Pehchan - 11 in Hindi Fiction Stories by Preeti Pragnaya Swain books and stories PDF | पेहचान - 11

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पेहचान - 11

पीहू बोलना शुरू की मैं पीहू हूँ... पहले क्या करती थी वो राज रहे तो अच्छा है ,पर अब मैं यहाँ इंडिया मैं नई नई आई हूँ और फिल्हाल काम तलाश कर रही हूँ । मैं जिनके बारे मैं आपसे बात की वो मेरे लिए मेरे सब कुछ हैं ,साफ लब्जों मे कहूँ तो my life ,अगर मेरे पास दिल है तो वो उस दिल के धड़कन हैं । मैं उनका इलाज आपसे करवाना चाहती हूँ क्योंकि मैं जानती हूँ आप ही हैं जो उनका इलाज कर सकते हैं।

Dr. चंपकलाल ने कहा ठीक है मैं तुम्हारी मदत करूँगा पर उसके लिए मेरे कुछ सर्ते है और कुछ नियम..... अगर वो पूरा की तो इलाज करूँगा नही तो तुम जा सकती हो....

पीहू फटाक बोली सर्ते क्या हैं बोलिये मैं उसे जरूर पूरा करूँगी....

Dr. चंपकलाल ने कहा पहले एक बार सोचलो क्या पता सर्ते सुनने के बाद पीछे हट जाओ.... और हसने लगे

पीहू बोली आप बोलिये i Promise मे सर्त से पीछे नही हटुंगि....

Dr. Champklal ने कहना शुरू किया
मुझे पता है तुम कोई मामूली लड़की नहीं हो वरना मेरे पास आज तक कोई नहीं पहुँच पाया भला तुम मुझे केसे पा गयी

इसलिए मेरी पहली सर्त ये है की.........
तुम्हे पैसे अच्छे तरीके से कमाने होंगे अगर मुझे कभी भी पता चला की तुम गलत हो मैं इलाज वहीं रोक दूंगा...

दूसरी शर्त..........
यहाँ मेरे पास कोई और नही है ,तो तुम्हे मेरे साथ यहाँ रुकना होगा जब मैं उनका इलाज करूँगा

तीसरी सर्त
तुम मुझसे कभी झूठ नही बोलोगी
बस इतने ही और हाँ तुम बोल रही थी न तुम कुछ भी कर सकती हो तो फिर आज से तुम यहाँ रोज आओगी और ये घर साफ करोगी और मेरे लिए खाना बनाओगी
क्या तुम्हे ये सब मंजूर है ?

पीहू बोली हाँ मुझे सब मंजूर है....

बताइये मैं उन्हे यहाँ कब ला सकती हूँ?

Dr. चंपकलाल ने कहा देखो फिल्हाल तो तुम उन्हे यहाँ मत लाओ क्योंकि जिस हालत मैं वो हैं उन्हे बहुत देख भाल जरूरी है जो तुम नहीं कर सकती सो मैं तुम्हे एक adress देता हूँ वहाँ चली जाना आगे का मैं बताऊंगा.....

पीहू बोली ठीक है आपका नंबर दे दीजिये ताकि जब जरूरत हो आपसे बात कर पाऊँ..

Dr. चंपकलाल ने एक दबे हुए सुर मैं कहा कोई जरूरत नहीं तुमने तो ये जगह देख ली है, तो जब बात करनी हो यहाँ चली आना पर याद रखना जब बात उतनी serious हो तभी आना फालतू मैं आने की जरूरत नहीं ।

पीहू बोली ठीक है पर मुझे तो आपके घर मे काम करने भी आना है सो क्या मैं आ सकती हूँ?

Dr. चंपकलाल ने कहा हाँ तुम आना और अपना काम खतम करके चली जाना मैं तुम्हारे लिए एक नोट छोड़ दूंगा की तुम्हे क्या क्या करना है......

रात के 4 बज चुके थे , पीहू धीरे धीरे घर के अंदर आने लगी तभी अचानक सारी lights जल गयी और एक आवाज सुनाई दी क्या ये वक़्त है घर आने का?
पीहू वहीं रुक गयी और देखने लगी तो अभिमन्यु सोफे पे बैठा हुआ था उसके आँखों मे गुस्सा साफ दिखाई दे रही थी मानो अभी वो पीहू को कच्चा खा जायेगा ।

पीहू थोड़ा हसते हुए बोली , देखो वैसे भी आज सोमवार है और मेने सुना है इस दिन India मैं बहुत से लोग nonveg नही खाते I think तुम भी नहीं खाते होगे और वैसे भी मुझ जैसे छोटे बच्चे को खाके तुम्हे क्या मिलेगा?

अभिमन्यु सोफे से उठा और पीहू के करीब आते हुए बोला अच्छा तो तुम छोटी बच्ची हो तो फिर ये भी जानती होगी की छोटे बच्चो को इतनी देर तक बाहर नहीं रुकना चाहिए । और फिर एक जोरदार आवाज के साथ कहा जितना जल्दी हो सके यहाँ से निकल जाओ!