Ziddi Ishq - 19 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 19

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ज़िद्दी इश्क़ - 19

"अब क्या तुम मुझे मारोगे की मैं ने तुम्हारा मज़ाक़ बनाया।"

महिलाओं से बचने की कोशिश करते हुए थक हार कर बोली।

बिल्कुल नहीं मैं तुम्हें मारूंगा नहीं मेरे पास तुम से बदला लेने के लिए और भी तरीके हैं।

मांस उसके होठों को देखते हुए मीनिंग फुल अंदाज़ में बोला।

माहेरा उसकी बात सुन के नासमझी से उसे देखने लगे और फिर सेल वाला वाक्य याद आने पर जल्दी से बोली।

"क्या तुम दोबारा मुझे सेल में बंद करोगे?"

वोह जो अभी बोल रही थी माज़ ने आगे बढ़ कर अपने एक हाथ को उसके बाल में डाल कर उसे खुद से करीब किया और उसके होंठो को अपनी गिरफ्त में ले कर उसकी सांसे रोक दी।

"मैं इस तरीके की बात कर रहा था मिसेस खान।"

बोलते ही माज़ ने माहेरा को उसके बालो से पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया और पूरी शिद्दत से उसके गालो को चूम लिया।

म......माज़......

माहेरा उसका दहकता हुआ स्पर्श महसूस करके हल्के से मिनमिनाई।

उसकी पुकार को नज़र अंदाज़ करते हुए माज़ ने उसके दूसरे गाल को भी पूरी शिद्दत से चूम लिया और फिर उसके होंठो को देखते हुए एक बार फिर से उसकी सांसे कैद करली।

जबकि माहेरा उसकी इस हरकत पर सिर्फ फड़फड़ा कर रह गयी।

उसके होंठो को आज़ाद करते हुए माज़ उसकी गर्दन पर झुका और अपने होंठो से जगह जगह अपनी मोहब्बत के स्पर्श छोड़ रहा था। वोह मदहोश सा माहेरा के वजूद में गुम था जब उसके फोन की बेल बाजी।

माहेरा से दूर होते हुए उसने फोन को ऐसे घूर कर देखा जैसे फोन करने वाले आदमी को देख रहा हो।

उसने माहेरा का चेहरा देखा और उसे लम्बी लम्बी सांसे लेते देखा तो झुक कर उसके माथे पर किस करके उसे आराम करने का कह कर अपना फोन ले कर कमरे से बाहर चला गया।

माहेरा ने माज़ के जाते ही अपने शर्म से लाल जलते हुए गालो पर अपने ठंडे हाथ रखे और माज़ क वापस आने के बारे में सोच सिर तक ब्लैंकेट डाल कर लेट गयी। वोह अपनी तेज़ी से धड़ते दिल की धड़कने साफ सुन रही थी।

..............

इस वक़्त सब डाइनिंग टेबल पर नाश्ता कर रहे थे जबकि माहेरा खाते हुए शेर खान से बाते कर रही थी।

माज़ ने एक नज़र उसे देखा जो खाते हुए बोल रही थी और एक नज़र शेर खान को देखा जो उसकी बात सुन कर मुस्कुरा रहे थे।

यह सब देख कर रामिश ने माज़ को केहोनी मार कर इशारा किया।

माज़ थोड़ा उसकी तरफ झुका तो रामिश बोला।

"इस छोटी डॉन को मास्टर से दूर ही रख वरना इस घर मे हमारा जीना दूभर हो जाएगा।"

"मैं भी यही सोच रहा हु।"

माज़ ने माहेरा को देखते हुए कहा।

"तुम दोनों नाश्ता क्यों नही कर रहे।"

शेर खान ने उन दोनों को खुसफुसाते देख कर पूछा।

"कर रहे है।"

वोह दोनो जल्दी से ठीक से बैठे हुए एक साथ बोले।

"माज़ और रामिश तुम दोनों नाश्ते के बाद मुझे स्टडी रूम में मिलो मुझे तुम दोनों से बात करनी है।"

शेर खान बोलते हुए कुर्सी से उठे और अपने कमरे की तरफ चले गए।

माज़ ने एक नज़र रामिश को देखा जो उसे ही देख रहा था। वोह दोनो जानते थे अब वोह क्या बात करने वाले है।

रामिश ने उसे कुछ इशारा किया और वहां से चला गया।

"माहेरा आज तुम फ्री हो या क्लासेस लेनी है तुम्हे?"

माज़ ने अपने पास बैठी माहेरा से पूछा।

"क्यों तुम्हे मुझे पढ़ाना है? या काम करवाना है?"

माहेरा ने कॉफी पीते हुए जवाब दिए बिना उससे पूछा।

वोह माहेरा ही क्या जो माज़ को सीधा जवाब देदे।

"हाँ ज़रूर अगर तुम चाहो तो जैसी क्लासेस मैं ने रात में तुम्हे दी थी वैसी दे सकता हु।"

उसकी बात सुनकर माज़ ने उसे रात वाला वाक्या याद दिलाते हुए कहा। जबकि उसकी बात सुनकर माहेरा का चेहरा लाल हो गया।

वोह मुंह बनाते हुए माज़ को खा जाने वाले अंदाज़ में देख कर बोली।

"कोई ज़रूरत नही आज मेरी दो क्लासेस है। मैं दो बजे तक फ्री हो जाउंगी अब बताओ क्यों पूछ रहे हो?"

"ह्म्म्म....जब फ्री हो जाओगी तो रोज़ी के साथ लॉन में चली जाना।"

माज़ ने अपनी मुस्कुराहट दबा कर उसके लाल चेहरे को देखते हुए कहा।

सच्ची.......हाये शुक्र है मुझे लगा था मैं इस मेंशन में ही मर जाउंगी लेकिन बाहर नही जा पाऊंगी।"

माहेरा जो खुशी से बोल रही थी तभी माज़ ने उसके बालो में हाथ डाल कर उसे खींचा। माहेरा उसके अचानक ऐसा करने घबरा गई।

"अगर दोबारा तुमने मारने की बात की तो याद रखना तुम्हारी जान मैं अपने हाथों से लूंगा।"

माज़ ठंडी आवाज़ में बोला और उसके चेहरे पर झुक कर उसकी सांसे कैद कर गया। दो मिनट बाद वोह पीछे हटा और माहेरा के लाल चेहरे को देख कर उसके माथे पर किस करके वोह वहां से चला गया।

माहेरा ने उसके जाने के बाद अपने आस पास देखा वहां कोई है तो नही। "शुक्र है यहां कोई नही है।"

बेशरम इंसान........वोह बड़बड़ाती हुई अपनी कुर्सी से उठी और अपने कमरे में चली गयी। अगर उसे पता होता कि मरने की बात माज़ को गुस्सा दिला देगी तो वोह कभी ना कहती लेकिन माज़ को अपने लिए फिक्र करते देख उसके दिल मे गुदगुदी होने लगी थी।

माज़ और रामिश स्टडी रूम बैठे शेर खान को माहेरा के बारे में बता रहे थे।

"तो तुम्हारा मतलब है तुम माहेरा से मोहब्बत नही करते तुम सिर्फ उसकी जान बचाने के लिए उससे शादी की थी।"

उनकी बात सुनने के बाद शेर खान ने माज़ से पूछा।

"नही डैड......वोह.....पहले मैं ने उसकी जान बचाने के लिए शादी की थी लेकिन अब मैं उसे पसंद करता हु।"

माज़ थोड़ा गड़बड़ाते हुए बोला।

"तुम कहना चाह रहे हो जो चीज़ तुम्हे पसंद आएगी तुम उसे अपने पास रख लोगे और जब तुम्हारा दिल भर जाएगा तुम उसे छोड़ दोगे।"

शेर खान की बात सुनकर माज़ अपने बालों में हाथ फेरते हुए बोला।

"बिल्कुल नही डैड वोह कोई चीज़ नही है और मैं उसे पसंद करता हु। मैं उसे कभी छोडूंगा नही और ना ही खुद से दूर जाने दूंगा।"

"तुम्हारे मुताबिक वोह इंडिया से यहां पढ़ाई करने आई थी तो उसकी फैमिली इंडिया में है उसे कभी ना कभी तो उनके पास जाना ही होगा। तुम कैसे उसे अपने पास रखोगे।"

माज़ जो शेर खान की बात सुन कर बोलने ही वाला था शेर खान ने हाथ के इशारे से उसे रुकने के लिए कहा और अपनी बात जारी रखी।

"वोह अपनी फैमिली के पास वापस जाना चाहेगी और जब तुम उसे उसकी फैमिली के पास जाने नही दोगे तो वोह फिर यह से भागने की कोशिश करेगी।"

"मैं उसे कभी खुद से दूर नही जाने दूंगा डैड। वोह सिर्फ मेरी है अगर उसे कैद करके भी मुझे अपने पास रखना पड़ा तो मैं उसे कैद करके ही रखूंगा लेकिन मैं उसे खुद से दूर जाने नही दूंगा। जिस दिन से मैं ने उससे शादी की है उस दिन से वोह मेरी मिल्कियत बन गयी है। अब किसी ने भी मुझे उससे दूर करने की कोशिश की तो मैं उसे ज़िंदा गाड़ दूंगा।"

शेर खान की बात सुनकर माज़ अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोला जबकि उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था।

फिलहाल इस बात को छोड़ो जब वक़्त आएगा तब देख लेंगे अब जब तुमने माहेरा को ब्रिसलेट दे दिया तो तुम उसूल भी जानते होंगे।

"अब तुम्हे सब गैंग के लीडर को बुलाना होगा ताकि तुम सबको बता सको की तुमने शादी कर ली है ताकि कोई उस पर हमला करने की हिम्मत ना करे। अब जब तुमने माहेरा से शादी कर ली है और उसकी जान को भी खतरा है तो मैं चाहता हु की तुम कल ही पार्टी का इंतेजाम करो ताकि सबको पता चल जाये माहेरा तुम्हारी बीवी है।"

"ठीक है डैड।"

माज़ ने उनकी बात सुनकर अपना सिर हिलाया।

"और रामिश अब तुम बताओ क्या तुमने भी सोफ़िया की जान बचाने के लिए उससे शादी की थी?"

शेर खान ने अपना रुख रामिश की तरफ किया जो खामोशी से उनकी बाते सुन रहा था।

"वोह......मैं.....हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे इसीलिए हम ने शादी करली।"

रामिश एक पल के लिए गड़बड़ाया और फिर फिर जल्दी से सम्भल कर बोला।

"और वोद लड़की इतनी आसानी से तुम्हरे साथ शादी करने के लिए तैयार हो गयी। मैं नही मानता चलो अब जल्दी से मुझे सही बात बताओ। माज़ ने तो बता दिया है अब तुम भी बता दो।"

शेर खान ने उसकी बात सुनकर इएब्रो उचकाते हुए पूछा।

"वोह मैं ने उससे कहा था अगर आज उससे मुझ से शादी नही की या इनकार किया तो मैं दोबारा उससे कभी नही मिलूंगा। वोह भी मुझ से प्यार करती थी इसीलिए मान गयी। इसके बाद में ने कुछ नही कहा और सोफ़िया इस वक़्त आपने घर पर है।"

रामिश अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए बोला।

"चलो ठीक तुम्हारी बीवी यही रहती है और तुमसे प्यार भी करती है। तुम दोनों खुश हो तो मुझे कोई प्रॉब्लम नही है।...........अब तुम दोनों जा सकते हो।"

शेर खान की बात सुनकर वोह दोनो अपनी अपनी जगह से उठे और बाहर चले गए। माज़ रामिश से कल की पार्टी का इंतज़ाम करने और सबको इनविटेशन भेजने का कह कर अपने कमरे में चला गया।

वोह कमरे में एंटर हुआ तो माहेरा ड्रेसिंग रूम से निकल रही थी। उसे अपने सामने खड़े देख कर माहेरा ने माज़ से पूछा।

"माज़ क्या तुम्हें गंजी लडकिया पसंद है?"

क्या माहेरा माज़ का जुनून देख कर उसके साथ रुकने के लिए तैयार हो जाएगी या वोह फिर उससे दूर जाने की कोशिश करेगी?