Dulhan ka Hatyara - 2 in Hindi Thriller by ravindra thawait books and stories PDF | दुल्हन का हत्यारा - भाग -2

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दुल्हन का हत्यारा - भाग -2

सुबह के 9 बजे थे। सुजॉय घोष इस समय अपने घर मे बने छोटे से जिम से कसरत कर निकले ही थे। शरीर पसीना से लथपथ था। कंधे में एक नीले रंग का टॉवल था। चेहरे को पोछते हुए,दर्पण के सामने खड़ा हुआ था। इसी समय उसकी मोबाइल की घण्टी बजी। सुजॉय ने अपने निक्कर के जेब मे हाथ डाल कर मोबाइल निकाला और स्क्रीन पर एक नजर डालते हुए बड़बड़ाया - हुजूर आते आते बहुत देर कर दी। मोबाइल को कान में लगाते हुए सुजॉय ने कहा - गुड मॉर्निंग सर। दूसरी ओर से आ रही आवाज को सुनकर सुजॉय ने कहा - यस सर,मैं पहुँच जाऊंगा। मोबाइल को जेब मे रखते हुए सुजॉय गुनगुनाने लगा - मैं वही,दर्पण वही,न जाने ये क्या हो गया? सब कुछ लागे नया नया। गुनगुनाते हुए,सुजॉय बाथरूम में घुस गया। लगभग एक घण्टे में सुजॉय अपनी रॉयल एनफील्ड बुलेट बाइक से एसपी आफिस पहुँचा। बाहर खड़े अर्दली को पर्ची दिया। दो मिनट में बुलावा आने पर वह अंदर घुसा। कमरे के अंदर घुसते ही सामने एसपी अजित मेनन उसके सामने थे। सुजॉय ने दोनों एड़ियो को सटा कर सेल्यूट मारा और सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया। एक फाइल में उलझे एसपी ने बिना सिर उठाये सुजॉय को बैठने का इशारा किया। फाइल से सिर उठाते हुए एसपी अजित ने सुजॉय की ओर देखते हुए कहा -केशला घाट में हो रही घटनाओं के बारे में तो जानते ही होंगे सुजॉय। सुजॉय ने सम्हलते हुए कहा - जी सर,अखबारों में पढ़ा है। इस घाट में अब तक 4 महिलाओं की सिर कटी हुई लाशें मिल चुकी हैं। चारो महिलाए नवविवाहित थी। इस घाटी में आखिरी वारदात दो दिन पहले हुई है। एक 25 साल की महिला का शव इस जंगल से बरामद किया गया है। गुड,कहते हुए एसपी ने एक फाइल उसकी ओर बढाते हुए कहा - ये है उस केस की फाइल। आज से इस केस के इंचार्ज तुम्हे बनाया जाता है। इस केस की जांच के लिए पांच सदस्यों की एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित की गई है। इसके हेड तुम होंगे। सुजॉय ने अपने सामने टेबल में रखी हुई फाइल को उठाने की कोई चेष्टा नहीं की। प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ एसपी की ओर देखने लगा। एसपी ने इस खाखी रंग का लिफाफ आगे बढाते हुए कहा - अरे हैं! तुम्हारा त्याग पत्र नामंजूर कर दिया गया है। आज और अभी से तुम्हे क्राइम ब्रांच में तैनात किया जाता है। इस केस में तुम सीधे मुझे रिपोर्ट करोगे। सुजॉय ने विरक्त भाव से कहा - आई एम सारी सर। लेकिन मैं इस नोकरी के लिए बिल्कुल भी इच्छुक नही हूँ। सम्भलगढ़ केस में मेरे और मेरी टीम के साथ जो हुआ,उसे आप जानते हैं। हमने,अपनी जान पर खेल कर,उस हथियार माफिया को मार गिराया। इसमे मेरे एक सिपाही को अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा,एक स्थायी रूप से अपंग हो गया और हमें क्या मिला? फेक एनकाउंटर का दाग। न्यायिक जांच का मेडल और संस्पेंसन का इनाम। मुझे नहीं करना सर ऐसी नोकरी। जहां,सरकार,अपने जांबाज सिपाहियों को इस तरह का इनाम देती हो। जाइए,जा कर देखिए,उस एनकाउंटर में शहीद हुए जवान राजेश जाधव के परिवार को,जिसने अपना इकलौता बेटा खोया और अपंग हुआ कृष्णा को,किस तरह अपने जीवन का एक एक दिन एक एक साल की तरह गुजार रहा है? नहीं,सर,मैं इस तरह काम नहीं कर सकता। जहां,हमारे ही लोग,हमारी बजाने में लगे रहते है।इतना कह कर,सुजॉय ने खड़े हो कर एसपी को सैल्यूट मारा और तेजी से कमरे के बाहर निकल गया।