शेयरबाजार व फिल्मनिर्माण के व्यवसाय में तूफानी उतार चढाव की लोमहर्षक दास्तान
जुऐं की लत से परिवार के बर्बाद व फिर से आबाद होने की रोंगटे खड़े करने वाली कहानी
लेखक : ब्रजमोहन शर्मा
भूमिका
यह उप्पन्यास एक जुआरी फिल्म प्रोड्यूसर की है जो अपने जुए की लत के कारण अपना सबकुछ गवां देता है | उसका धन, उसका परिवार नष्ट हो जाता है, उसकी माता का देहांत हो जाता है, उसकी पत्नि व बेटी उसे छोड़ देते है, वह अपना घर गिरवी रखने को मजबूर होता है किन्तु उसकी जुए की, उसके शेयर की आदत नहीं छूटती |
किन्तु बहुत समय तक ठोकरें खाने के बाद फिर अचानक एक दिन उसका भाग्य पलटता है और उस पर धन की वर्षा होने लगती है किन्तु तब तक उसका सब कुछ लुट जाता है | वह अपने आलिशान बंगले में स्वयं को एक अकेले भूत के समान महसूस करता है |
इस कहानी में फिल्मशूटिंग, फिल्मो के रुपहले परदे के पीछे की अन्तरंग घटनाएँ,फिल्म में एक्ट्रेस बनने आई लड़कियों की वैश्यावृत्ति के दलदल में धकेले जाने की दर्द भरी कहानियां, अपने क्षणिक सुख के लिए शैतानो द्वारा मज़बूरी में वैश्यावृत्ति कराये जाने वाली महिलाओं की दिल दिमाग को सन्न कर देने वाली दास्तान व शेयर बाजार की बारीकियों व उसके ज्वार भाटे का वर्णन किया गया है |
फिल्म निर्माण व शेयर बाज़ार के तूफानी उतार चढाव की अत्यंत लोमहर्षक दास्तान के लिए पढ़िए, "जुआरी फिल्मप्रोड्यूसर " लेखक ब्रजमोहन शर्मा present on all social Media
(1)
प्रेम विवाह
लाल ने विजय के विरूद्ध पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी ।
उसने लिखाया कि विजय ने उसकी लड़की अरू का अपहरण करके जबरन अपने घर में कैद कर रखा हे ।
लाल एक प्रसिद्ध स्कूल मे अध्यापक थे । विजय उनका लाड़ला चेला था । वह लाल के घर के मेम्बर के समान था । वह नित्य लाल के घर आता जाता रहता था ।
लाल की बेटी अरू अनिंद्य सुंदरी थी । वह लंबी छरहरे बदन, तीखे नाक नक्श व सफेद मार्बल के रंग की सुंदर युवती थी । विजय व अरू में प्यार होना स्वाभाविक था । वे हमउम्र्र थे | विजय एम॰ काम॰ कर चुका था व अरू गणित मे एम एस॰. सी. थी ।
अरू के कहने पर विजय ने लाल के सामने अरू से विवाह का प्रस्ताव रखा । लाल ने गंभीर होकर कहा ‘विजय मै तुम्हे बहुत पसंद करता हूं किन्तु एक बड़ी मुश्किल है । तुम्हारी जाति अलग है ।’
विजय ने कहा ‘ सर मैं भी वैश्य और आप भी वैश्य हैं ।’
‘किन्तु उपजाति अलग होने से यह अंतर्जातीय विवाह कहलाएगा । अलग उपजाति में विवाह करने पर वैश्य अघोषित रूप से उस परिवार को जाति से निष्कासित कर देते हैं । उनकी अन्य संतानों का विवाह नहीं होता है । जाति का कोई व्यक्ति ऐसे परिवारों से रिश्ता नहीं रखता हे । जन्म मरण व विवाह में उनके यहां कोई नहीं आता न उसे अपने यहाँ बुलाता है । ’
विजय : ‘सर मुम्बई में तो रोज सैकड़ों अंतर्जातीय विवाह होते हैं । कोई भी जात बिरादरी को नहीं पूछता ।’
लाल बेरुखी से कहा, ‘ ये मुम्बई नहीं हे । मेरी और भी बेटियां हैं । मैं यह रिस्क नहीं ले सकता । लाल ने साफ मना कर दिया ‘।
तब विजय के मामा ने लाल को बहुत समझाने की कोशिस की।
उन्होंने कहा, “ देखिए श्रीमानजी आप भी वैश्य हैं, हम भी वैश्य है | आप भी वणिक और हम भी वही |
यदि बुरा ना माने तो हमारा आर्थिक स्टेटस आपसे बेहतर है |
“देखिए श्रीमानजी! हिंदुस्तान में जातिप्रथा अभी भी बहुत कठोर है | हमारी वैश्य जाति तो एक है किन्तु आपकी और हमारी उपजातियां अलग अलग है | अन्य उपजाति में विवाह करना निषिद्ध माना जाता है | क्या किया जाए मै समाज की कुरीतियों के आगे मजबूर हूँ | मेरी और भी बेटियां हैं | इस विवाह के द्वारा मै उनके विवाह में आने वाली समस्याओं का अंदाजा लगा सकता हूँ “, लाल ने कहा |
इस पर मामा ने कहा, “ श्रीमानजी आपको मालूम होना चाहिए कि अरु व विजय एक दुसरे से बेहद प्यार करते हैं |
कृपया उनके प्यार के बीच में बाधा उत्पन्न करने के बजाय उसे सुन्दर रिश्ते में बदलने की दिशा में कदम आगे बढाइये |
किन्तु लाल किसी भी सूरत में राजी नहीं हुआ ।
इस पर कुछ दिन बाद विजय व अरू ने आर्यसमाज मंदिर मे विकार लिया |
अरू की मां तो इस विवाह से खुश थी किन्तु लाल को बड़ा गुस्सा आया और उसने विजय के खिलाफ थाने मे रिपोर्ट लिखा दी । अरू ने इन्सपेक्टर को अपनी सफाई दी कि उसने अपनी मर्जी से विवाह किया है व वे दोनो बालिग हैं । इस पर लाल की आपत्ति खारिज हो गई । विजय ने विवाह की बडी शानदार पार्टी दी । अरू की मां ने दोनों को आशिर्वाद दिया किन्तु लाल पाटी में नहीं गया ।
एक सप्ताह बाद उन दोनों ने मुम्बई के लिए ट्रेन पकड़ ली ।
पागल
(सन १९२५)
विजय मुम्बई का रहने वाला था । उसकी वहां एक बड़ी बिल्डिंग थी ।
उसकी माता लीला एक अत्यंत सुन्दर महिला थी । विजय के पिता का नाम रवि था । रवि ऐक पागल था । विवाह होने तक यह तथ्य छुपाया गया । बाद में कुछ नहीं किया जा सकता था । उन दिनों तलाक के विषय में कोई सोच भी नहीं सकता था |
रवि सड़क पर नाचता गाता था । बच्चे उसे चिढ़ाते । वे उसकी नकल करते । कुछ युवक उसकी पीठ पर मार कर “ पागल हे”, “पागल हे” कहते हुए भागते | रवि उनके पीछे दौड़ लगाता किन्तु तभी कोई अन्य लड़का उसके कपड़े खींचकर भागता | वे सभी उसे तरह तरह से चिढाते |
रवि उन्हे पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ता । कुछ लड़के उस पर पत्थर फेंकते, कोई अन्य लडका उसके सर पर जोरों से मारता । शरारती बच्चों और युवकों के लिए वह ऐक तमाशा था ।
अनेक बार वह बिना बताए कहीं अनजान जगह निकल जाता व बहुत ढूंढने पर कही किसी सुनसान जगह पर गढ्ढे में लहूलुहान मिलता |
उसकी माँ उससे कहती, “ बेटा ! यह दुनिया बड़ी जालिम है | दुनिया वालों को सबसे अधिक सुख बेबस दीन हींन लोगों को सताने में मिलता है | तू किसी भी सूरत में बाहर मत निकला कर” | किन्तु रवि एक दो दिन बाद फिर चुपके से सड़क पर बाहर आ जाता और घर से दूर निकल जाता | “
समाज में लोगो के मन में एक बेबस पागल के प्रति सहानुभूति व दया के बजाय क्रूरता व हिंसा से मनोरंजन प्राप्त करने की भावना भरी हुई है | बचपन से ही बच्चों के मन में दूसरों पर हिंसा करके सुख प्राप्त करने के बिज बो दिए जाते हैं |
पड़ोस में ही विजय का एक काका रहता था । वह एक कुरूप इंसान था किन्तु वह बैंक मेनेजर था । उसके कोई संतान नहीं थी । लीला व काका के बीच रोमांस चलने लगा ओर लीला ने अपना सब कुछ काका को समर्पित कर दिया ।
कुछ समय बाद रवि घर से गायब हो गया । उसकी बहुत खोज की गई किन्तु उसका कोई पता नही चला । अनेक लोग कानाफूसी करते थे कि काका ने उसे ऐसी जगह छुडवा दिया जहां से वह लौट न सके ।
रवि के जाने के बाद विजय का जन्म हुआ । बच्चे के नार्म्रल होने से सब घर वालों ने राहत की सांस ली । छे वर्प का होने पर विजय को अपने नाना के यहां इंदौर भेज दिया गया । विजय ने वहीं अपनी शिक्षा पूरी की व बाद मे अरू से विवाह कर लिया ।
मौज मजे
विजय व अरू मुम्बई मे अपने नये विवाह का आनंद ले रहे थे ।
वे रोज चौपाटी पर समुद्र किनारे जाकर लहरों की फुहारों का आनंद लेते ।
वे वहां भेल पुरी व तरह तरह की जायकेदार चाट का आनंद लेते । फिर वे डबलडेकर बस में बैठकर घर लौटते और रास्ते में पूरे बम्बई शहर का नजारा देखते |
किसी दिन वे जू जाकर तरह तरह के जीव जानवरों को देखकर उनकी नकल उतारते ।
शाम को वे चौपाटी पर घोड़े, हाथी व ऊंट की सवारी का मजा लेते ।
एक अन्य दिन वे प्रसिद्ध इक्वेटोरियम गए व उन्होंने तरह तरह की मछलियाँ व अन्य प्राणी देखे |
बाद में उन्होंने प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन किये |
इस तरह एक सप्ताह में विजय ने अरु को मुम्बई के सभी दर्शनीय स्थल दिखा दिए |
फिल्म व्यवसाय
विजय ने बैंक की नौकरी छोड़कर फिल्म लाइन में अपना केरियर आजमाने का निश्चय किया ।
फिल्म लाइन में एंट्री कोई मामूली बात नहीं थी । लोगों को बरसों पापड़ बेलना पउ़ते हैं किन्तु विजय के लिए यहां लाभ की स्थिति थी । उसके दो मामा फिल्म व्यवसाय से जुड़े हुए थे । विजय की मां के उनके ऊपर बहुत उपकार थे । मामा ने विजय को अपनी संस्था का एउवर्टाइजमेंट मेनेजर बना दिया । धीरे धीरे उसे पूरे इंडिया में फिल्मो के वितरण का काम भी सौंप दिया । विजय बड़ा मिलनसार व दोस्त बनाने की प्रवृत्ति का इंसान था | उसने पूरे फिल्म वर्ल्ड में अच्छे खासे दोस्त व संबंध बना लिए ।
एक साल बाद ही उसने अपने खुद का व्यवसाय प्रारंभ करने का जोखिम उठा लिया । उसके पास थोड़ा ही धन था । उसने एक बहुत पुरानी अंग्रेजी फिल्म खरीद ली । यह एक स्टंट फिल्म थी जिसमें कई उत्तेजक दृश्य थे । उसमें मार धाड़ व सेक्सी सीनो की भरमार थी । वह फिल्म एक दो बार बहुत पहले थियेटरों में चल चुकी थी । उसने थियेटर मालिकों व डिस्ट्रिब्यूटरों से फिल्म चलाने के विषय में बात की ।
लेकिन वे तैयार नहीं हुए । विजय ने उन्हे मोटे मुनाफे का भरोसा दिलाया । इस पर वे फिल्म को चलाने के लिए तैयार हो गए ।
विजय ने फिल्म चलाने के एक सप्ताह पूर्व खूब प्रचार किया । इसके लिए उसने हाथ ठेलों व तांगों पर फिल्म के पोस्टर लगवाकर पुरे शहर में प्रचार किया | साथ में उसने हाकरो को जोकर की ड्रेस पहनाकर पूरे सीटी में विज्ञापन करवाया । शहर के चौराहों पर हाट सेक्स सीन व मारधाड़ दर्शाते हुए बड़े बड़े बोर्ड लगवा दिए ।
इस प्रचार टेकनिक का जादुई प्रभाव हुआ । देखते ही देखते पहले दिन से ऐसी भीड़ उमड़ी तो सारे शो हाउसफुल जाने लगे । ब्लेक में टिकिट बेचने वालों की चांदी हो गई ।
अधिकांश दर्शक अंग्रेजी की ‘क’ ‘ख’ ‘ग’ भी नहीं समझते थे किनतु जिस दिलकश चीज के लिए वे आए थे, उसकी उस फिल्म में भरमार थी । थोउ़ी थोड़ी देर में किसी मारधाउ़ पर या हाट सीन पर पूरे हाल में तालियां व सीटियों की आवाजें आती रहती थी ।
विजय और उसके सहयोगियों के खजाने में खूब रूपया बरस रहा था ।
पूरे देश में इस फिल्म की जबर्दस्त मांग हो रही थी ।
विजय भारत के अनेक शहरों मे प्लेन से उड़ रहा था ।
विजय ने दो औेर स्टंट व सेक्सी सीनों से भरमार वाली फिल्में इसी प्रकार प्रचार के जादुइ्र चिराग से चलवाकर खूब सोना बटोरा ।
अगली बार विजय ने एक अंग्रेजी साहित्य की उच्च कलात्मक फिल्म खरीदी ।
उसे इस फिल्म की काफी ऊंची कीमत देना पड़ी ।
उसने उसके प्रचार में खूब पैसा बहाया ।
पहले दिन फिल्म में अपार भीड़ उमड़ी । अगले दिन दर्शकौं की निगेटिव रिपोर्ट से पूरा सिनेमाघर खाली रहा ।
अंगुलियों पर गिने जाने वाले दर्शक ही फिल्म देखने आ रहे थे ।
विजय ने फिल्म से सम्बंधित पोस्टरों की संख्या बढा दी | अख़बारों में खूब विज्ञापन दिए किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ |
विजय व उसके सहयोगियों को भारी घाटा उठाना पड़ा । उसकी सारी मेहनत व चतुराई पर पानी फिर गया । दुनिया में असली कला के कद्रदान बहुत कम लोग होते हैं । प्लेन से उड़ने वाला विजय अब पैदल सड़कों पर खाक छान रहा था ।
फिल्म व्यवसाय में काम करने वालों की किस्मत इतनी जल्दी बदलती है ।
ज्योतिष सलाह
विजय ने अपनी समस्या के लिए किसी ज्योतिषी की सलाह लेने का विचार किया ।
उसका मित्र मोहन प्रसिद्ध ज्योतिषी था ।
उसकी जन्म पत्रिका देखकर मोहन ने कहाः
‘तुम्हारे पंचम घर शुभ ग्रह बैठे हैं । किन्तु उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि हे । अतः आप को सफलता तो मिलेगी किन्तु साथ ही थोड़ी सी गलती से घाटे की भी संभावना है । अतः आपको धंधा बड़ी सावधानी से करना चाहिए ।
विजय ने पूछा ‘ मुझे सिनेमा के अलावा और किस धंधें में स्कोप हे ?’
‘तुम शेयर मार्केट में भी अपनी किस्मत आजमा सकते हो ?
इसके अलावा आप फाइनेंस एडवाइजर के रूप मे काम कर सकते हो ।’
विजय ने शेयर मार्केट में अपना भाग्य आजमाने का फैसला किया क्योंकि वह शीघ्र पैसा बनाने का बड़ा साधन था ।
विजय ने मित्रो से कुछ रूपये उधार लेकर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने का फैसला किया । पैसा बनाने का यह सबसे सुगम, फास्ट कितु बड़ा जोखिम भरा रास्ता है ।
उसने एक ब्रोकर के यहां अपना खाता खुलवाया । उसे एक कोड नं. दिया गया । इसे बताकर वह शेयरों की खरीदी बिक्री कर सकता था ।
मोहन को शेयर बाजार का काफी ज्ञान था । उसने विजय को निम्न हिदायतें दी :
1 तेज भाव में कभी मत खरीदो वरन् मार्केट की तेजी में बेचो ।
2 मंदी में खरीदे शेयर को तेजी में बेचो ।
3 हमेंशा ब्लू चिप कंम्पनी के शेयरों को खरीदो ।
4 साथ ही मिक्स्ड बेग यथा सीमेंट, मेटल, काटन, एफएमसीजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि को मिलाकर अपना पोर्टफोलियो बनाना चाहिए ।
5 भीड़ के विपरीत चलें । अर्थात् जब सब खरीदें, तब बेचें | जब सब बेचें तब खरीदे ।
6 जब उलझन हो तो अनुभवी विषेषज्ञ की राय लें ।
उस समय माक्रेट बउ़ी तेजी से उपर जा रहा था । मार्केट मे एंट्री लेने के पूर्व विजय ने मोहन से फोन पर राय ली ।
मेाहन ने कहा, अभी मार्केट तेज है, कोई खरीदी नहीं करें । एक हजार पाइंट नीचे आने पर खरीदना शुरू करें ।
एक माह बाद मार्केट तेजी से नीचे आया । सभी शेयर्स में भारी गिरावट हो गई ।
मार्केट और नीचे गया । उसने कुछ और शेयर कम भाव में खरीद लिए ।
करीब एक माह इंतजार करने के बाद अचानक मार्केट ने यू टर्न लिया और मार्केट ऊपर भागने लगा ।
बाजार में तेजी का अंधड़ चल रहा था ।
एक माह मे उसका पैसा 30 प्रतिशत बढ़ चुका था ।
अगले माह उसकी रकम दुगने से अधिक हो चुकी थी ।
चार माह बाद उसकी रकम कई गुना बढ़ गई ।
फिर एक दिन मार्किट तेजी से नीचे आने लगा ।
विजय ने मोहन को फोन किया । मोहन ने कहा ‘ यह फेज बुल ट्रेप हो सकता है । तेजी में बुल(तेजड़िए) भारी मात्रा मे कुछ समय के लिए शेयर बेचकर मार्केट को नीचे ले आते हैं ऐसे में घबराहट मे कई भयभीत इन्वेस्टर अच्छे शेयर बेचकर बाहर निकल जाते है । बुल उन्हे खरीद कर फिर मार्केट बढ़ा देते हैं ।
विजय ने तीन दिन बाद सभी शेयर बेचकर भारी मुनाफा कमाया । सारा कर्जा उतारने के बाद भी उसके पास ढेर रूपया बचा था ।