Ziddi Ishq - 18 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 18

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ज़िद्दी इश्क़ - 18

माज़ और रामिश भागते हुए अंदर आये तो देखा शेर खान सीरियस एक्सप्रेशन के साथ सोफे पर बैठे थे। उनके सामने सोफे पर माहेरा अपना सिर झुकाए बैठी अपनी नाखूनों से खेल रही थी।

"डैड व्हाट आ सरप्राइज आप ने बताया नही आप जल्दी वापस आ रहे है।"

माज़ ने माहौल को ठीक करने के लिए कहा और शेर खान के पास जाने ही लगा था की शेर खान ने उसे हाथ के इशारे से वही रुकने के लिए कहा और एक ठंडी नज़र माज़ और उसके पीछे खड़े रामिश पर डाली।

"माज़ क्या येह लड़की सच कह रही है तुमने एक साल पहले इस शादी की है और मुझे बताया भी नही।"

शेर खान ने ठंडे लहजे में माज़ से पूछा जबकि माज़ जो शेर खान से ना मिलने से परेशान था उनकी बात सुनकर उसने ठंडी नज़र उस छोटी पैकेट पर डाली जो उनके बीच आग लगा कर सुकून से बैठी थी।

"डैड येह बात सच है कि मैं ने इससे शादी की है मगर......."

"बस....इतनी बड़ी बात तुम ने मुझ से छुपाई तुम एक बार बताना तो क्या पूछना भी गवारा नही किया।"

माज़ जो अभी बोल रहा था शेर खान ने उसकी बात काटते हुए कहा।

"डैड....वोह.....मैं आपको सारी बात बताता हूं। मैं ने अभी एक महीने पहले ही शादी की है। आप मेरी बात समझने की कोशिश करे।"

माज़ उनकी बात सुन कर जल्दी से बोला।

"चलो ठीक है तुम ने मुझे नही बताया लेकिन तुम ने इस लड़की को कैद कर के क्यों रखा।"

शेर खान ने माज़ के परेशान चेहरे को देखते हुए कहा।

"मैं आपको सारी बात डिटेल्स में बताऊंगा डैड....."

"ठीक है अब मुझे येह एक्सप्लेन करो तुम ने इस लड़की को धक्का क्यों दिया। देखो उससे सही से चला भी नही जा रहा है।"

शेर खान की बात सुन कर माहेरा को मज़ा चखाने का उसका इरादा और मजबूत हो गया था।

"मास्टर हम बाद में आपको सारी बात डिटेल में बताने वाले थे। हम आपके आने का इंतेज़ार कर रहे थे ताकि आपको सारी बात बता सके।"

माज़ की जगह रामिश ने उन्हें जवाब दिया।

रामिश की आवाज़ सुनकर माहेरा ने अपना सिर उठाया और आंखों में चमक लिए मसुमियत से बोली।

"रामिश भाई अपने मुझ से वादा किया था कि आज आप मुझे अपनी बीवी से मिलवाएंगे। कहा है वोह? क्या वोह नही आई?"

जबकि रामिश जो येह सोच कर पुर सुकून था कि माहेरा ने उसके बारे में शेर खान को नही बताया है। वोह बाद में उन्हें सब बता देगा। माहेरा "छोटी डॉन" की बात सुन कर वोह गडबड़ा गया।

"अरे वाह रामिश तुम भी.....तुम अपनी बीवी से मुझे कब मिलवा रहे हो। रामिश मुझे तुम से येह उम्मीद नही थी। कम से कम तुम्हे तो मुझे बताना ही चाहिए था।"

शेर खान ने माहेरा की बात सुन कर हैरानी से रामिश से पूछा। उनके चेहरे पर अभी ठंडे एक्सप्रेशन थे।

"म.......मास्टर वोह हम ने सोचा था कि.... असल मे माज़ और मैं साथ मे ही आपको बताने वाले थे।"

रामिश माहेरा को देखते हुए बोला जो दोनो को फसा कर सुकून से बैठी थी।

"जी डैड रामिश ने बिललूल ठीक कह रहा है हम बस आपके आने का इंतेज़ार कर रहे थे।"

माज़ अपने बालों में हाथ फेर कर परेशान हो कर बोला।

हाहाहाहा..........

हाहाहाहा..........

माज़ और रामिश क एक्सप्रेशन देख कर शेर खान और माहेरा की हँसी पूरे हाल में गूंज गयी।

उन दोनों को हस्ते देख दोनो पगला की तरह उन्हें देख रहे थे जब कि जल्द ही उन दोनों को सारी बात समझ मे आ गयी तब जा कर उन दोनो ने चैन की सांस ली।

माज़ ने अलीज़ा के जाने के बाद आज पहेली बार शेर खान को इतना खुल कर हस्ते देखा था वरना वोह ज़्यादा तर एक्सप्रेशनलेस ही रहते थे।

"डैड कसम से अपने तो मुझे डरा ही दिया था। वैसे येह प्लान किस का था?"

माज़ ने पूछा तो शेर खान बोले।

"बस आज मेरा दिल कर रहा था तुम दोनों को डराने का। वैसे भी तुम ने मुझ से इतनी ज़रूरी बात छुपाई थी। मुझे नही लगता तुम ने सलमान को भी इस बारे में बताया होगा।"

शेर खान ने कहा तो माज़ बोला।

"आप उसकी फिक्र मत करे जब वोह वापस आएगा तो मैं उसे मना लूंगा। आप बताए वेनस में आपका स्टे कैसा रहा?"

"ठीक था। अब तुम दोनों जल्दी से फ्रेश हो कर आ जाओ फिर हम डिनर पर बात करते है।"

शेर खान ने कहा तो वोह दोनो फ्रेश होने के लिए चले गए।

जब कि माज़ ने जाते हुए माहेरा को घूर कर देखा।

माहेरा अपनी जगह पर ही बैठी थी वोह फिलहाल कमरे में जा कर माज़ की डांट सुन कर अपने मूड को खराब नही करना चाहती थी।

थोड़ी देर बाद उन सब ने डिनर किया और अपने अपने कमरों में चले गए। जबकि माहेरा अपने कमरे में जाने की बजाए किचन में चली गयी।

वोह जानती थी अगर वोह कमरे में जाएगी तो माज़ उसे ज़रूर बातें सुनाएगा। इसी वाजह से वोह कमरे में जाना नही चाहती थी।

"मिसेस खान क्या यही बैठे रहने का इरादा है आपको कमरे में नही जाना है?"

माहेरा जो अपनी सोचो में गुम थी माज़ की आवाज़ सुन कर डर गई और नज़रे उठा कर माज़ को देखा जो तंजिया मुस्कुराहट के साथ उसे ही देख रहा था।

जब कि उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था आज तो माहेरा की खैर नही।

माज़ जो काफी देर से माहेरा के कमरे में आने का इंतेज़ार कर रहा था। उसे कमरे में ना आते देख वोह खुद ही किचन में आया तो देखा माहेरा किसी सोच में गुम थी।

हाँ......वोह.......मैं आ रही थी लेकिन मेरे में अचानक दर्द होने लगा और मुझ से उठा नही जा रहा था इसीलिए मैं यही बैठ गयी।"

माहेरा उसकी बात सुन कर हड़बड़ा कर बोली।

"अच्छा.....तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया मैं तुम्हे उठा कर ले कर चला जाता।"

माज़ ने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे खड़ा किया और अगले ही पल उसे अपनी बाहों में उठा लिया।

"वोह....मेरे ध्यान नही रहा।"

माहेरा ने उसकी गर्दन में बाहें डाल कर धीमी आवाज़ में कहा और अपना सिर उसके सीने से टिका लिया।

"मैं नही मानता तुम्हारा दिमाग जो इतना तेज चलता है वोह कोई बात भूल भी सकता है।"

माज़ कमरे में एंटर होते हुए बोला और उसे ले जा कर बेड पर बिठा दिया और उसके पास बैठ गया। उसका हाथ अभी भी माहेरा की कमर में था जो उसे खुद से दूर जाने से रोक रहा था।

"अब क्या तुम मुझे मरोगे की मैं ने तुम्हारे साथ मज़ाक़ किया है।"

क्या इस बार भी माज़ माहेरा को सज़ा देगा?

आगे क्या होगा जानने के लिए अगले एपिसोड का इंतेज़ार करे।