ज़ैन रूम खोल कर अंदर आया तो ज़ैनब कमरे में चक्कर काट रही थी।
ज़ैनब ने एक नज़र उस पर डाली और कमरे से बाहर जाने लगी।
ज़ैन ने उसे जाते देख उसका हाथ पकड़ लिया।
"हाथ छोड़ें मेरा।" ज़ैनब गुस्से से बोली।
"हाथ छोड़ने के लिए नही पकड़ा है।" ज़ैन ने उसे अपने करीब खींचते हुए कहा।
ज़ैनब ने उसे घूर कर देखा और बोली:"आप मुझे यहां बंद करके क्यों गए थे?"
"क्योंकि मैं डर गया था। मुझे पता था सानिया के ना मिलने की खबर सुनकर तुम ज़रूर उसे ढूंढने जाओगी। जब से तुम किडनैप हुई हो अगर तुम दस मिनट के लिए भी मेरी नज़रो से इधर उधर होती हो तो मेरी सांसे अटकने लगती है।" ज़ैन ने उसके चेहरे को अपने हथेली में लेते हुए कहा।
ज़ैनब ने एक नज़र उसे देखा लेकिन कुछ बोली नही।
"अगर तुम्हें गुस्सा आये तो......मुझे ऐसे पकड़ लिया करो।" ज़ैन ने उसकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा।
"शाह जी रोमैंस में तो आप इमरान हाशमी को भी पीछे छोड़ देंगे।" ज़ैनब ने अपनी कमर से उसका हाथ हटाते हुए चिढ़ कर कहा।
"यार गुस्सा हो तो मुझ से लड़ लो पर नाराज़ मत हो।" ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
"शाह जी मैं पूरी दुनिया से लड़ सकती हूं पर आप से नही लड़ सकती।" ज़ैनब उसके गले लग कर बोली।
ज़ैनब उसके गले लगी ही थी तभी उसे अपने हाथ पर गीला पन महसूस हुआ। ज़ैनब ने अपने हाथो को देखा तो उसके हाथों पर खून लगा था।
"आपके हाथ से खून निकल रहा है जल्दी से अपनी शर्ट निकालिये।"
ज़ैनब परेशान हो जल्दी से ज़ैन की शर्ट के बटन खोलते हुए बोली।
"क्या कर रही हो अब तुम्हे शर्म नही आ रही है?" ज़ैन उसके हाथ को पकड़ कर बोला।
"आपको खून निकल रहा और आपको शर्म की पड़ी है।" ज़ैनब उसे घूरते हुए बोली।
"चोट मुझे लगी है और दर्द तुम्हे हो रहा है।" ज़ैन ने उसे आंख मारते हुए कहा।
"ऐ.......ऐसा कुछ नही वो......वोह खून देख कर मुझ... "ज़ैनब उसकी बात सुनकर गड़बड़ा कर अटकते हुए बोल रही थी कि तभी ज़ैन ने उसके होंठो को अपनी कैद में ले लिया और उसे चूमने लगा।
ज़ैन के होंठ उसके चेहरे और गर्दन को छू रहे थे।
ज़ैन उसका दुपट्टा निकलने ही वाला था कि ज़ैनब ने उसे रोक दिया।
ज़ैन अपने जज़्बातों को कंट्रोल करते हुए पीछे हुआ और बोला:"सॉरी, मैं कभी तुम्हारी परमिशन के बिना तुम्हे टच नही करूँगा।"
"शाह बस कुछ दिन और इंतेज़ार कर लीजिए।"
ज़ैनब आंखे टिपतिपाते हुए बोली।
"यार इंतेज़ार ही तो नही होता।" ज़ैन उसे गले लगाते हुए बोला।
अभी वोह दो गले लगे ही थे कि अहमद अंदर आ गया।
"अबे साले तू रोमैंस करते वक़्त रूम भी नही बंद कर सकता।"
अहमद वापस मुड़ते हुए बोला।
"तू यहां क्यों आया था।" ज़ैन ने चिढ़ कर पूछा।
"वोह मैं येह जानने आया था कि झाँसी......मेरा मतलब है भाभी मान गयी कि नही।"
अहमद ने पीछे पलटते हुए कहा।
अहमद के मुंह से झाँसी सुनकर कर ज़ैनब गुस्से से बोली।
"अहमद भाई अपनी बत्तीसी दिखाना बंद करे। यह मत भूले की सानिया मेरी दोस्त है और ऐसा ना हो कि बाद में आपको पछताना पड़े।"
उसकी बात सुनकर अहमद ने ज़ैन की तरफ देखा और बोला:"यार तेरी बीवी तो बहोत खतरनाक है।"
उसकी बात सुनकर ज़ैन हसते हुए बोला:"और मैं खतरों का खिलाड़ी हु।"
"ओह..........अभी मैं आपको बताती हु कौन है खतरों के खिलाड़ी।"
ज़ैनब ने कहा और पिलो उठा कर दोनो को मारने लगी।
वोह दोनो हस्ते हुए भाग रहे थे।
................
एक हफ्ते बाद.........
आज सुबह से हर तरफ खुशियां छाई हुई थी। ज़ैन बहोत खुश था और खुश क्यों नही होता आखिर उसके जिगर की शादी थी।
अहमद के चेहरे पर अलग ही खुशी थी आखिरकार आज उसकी मोहब्बत उसे मिलने वाली थी।
अहमद और सानिया सुबह से फ़ोन पर लड़ रहे थे।
और सब उन्हें लड़ते हुए देख यही सोच रहे थे कि शादी के बाद उन दोनों का क्या होगा।
अब इधर आते है कि लड़ाई किस वाजह से हो रही थी। तो बात यह थी कि सानिया चाहती थी ज़ैनब उसकी तरफ रहे और अहमद चाहता था कि ज़ैनब उसकी तरफ से रहे।
आखिरकार दोनो की बात से तंग कर ज़ैनब बोली:"मैं किसी की तरफ से नही रहूंगी।"
"क्या??????" उसकी बात सुनकर सब शॉकड हो गए।
"ज़ैनब तू येह क्या कह रही हो!" चाची जान ने कहा।
"ठीक कह रही हु चाची जान, मैं दोनो तरफ से कैसे हो सकती हूं?" ज़ैनब ने अपने सिर को थामते हुए कहा।
"मेरे पास एक आईडिया है।" ज़ैन ने कहा।
"तो जल्दी बता अब क्या मुहर्त का इंतेज़ार कर रहा है।" अहमद ने चिढ़ कर कहा।
उसकी बात सुनकर ज़ैन घूर कर उसे देखा और बोला:"यहां से ज़ैनब अहमद की तरफ रहेगी और वहां जाने के बाद सानिया की तरफ से हो जाएगी।"
"यह बिल्कुल ठीक है अब अहमद भाई आप दोनों लड़ना बंद कर दीजिए, शाह जी जो कहा है वही होगा।" ज़ैनब अहमद को उंगली दिखाते हुए बोली।
"ओके।" अहमद ने मुस्कुराते हुए कहा।
ज़ैन और अहमद की ड्रेसिंग आज भी सेम थी। ब्लैक कलर का अरमानी सूट पहने वोह दोनो बहोत ही डैशिंग लग रहे थे।
ज़ैनब ने रेड कलर का फ्रॉक पहेन थी, उसने अपने बालों को मेसी जुड़ा बनाया हुआ था, गले मे ज़ैन का गिफ्ट किया नेकलेस, हाथो में चूड़ियां और होंठो पर डार्क रेड कलर की लिपिक्टिस लगाए वोह बे हद हसीन लग रही थी।
ज़ैनब तैयार हो कर खुद को शीशे में देख रही थी। वोह आज सच मे कयामत ढा रही रही थी।
ज़ैन जो अपनी आस्तीन फोल्ड करते हुए कमरे में एंटर हो रहा था ज़ैनब को देखते हुए वही रुक गया।
"शाह मैं कैसी लग रही हु?" ज़ैनब के पूछने पर ज़ैन होश की दुनिया मे वापस आया।
वोह चलते हुए ज़ैनब के पास गया और उसे पीछे से गले लगा कर अपनी ठोड़ी अपने कंधे पर रख कर शीशी में देखते हुए बोला:"मेरी जान हद से ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो, इतना कि मेरा दिल बेमान हो गया है और गुस्ताखी करने पर मजबूर हो रहा है।
वोह कहते हुए उसके होंठो पर झुक ही रहा था की तभी ज़ैनब अपने होंठो पर हाथ रख कर बोली:"खबरदार जो अपने मेरी लिपिस्टिक खराब करने की कोशिश की तो।"
"जान मुझसे ज़्यादा तुम्हे को लिपिक्ट प्यारी है।" ज़ैन ने मुंह बना कर कहा।
"जी हाँ प्यारी है फिलहाल आप मुझ से दूर हो जाये।" ज़ैनब उसे धक्का दे रही थी लेकिन ज़ैन की पकड़ बहोत मज़बूत थी।
आखिरकार थक हार कर ज़ैनब ज़ैन से बोली:"छोड़ दो ना।"
"छुड़ा सकती हो तो छुड़ा लो।"
ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
ज़ैनब खुद को छुड़ाने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी ज़ैन का फ़ोन रिंग करने लगा।
ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए ज़ैन को देखा तो ज़ैन उसे घूरते हुए उससे दूर हो गया।
ज़ैन ने स्क्री पर नाम देखा तो अहमद की कॉल थी।
"लानती खुद की शादी थी तो क्या बोला था अहमद मौलवी को बुला मुझे अभी के अभी शादी करनी है।" ज़ैन के फ़ोन उठाते ही अहमद गुस्से से उसकी नकल उतारते हुए बोला।
उसकी बात सुनकर ज़ैन ठहाके लगाने लगा।
"हँसना बन्द कर कमीने इंसान खुद की शादी की कितनी जल्दी थी और मेरी शादी के वक़्त कियन टाइम लगा रहा है।" उसके ठहाके को को सुन कर अहमद चिढ़ कर बोला।
"अच्छा अच्छा मेरी जान थोड़ा सबर कर ले।" ज़ैन उसे समझाते हुए बोला।
"तूने किया था जो मुझे करने बोल रहा है।"हमद परफ्यूम की बॉटल उठा कर खुदपर छिड़कते हुए बोला।
"अच्छा मेरे बाप तू अभी कहा है।" ज़ैन अपना सिर पीट कर बोला।
"नीचे, सब तुम दोनों का ही इंतेज़ार कर रहे है।"
अहमद सीढ़ियों सेनीचे उतरते हुए बोला।
"चलो चलते है वरना इस बेसबर का कुछ भरोसा नही अकेले ही बरात ले कर सानिया के घर पहोंचा जाए।" ज़ैन ने हस्ते हुए ज़ैनब से कहा।
"तो क्या मैं ने आपको रोक कर रखी हु चलो ना। उसकी बात सुनकर ज़ैनब मुस्कुराते हुए बोली।
वोह दोनो नीचे उतरे तो अहमद ज़ैन को घर रहा था।
ज़ैन ने अहमद को घूरते हुए देख कर आंख मेरी तो अहमद मुस्कुराने लगा।
"सब तैयारी हो गयी है चलो अब चलते है।" चाची जान ने कहा तो सब गाड़ी में बैठ गए।
सानिया के घर पहोंचा कर उ का अच्छे से वेलकम किया गया।
ज़ैनब वहां से सानिया की साइड हो गयी थी।
"और दामाद साहब।" अली ने अहमद को छेड़ते हुए कहा।
"तू तो पूरा साला लग रहा है।" अहमद ने यूज़ घूरते हुए कहा।
"मेरी बहेन को खुश रखना नही तो मैं तुम्हे छोडूंगा नही।" अली अहमद के कंधे पर हाथ रख कर वार्निंग देते हुए बोला।
"ओए,,,,अली यह ना तू अपनी बहेना को बता जितना वोह मुझसे लड़ती है ना मुझे अपना फ्यूचर खतरे में दिख रहा है।" अहमद ने अली के कंधेपर सिर टिका कर कहा।
"तो बेटा अभी भी वक़्त है मत कर शादी।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।
"हाँ तुम दोनों चाहते ही हो कि मैं कुँवारा ही मर जाऊं। हाये मेरे होने वाले निक्के निक्के बच्चे तुम लोग तो चाहते ही हो कि वोह ना आये।" अहमद नौटंकी करते हुए बोला।
"यार अहमद यही तो वाजह है कि हम चाहते है कि तू कुँवारा रहे।" अली ने दुख के साथ कहा।
"कौनसी वाजह।"अहमद ने अली को खूंखार नज़रो से घूरते हुए कहा।
"अबे से जब एक तुम हमसे दो से संभाला नही जा रहा है तो सोच तेरे बच्चो को हम कोसे संभालेंगे।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।
"जैसे मुझे संभाल रहे हो वैसे ही और ज़ैन मैं तो येह सोच कर परेशान हु तेरे बच्चो को मैं कैसे संभालूंगा।" अहमद ने अली को आंख मारते हुए कहा।
ऐसे ही वोह तीनो बात करते करते स्टेज पर चले गए।
.................
"यार सानिया आज तो तू शर्मा शर्मा कर ही नही थक रही है।" ज़ैनब ने उसे छेड़ा तो सानिया फिर शर्मा दी।
"यार सानी तू शर्मा तो ऐसे रही है जैसे मैं अहमद भाई हु।" ज़ैनब ने दस कर कहा तो सानिया की एक कजिन बोली:"यार तू अहमद भाई नही ह इसीलिए तो कम शर्मा रही ह अगर अहमद भाई होते तो........." उसकी बात पूरी होने से पहले ही सानिया ने पिलो खींच कर मारा तो सब हँसने लगे।
"ले जाएंगे ले जयेंगे अहमद भाई सानिया को ले जाएंगे।"
"ओह बत्तमीज़ अभी तो शादी हुई नही ह अभी वोह किसे ले जयेंगे।" उन लोगो की बात सुनकर सानिया घूर कर उन सबको देखा कर कह।
"इसका मतलब तू चाहती है सनी वोह जल्दी स्व तुझे ले जाए।" ज़ैनब ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"अच्छा अच्छा अब तंग करना बंद करो।" सानिया ने शर्मा कर कहा।
"ओए,,,,बस करो सब सानिया को शर्म आ रही है।" ज़ैनब ने नख दबा कर कहा तो सब हस दी।
.................
निकाह हो चुका था। निकाह के बाद सब अहमद को तंग कर रहे थे। ज़ैनब ने सानिया को रोने के लिये मना किया था लेकिन निकाह होते ही वोह अपने पापा के गले लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी थी।
ज़ैनब सानिया को वापस कमरे में ले गयी और उसका मकेउप ठीक करने के बाद उसे स्टेज पर ला कर अहमद के पास बिठा दिया।
सानिया ने रेड कलर का लहेंगा पहेना था और वोह उस मे बे हद खूबसूरत लग रही थी।
अहमद की नज़र बार बार भटक कर उस पर ही जा रही थी।
ज़ैन इशारे से ज़ैनब को अपने पास बुलाया। वो ज़ैन के लास आ ही रही थी कि तभी एक लड़की ज़ैनब को अपने साथ ले कर चली गयी।
यह देख कर ज़ैन ने अपनी मुट्ठिया भींच ली।
"मिसेज़ अहमद मुबारक हो।" अहमद ने सानिया के कान में कहा।
उसकी बात सुनकर सानिया अपना हाथ मसलने लगी।
अहमद ने उसके हाथ पर ऊना हाथ रखा तो सानिया ने नज़रे उठा कर अहमद को देखा।
"बहोत प्यारी लग रही हो।" अहमद ने उनक चेहरे को देखते हुए कहा।
"थैंक यू।" सानिया ने शर्माते हुए कहा।
"अहम्म्म्म, बस कर सारी बातें अभी ही करनी है कुछ रात के लिए भी बचा कर रख ले।" ज़ैन ने अहमद के कान में कहा तो अहमद हँसने लगा
और बोला:"तेरी वाली तुझे लिफ्ट नही करा रही है तो इस में मेरी क्या गलती है।"
"अपनी वाली से तो मैं बाद में पूछुंगा।" ज़ैन ने सामने से जति हुई ज़ैनब को देख कर कहा।
ऐसे ही हस्ते हँसते येह फंक्शन की खत्म हो गया।
.............
सब बहोत ही थक चुके थे इसीलिए आते साथ ही पीने अपने कमरे में चले गए थे।
ज़ैनब कभी नीचे से अपने बंद दरवाज़े को देखती तो कभी अपना हाथ मसल कर चक्कर काटती।
आज तो मैं शाह से बात कर के रहूंगी। उफ्फ! लेकिन कैसे करूँगी। जैनी अगर आज नही तो कभी नही।
ज़ैन बड़बड़ाते हुए कमरे में आई तो कमरा खाली था।
"शाह कहा गए?" ज़ैनब ने कहा तभी ज़ैन टैरिस से अंदर आया।
"शाह बात सुने।" ज़ैनब ने कहा।
ज़ैन बिना उसकी बात सुने वहा से आगे बढ़ गया।
ज़ैन ने वाशरूम में जाने लगा कि तभी ज़ैनब ने उसका हाथ पकड़ लिए और उसके कपड़े ले कर बेड पर फेंक दिए।
"येह क्या बत्तमीजी है।" ज़ैन गुस्से से बोला।
"शाह नाराज़ क्यों हो रहे है।" ज़ैनब प्यार से बोली।
"तुम्हे क्या फर्क पड़ता है मेरी नाराज़गी से।" ज़ैन ने कहा।
"फ़र्क़ पड़ता है तभी ना पूछ रही हु।" ज़ैनब उसकी कमर में अपना हाथ डालते हुए बोली।
"फुरसत मिल गयी मेरे पास आने की।" ज़ैन ने एक एक शब्द चबा कर कहा।
"अच्छा सॉरी ना।" ज़ैनब अपना कान पकड़ कर बोली।
"तुम्हे मैं ने जी भर कर देखा भी नही, तुम्हारी तारीफ भी नही की लेकिन तुम्हारे पास मेरे लिए वक़्त ही कहा है।" ज़ैन ने अपने कपड़े उठाते हुए कहा।
"तो अब जी भर कर देख लीजिए।" ज़ैनब ने उसकी शर्ट पकड़ कर खींच उसके चेहरे के करीब होते हुए कहा।
उसके करीब आते ही ज़ैन ने मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।
"ऐसा तो मत करे मुझे आप से कुछ कहना है।" ज़ैनब मुंह फुलाते हुए बोली।
"अच्छा बोलो।" ज़ैन ने अपना मुंह मोड़ कर ही कहा।
"ऐसे नही पहले आप मेरी तरफ देखे।" ज़ैनब ने ज़ैन का चेहरा पकड़ कर अपनी तरफ करते हुए कहा।
उसकी चेहरे को देखते हुए ज़ैन ना चाहते हुए भी मुस्कुरा दिया।
"बोलो।" उसने ज़ैनब की कमर को पकड़ कर कहा।
ज़ैनब ने लम्बी सांस ली और बोली:"मैं......मैं आप से मोहब्बत करती हूं।"
"अच्छा, कब से करती हो।" ज़ैन ने उसके बालो में हाथ फेरते हुए कहा।
"कब से मेरी आप से शादी हुई थी तब से लेकिन मैं कभी अपने जज़्बातों को समझ ही नही पाई और जब समझी तो मेरी कहने की हिम्मत ही नही हु। मैं आपके बगैर जीने के बारे में सोच भी नही सकती हूं।"
"आई लव यू शाह।"
ज़ैनब ज़ैन के सीने से लग कर बोली।
ज़ैन ने केस कर उसे खुद में भींचा और उसके माथे पर किस करके कहा:"आयी लव यू टू शाह की जान।"
ज़ैन ने उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठो पर किस करके उसे अपनी बाहों में उठा कर बेड पर लेटा कर बोला:"मे आई।"
उसकी बात सुनकर ज़ैनब ने शरमीली मुस्कान के साथ अपनी नज़रे झुका ली तो ज़ैन उस पर झुकने लगा।
आज ज़ैन और ज़ैन एक हो चुके थे उनकी रुहे एक हो चुकी थी।
............
ज़ैनब सुबह उठी तो ज़ैन उसके करीब ही लेटा था। ज़ैनब ने ज़ैन के माथे से बाल हटाये और अपने होंठ वहां रख दिये और फिर खुद को देखा तो शर्मा गयी क्योंकि उसने सिर्फ ज़ैन की शर्ट पहेना रखी थी। वोह उठ कर अपने कपड़े ले कर वाशरूम में चली गयी।
ज़ैनब जन नहा कर आई तो ज़ैन वैसे हो सोया हुआ था।
"मेरी नींद हराम करके खुद कितने माज़ से सो रहे है।" ज़ैनब बड़बड़ाते हुए बोली और फिर उस एक शरारत सूझी।
ज़ैनब ने अपने गीले बालों को निचोड़ कर पानी ज़ैन के चेहरे पर फेंका तो ज़ैन हड़बड़ा कर उठा।
ज़ैनब उसे हड़बड़ाते देख खिल खिला कर हँसने लगी तो ज़ैन ने उसका बाज़ू पकड़ कर उसे अपने साथ ही गिरा लिया।
"बड़ी हँसी आ रही है।" ज़ैन उसके बालो को कान के पीछे करते हुए बोला।
"नही, तो अच्छा छोड़े मुझे और उठ कर नहा ले।" ज़ैनब उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए बोली।
"नहा लेते है अभी कौनसी सुबह हुई है।" ज़ैन उसे मीनिंगफूल नज़रो से देखते हुए उस पर झुकने लगा।
"बस करे शाह उठ जाए।" ज़ैनब ने उसे दूर धकेलते हुए कहा।
"उठ जाता हूं यार वैसे अभी मुझे प्यार करना है और तुम बहोत मीठी हो।" ज़ैन ने कहा और वापस से उस पर झुक गया।
अभी दो मिनट गुज़रे ही थी कि तभी किसी ने दरवाज़ा नॉक किया। ज़ैन दरवाज़े को घूरते हुए पीछे हु तो ज़ैनब भी उठ कर बैठ गयी।
.............
सब इस वक्त टीवी लाउंज में बैठे गप्पे मार रहे थे। ज़ैन कासिम के साथ कुछ इम्पोर्टेन्ट बात डिस्कस कर रहा था। अहमद सब को बिजी देख कर ज़ैनब के पास जा कर बैठ गया और बोला।
"प्यारी बहेना एक काम करोगी?"
"जी पहले बताए भाई काम क्या है फिर मैं फैसला करूँगी।" ज़ैनब अपनी मुस्कुराहट छुपा कर बोली।
"वोह सानिया को बुला दो।" अहमद ने बेचारी सी शक्ल बना कर कहा।
उसकी बात सुनकर ज़ैनब मुस्कुरा दी और बोली:"अभी कल ही तो मील थे उसे भी अपने घर ज़रा सुकून से रहने दीजिए।"
"अच्छा ना अब उससे बार बार मिलने को दिल करता है अब तुम्हारा दिल ज़ैनु से मिलने का नही करता है तो मैं क्या कर सकता हु। प्लीज बहेना तुम मना मत करना मुझ गरीब पर सिर्फ तुम्ही तरस कहा सकती हो।" अहमद ने मासूमियत से कहा।
"अच्छा ठीक है मैं कोशिश करती हूं।" ज़ैनब ने उसे घूरते हुए कहा।
"तुम्हे कोषिः नही करनी है पक्का करना है और मुझे पता ज़ैनब ज़ैन शाह के लिए कुछ भी मुश्किल नही है।" अहमद उसे मस्का लगते हुए बोला।
"अच्छा बस करो अब मस्का मत लगाओ।" ज़ैनब ने हंस कर कहा।
उसकी बात सुन कर अहमद अपना सिर खुजाने लगा।
ज़ैन ने उन दोनों की तरफ देखा और हंस दिया और फिर अपने काम मे बिजी हो गया क्योंकि वोह जानता था की वोह दोनो क्या बात कर रहे है।
................
ज़ैनब बैठी मैगज़ीन पढ़ रही थी ज़ैन और अहमद मीटिंग के बारे में बात कर रहे थे।
तभी सानिया अंदर आयी और ज़ैनब के पास बैठ कर बोली:"कहो क्यों बुलाया है मुझे?"
"बस वैसे ही मैं बोर हो रही थी तो सोचा तुम्हे बुला लू थोड़ी गपशप हो जाये गई।" ज़ैनब ने अहमद को देख कर मुस्कुरा कर कहा।
"अच्छा सही किया।" सानिया ने सोफे से टेक लगाते हुए कहा।
"कैसी हो मिसेज़ अहमद।" अहमद सानिया के पास बैठ कर बोला।
उसकी बात सुनकर सानिया ने घूर कर उसे देखा।
ज़ैन और ज़ैनब अपनी हँसी दबाने की ना काम कोशिश कर रहे थे।
"ज़ैन भईया यह हर वक़्त यही रहता है?" सानिया ने ज़ैन को देखते हुए पूछा।
"जी अपने डेरे डंमर के साथ हर वक़्त यही रहता है।" ज़ैन हस्ते हुए बोला।
उसकी बात सुनकर अहमद ने उसे ऐसे घूरा जैसे अभी कच्चा चबा जाएगा।
"ऐ......लड़की तमीज़ से बात करो मैं तुम्हारा हस्बैंड हु।" अहमद ने नौटंकी करते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर सानिया ने आंखे घुमाई और कहा:"हूं,,,,,,तमीज़ से।"
उन दोनों की बात होते देख ज़ैनब उठ कर ज़ैन के पास जा कर बैठ गयी।
"मेरे हाथ फिर से लगो टैब मैं तुम्हे अच्छे से सीधा कर दूंगा।" अहमद ने कहा।
"धमकी दे रहे हो।" सानिया ने आंखे घुमा कर कहा।
"जो समझना है समझलो।" अहमद ने उसे घूरते हुए कहा।
"तुम मुझे कुछ खो तो सही ज़ैन भईया तुम्हारा कीमा बना देंगे।" सानिया ने मुस्कुराते हुए ज़ैन को देख कर कहा।
उसकी बात सुनकर ज़ैन हँसने लगा।
उन दोनो की लड़ाई चालू थी। ज़ैन ज़ैनब के करीब हो कर बोला:"जान इनकी लड़ाई तो कभी खत्म नही होगी क्यों ना हम चल कर थोड़ा प्यार कर ले।"
"शाह आप हद करते है।" ज़ैनब ने उसके सीने पर मुक्का मारते हुए कहा तो ज़ैन ने उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया।
उनकी यह कभी ना खत्म होने वाली लड़ाई अभी भी चालू थी। हर कोई अपनी ज़िंदगी मे खुश था। बुरे लोग अपने अंजाम को पहोंच गए थे।
..............दी एन्ड.............
येह कहानी यही खत्म होती थैंक यू सो मच मेरी कहानी को इतना प्यार देने के लिए।
❤️................थैंक यू..............❤️