शाम का समय
मन्नत हॉस्पिटल
दमयंती का कुछ पेशेंट की पाइल्स में उलझी हुई थी तभी डॉ अमितेश उनके रूम में आते हैं ।
डॉक्टर वर्तिका को जरा भी खबर नहीं होती वह अपने में ही इतनी खोई हुई थी कि उसे पता ही नहीं चलता कि डॉक्टर अमितेश उसके केबिन में ही खड़े हैं ।
" डॉ. वर्तिका क्या आप फ्री हैं,,,, 7:00 बज रहे हैं,,,,"
डॉक्टर अमितेश की आवाज पर डॉक्टर वर्तिका को जैसे हो जाता है ।
" जी डॉक्टर अमितेश बस यह थोड़ा सा काम खत्म हो जाए ,,,,," वर्तिका ने अपने हाथ में बंधी हुई घड़ी पर एक नजर डालते हुए कहा ।
" बट आपको आपका प्रॉमिस तो याद है ना,,," अमितेश ने उसे सवालिया नजरों से देखते हुए कहा
" मैं यूंही किसी बात को नही भूलती और आप तो है ही मुझे सबकुछ याद दिलाने के लिये,,,, " वर्तिका नें एक फिकी मुस्कान के साथ कहा ।
" हा, हा,,,," वर्तिका की बात सुनकर डॉक्टर अमित्श हंस देते है ।
वही डॉक्टर वर्तिका कुछ ही देर में अपना काम खत्म करती है और अमितेश और वो नीचे पार्किंग एरिया में पहुचते है ।
अमितेश कार ड्राइव कर रहा था और उसके बगल में ही वर्तिका चुपचाप बैठकर विंडो से बाहर की तरफ देख नहीं होती है ।
" वर्तिका तुम हमेशा ही मेरे साथ ही ऐसा बिहेव क्यों करती हो मतलब तुम अच्छे से जानती हो कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए क्या है पर फिर भी कभी भी तुम कोई जवाब नहीं देती और मुझसे दूर दूर रहना पसंद करती हो तुम्हें पता है हमारी फैमिली भी एक दूसरे को कितनी अच्छी तरीके से जानती है और वह लोग भी यह चाहते हैं कि हम शादी के बंधन में बंध जाए पर तुम और तुम्हारे भाई को न जाने मुझसे क्या प्रॉब्लम है मैं सच में तुमसे बहुत प्यार करता हूं वर्तिका तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा,,,,," अमितेश ने अपने जज्बातों को वर्तिका के सामने जाहिर करते हुए कहा वर्तिका उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखती है ।
" मैं आपकी बहुत रिस्पेक्ट करती हूं डॉक्टर पर आप अच्छे से जानते हैं कि हमारे फैमिली में मैंने हमेशा आपको एक दोस्त की तरह ही ट्रीट किया है,,,, मैंने कभी भी आपको और आपके प्रपोजल को एक्सेप्ट नहीं किया मैंने आपसे कई बार कहा है कि मुझे आपके लिए कभी भी ऐसी फीलिंग नहीं आती है कि आप मेरे जीवनसाथी बनने के काबिल हैं या मैं आपके काबिल हूं,,,,,, मुझे कभी भी आपसे मोहब्बत नहीं हो सकती आप मेरे लिए हमेशा मेरे दोस्त हैं,,,,,"
" वर्तिका तुम मुझसे मोहब्बत करना ही नहीं चाहती अगर तुम मुझसे मोहब्बत करना चाहती तो बेशक तुम्हें मुझसे मोहब्बत होती तुम हमेशा मुझे अपना दोस्त ही बना कर रखना चाहती हो,,,,,"
" पता नहीं क्यों पर डॉक्टर मुझे जब भी आप कहते हैं कि आपको मुझसे मोहब्बत है तो मुझे लगता है कि शायद मोहब्बत जैसा कुछ होता ही नहीं,,,,, मुझे मोहब्बत शब्द से ही कुछ नफरत सी है,,,,,, मैं नहीं जानती क्यों पर यह नफरत मुझे हमेशा परेशान करती है,,,, आप अच्छे से जानते हैं कि 18 की उम्र तक मैं हमेशा रोमांटिक मूवीस देखना पसंद करती थी पर उसके बाद मुझे रोमांटिक मूवी देख कर सिर्फ और सिर्फ गुस्सा आता है,,,,, मैं न जाने क्यों इतनी उलझ गई हूं जब से मेरे साथ वो सब हुआ,,,, मेरे उस एक्सीडेंट के बाद,,,,," इतना कहकर वर्तिका शांत हो जाती है ।
वही अमितेश उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उसे कहते हैं -: " देखो वर्तिका वह एक्सीडेंट 4 साल पहले हुआ था और अब तो जिंदगी बहुत आगे बढ़ चुकी है पर तुम उस एक्सीडेंट की वजह से इतना मेंटली डिस्टर्ब हो चुकी हो कि शायद तुम अपनी जिंदगी में किसी को अपने साथ लाना ही नहीं चाहती और इसलिए तुम खुद को बांधना चाहती हो इन बेतुके तर्कों में,,,,,,,"
" पता नही,,, मुझे इन सवालों के जवाब नहीं पता है,,,," वर्तिका ने इतना कहकर अमितेश पर एक नजर डाली और फिर वापस खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगती है ।
अमितेश ने भी उसके हाथ से अपना हाथ हटा लिया वह जानता था कि चाहे वह कितनी भी कोशिश कर ले पर वर्तिका उसके इन सवालों के जवाब शायद नहीं दे सकती है और ना ही देना चाहती है इसलिए वह भी चुपचाप कार ड्राइव करने लगता है उसके मन में बहुत सारे ख्याल चल रहे थे । वह वर्तिका से बेहद प्यार करता था और इसलिए उसे दुनिया की हर खुशी देना चाहता था पर वह यह बिल्कुल नहीं समझता था कि वर्तिका उससे प्यार नहीं करती है वह बस चाहता था कि वर्तिका को अपने प्यार का एहसास दिलाया और एक ना एक दिन तो वर्तिका उसके प्यार को अपना ही लेगी पर अभी तक वह दिन नहीं आया था ।
कुछ ही देर में वह लोग एक रेस्टोरेंट के बाहर पहुंचते हैं अमितेश गाड़ी पार्किंग एरिया में लगाकर वर्तिका के साथ अंदर आ जाता है ।
" तो बताओ क्या खाना पसंद करोगी तुम,,,,,!! अमितेश ने मैन्यू कार्ड पढ़ते हुए कहा ।
" जो भी आप मंगवाना चाहे मंगवा सकते हैं मैं आपके साथ डिनर पर आई हूं तो आपकी ही पसंद का कुछ भी चलेगा,,,,,," वर्तिका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा और यहां वहां देखने लगती है रेस्टोरेंट में काफी सारे कपल और फैमिली वाले लोग बैठे हुए थे सभी लोग आपस में बातें करते हुए खाना खा रहे होते हैं । वर्तिका की नजर एक कपल पर ठहर जाती है वह दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बैठे हुए थे और एक दूसरे को बड़े ही प्यार से खाना खिला रहे होते हैं वह दोनों एक दूसरे के जूठा खाकर एक दूसरे से अपना प्यार जता रहे थे ।
वर्तिका कुछ देर तो उन दोनों को चुपचाप बैठ कर देती रहती है । फिर अचानक ही उसे महसूस होता है कि उसे यह सब देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं है वह तुरंत ही अपनी नजरें उन लोगों से हटा लेती है । अमितेश अभी भी वेटर को खाने की लिस्ट बता रहा होता है ।
" आप डिनर आर्डर कीजिए मैं अभी वॉशरूम जाकर आती हूं,,," वर्तिका ने इतना कहा और वहां से बिना अमितेश की प्रतिक्रिया जाने उठकर वॉशरूम की तरफ चली जाती है ।
वर्तिका वेटर से वॉशरूम का रास्ता पूछती है और तेज कदमों से वॉशरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है वह एक बार भी यह नहीं देखती की वह वॉशरूम जेंट्स है या लेडीस,,,,,
वर्तिका वॉश बेसिन के पास आकर नल को चालू कर देती है और लगातार पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारने लगती हैं उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह बिलकुल भी होश में नहीं है ।
उसकी सांसे तेज - तेज चल रही थी । आंखों से अचानक ही लगातार आंसू बहने लगते हैं ।
" क्यों मेरे सामने ऐसी चीज आती है जिन्होंने बर्दाश्त नहीं कर पाती आखिर क्यों क्या हो जाता है मुझे,,,, मुझे क्यों लगता है जैसे यह मोहब्बत वगैरह सब दिखावा है सब कुछ झूठ है एक छलावा,,, क्यों मुझे लोगों का एक कपल के रूप में रहना पसंद नहीं आता क्यों आखिर क्यों मुझे मोहब्बत से इतनी नफरत है,,,," वर्तिका ने रोते हुए कहा ।
वह समझ गई थी कि दोबारा उसे पैनिक अटैक आया है उसके हाथ पैर कांप रहे थे,,, आंखों से लगातार आंसू बह रहे होते हैं,,,, चेहरा एकदम लाल पड़ चुका था जोकि उसके गोरे रंग की वजह से था । उसे कुछ देर ही हुई थी कि तभी उसके सामने एक शक्स का हाथ आता है जो कि उसके आगे टिशू पेपर बढ़ाते हुए और नल को बंद करते हुए वह शख्स वर्तिका से कहता है ।
" इस तरह पानी वेस्ट करना गलत बात है चाहे वह नल से हो या फिर आंखों से,,,,,"
उस शख्स की बातें सुनकर वर्तिका अपने आंसुओं से सनी आंखों से उसकी तरफ देखती है सामने कोई और नहीं अविनाश ही खड़ा था जिसका पूरा ध्यान वाश बेसिन की तरफ था उसने अभी तक शायद एक बार भी वर्तिका को नहीं देखा था जबकि वर्तिका अविनाश को हैरान नजरों से देखने लगती है ।
जारी है