पार्ट - 16
देव, देविका, समर और खुद सेजू, पानी से निकले हुए लड़के के मुँह से अपना नाम सुन कर हैरान थे।
वो लड़का और कोई नहीं बल्कि जयंत ही था,
देव ने कुछ भी जानने और समझने से पहले जयंत को पानी से बाहर निकाला!
जयंत सिर पर हाथ रख कर एक पेड़ के झुके हुए तने पर बैठ गया वो पूरी तरह से भीगा हुआ था,
"आखिर तुम सेजू को कैसे जानते हो??" देव ने जयंत से मौका पाते ही सवाल किया।
"मैं तो खुद भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि आखिर ये सब क्या चल रहा है??" जयंत ने कहा।
"ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है मिस्टर!" देव ने कहा।
जयंत ने देव की ओर बेबशी से देखा और बोला - "मेरा नाम जयंत है, मैं राजलोक से आया हूँ..." जयंत अपनी बात पूरी कर पाता उसके पहले ही सभी लोग हैरानी से बोले -
"राज लोक??? जहां तक मुझे पता है ऐसा कोई शहर नहीं है हमारे भारत में..." समर ने कहा।
देव ने सख़्ती से समर को समझाइश देते हुए कहा - "समर! पहले हमें जयंत जी की बात सुन लेनी चाहिए।"
समर को चुप होना पड़ा।
"राजलोक, एक नगर है, मेरे जीवन की कहानी जानने लायक नहीं है, इसलिए मैं आप सबको इतना ही बता सकता हूँ अपने बारे में पर हाँ! जो लड़की मेरे सामने बैठी है, उसी की हूबहू एक लड़की जिसका नाम सेजू है, वो एक दिन अचानक मुझे राजलोक में मिली थी, वो बिल्कुल आप लोगो की दुनिया से आई हुई लगती है.., वो बार बार कहती है कि उसे उस राजलोक, मतलब हमारी दुनिया से अपनी दुनिया में वापस जाना है,
वो वहां फ़स गई है, और एक रानी की मदद कर रही है, जिसमें उसने मुझे भी शामिल कर लिया है, उसी की मदद के लिए मैं राजा का पीछा कर रहा था, मगर मैं गलतीं से एक सुरंग में गिर गया और उस सुरंग से यहां आ कर पहुँचा!" जयंत बोलता जा रहा था, सभी लोग जयंत की बात को सुन तो रहे थे मगर वो सब उसकी बातों पर यकीन नही कर पा रहे थे,
वहां एक देव ही था जो सचेत नजर आ रहा था,
"देखो जयंत! तुम सारी बात हमें अच्छी तरह बताओ कि असल में वो किस रानी की मदद कर रही है और क्यों?? और तुम राजा का पीछा क्यों कर रहे थे...सुरंग में कैसे गिरे?? सब! सब कुछ जानना चाहता हूं मैं!" देव अपनी जुबान पर जोर डालते हुए बोला, वो इस में काफी इंटरेस्ट ले रहा था।
"देव! तुम क्या इस आदमी की बातों पर यकीन कर रहे हो?? हो सकता है ये बकवास कर रहा हो।" समर ने लापरवाही के साथ कहा।
"बकवास इस वक़्त तुम कर रहे हो समर! ये एक बहुत सिरियस मामला है, प्लीज शांत रहो।" देव ने कहा।
समर ने मन ही मन कुछ बका और चुप बैठ गया।
"ये तो नहीं जानता कि वो सेजू क्यों रानी की मदद करना चाहती है पर..." कहते हुए जयंत ने मीन परी वाली पूरी बात देव और बाकी लोगो के सामने रख दी।
देव जयंत की बात सुन कर सोच में पड़ गया,
"क्या सोच रहे हो देव! ये सब क्या हो रहा है??" सेजू लगभग रोते हुए बोली।
"सेजू! इस बारे में मुझे कुछ कुछ समझ तो आ रहा है, लेकिन मैं ये बात अभी क्लियर नहीं कर सकता, मुझे कम से कम एक दिन चाहिए, मुझे रिसर्च करनी होगी अच्छी तरह, देखना होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है।" देव ने गम्भीरता से कहा।
"लेकिन! मैं यहां से कैसे वापस जाऊंगा?? वहां सेजू मेरा इंतजार कर रही होगी।" जयंत ने कहा।
"दोस्त! तुम्हे भी मुझे एक दिन का वक़्त देना होगा, लेकिन इस दुनिया में तुम्हे छुप कर रहना होगा, उस शक्ति से जिसने ये भ्रम फैलाया है! उसके लिए मेरे पास एक उपाय है..." देव ने जयंत के कंधे पर हाथ रखते हुए सहानुभूति के साथ कहा।
"कौनसा??" जयंत बोला।
"तुम मेरे साथ आओ!" देव ने जयंत को उसके पीछे आने के लिए कहा, देव और जयंत दोनों ही कुछ दूरी पर चले गए।
देव ने सेजू और बाँकी दोस्तो को साथ आने से मना कर दिया था।
"ये देव इतना सब कैसे जानता है??" देवीना ने कहा।
"लगता है पिछले जन्म में कोई तांत्रिक था।" समर ने मुँह मोड़ते हुए कहा।
"उसने कहा है न कि वो स्टडी कर रहा है, तुम लोग फिर क्यों आपस में ऐसी बाते कर रहे हो?? एक तो मैं पहले ही परेशान हूँ और दुसरीं ये तुम दोनों की बातें!" सेजू खींझ कर बोली।
"सॉरी यार सेजू! पर तू परेशान मत हो, सब ठीक हो जाएगा ओके।" देवीना ने सेजू को तस्सली देते हुए कहा।
तब तक देव लौंट आया,
"अरे देव! वो लड़का कहाँ है??" देवीना बोली।
"मैंने उसे पुजारी जी के साथ छोड़ा है, तुम लोग उसकी टेंशन मत लो और चलो मेरे साथ!" देव ने सब को सन्तुष्ट करते हुए कहा।
देव के साथ सभी कार के पास आये,
"सेजू!" देव ने कहा।
सेजू ने देव की ओर देखा,
"आज जो कुछ भी यहां हुआ, उसके बारे में अपने घर पर कोई जिक्र मत करना प्लीज!" देव ने कहा।
"पर क्यों??" सेजू बोली।
"मैं तुम्हारे क्यों का जवाब कल दूंगा!" देव ने गंभीरता से किसी ख्याल में खोए हुए कहा।
इसके बाद सभी लोग अपने अपने घर लौट आये।
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अपने घर पहुचते ही सब से पहले देव ने अपनी सारी किताबे निकाल ली और उन्हें एक एक कर के उनके टॉपिक चेक करने लगा,
शाम से आधी रात हो गई, पर देव ने अपनी किताबों से नजरें नहीं हटायी,
अचानक ही वो किताबो से दूर हट कर खिड़की के पास खड़ा हो गया, वो कुछ सोच रहा था,
"इसका मतलब है ये सब सिर्फ एक भ्रम है..." देव मुँह में ही बड़बड़ाया।
"अगर ऐसा है तो मुझे जल्द से जल्द उसका भांडा फोड़ना होगा, वरना...बहुत कुछ गलत हो जाएगा।" इस बार देव काफी परेशान मालूम हुआ।
देव ने बिना सोचे समझे उसी आधी रात में किसी को कॉल कर दी।
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लेम्प जल रहा था, जो सेजू के बेड के पास रखी टेबल पर रखा हुआ था, सेजू को देख कर ऐसा मालूम हो रहा था कि वो अपने चेहरे पर बेढंगेपन से रखी किताब को पढ़ते पढ़ते सोयीं है,
सेजू के कमरे में लगी दीवार घड़ी टिकटिक की आवाज करती हुई, रात के ढाई बजा रही है,
खिड़की खुली हुई है और बाहर से झिंगुरों की आवाजें आ रही हैं, नींद के आगोश में पड़ी सेजू नहीं जानती थी कि उसकी नींद तेज आवाज से टूटने वाली है,
सेजू हड़बड़ा कर उठी, जब उसने कुछ होश संभाला तो पाया कि उसका मोबाइल फोन चींख रहा है,
"ओ माय गॉड! लगता है रिंगटोन बदलनी पड़ेगी...बड़ी डरावनी लगा रखी है।" सेजू ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा और फोन उठाया,
"देव! इस वक़्त देव क्यों मुझे कॉल कर रहा है..." सेजू के मन में प्रश्न उठा।
"हेलो देव..."
"सेजू! मैं तुम से इसी वक्त मिलना चाहता हूं..." देव की सरसराती सी आवाज सेजू के कानों में मोबाइल के साउंड से होकर गई।
"पर..पर क्यों??? वो भी इस वक़्त..." सेजू हैरानी के साथ बोली।
"देखो सेजू! हमारे पास वक़्त बहुत कम है, जैसा मैं कह रहा हूँ तुम वही करो प्लीज!" देव इस वक़्त काफी गंभीर था।
क्रमशः....