bhram - 18 in Hindi Fiction Stories by Surbhi Goli books and stories PDF | भ्रम - भाग-18

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भ्रम - भाग-18


"इस बली के बाद...बस एक नर बली! फिर तू जो चाहती है वो सब तेरा..." तांत्रिक ने भयानक ढंग से सपना की ओर देखते हुए एक वजनदार आवाज में कहा।

"शैतान का आशीर्वाद पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं तांत्रिक..कुछ भी!" सपना ने हवन कुंड में दम तोड़ते हुए कुत्ते के बच्चे को एक कुटिल मुस्कान के साथ देखते हुये कहा और वहां से उठ कर चली गई।

देव भी सेजू को अपनी कार में रख कर उसे अपने घर ले आया।

जब सेजू को होश आया तो वो एक बार फिर चौकी हुई थी,

"कहीं..कहीं में सपना तो नहीं देख रही!" सेजू ने कहते हुए अपनी आंखें मली।

"नहीं सेजू! ये सपना नहीं है...हम सब सच मुच तुम्हारे सामने हैं..." देविना जो बेहद गंभीर दिख रही थी उसने सेजू के सभी दोस्तों की तरफ इशारा कर के कहा,

ये देव का घर था, असल में पीकू का, जहां समर, देविका, देव, पीकू, और पीकू की मां भी मौजूद थी, सभी के चेहरों पर बारह बजे हुए थे और इस वक़्त दीवार घड़ी रात के साढ़े तीन बजा रही थी।

सेजू एक बेड पर बैठी हुई सबको हैरानी से देख रही थी।

"देव...सब लोग यहां क्या कर रहे हैं और मैं यहां क्या कर रही हूं?? और मां..मां ने उस पपी को??" कहते हुए सेजू कांप सी गई।

देव ने सेजू के कंधे पर हाथ रखा, "सेजू! अब जो मैं तुम से कहने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो...! मैं जानता हूँ ये सुन कर तुम्हे गहरा सदमा लग सकता है मगर ये जानना तुम्हे बहुत जरूरी है..." देव ने गंभीरता से कहा और सेजू के हाथ में पानी पकड़ा दिया,

"इसे पी लो....थोड़ी घबराहट कम होगी तुम्हारी, और अच्छा फील होगा।" देव ने कहा।

सेजू ने पानी पी लिया।

सभी लोगो ने अपनी अपनी जगहें ले लीं,

"मैंने तुम सब को भी यहां एक मकसद से ही बुलाया है, तुम लोगो को शायद मेरी बातें झूठ लगें लेकिन तुम लोगो को यकीन करना ही पड़ेगा..., अगर नहीं किया तो...तो अपनी एक दोस्त, मतलब सेजू को हमेशा हमेशा के लिए खो दोगे..." देव ने गभीरता से सभी के चेहरे देखे,

समर का दिल धक्क सा रह गया,

"सेजू को मोहरा बनाया गया है!" देव ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा।

"मोहरा??" पीकू के मुँह से निकला।

"हां मोहरा! हम सब किसी भी टूर पर नहीं गए थे, पर सेजू ने वो सब देखा, और उसे वो सब एक असलियत लगी..समर का मर जाना, उसका भूत बन जाना.., ये सब! ये सब एक भ्रम है...जिसे सेजू को गुमराह करने के लिए तैयार किया गया!

और.. जो जयंत है?? उसने हमें जो कुछ भी बताया वो सब भी एक भ्रम है..., भ्रम मतलब..एक झूठ! सिर्फ और सिर्फ एक गलतफहमी!

सेजू सिर्फ एक है, जो हमारे सामने है...." देव आगे भी कुछ कहना चाहता था पर समर ने उसे छेड़ते हुए कहा..

"क्या बक रहे हो तुम??? इसका कोई लॉजिक भी है??? अगर जयंत ने हमें जो बताया वो भी एक भ्रम है तो जयंत भी तो भ्रम हुआ न! फिर वो हमारे सामने कैसे आया?? अगर उसे आना ही था तो सिर्फ सेजू के सामने आता!"

"बिल्कुल ठीक कहा तुमने..., पर सिर्फ तुम्हारे हिसाब से, मेरे या मेरी किताबो के हिसाब से नहीं..." देव ने कहा।

"मतलब...तुम कहना क्या चाहते हो??" देविना ने पूछा।

"देखो देविना! असल में कोई भी आम इंसान इस बात पर यकीन नहीं करेगा कि आयाम होते हैं, काल होते हैं...,

भूतकाल और भविष्यकाल को हम देख सकते हैं, ये कोई आम इंसान नहीं जानता!

कभी कभी ऐसा होता है कि हम ऐसी जगहों पर पहुँच जातें हैं जहां से हम दूसरे टाइम में पहुँच सकते हैं,

धरती पर भी ऐसी क़ई जगहें हैं,

जो टाइम मशीन का काम करती हैं, मगर उनकी खोज कोई नहीं कर पाया!

और जयंत भी ऐसी ही गलत जगह से हमारी दुनिया में, हमारे टाइम में पहुँचा है..." देव ने सब को जोर दे कर समझाने की कोशिश की,

"बस कर यार भाई...बस कर तू! एक तो आधी रात में हम सब की नींद खराब कर दी और ऊपर से अब ये फालतू बातें कर के पका रहा है..." समर ने गुस्से से कहा,

"कैसे समर..?? तुम कैसे कह सकते हो कि मैं जो कुछ बता रहा हूँ वो सब बकवास है??? क्या तुमने वो पढ़ा है?? समझा है?? जो मैंने पढ़ा और समझा है??" देव ने कहा।

"बिल्कुल साबित कर सकता हूँ मैं कि तू जो बक रहा है वो सिर्फ और सिर्फ बकवास है..." समर ने अपने एक हथेली पे दुसरीं हथेली तेजी से मारते हुए पूरे आत्मविश्वास और गुस्से से कहा।

"कैसे??" देव ने कहा।

"अगर जयंत दूसरे टाइम से यहां आया है, और उसने वहां सेजू को देखा है, जो वहां पर कह रही है कि उसे जयंत की दुनिया से निकलना है तो फिर..तो फिर जो हमारे सामने है वो असली सेजू कैसे हो सकती है??? मतलब...असली सेजू भी तो किसी ऐसी जगह पर पहुच सकती है न जहां से वो दूसरे टाइम में पहुँच जाए???" समर ने कहा और वो खुद ही सोच में पड़ गया कि उसने जो कुछ कहा, वो क्या था???

अचानक ही बिस्तर पर बैठी सेजू का शरीर धुएं में बदलने लगा! सभी की आंखें फटी की फटी और मुँह खुला का खुला रह गया, केवल देव को छोड़ कर, उस के चेहरे पर कोई हैरानी नहीं थी।

समर पीछे के पीछे ही सोफे पर गिरा!

और सेजू अब पूरी तरह धुंए में तब्दील हो गई थी।

किसी के मुँह से कुछ भी नहीं निकल रहा था,

"जानता हूँ ये सब देख कर होश उड़े हुए हैं आप सब के! पर इसी को कहते हैं भ्रम!

मैंने सेजू को जानबूझ कर वो पानी दिया था, था तो वो साधारण ही पर असल मे साधारण भी नहीं, उसे मैंने अभिमंत्रित किया था...

जिससे ये सच्चाई साबित हो सके कि कौनसी सेजू असली है, जो हमारे बीच है या जो दुसरीं दुनिया में है???

और नतीजा सामने है, ये वाली सेजू सिर्फ और सिर्फ एक वहम था! जिसे हमारे बीच इसलिए रखा गया था ताकि हम सबको सेजू के न होने की टेंशन न हो..और हम उसके बारे में जानने की कोशिश न करें..कि वो कहाँ है!" देव बोला।

"लेकिन...लेकिन...ये..ये सब कर कौन रहा है?? और ये सेजू तो बिल्कुल ऐसी थी कि हमें शक ही नहीं हुआ कि ये नकली है असली नहीं..!" घबराई हुई देविना की आवाज निकली।

"सेजू का प्रतिबिंब भी तो सेजू की तरह ही होगा न देविना! जो हमारे साथ थी..वो असली सेजू की परछाई थी, हूबहू वैसी ही...उसे कुछ भी नहीं पता था कि वो क्या है??

और रहा सवाल ये कि ये काम कौन कर रहा है...तो इसका जवाब मैं नहीं दे पाऊंगा! क्योकि ये सब एक भूलभुलैया है....जो दिख रहा है वो है नहीं, और जो है..वो दिख नहीं रहा...

तुम लोग तो बस अब ये समझ लो कि तुम्हारी सेजू खतरे में हैं, एक जानलेवा खतरे में!" देव ने गंभीर हो कर कहा,

"लेकिन...लेकिन देव! इसका कोई सॉल्यूशन भी तो होगा न..." समर का गला भर आया, सभी की आंखें नम सी हो गईं।

"बिल्कुल है...इस दुनिया में ऐसा कोई ताला नहीं जिसकी चाबी न बनी हो...लेकिन उस सॉल्यूशन को हमें ढूंढना होगा, उस चाबी को हमें ढूंढना होगा..." देव ने कहा।

"क्या करना होगा हमें...?? हम कुछ भी करने को तैयार हैं अपनी फ्रेंड को बचाने के लिए देव!" देविना ने कहा।

"देव...मेरा एक और सवाल है तुम से..." समर कुछ गहराई से सोचते हुए बोला।

देव ने समर की ओर देखा,

"मैं ये नहीं समझ पा रहा हूँ कि जो सेजू हमारे साथ थी उसने वो अजीब सी बात हमें क्यों बताई कि उसने एक टूर पर मेरे भूत को देखा???" समर ने सवाल किया।

देव के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान फैली,

क्रमशः....