प्रिय डॉलर,
प्रिय रोज़गार ,
प्रिय काला धन,
दिल तो जला हुआ है, फिर भी प्रिय लिख रहा हूँ। जब भी हम सीना फुलाते हैं, तुम सीन में आ जाते हो। लोग चीखने लग जाते हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमज़ोर हो गया। अपने मोहल्ले में हमारी बड़ी धाक है। सभी को लगता है कि हम ही मज़बूत हैं। हर बात में तुम्हीं को हराना ज़रूरी है क्या? यह ग़लत तरीका है। तुमको मज़बूत होना है तो अपने देश में जाकर होते रहो, यहां हमारे कपार पर आकर मत नाचा करो। तुम रूबलवा को हराओ न।
प्रिय डॉलर, एक बात ध्यान से सुन लो। अब ये नहीं चलेगा। पहले रिंग में तुम एक आते थे तो हमें पचास पहलवान भेजने पड़ते थे। एक दिन जब 60 पहलवानों को भेजना पड़ा तब पूरे देश में हंगामा हो गया कि ये कौन सी कुश्ती हो रही है। इससे तो हमारी साख ख़त्म हो जाएगी। लोग गुस्से में थे।लोगों ने सरकार बदल दी। अब बताओ एक डॉलर के लिए हमें 82 पहलवान भेजने पड़ रहे हैं। तुम हमें कमज़ोर क्यों साबित करना चाहते हो? हम और पहलवान नहीं बढ़ाना चाहते। मेरी कुश्ती का ख़र्चा बढ़ता जा रहा है। वैसे ही दूध, दही और घी महंगा हो चुका है।
प्रिय काला धन आरबीआई का ९.१० लाख करोड़ रूपया कहां गायब हुआ? बोले थे की लाएंगे विदेश से काला धन, लाए है चीता.
काला धन का सबसे बड़ा डॉन- इलेक्टोरल बांड ।
गुजरात में 1000 करोड़ से अधिक का काला धन पकड़ाया है। इसकी ख़बर कितनी छोटी छपी है। एजेंसी ने अपनी तरफ़ से वीडियो भी जारी नहीं किया है। कितना कुछ बरामद होने का दावा किया गया है मगर छापा किस कंपनी के यहाँ पड़ा है, उसका नाम तक नहीं है। अख़बार को पता नहीं चला या एजेंसी ने जानकारी नहीं दी? दूसरा सवाल, गुजरात में धर्म और राष्ट्रवाद की राजनीति कोई बीस साल से चल रही है। ये कारोबारी भी किसके समर्थक होंगे, समझा जा सकता है।
सरकार के लिए पारदर्शिता नया पर्दा है। इस पर्दे का रंग तो दिखेगा मगर पीछे का खेल नहीं। चुनावी चंदे के लिए सरकार ने बांड ख़रीदने का नया कानून पेश किया है। यह जानते हुए कि मदहोश जनता कभी ख़्याल ही नहीं करेगी कि कोई पर्दे को पारदर्शिता कैसे बता रहा है। पहले किसी राजनीतिक दल को 20,000 या उससे अधिक चंदा देने पर दाता का नाम ज़ाहिर करना होता था। राजनीतिक दलों ने एक खेल खेला। सारे चंदे को 20,000 से कम का बता दिया। चुनाव आयोग उनके झूठे दस्तावेज़ों के कबाड़ को पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर ढोता रहा। हम सभी तो आज तक ढो ही रहे हैं। इसके लिए आपको बस स्टेट बैंक आफ इंडिया की 52 शाखाओं से 1000, 10,000, 1,00000, 1,0000000 का बांड ख़रीदना होगा। आपके ख़रीदते ही आपका काला धन गुप्त हो जाएगा।
प्रिय रोजगार अब तो तुम बस खयालो में आते हो, भारत ने तो राम भरोसे छोड़ दिया..’, बेरोजगारी को ..
भारत के युवाओं,
गोदी मीडिया एकजुट होकर रोज़गार पर चर्चा करेगा। अब चर्चा प्रधानमंत्री की ज़्यादा होगी या रोज़गार की, जब चर्चा होगी तब मामला साफ़ हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने ट्विट कर गोदी ऐंकरों की पढ़ाई करवा दी है। रोज़गार पर कभी डिबेट तो किया नहीं, आज काफ़ी रिसर्च करना पड़ेगा। भारत देश में जब शादी की बात आती है तब लड़की पूछती है कि लड़का क्या कर रहा है, लड़के के पिता जी लड़की के पिताजी को कहते हैं कि मेरा लड़का इंजीनियर है, नौकरी नहीं है ? लड़की बोलती है कि मुझे शादी नहीं करनी.
इस रोजगार के मुद्दे ने तो लड़के और लड़कियों मैं शादी के लिए जो प्रेम और मान सम्मान था वह भी तोड़ दिया है.
भारत देश में हर साल 500000 से अधिक लड़के और लड़कियां इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करते हैं, फिर हमारे चौकीदार मंच और टीवी में आकर मन की बात करते हैं और कहते हैं कि हमने स्किल इंडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, इंजीनियरिंग करने के बाद स्किल इंडिया प्लेटफॉर्म में आइए और अपना समय हमारे साथ खराब कीजिए। अरे साधु जी नौकरियां चाहिए ,स्किल इंडिया नहीं चाहिए स्किल तो भारत के पास है.
गोदी मीडिया अब साधु संतों और चौकीदार की पूजा करते हैं उनको पूजा करने में बहुत मजा आता है. सर जी थोड़ी पूजा देश की भी कर लीजिए, भारत देश में हर एक वस्तु की कीमत है और यह बात गोदी मीडिया ने साबित कर दी. भारत देश में किसी भी वस्तु पर आप गर्व कर सकते हैं गोदी मीडिया पर गर्व नहीं कर सकते.
गोदी मीडिया ने समाज को अंदर से खोखला कर दिया है. हमारे प्रधानमंत्री कब खाते हैं, कब सोते हैं, कब मन की बात करेंगे, कब मोर को दाना डालेंगे, कब बाबा रामदेव बुलेट बाइक चलाएंगे, दूसरी बार अक्षय कुमार से इंटरव्यू कब होगा , बस यह बात जाननी है भारत देश को पूछना है तो प्रधानमंत्री से सवाल कीजिए कि साहब आप काम कितना करते हैं, आपके पास हर दिन 24 घंटे है तो 24 घंटे में आप कितनी बार मन की बात और रैलियों में नजर आते हैं, रोजगारी कब देंगे, एयरपोर्ट, रेलवे , एलआईसी ऐसी कितनी सारी कंपनी आपने बेच डाली तो आपका बस स्टॉप किधर आ रहा है।
भारत देश का मीडिया पूरी तरह से समाप्त हो गया है अब मीडिया में चमचे ही बचे हैं, टाई और सूट पहनकर जो हर रोज रात के 9:00 बजे आकर अपनी प्रामाणिकता चौकीदार के प्रति व्यक्त करते हैं। यह लोग आज के समय के बाहुबली है सरकार ने भले उनको नियुक्त ना किया हो वह अपने आप नियुक्त हो गए है और कहते हैं कि हम सरकार के गुंडे हैं।
2014 के पहले आप मीडिया पर गर्व कर सकते थे और 2014 के बाद आप देश की मीडिया पर गर्व नहीं कर सकते ,क्योंकि आप न्यूज़ चैनल में डिबेट देखते ही होगे और डिबेट में आम लोगो के मुद्दों पर चर्चा नहीं होती है अब धर्म के मुद्दे पर बहेश होती है इसलिए सांप्रदायिकता इंसान को मानवबॉम में बदल देती है और यह मानवबॉम आपके घर में विस्फोट हो सकता है।
भारत देश की जनता भाषण सुनते हुए तो थक गई अब बातों की राजनीति मत चलाइए मुद्दे पर आइए डिलीट करना है तो समाज और सांप्रदायिकता छोड़कर डिलीट कीजिए नौकरी और काला धन, उद्योगपतियों के कितने अजब लोन माफ किए उस पर बात कीजिए ठीक रहेगा.
मेरे पास m.a. की डिग्री है तो भारत देश को मन की बात में आप अपनी डिग्री दिखाइए, आप चाय बेचते थे तो उसका कुछ पुरावा भारत देश को मन की बात में दिखाइए, यह मन की बात कीजिए कि जब इलेक्शन आएगा तब कोरोना विदेश यात्रा पर जाएगा। आप हिंदू धर्म से जुड़े हुए नहीं हो, आप कांग्रेस और अन्य कोई पार्टी से हो, तो आपके घर में भी ईडी और सीबीआई का दरोड़ा हो सकता है, रात में जागते रहिए सोने की जरूरत नहीं है। थोड़े वक्त पहले ही नितिन गडकरी साहब नया-नया अग्निवीर बन गए हैं।
मैं देश नहीं मिटने दूंगा, भाईयो आपको ₹40 लीटर पेट्रोल दे उसको वोट देंगे कि ₹100 लीटर पेट्रोल दे उसको वोट देंगे, अब तो 120 के पार हो गया है। भाइयों और बहनों पेट्रोल के दाम कम हुए कि नहीं हुए. पेट्रोल अग्निवीर की परीक्षा दे रहा है और डीजल रॉकेट साइंस की तैयारी कर रहा है.