Ziddi Ishq - 11 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 11

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ज़िद्दी इश्क़ - 11

माज़ के जाने के बाद महेरा गुस्से से उठ कर खड़ी हुई तभी रोज़ी दरवाज़ा खोल कर कुछ शॉपिंग बैग ले कर अंदर आयी और कबर्ड के पास रख कर वहां से चली गयी।


माहेरा ने जल्दी से उस मे से एक ड्रेस निकाला और शावर लेने चली गयी। शावर ले कर आने के बाद वोह ड्रेसिंग रूम में गयी और अपना बाल ड्राई करने के बाद अपने गले मे स्टालर डाल कर वोह मेंशन घूमने के लिए निकल गयी।


अपने कमरे से निकल कर वोह कॉरिडोर से आते हुए लाउंज में आई तो वहां सामने एक बड़ा सा किचन था। जिस मे रोज़ी के साथ दो और औरतें काम कर रही थी।

वोह किचन को एक नज़र देख कर वहां से लेफ्ट साइड कॉरिडोर में चली गयी तभी उसे रामिश सामने से आते हुआ दिखाई दिया।

"रामिश मेरी बात सुनो।" माहेरा ने उसे आवाज़ दी।
(माहेरा के अंदाज़ ऐसा था जैसे वो उस जगह की मालकिन हो।...…......लेकिन येह भी सच था अब वोह उस जगह की मालकिन बन चुकी थी)

उसकी आवाज़ सुनकर रामिश उसके पास आया।


उसे अपनी तरफ आते देख माहेरा बोली।

"मुझे पूरा यकीन है तुमने मेरी मासूम दोस्त को अपनी मोहब्बत का झांसा दे कर उसे फसाया है और उसे छोड़ जाने की धमकी दे कर उसे शादी के लिए तैयार किया है। नही तो मेरी मासूम दोस्त इतनी जल्दी तुमसे शादी के लिए तैयार नही हो जाती।"


उसके करेक्ट अंदाज़ लगाने पर रामिश हैरान हो गया। वोह बिल्कुल माज़ की कॉपी लग रही थी।

अपना दिमाग तेज़ी से चलने वाली......किसी से ना डरने वाली.......डॉन.......छोटी डॉन।

रामिश ने जल्दी से खुद को कन्ट्रोल किया और बोला।

"माहेरा मैं उससे मोहब्बत करता हु तभी मैं ने उससे शादी की है और तुम फिक्र मत करो मैं अकेला नही तुम्हारी दोस्त भी मुझ से मोहब्बत करती है। उस दिन मैं सिर्फ उससे बात करने के लिए ले गया था।"


हुन,,,,,,,,,,,जैसे कि मैं तुम लोगो के बारे में जानती ही नही हु। मुझे पूरा यकीन है तुम ने बात कम की होगी और धमकी के अंदाज़ में ज़्यादा कहा होगा।"

"मेरी मासूम शकल देख कर मुझे बेवकूफ समझने की गलती मत करना मैं माहेरा हु सोफ़िया नही और मुझे पता है तुम जितने खामोश दिखते हो ना उतने ही ज़्यादा चालक हो।"

माहेरा मुंह बना कर बोली।


"म.…...मैं तुमसे बाद में बात करता हु अभी मुझे एक ज़रूरी काम से जाना है।"

उसकी बातें सुनकर रामिश ने वहां से जने में ही भलाई समझी। इसीलिए वोह माहेरा से बोल कर बिना उसका जवाब सुने लम्बे लम्बे कदम लेता वहां से चला गया।


माहेरा जो अभी उस पर अपना गुस्सा निकलना चाहती थी उसके जाने के बाद उसका मूड खराब हो गया। वोह कॉरिडोर में बने कमरो खोल खोल के चेक कर रही थी। माहेरा ने एक कमरा खोला तो उसमें माज़ बैठा था।

माज़ कुर्सी पर बैठे लैपटॉप खोले कोई काम कर रहा था और साथ ही सिगरेट पी रहा था।

जब उसने दरवाज़ा खोल कर माहेरा को अंदर आते देखा तो सिगरेट को अशियल टरे में मसल दिया। वैसे भी वोह कभी किसी लड़की के सामने सिगरेट नही पीता था।


माहेरा ने जब उसे सिगरेट मसलते देखा तो उसे तंग करने के बारे में सोचा और बोली।

"माज़ मुझे भी एक सिगरेट देना जब से यहां आयी हु पी ही नही है वरना मैं अपने घर रोज़ एक सिगरेट पी कर ही सोती थी और तुमने मुझे देख कर सिगरेट क्यों बुझा दी चलो साथ पीते है।"


माज़ ने उस तीखी मिर्ची की झूठी बात सुनकर उसे मज़ा चखाने के बारे में सोचा।

माज़ ने लैपटॉप बंद करके उसकी तरफ देखते हुए अपनी जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगाई।
जैसे अपनी नज़रो से कह रहा हो तुम्हे भी ऐसे ही सुलगूँगा।


मगर माहेरा ने जब उसे हैरान होने के बजाए सिगरेट सुलगाते देखा तो उसकी नज़रो का मतलब ना समझ सकी और परेशान होने लगी।

वोह यह सोच कर परेशान होने लगी कि माज़ ने अगर उसे सिगरेट पीने के लिए कह दिया तो वोह क्या करेगी।

लेकिन उसने अपने चेहरे के एक्सप्रेशन नॉर्मल ही रखे और माज़ को देखती रही।

माज़ ने सिगरेट का एक कश लिया और सिगरेट उसके आगे करने ही लगा था कि उसका इरादा जान माहेरा के चेहरे की हवाइयां ही उड़ गयी और वोह जल्दी से बोली।

"मुझे एक ज़रूरी काम याद आ गया है मैं बाद में तुमसे ले कर पी लुंगी।"

अपनी बात पूरे करते ही वोह तेज़ी से कमरे से बाहर निकल गयी। उसके पीछे से उसे माज़ के हँसने की आवाज़ आयी।

माहेरा ने एक नज़र बंद दरवाज़े को घूर कर देखा और दोबारा मेंशन देखने लगी।

..........

मिलान, इटली:

"सर आपका काम हो गया है वोह मुझे पसंद करने लगा है।"

एक लड़की ने कॉल पर कहा।

फ़ोन की दूरी साइड से कुछ कहा गया जिसे सुनकर उस लड़की के माथे पर बल पड़ गए।


"अपने मुझे कहा था बस थोड़े दिन के लिए मुझे येह काम करना है। उसके बाद आप मुझे उस बारे में बताएंगे जो मैं ने आप से पूछा था।"

फ़ोन की दूसरी साइड से फिर कुछ कहा गया जिसे सुन कर वोह अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोली।

"अच्छा ठीक है मैं येह काम करूँगी।"

उसने फोन कट किया और क्लब जाने के लिए तैयार हो गयी।

अगर उसकी मजबूरी ना होती तो वोह येह काम कभी ना करती।

...........


सलमान अपनी जगह पर बैठे उसे डांस करते हुए देख रहा था। डांस खत्म होने के बाद वोह रोज़ की तरह उसी जगह खड़ा सिगरेट पी रहा था और उस लड़की का इंतेज़ार कर रहा था।

वोह आज भी उसी लड़की का पीछा कर रहा था।
मगर वोह लड़की आज उसके पीछे आने पर झुंझला उठी और उसकी तरफ मुड़ते हुए बोली।

"तुम्हे क्या कोई और काम नही है जब देखो मेरा पीछा करते रहते हो।"


सलमान जो उसके पूछने के लिए तैयार नही था उसकी बात सुनकर अपने बालों में हाथ फेरते हुए बोला।

लीना.........वोह.....मैं....


"क्या.....वोह मैं....कर रहे हो जल्दी जवाब दो मैं थक गयी हु मुझे घर जाना है।"

लीना उसका जवाब ना पर कर गुस्से से ऊंची आवाज में बोली।

"ऐसे बात मत करो लीना मुझे ज़रा भी पसंद नही कोई मुझ से ऊंची आवाज में बात करे, और ऐसा भी क्या कर दिया मैं ने तुम्हे डराता हु या फिर धमकाता हु या मैं तुम्हे हैरेस करता हु। बोलो कुछ भी नही करता ना तो दोबरा मुझ से ऐसे बात मत करना।"

लीना की ऊंची अवाज़ सुनकर वोह भी ठंडे लहजे में बोला।


उसकी ठंडी आवाज़ में कही गयी बात सुनकर जब लीना से कोई जवाब ना बन पड़ा तो वोह पीछे मुड़ कर अपने फ्लैट की तरफ जाने लगी।


सलमान भी उसके पीछे पीछे जाने लगा और उस के फाल्ट में जाते ही वोह भी हमेशा की तरह वापस आ गया।

............

रोम, इटली:


रामिश अपना काम करके सोफ़िया से मिलने का गया था। उसने सोफ़िया के घर के सामने गाड़ी रोकी और बाहर निकल कर दरवाज़ा नॉक किया।


सोफ़िया जो किचन में अपने लिए कॉफी बना रही थी दरवाज़ा नॉक होने की आवाज़ सुनकर बाहर आई।

उसने ऑय होल से बाहर देखा तो रामिश खड़ा था। सोफ़िया ने जल्दी से दरवाज़ा खोला तो रामिश उसके माथे पर किस करके अंदर आया।

उसके ऐसा करने पर सोफ़िया हल्का सा मुस्कुराई और दरवाज़ा बंद करके रामिश को ले कर टीवी लाउंज में आ गयी।

उसने रामिश को सोफे पर बैठने को कहा और अपने लिए बनाई हुई कॉफी उसको दे कर उससे कुछ दूर हो कर सोफे पर बैठ गयी।

"तुम क्या कर रही थी?"

रामिश ने कॉफी पीते हुए पूछा।

"अकेली बोर हो रही थी इसीलिए मूवी देखने के बारे में सोच रही थी, आप मेरे साथ मूवी देखनेगे?"


सोफ़िया ने उसे जवाब दिया और साथ ही उससे पूछ डाला।


"मैं ने कहा हमारे साथ मेंशन में ही रुक जाओ लेकिन नही तुम्हे तो मेरी एक भी नही सुन्नी थी। अब कोई मूवी लगा दो मैं तुम्हारे साथ देख लूंगा वैसे भी मैं अभी फ्री हु।"

................


माज़ अपना काम करके कमरे में आया तो माहेरा बेड पर बैठी पास्ता कहा रही थी।

उसने माज़ को देखते ही बुरा सा मुंह बनाया और वापस पास्ता खाने लगी।

माज़ उसे देख कर फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चला गया। जब वोह फ्रेश हो कर वापस आया तो माहेरा उसी का इंतेज़ार कर रही थी।

उसे बेड पर बैठते देख माहेरा जल्दी स बोली।

"मुझे मेरा फ़ोन चाहिए मुझे मेरे घरवालों से बात करनी है कितने दिन हो गए है। सोफ़िया ने मुझे बताई थी मेरे डैड ने उसे काल की थी। इसीलिए तुम मुझे मेरा फोन दे दो ताकि मैं अपने डैड से बात कर सकू मुझे उनकी याद आ रही है"

माज़ ने माहेरा की बात सुनी और उसे तंग करने का सोच कर बोला।

"मैं तुम्हारी बात करा दूंगा लेकिन तुम पहले थोड़ा तमीज़ और प्यार से कहो।"


"माज़ तमीज़ और थोड़ा प्यार से मोबाइल दे दो।"

माहेरा भी चालाकी से आंखे टिमटिमाते हुए बोली।

"पागल लड़की मेरा मतलब था तमीज़ से मानगो और प्यार वाले वर्ड यूज़ करो।"

माज़ ने उसकी बात सुनकर दोबारा कहा।

"माज़ मेरा मोबाइल तमीज़ से और प्यार वाले वर्ड बोल कर मुझे वापस दे दो।"

माहेरा फिर बोली तो माज़ उसकी बात सुनकर झुंझला उठा और बोला।

"ठीक है तुम ठीक से मोबाइल नही मांगोगी ना तो अब भूल जाओ की तुम्हारा मोबाइल तुम्हे कभी वापस मिलेगा। वैसे भी तुम्हरा जितनी तेज़ दिमाग चलता है ना तुम ब्रेड से भी मोबाइल बना सकती हो तो उसे बनाना और कॉल कर लेना।"


"माज़ प्लीज मेरा मोबाइल दे दो तुम बहोत ही अच्छे हो।"

माज़ की सीरियस आवाज़ सुनकर माहेरा ने जल्दी से कहा और अच्छे पर तो इतना ज़ोर दे कर कहा जैसे दांत के नीचे माज़ को ही पीस रही हो।


उसकी बात सुनकर माज़ मुस्कुराते हुए बोला।

"ठीक है कल सुबह तुम्हरी बात करा दूंगा। तुम्हारा मोबाइल में ने रामिश को दिया था वोह इस वक़्त मेंशन में नही है।"


"कमीने इंसान.........."

माहेरा उसकी बात सुनकर गुस्से से बड़बड़ाई और फिर उसकी आंखों को देखते हुए बोली।

"एक बात बताओ केफे में मैं ने जब तुम्हारी आंखे देखी थी तो दोनों आंखों का रंग अलग था लेकिन आज एक जैसी है ऐसा क्यों!?"

"जब किसी गैंग से मीटिंग करनी हो तो मैं लेंस नही लगाता और बाकी के दिन मैं लेंस लगाता हु इसीलिए। क्यों तुम्हे इससे कोई प्रॉब्लम है?"


माज़ ने उसे डिटेल में बताया और आखिर में एब्रो उचकाते हुए पूछा।

"मुझे तो कोई प्रॉब्लम नही है मैं ने तो ऐसे ही पूछ लिया। वैसे तुम्हारी आंख के ऊपर कट कैसे लगा?"

उसकी बात सुनकर माज़ को वोह दिन याद आ गया जब उसकी मॉम को मारा गया था।


उस दिन के बारे में सोचते हुए माज़ ने एक गहरी सांस ली और माहेरा से बोला।


"मुझे येह कट कैसे लगा इससे तुम्हारा कोई लेना देना नही तुम अपना मुंह बंद करो और चुप चाप सो जाओ।"


अपनी बात पूरी करते ही माज़ उठ कर कमरे से बाहर चला गया।


आपमे सवाल का जवाब ना पा कर माहेरा ने बुरा सा मुंह बनाया और सोने के लिए लेट गयी।


माज़ माहेरा को कमरे में छोड़ कर अपने स्टडी रूम में आया और बालकनी में खड़ा हो कर सिगरेट के कश भरने लगा। वोह खुद से ही गुस्सा था क्योंकि अभी तक उसे असली प्लानर का पता नही चला था लेकिन उसकी कोशिश अभी भी जारी थी।


.............

रामिश सोफ़िया के साथ बैठ कर मूवी देख रहा था। सोफ़िया जो उससे कुछ दूर बैठी थी रामिश ने उसे खींच कर अपने करीब किया और उसके कंधे पर अपना सिर टिका लिया। उसकी इस हरकत से सोफ़िया की सांसे ही अटक गई।

जब मूवी खत्म हुई तो रामिश ने अपना सिर उसके कंधे से हटाया तो सोफ़िया ने सुकून की सांस ली।

रामिश अपनी जगह से उठा और वापस मेंशन जाने लगा। उसने सोफ़िया को गले लगाया और उसके माथे पर किस किया

सोफ़िया उसे दरवाज़ा तक छोड़ने आयी।

दरवाज़े से बाहर निकल कर रामिश ने सोफ़िया के गाल पर किस किया और उसे अपना ख्याल रखने कह कर वहां से चला गया।

सोफ़िया ने दरवाज़ा बंद किया और रामिश का स्पर्श अपने गालो पर महसूस करके वोह मुस्कुराने लगी।

.............

सुबह जब माहेरा की आंख खुली तो उसने माज़ को अपने साथ लेटे प्य उससे भी बुरा यह कि वोह अपना बाज़ू माज़ की गर्दन में डाले हुए सो रही थी। उसने जल्दी से अपने बाज़ू को माज़ के ऊपर से हटाया और ज़ोर से चीख मारी।

माज़ जो रात को देर से सोया था और अब गहरी नींद में था उसने माहेरा की चीख सुनकर अपनी आंखें खोली और उस आफत को देखा जो उसे सुकून से सोने भी नही दे रही थी।

"क्या प्रॉब्लम है! मुझे सोने क्यों नही दे रही हो?"

माज़ नींद से बोझल आवाज़ में बोला।

"तुम यहाँ क्यों सो रहे हो कल झा सोये थे वहां क्यों नही सो रहे हो।"

माहेरा ने चीखते हुए कहा।

माहेरा की तेज आवाज जब उसे अपने कानों में सुनाई दी तो उसने उठ कर उसका गला दबोच लिया।

माहेरा जो इसके लिए तैयार नही थी उसकज अपना गला दबा देख डर गई। हालांकि उसे पता था माज़ उसे नुकसान नही पहुचायेगा।

"कितनी बार कह की मुझ से ऊंची आवाज में बात मत किया करो लेकिन तुम्हे तो ऊंची आवाज में ही बात करनी होती है और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दु कल भी मैं यही सोया था।"

माज़ माहेरा का गला हल्का सा दबा कर बोला।

माज़ के गला दबाने पर माहेरा ने सांस लेने के लिए हल्का सा अपना होंठ खोला और गहरी गहरी सांस लेने लगी।


सॉरी,,,,अब याद रखूँगी।

माहेरा ने अटकते हुए कहा।

"यह आखिरी बार समझा रहा हु अगली बार ऐसी सज़ा दूंगा की तुम कभी नही भूलोगी।"



कहानी जारी है..........