Pehchan - 13 in Hindi Fiction Stories by Preeti Pragnaya Swain books and stories PDF | पेहचान - 13 - अब इस अकडू को कैसे समझाऊँ?

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पेहचान - 13 - अब इस अकडू को कैसे समझाऊँ?

पीहू बोली देखो मुझे job की जरूरत थी ,तो मैं अर्जुन सिखावत के पास नौकरी मांगने गयी थी, मुझे नौकरी भी मिली ,कल मेरा पहला दिन था तो मैं ऑफिस गयी थी तभी लापरवाही के वजह से मेरा पैर पानी पर आया और मैं फिसल गयी तभी अर्जुन सिखावत ने मुझे पकड़ा था । ये तबकी तस्बीर है!

अभिमन्यु बोला wow खुद तो अभी इतना बोल रही थी मैं कहानी बना रहा हूँ, असल मैं तो कहानी बनाने मैं तुम माहिर हो...

पीहू बोली मतलब?

अभिमन्यु बोला तुम कह रही हो अर्जुन ने तुम्हे नौकरी दी अच्छा एक बात बताओ मैं तुम्हे छोटा बच्चा दिखता हूँ क्या?
अर्जुन सिखावत एक बिलिनियर है उसके घर मे भी अगर एक नौकर की जरूरत होती है न उसके लिए भी newspaper से लेकर social media पे announcement होती है और उससे मिलने के लिए भी लोग सालों पहले से appointment लेते है ! तुम तो अभी अभी यहाँ आई हो भला तुम्हे उससे मिलने की permission और उपर से नौकरी कैसे मिल गयी ?

पीहू अब चुप होगयी भला अब वो अर्जुन और उसका relation अभिमन्यु को कैसे समझाए । वो मन ही मन अर्जुन को गाली दे रही थी भला इस अर्जुन को भी अपनी life इतने high मे रखने की क्या जरूरत थी ?
तभी उसके मन मे एक सवाल आया की....आखिर इस अभिमन्यु को क्यों लगता है की अर्जुन इसे मारना चाहता है ? पर अभिमन्यु के गुस्से को देखते हुए वो चुप रहना ही सही समझी ।

अभिमन्यु बोला अब क्यों चुप हो? पकड़ी गयी न तुम्हारी झूठ.... !

पीहू बोली अच्छा ठीक है ,तुम्हे लगता है की मैं तुम्हे मारने आई हूँ ,तो एक बात बताओ अगर सच मे मैं तुम्हे मारने आई हूँ तो अब तक ,मैं तुम्हे क्यों नहीं मारी हाँ? क्या मैं किसी मोहरत का इंतजार कर रही हूँ ?
तुम एकबार खुदसे पूछो अगर सच मे मुझे तुम्हे मारना होता तो क्या मेरे पास मौके नहीं थे ?

जब मैं पहली बार तुमसे मिली थी , तुम खुद मुझे इस घर मे लाये थे क्या तब में तुम्हे, नहीं मार सकती थी?

या उस दिन जब मैं तुम्हे खाना बनाके दी थी क्या उस दिन तुम्हारे खाने मैं जहर नहीं मिला सकती थी?

या उस वक़्त जब तुमने मुझपे हात उठाया था?

अभिमन्यु कुछ सोचा और बोला हाँ हो सकता है पर ये भी तो हो सकता है, तब तुम्हारे मन मैं मुझे मारने का खयाल नहीं आया था पर अब तुम उस अर्जुन के साथ मिली हो सायद अब उसने तुम्हे मुझे मारने का proposal दिया होगा?

पीहू मन मे सोची है भगवान अब इस अकडू को कैसे समझाऊं की जो वो सोच रहा है गलत है ।पीहू का सब्र अब टूट गया और वो बोली ठीक है fine , तुम यही चाहती हो न ,मैं यहाँ से चली जाऊँ ok मैं चली जाती हूँ पर एक बात सुनलो मैं गलत हूँ इसलिए घर छोड़ के जा रही हूँ ये सोचने की गलती भी मत करना ,इस बार तुम गलत हो । फिल्हाल मेरे पास् कोई proof नहीं है पर I swear एक न एक दिन तुम्हे सच का पता चल जायेगा।

अब तक सुबह के 6 बज चुके थे, पीहू का सामान कहने को कुछ नहीं थे बस कुछ कपड़े ही थे पर अभी उसके दिमाग मे सिर्फ वहाँ से बाहर चले जाने का खयाल रहा । वो कुत्ते को पकड़ते हुए वहाँ से निकल गयी ।