी बाहर गार्डन में आकर फोन लगाती है
अवनी- मैं पहुंच गई हूं अब आगे क्या करना है.......?
अभी कुछ नहीं करना बस सब लोगों पर नजर रखना और उनसे बात करना अभी हम उसका नाम नहीं जानते हैं अभी कुछ भी मत करना बस नजर रखना सब पर,,,,, सामने से आवाज आती हैं
अवनी कुछ देर बात करके फोन रख देती और फ़िर प्रवीण को कॉल लगाती है
प्रवीण - अवनी में आ गया हूं लेकिन यहां तुम अपना ध्यान रखना मैं तुमसे नहीं मिल सकता।
अवनी-ठीक है भाई ,,,,,,,,
इधर करण विवान, यश, रिया, और कुणाल के साथ नीचे सबके साथ खडे थे । उसकी नजर काव्या पर जाती है जो किसी से बात कर रही थी, करण उसके पास आकर उसे गले लगाने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है पर विवान उसे पीछे से रोक लेता है ।
विवान, अपनी हसी छिपाते हुए- कंट्रोल भाई सामने मेहमान खड़े हैं अपनी ना सही लेकिन भाभी की इज्जत का तो ख्याल रखो और काव्या के पास आकर अपना हाथ आगे बढाता है।
सभी हैरानी से विवान को देखते और फ़िर करण की तरफ देखकर सब जोर-जोर से हंसने लगते हैं ।
काव्या मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढाते हुए- हाय विवान आखिर तुम आ ही गए, एक बार भी मिलने नहीं आए।
विवान- अब आ गया हु भाभी,,, अब यही हूं।
काव्य ,हैरानी से - भाभी.........
विवान, हंसते हुए - होने वाली .........
सब विवान कि तरफ़ देखते हैं और विवान करण और काव्या की तरफ़।
रिया, काव्य के पास आकर -हम से नहीं मिलोगी भाभी,,,
काव्या- श्रेया, रिया यश और कुणाल के पास आकर - तुम लोगों से कौन नहीं मिलना चाहेगा और हमारी तो रोज मुलाकात होती है ना,,,,
करण बीच में ही- वैसे तुम्हारी अवि नही आईं क्या......?
सब एक साथ हैरानी से-अवि.........
काव्या सबको इस तरह देखकर- अरे यार तुम इस तरह क्यों देख रहे हो अवि मतलब अवनी, फ्रेंड है मेरी.......
कुणाल- तो भाभी कहा है आपकी दोस्त, हमसे नहीं मिलेगी क्या....?
काव्या, दरवाजे की ओर देखकर- हा वो आती ही होगी अभी.......
सब एक साथ वही खड़े थे दरवाजे से कुणाल कुणाल चिलाते हुय एक लडकी कुणाल के पास आती हैं।
कुणाल उस लड़की को देखकर - रूही......
सब रुही को देखकर खुश होते हैं करण रूही के पास आकर- रुही मम्मा पापा नहीं आए क्या......?
रुही- नहीं करण भैया वह बहुत बिजी है मै आ गई अपने बेस्ट फ्रेंडस् से मिलने (रिया, कुणाल और श्रेया की तरफ देखकर )
पार्टी में बहुत सारे गेस्ट आए हुए थे सब एक दूसरे से बातें करने में बिजी थे। विवान, करण, यश, और कुणाल एक साथ खड़े थे उनके साथ और लोग भी थे उनसे बातें कर रहे थे।
विवान के पास किसी का मैसेज आता है विवान यश के साथ बाहर गेट पर आता है यहां विवान के बहुत सारे दोस्त खडे थे जिनमें पांच छ लड़कियां भी थीं सब विवान की ओर आ रहें थे। उनमें से एक लड़की दौड़कर विवान के पास आ रही थी जिसके हाथ में एक बड़ा सा पर्स था और दूसरी तरफ से अवनी आ रही थी दोनों आपस में टकरा जाती है उस लड़की का पैर पिसल जाता हैं ओर वो नीचे गिर जाती है और अवनी उस लड़की को देखकर वही रूक जाती हैं और अपना हाथ आगे बढ़ाती हैं उसे उठाने के लिए, लेकिन वह लड़की अवनी को गुस्से से देखे जा रही थी , अवनी पीछे हट जाती है ।उस लड़की के साथ की लड़किया उसके पास आकार - are you okk Priya, वह उसे उठाती है।
प्रिया उठकर गुस्से से अवनी पर चिल्लाते हुए -आर यू मैड,,,, तुझे दिखाई नहीं देता क्या...?
अवनी दुसरी ओर मुंह करके खड़ी हो जाती है
अवनी खुद से ही -अभी मैं यहां से निकल गई तो यह जोर जोर से चिल्लाएगी मै यही खड़ी रहती हूं वरना सब हमारी तरफ ही देखेंगे।
प्रिया की आवाज़ सुनकर विवान अपने दोस्तों के साथ उसके पास आकर - क्या हुआ प्रिया तुम चिल्ला क्यों रही हो.....
प्रिया ,विवान से (अवनी की तरफ़ इशारा करके) इस लडकी ने मुझे गिरा दिया और सॉरी भी नहीं बोला,,,,,
विवान, अवनी के पीछे आकर- कौन हो तुम....? प्रिया को सॉरी बोलो गलती तुम्हारी थी
अवनी बिना कुछ बोले अपने हाथों को बांधे वही खड़ी थी प्रिया, फिर गुस्से में- कितनी बदतमीज लड़की है अभी भी कुछ नहीं बोल रही,,,
अवनी जो कब से दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी थी वह सामने देखती हैं।
बिना किसी को देखे वह प्रिया के पास आकर- पहली बात तो मैंने बदतमीजी की नहीं और नहीं आपको गिराया आप खुद भागकर आ रही थी और मुझसे टकराईं थीं इसलिए सॉरी तो मै बोलूंगी नहीं,,,,,, आपको जो करना है कर लो।
फिर विवान की तरफ देखकर- एंड यू मिस्टर जब कुछ देखा ही नहीं हो तो बीच में मत बोला करो कहीं ऐसा ना हो कि अपने ही दोस्तों के बीच बेज्जती हो जाए......... इतना कहकर अवनी वहां से चली जाती है।
विवान गुस्से से अवनी को जाते हुए देख रहा था यश अवनी कि बात पर हस रहा था सब यश की तरफ देखते हैं यश चुप हो जाता हैं
विवान, गुस्से में यश से - यह कौन है.....? इसे यह भी पता है या नहीं कि यह किसके घर में खड़ी है है,,,,बड़ी अजीब लड़की है मेरे ही घर में मेरे सामने ही इतनी अकड़....
प्रिया उसके कंधे पर हाथ रखकर - इट्स ओके विवान जाने दो उसे हम चले अंदर........ सब विवान के साथ अंदर आ जाते हैं।

Continue.....