Beshak Ishq - 6 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | बेशक इश्क - Part-6

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बेशक इश्क - Part-6

चन्दानी हाऊस

देहरादून, उतराखण्ड

" आज से यह रूम तुम्हारा है,,, , रूपी,,,,!!! तुम जब तक चाहो यहां रह सकती हो,,,!!!! निवेदिता नें रूपिका को बैड पर बैठाते हुए कहा । रूपिका नें निवेदिता को देखकर अपना सिर हिला दिया ।

" औके बेटा,,, अब तुम रेस्ट करो अगर तुम्हें कोई जरूरत हो तो मुझे या किसी को भी आवाज देकर बुला लेना,,,,"

" ठीक है आंटी,,,, ,!!! रूपिका ने कहा तो निवेदिता ने एक हल्की मुस्कान के साथ उसके सिर पर हाथ फेरा और वहां से चली गई ।

निवेदिता बैड पर लेट गयी , उसनें पूरे रूम में लेेटे- लेटे ही पूरे रूम में नजरे घुमाकर देखा । वो काफी देर अब अपने रूम को इस तरह देखती रही पर फिर से पता ही नहीं चला ना जाने उसे कब नींद आ गयी ।

शाम का समय

" रूपिका कैसी है,,,,?? उसको खाना और दवाईया वगैरा टाइम से करवा दी है ना,,,,, ????

" हां डैड, बुआ उनका बहुत अच्छे से ख्याल रख रही है,,,और इस वक्त वो सो रही थी तो,,, मैने उन्है अभी नही जगाया है,,,, "

" हां उसे रेस्ट करने दो, काफी बुरा असर हुआ है उस पर मेन्टली और फिजिकली, सो सी नीड्स रेस्ट,,,"

" यस डैड,,, वैसे यह लिजिये मिस निहारिका और आपके डायवोर्स पेपर्स,,,,!!!!

" हम्म,,, तो क्या उसने साइन कर दिए हैं या नहीं,,,"

" डैड, लगता है मैं आपको बिना सिग्नेचर वाले पेपर दूंगा ????? "वदान्य नें आंखे बनाते हुए कहा ।

" नो माय सन, मुझे पता है अगर तुम कोई काम हाथ में ले लेते हो तो उसे पूरा करके ही मानते हो,,,,, पर तुमने यह किया कैसे, मुझे यह समझ नही आया,,,,??? रघुवीर नें सोचते हुए कहा ।

" नो डैड इस बार मैंने कुछ नहीं किया इस बार तो सब कुछ हेड कमाण्ड ने किया है,,,, !!!! वदान्य नें आंखे घुमाते हुए कहा ।

" औह तो यह बात है, वैसे कहा है आपके हैड कमाण्ड,,,, "

" अभी तो वो मुम्बई है, पर अगले हफ्ते तक आ ही जायेगे,,,,"

" मतलब वो मुम्बई कब चला गया,,, बिना बताये,,,, ??? निवेदिता नें हॉल में एन्टर करते हुए कहा ।

" बुआ वो, कल रात ही अचानक,, उन्हें मिटिंग थी तो,,,, "

" पर मुझे तो बताना चाहिये था,,,, ना मुझसे मिला, ना ही मुझे कुछ बताया,,,,, !!!! "

" अरे बुआ, डॉन्ट वरी,,, वो बस उन्हें अर्जैन्ट मिटिंग थी तो उन्होने मुझे बताया पर आप रूपिका के कारण परेशान थी, तो मैं बताना भूल गया,,,,"

" अरे कोई बात नही,,,"

" हम्म, पर बुआ,,,, राव्या कहा है,,,, ??? "

" अरे वो आज लेट आएगी, उसकी स्कूल में फेयरवेल पार्टी है तो वहां आज लेट तक आयेगी,,, मुझे लगता है शायद रात के दस बजे तक ही आयेगी,,,,"

" हम्म,,, औके बुआ,,,"

" वदान्य , तुम्हारे कॉलेज का क्या हुआ ???? तुम कॉलेज नहीं जा रहे हो क्या आजकल,,,,," इस बार रघुवीर जी ने सवाल किया ।

" डैड कल से जाऊंगा,,,!!! मेरा कुछ दिन से मूड ठीक नही था तो कॉलेज स्कीप कर दी,,, पर अब कल से जाना पडेगा, कॉलेज के इलेक्शन आने वाले है और गैस व्हॉट अबकी बार मेैं कॉलेज इलेक्शन में भाग लेने वाला हूं,,,,!!!

" औह रियली नाइस बेटा,,, बेस्ट ऑफ लक,,,, !!!! बट सामने वाले को भा ध्यान रखना, शायद वो तुमसे ज्यादा दमदार हो,,,,,"

" यप्प,,, आई नो डैड,,,, अभी मैं जाता हूं मुझे कुछ काम है कॉलेज प्रोजेक्टस का तो,,,"

" ठीक है,,,, जाओ तुम,,, "

" बुआ, आज आप अपने हाथो का कुछ बना दिजिये, बहुत दिन हो गए आपके हाथों का खाना खाये,,,, "

" औके बेटा,,, आज तुम्हारी फेवरेट डिश बना दूंगी" निवेदिता, वदान्य को देखकर मुस्कुराते हुए कहती है ।

" जी बुआ,,,,"वदान्य मुस्कुराते हुआ कहता है फिर तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ जाते हैै ।

वदान्य, अपने मोबाइल में उंगलियां चलाते हुए रूपिका के रूम के सामने से गुजरता है कुछ कदम चलने के बाद ही वो अचानक रूक जाता है , वदान्य अपनी भौंहे सिकोडते हुए वापस पीछे की तरफ आता है । रूपिका के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था और रूपिका बैड पर नही थी ।

" रूपिका,,,,???? "वदान्य नें रूम का दरवाजा हल्का सा नॉक करते हुए कहा , पर उसे अन्दर से कोई आवाज नही आती ।

" रूपिका,,,, , ??? " वदान्य दोबारा आवाज देता है पर फिर भी उसे कोई आवाज नही आती, वदान्य कुछ पल चुप रहने के बाद, दरवाजा खोलता है ।

" रूपिका,,, ??? आप जाग गयी है क्या,,,, ??? "वदान्य नें दोबारा आवाज लगायी, उसे लगा शायद रूपिका बाथरूम में हो, पर आवाज लगाने पर भी उसे वहा से भी कोई आवाज नही आती । वदान्य को अब हैरानी होती है, वो कुछ बाथरूम को नॉक करता है, पर उसे कोई आवाज नही आती ।

वदान्य कमर पर हाथ रखते हुए-: " कहा गयी रूपिका, ना बाथरूम में है, ना ही रूम में,,,, स्ट्रेंज,,,,!!! उसकी तो हालत भी नही थी कि वो बैड से भी नीचे उतर पाये, तो अचानक कहा गयी होगी,,,,????

वदान्य पूरे रूम को अच्छे से चैक करता है पर उसे कही भी रूपिका वही मिलती, जिस पर उसे हैरानगी भी होती है उसे समझ भी नही आ रहा था कि रूपिका कहा गयी होगी...?? पर जब उसे रूपिका नही मिलती पर तभी उसकी नजर टेबल पर रखे एक लैटर पर जाती है । वदान्य लेटर उठाकर पढता है-: सॉरी आप सभी को बिना बताये जा रही हूं पर मुझे इस घर में बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था, मुझे बस गार्गी और पापा की याद आ रही थी, इसलियें मेैं अपने घर वापस जाना चाहती हूं,,,अगर आप लोगो को बताकर जाती तो मैं जानती हूं आप लोग मुझे कही नही जाने दोगे, इसलिये बिना बताये जा रही हूं, आप लोगो को पहले ही बहु बहुत परेशान कर दिया है,,, अब ओर परेशान नही देख सकती, और अब मैं अपने घर पर ही रहना चाहती हूं,,,, निवेदिता आंटी थैंक्यू सो नच मेरी इतनी केयर के लिये,,, और वदान्य तुम्हारा भी शुक्रिया,,,, !!!!!

वदान्य नें लेटर पढकर एक गहरी सांस ली, फिर निवेदिता और रघुवीर को आवाज लगाते हुए हॉल की तरफ चला जाता है ।

दूसरी तरफ

रूपिका का घर

" हम तेरे बिन अब रह नही सकते, तेरे बिना क्या वजूद मेरा,,, तुझसे जुदा गर हो जाएगे तो खुद से ही हो जाएगे जुदा,,, क्योकि तुम ही हो, अब तुम ही हो मेरी जिंदगी अब तुम ही हो, मेरा चैन भी, मेरा दर्द भी,,, मेरी आशिकी अब तुम ही हो,,,,,,,, " एक लडका खिडकी से बाहर देखते हुए यह गाना गा रहा था, वो ब्लू कलर का बिजैनस सूट पहने हुए था, उसके हाथ जेब में थे ।

लडका गाना गाते हुए पीछे पलटता है,,,, वो लडका काफी खुबसूरत था, साथ ही उसकी नीली आंखे बिल्कुल वदान्य की तरह थी ।

लडका पलटकर देखता है तो सामने बैड पर रूपिका लेटी हुई थी, वो उसी तरह बेहोश लेटी थी, जिस तरह हॉस्पिटल में थी,, वो बिल्कुल भी होश में नही थी, ऐसा लग रहा था जैसे वो गहरी नींद में सो रही हो ।

उस लडके की गहरी नीली आंखे , रूपिका की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है फिर वो लडका रूपिका की तरफ बढ जाता है ।

धारावहिक जारी है.......