कहानी - मोतीचूर के लड्डू चकनाचूर
“ अरे , सुनो . छाता तो लेते जाओ . “ दीपक की पत्नी ने कहा
“ आज तो मौसम साफ है ,बेकार का छाता ढोना पड़ेगा . कहीं खो जाने का भी डर रहता है . “
“ कल भी मौसम साफ़ था , पर अचानक दोपहर बाद से बारिश होने लगी थी और तुम भीगते हुए घर आये थे . याद है न . “
“ अच्छा बाबा , लाओ छाता . “
दीपक ने एक हाथ में छाता और दूसरे में टिफ़िन लिया और बस स्टैंड की ओर निकल गया . किसी तरह दौड़ कर बस पकड़ कर वह ऑफिस समय पर पहुँच गया .दीपक लंच ब्रेक में दफ्तर के सामने रेस्टॉरेंट में गया .वह रोज यहीं लंच के बाद चाय या कॉफ़ी पीता था . उसके टेबल पर दो कुर्सियां थीं , एक खाली थी . थोड़ी देर में लंच खत्म कर उसने कॉफ़ी आर्डर किया . वह कॉफ़ी पी रहा था तभी एक लड़की ने आ कर पूछा “ अगर आपके साथ और कोई नहीं है तो क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ ? लंच ब्रेक के समय यहाँ बैठने की जगह मुश्किल से मिलती है . “
उसने नजर उठा कर देखा , लड़की जवान और सुंदर थी हालांकि उम्र में उससे काफी छोटी थी . दीपक ने कहा “ श्योर , बैठो . तुम्हारे लिए भी कॉफ़ी आर्डर कर दूँ ? “
“ नो , थैंक्स . “
तभी दीपक का एक दोस्त आ कर बोला “ कॉफ़ी जल्दी खत्म कर , देर हो रही है . कहीं लेट हुआ तो याद है न कल की बात . बॉस ने कहा था कि दूसरी बार लेट किया तो हाफ डे की सैलरी कट . “
उसने जल्दी जल्दी आखिरी दो घूँट ली और दोस्त के साथ दफ्तर के लिए निकल पड़ा . आज फिर दोपहर बाद घनघोर बादल छाने लगे . दीपक मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि बीबी ने उसे छाता दे कर अच्छा किया . मगर ये क्या , छाता तो बस में ही छूट गया था . मुश्किल यह थी कि दीपक रोज वाली बस मिस कर गया था और दूसरी बस से आया था और उसका नम्बर भी उसे नहीं याद रहा . रोज वाली बस का कंडक्टर उसे पहचान गया था , वह होता तो छाता जरूर लौटा देता . खैर , उसने सोचा अब तो जो होना था हो गया और जो होगा उसे झेलना है .
दीपक पांच बजते ही जल्दी जल्दी ऑफिस से भाग कर बस स्टैंड पहुंचना चाहता था . बारिश हो रही थी और बस का समय भी निकला जा रहा था . देर करता तो दूसरी बस के लिए कम से कम एक घंटा और इंतजार करना पड़ता . ऑफिस से बस स्टैंड करीब 10 मिनट का रास्ता था . इस बीच बारिश तेज हो गयी , बचने के लिए वह एक शेड में रुक गया , मुश्किल से दो तीन मिनट हुए होंगे कि उसने बस को आते देखा . दीपक शेड से बाहर निकल कर हाथ देता रहा यह सोच कर कि शायद मौसम देखते हुए ड्राइवर दया कर रोक दे . पर वह नहीं रुका और सामने से गुजर गया , वह मन में गाता रहा -- कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे … “
उसने सोचा अब यहाँ रुकना ठीक नहीं , बस स्टैंड पर चला जाय . स्टैंड की शेड में खड़ा हो वह अगली बस का इंतजार करने लगा . बारिश के साथ हवा भी इतनी तेज थी कि बारिश की फुहारें बस स्टैंड के अंदर खड़े लोगों को भीगो चुकी थीं तो दीपक को क्यों बख्श देती . तभी उसने एक लड़की को बस स्टैंड की ओर दौड़ कर आते देखा . उसके हाथ में छाता था पर इस तेज बारिश और हवा में बेचारा छाता भी लाचार था . लड़की छाता भी नहीं संभाल पा रही थी . उसका छाता उलट गया तब उसने किसी तरह हवा की विपरीत दिशा में खड़ा हो कर उसे सीधा तो किया पर वह बुरी तरह भीग चुकी थी . जब वह कुछ और निकट आयी तो उसने देखा कि यह वही होटल वाली लड़की थी .
वह जैसे ही बस स्टैंड के पास आयी तेज हवा के झोंके से उसका छाता फिर उलट गया और हाथ से छूट कर रोड पर दौड़ने लगा .दीपक ने उसे कहा “ तुम अंदर आओ , मैं तुम्हारा छाता ला देता हूँ . “
एक फ़िल्मी हीरो की तरह वह छाते के पीछे दौड़ रहा था और छाता उससे दूर जाने की कोशिश कर रहा था . खैर उसने किसी तरह छाते को धर दबोचा .उसने छाता ला कर उस लड़की को वापस दिया . लड़की ने कहा “ थैंक्स “ तो दीपक बोला “ इट्स ओके , यू आर वेलकम . “ पर इस बीच उनकी बस मिस हो गयी .
वह उसके बहुत करीब जा कर खड़ा हो गया और उसके कुर्ते पर लगे नाम देख कर बोला “ सो यू आर मिस उर्वशी . “ और मन ही मन बोला “ उर्वशी क्या तुम से ज्यादा सुंदर रही होगी ? “
लड़की के होंठ कुछ फड़फड़ा रहे थे जिस से दीपकको लगा कि उसने उसे कुछ कहा . वह पूछा “ तुमने कुछ कहा ? “
“ नहीं तो . “
दीपक ने सोचा कि इतनीं कंजूसी बोलने में भी , मेरा नाम तक न पूछा . उसने खुद अपना परिचय देते हुए कहा “ मैं दीपक हूँ . “
उर्वशी के होंठ हिले तो दीपक ने पूछा “ मैंने सुना नहीं आपने कुछ कहा क्या .? “
“ मैंने जब कुछ कहा ही नहीं तो आप सुनते कैसे ? “
दीपक ने सोचा कि बारिश में इस खूबसूरत बाला का सामीप्य अच्छा रहेगा , उस से पूछा “ कहाँ काम करती हो ? “
“ ITC में . “
“ ओ , तेल बेचती हो ? “ यह सुन कर उर्वशी ने कुछ बुदबुदाते हुए मुंह फेर लिया
दीपक को लगा उसने धीरे से कहा होगा “ मान न मान मैं तेरा मेहमान . “ फिर भी उसने पूछा “ तुमने कुछ कहा क्या , मैंने सुना नहीं . “
“ नहीं , मैंने कुछ नहीं कहा . “ बोल कर उर्वशी घूर कर दीपक को देखने लगी तब वह सहम कर बोला “ आई मीन , ITC ब्रांड का तेल मैं यूज करता हूँ इसलिए पूछ बैठा . “
धीमी मुस्कान लाने की चेष्टा करते हुए वह बोली “ मैं ITC के IT सेक्शन में हूँ . “
“ गुड , पर मैंने तुम को इस स्टैंड पर पहले कभी देखा नहीं है . “
“ आज मेरी रेगुलर बस मिस हो गयी . सोची इस अल्टरनेटिव रुट से चलूँ . बैंक मोड़ पर उतर कर वहां से 5 मिनट में घर पहुँच जाऊँगी . “
“ गुड मेरी बस भी मिस हो गयी है . मैं भी उधर ही रहता हूँ , देखते हैं कोई ऑटो मिला तो दोनों उसी से चलते हैं . “
उसने कुछ कहा नहीं . पर दीपक को लगा कि उर्वशी अब फ्रैंक हो चली है . वह अपने को किसी हीरो से कम नहीं समझता था , अभी उम्र ही क्या थी , 45 साल का मर्द जवान ही हुआ न . उस के मन में लड्डू फुट रहे थे कि जब उर्वशी के साथ सट कर ऑटो में बैठेगा तब उसके गीले बदन का स्पर्श कितना अच्छा होगा .
उसने सड़क पर आ कर कम से कम पॉंच या छः ऑटो को रोकना चाहा पर किसी ने न रोका बल्कि ऑटो उसके कपड़ों और चेहरे पर पानी की छींटे मार कर चला जाता . उसने पलट कर उर्वशी की ओर देखा , वह फोन पर किसी से बात कर रही थी . उसने इशारा कर दीपक को वापस आने को कहा . वह बहुत खुश हुआ कि शायद अब वह फ्रैंक हो कर बात करेगी . वह बस स्टैंड की शेड में वापस आया बोला “ बोलो , क्या कहना चाहती हो ? “
“ कुछ नहीं . “
“ मैंने सोचा कोई जरूरी बात होगी तभी इशारा कर बुलाया . “
“ आप नाहक भीग रहे थे , इसीलिए . “
दीपक ने मन ही मन सोचा कि नाहक कहाँ , कम से कम आधा घंटा तुम्हारे बदन के स्पर्श का आनंद लेता . तभी एक बाइक आ कर रुकी उस पर एक आदमी और एक औरत थे , दोनों रेनकोट पहने थे . वह औरत बाइक से उत्तर कर शेड में उर्वशी के पास आयी और बोली “ तुमने पहले फोन क्यों नहीं किया ? हम आधा रास्ता तय कर चुके थे तब मैंने सोचा कि पूछ लूँ तुम कहाँ तक पहुंची हो ? “
बाइक को स्टैंड पर खड़ी कर वह आदमी भी निकट आया , उसने अपना हेलमेट उतारा . उसने दीपक को देखा . दोनों ने एक दूसरे को देखा और दोनों मुस्कुरा पड़े . उसने कहा “ दीपक , तुम इस शहर में कब आये ? कॉलेज के बाद करीब 20 साल बाद मिल रहे हैं हमलोग . “
फिर दीपक ने पूछा “ मोहन , तुम यहाँ कैसे ? “
“ उर्वशी बारिश में फंस गयी है तो उसे लेने आ गया . “ .
दीपक ने उसे अपनी नौकरी और दफ्तर के बारे में बताया . “ तभी उर्वशी निकट आ कर बोली “ आप और भाभी दोनों बेकार परेशान हुए . थोड़ी देर में मैं बस से आ ही जाती . तीनों एक ही बाइक पर चलेंगे तो दिक्कत नहीं होगी ? “
“ चल जल्दी बैठ , कोई दिक्कत नहीं होगी . और हाँ , दीपक मैं तुम्हारे ऑफिस नंबर पर फोन करूँगा . जल्दी ही मिलते हैं .”
“ बाय , दीपक भैया . “ उर्वशी ने कहा और भाई की बाइक पर बैठ कर चली गयी . दीपक के मन का मोतीचूर का लड्डू चकनाचूर हो गया . अब उसे बीबी की याद आयी कि घर पहुँचते ही छाता भूल आने के लिए डाँट सुनने को मिलेगी . खैर , अब जो होगा फेस करना ही है , सोचते हुए वह घर के अंदर गया .
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समाप्त