Juari - 6 - Last part in Hindi Anything by Brijmohan sharma books and stories PDF | जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर - 6 - अंतिम भाग

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जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर - 6 - अंतिम भाग

(6)

फिल्म शुरू
 

विजय ने अपनी फिल्म का भारी एडवर्टाइजमेंट किया ।

उसने शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर फिल्म के हाट सीन तथा काश्मीर की वादियों के सुन्दर द्रश्य वाले बेनर लगा दिए । फिल्म के उद्घाटन के एक सप्ताह पहले उसने फिल्म का खूब प्रचार किया ।

फिर पहले शो का दिन आया । उसने शहर के बउ़े अफसरों, शहर के प्रतिष्ठित तथा फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया । वह अरू के घर निमंत्रण देने गया । उस दिन उसके सास व ससुर ने उसका बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया । उन्होंने विजय को खाने पर निमंत्रित किया | अरू व बेटी घर पर नहीं थे । वे बाहर गऐ हुए थे ।

विजय ने लाल से कहा ‘अरू व मेरी बेबी को जरूर लाइयेगा।’

लाल ने कहा ‘जरूर, हम सभी शाम को अरु व मीता के साथ आऐगे ’|

उसने मेहमानों के लिए फिल्म शुरु होने के पूर्व एक ग्रांड पार्टी रखी।

वहां हर मेहमान उपस्थित थे किन्तु अरू व बेबी के बिना वह पार्टी बिलकुल फीकी थी।’

फिल्म हिट सिद्ध हुई।

अनेक दिनों तक फिल्म के शो होउसफुल जाते रहे|

विजय के अकाउंट में खूब पैसा बरसा।

 

आयकर बिजनेस
 

विजय ने फिल्म से काफी धन कमाया । उसके पास खूब पैसा था।

किन्तु उसके बीबी बच्चे उसके पास न थे । उसे प्यार करने वाली माँ अब इस दुनिया में नहीं रही |

माता पिता की म्रत्यु के बाद उनकी कमी का तीव्र अहसास आदमी को होता है |

वह खूब दारू पीने लगा व वैश्यावृत्ति करने लगा। फिर भी समय व यह दुनिया उसे काटने दौउ़ते थे। उसका मकान उसे भूतहा बंगला प्रतीत होता था |

जिस फिल्म व्यवसाय के कारण उसका परिवार नष्ट होगया विजय ने उसी सदा के लिए बंद करने का निश्चय कर लिया |

विजय ने मुम्बई मे आयकर सलाहकार का कार्य शुरू किया।

उसने अपने नये कार्य के उद्घाटन के लिए उसने एक प्रसिद्ध होटल में शानदार पार्टी दी । उसमे सिने जगत की सभी प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया ।

शाम से देर रात तक चलने वाली पार्टी में खूब नाच गाना, मौज मस्ती, शराब शबाब के दौर चले |

विजय ने स्टेज से अनाउंस किया,

“मित्रों! कृपया सभी निमंत्रित महानुभाव व डिअर लेडीज ध्यान से सुने | आज के बाद अब मै सदैव के लिए फिल्म निर्माण कार्य को अलविदा कह रहा हूँ “

पुरे हॉल में सन्नाटा छा गया |

विजय आगे कहने लगा, “किन्तु मित्रों मै आपकी खिदमत में एक नया कार्य “ आयकर सलाहकार“ के रूप में प्रारंभ करने जा रहा हूँ| कृपया मुझे आपकी सेवा करने का अवसर प्रदान करें | “

उसे अनेक हीरे, हिरोइनो,प्रोड्यूसरो व डायरेक्टरो आदि से अपने आयकर मेनेजमेंट का कार्य मिल गया। देखते ही देखते उसका नया धंधा जोरों से चल निकला।

विजय को अरु के रवैये पर कुछ शंका होने लगी थी |

उसने सोचा शायद अरु ने कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ़ लिया हो |

उसने मोहन को अरू की जासूसी करने को कहा, ‘कहीं उसके जीवन में किसी और युवक ने तो प्रवेश नहीं कर लिया है।’

मोहन अरू व उसके मित्रों तथा स्टाफ के लागों से एक सप्ताह तक पूछताछ करता रहा । उसने चुपके से अनेक बार अरू का पीछा किया।

अरू का अपने स्टाफ के एक युवा टीचर से रोमांस चल रहा था ।

उसने यह रहस्योघाटन विजय के सामने कर दिया ।

विजय अरू से पूरी तरह निराश हो गया।

उसे अपनी बेटी की फिक्र होने लगी।

 
जन्नत की काली दुनिया
 

एक दिन विजय ने मोहन को मुम्बई बुलाया और कहा - ‘मोहन मै तुझे जन्नत की सैर करवाता हूं।’

शाम को विजय उसे एक बंगले पर ले गया । वहां अनेक खूबसूरत करीब नग्नावस्था मे लड़कियो ने उनका स्वागत किया।

विजय ने एक लड़की को चुना व उसे एक कमरे मे ले गया।

एक अन्य लड़की मोहन को जबरन पकड़कर अपने साथ एक अन्य कमरे में ले गई ।

वह सारे कपउ़े उतारकर बिस्तर पर लेट गई और मोहन को निमंत्रण देने लगी।

मेाहन ने उसे अपनी रामकहानी सुनाने को कहा। वह सकपका गई । वह कुछ देर तक छुप रहकर मोहन को घूरने लगी |

तब मोहन ने कहा- ‘मै एक लेखक हूं। मै आपको अपनी आपबीती सुनाने पर सौ रूपये अधिक दूंगा |’

उस लड़की को जब मोहन पर भरोसा हो गया तो वह उठी | उसने अपने कपड़े पुनः ठीक से पहन लिए |

वह अपनी दास्तान सुनाने लगी - ‘बाबूजी मै एक गांव की गरीब लउ़की हूं । मुझे अपने गांव के एक युवक से प्यार हो गया। वह मुझे फिल्म मे काम दिलाने के बहाने यहां ले आया और मुझे एक फिल्मवाले के घर पर छोड़कर उससे रूपये लेकर भाग गया। फिल्म वाले मुझे काम दिलाने के बहाने एक दूसरे के यहां भेजने लगे । बडी मुश्किल से उनके चंगुल से भागकर मैने खुद को बचाया। कुछ फिल्म वाले इंसान के वेश मे खूनी भेड़िये हैं। यहां जितनी लड़कियां हैं सभी की कोई दुखभरी कहानी है।‘

उसकी दुखभरी दास्तान सुनकर मोहन ने उसे उसके रुपये दिए व भारी मन से चल दिया |

विनय ने उससे पूछा, “मोहन ! मजा आ गया ना!“

मोहन ने कहा, “मै जन्नत कहे जाने वाली दुनिया में रहने वाली मजबूर बेबस लड़कियों की असली कहानियां दुनिया के सामने लाऊंगा“|

दूसरे दिन विजय उसे दूसरी जन्नत मे ले जाने वाला था।

मेाहन ने कहा - ‘ मुझे किसी बहुत सस्ते वैश्यालय मे ले चलो । मै मजबूर वैश्याओं जिंदगी की कड़वी सचाई लोगो के सामने लाना चाहता हूं। ’

विजय ने मोहन को वैसी ही जगह छोड़ दिया।

मोहन ने एक अधेड़ औरत के कमरे मे प्रवेश किया।

वह अंधेरा सीलनभरा कमरा था। उसमे तीन नन्हे बच्चे खेल रहे थे। उन अभागे बच्चों को देख मोहन को उन पर तरस आया । कमरे को एक टाट के द्वारा दो भाग में बांट दिया गया था। एक कोने मे एक पुराना मटका रखा था | एक छोटी मोरी बनी हुई थी।

उस वैश्या ने मशीन की भांति लेटकर कहा, “बाबूजी अपना कम जल्दी ख़तम कर लो”|

वह पूर्णतया भावशून्य थी | इस पत्थरदिल दुनिया के हाथों खिलाई जाकर वह भी प्रस्तर की हिलती डुलती औरत थी |

मोहन ने कहा, “कृपया उठिए और मुझे अपनी रामकहानी सुनाइए कि किस तरह आप यहाँ आने को मजबूर हुई?”

पहले वह चौंक उठी । वह चुप होकर मोहन को अजनबी की तरह देखने लगी |

“बाबूजी मुझे अपनी पूरी जिंदगी में पहला मनुष्य मिला जिसका दिल गरीब बेबस के लिए धडकता है “उसका कथन दर्द व छिपे आंसुओं की कहानी कह रहा था|

“ मै एक लेखक हूँ व गरीब बेबस बेसहारा तन बेचने को मजबूर औरतों की वास्तविकता दुनिया को बताना चाहता हूँ “,मोहन ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा |

उसने अपनी पूरी राम कहानी सुनाई |

वह बोली - “क्या बताऊं बाबूजी ! मेरे पिता मजदूर थे। घर मे चार बच्चे व दो माता पिता थे।

एक दिन पिता का ट्रक से एक्सिडेंट हो गया। हम भूखों मरने लगे। गांव के एक युवक ने नौकरी के बदले मुझसे जबरदस्ती की । वह नौकरी दिलाने के लिए मुझे मुम्बई ले आया ।

यहां वह मुझे फिल्म वालों के यहां सप्लाई करने लगा। फिल्म वाले मुझे काम का झांसा देकर मेरा यौन शोषण करते रहे। फिर एक दिन मैं उनके चंगुल से भाग निकली किन्तु इन गुंडों का बड़ा भारी ग्रुप है । उन्होने मुझे ढूंढ निकाला । मुझे खूब मारा पीटा व मुझे इस जगह बेच कर चले गए। अब मेरे तीन बच्चे हैं” ।

वह फूट फूट कर रो पउ़ी ।

फिल्म दुनिया की बाहरी चमक के पीछे स्याह अँधेरे की अनेक अनसुनी अनकही कहानियां है । यहां कोई किसी का नही। सब पैसे के यार हैं।

अपने सुख के लिए इन्सान बेबस निर्धन लोगों की जिंदगी को नरक बना देता है | अनवरत क्षणिक सुखो की खोज में इन्सान दूसरों के प्रति पत्थर दिल होकर संवेदन शून्य हो जाता है | इन्सान के बनाए नकली दिखावटी मूल्यों के पीछे उसका शैतानी चेहरा छिपा रहता है |

 

बेटी
विजय के पास खूब दौलत हो गई किन्तु उसके घर में अपना कोई न होने के कारण वह घर उसे भूतों के डेरे के समान लगता था । उसे अपनी बेटी की याद आने लगी | वह इंदौर अपनी बेटी से मिलने पहुंचा । उसने अपने मित्र मोहन से अपनी बेटी के कालेज का पता पूछ लिया था |

वह उसके कालेज गया । उसने अपना परिचय प्राचार्या को दिया व बेटी को बुलाने की रेक्वेस्ट की । बेटी ने उसे बमुश्किल पहचान कर उसके पैर छुऐ ।

उसने बेटी को अलग ले जाकर बगीचे में बात की ।

‘बेटी! अब मेरा तुम्हारे सिवा कोई नहीं बचा है । मैं तुम्हें अपने साथ ले जाना चाहता हूं । ’

मीता अपनी मां के प्रेम संबंध से नाखुश थी । उसकी मां का प्रेमी उसे बुरी नजरों से देखता था । मां से उसकी शिकायत करने पर उसने इस समस्या पर ध्यान नही दिया । इससे मीता मां व प्रेमी दोनों से खफा थी ।

मीता ने कहा ‘पापा में भी आपको बहुत मिस करती हूं । में अब आपके साथ ही रहना चाहती हूं ।’

विजय को तो उसके दिल की मुराद ही मिल गई । उसने खुश होते हुए बेटी से कहा ‘ तुम तैयार रहना | कल हम दो बजे दोपहर की फ्लाइट से मुम्बई चल रहे हैं ।’

“माँ! मै अपने पापा के साथ मुंबई जा रही हूँ “, मीता ने अपनी मम्मी से कहा |

मीता के इस तरह अचानक विजय के साथ जाने से अरू के प्राण ही सूख गए ।

“अरे बेटी! तेरा बाप बहुत बुरा आदमी है | वह वैश्यावृत्ति करता है | उसके साथ रहने की सपने में भी मत सोचना “ अरु ने रोते हुए बेटी को रोकने ली मिन्नतें की |

किन्तु मीता अब बड़ी हो चली थी |

“मेरे पापा जैसे है, आखिर मेरे पिता है, मै अब उनके साथ ही रहूंगी “, मीता ने द्रढ़ता से अपना निर्णय अरु को सुना दिया|

उसने रो रोकर मीता को रोकने की चेष्टा की किन्तु मीता अपने निर्णय से जरा भी टस से मस नहीं हुई ।

दूसरे दिन बाप बेटी मुम्बई के लिए उड़ान पर थे ।

छे माह बाद अरू भी विजय के साथ आकर रहने लगी ।

लेखक के शीघ्र प्रकाशित अन्य ग्रन्थ

 

गुजरात की सर्वश्रेष्ठ ebook प्रकाशन संस्था “ मात्रभारती.कॉम पर प्रकाशित ग्रन्थ :

1 भारत के गावों में स्वतंत्रता आन्दोलन ( एक अनकही दास्तान) हिंदी व अंग्रेजी में

२ विद्रोहिणी ( हिंदी व अंग्रेजी )

३ पागल ४ शैतानियाँ ५ बुझे बचाओ (लड़कियों से, मीटू पुरुष )

निम्न लघु उपन्यास, कहानियां प्रकाशन हेतु तैयार है :

४ सुनहरा धोखा ( हिंदी व इंग्लिश )

५ जुआरी फिल्म प्रोड्यूसर

६ अमृत बूटी

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