Beshak Ishq - 4 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | बेशक इश्क - Part-4

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बेशक इश्क - Part-4

अगली शाम

सीटी हॉस्पिटल ऑफ देहरादून

" गार्गी,,,,, !!!! लगभग चीखते हुए रूपिका बैड से उठ खडी होती है ।

" डॉक्टर,,,, डॉक्टर,,, पेसेन्ट को होश आ गया है,,,!!!नर्स नें डॉक्टर को बुलाते हुए कहा । नर्स की आवाज सुनकर डॉक्टर अन्दर आती है । रूपिका जोर-जोर से गार्गी का नाम लेते हुए चीख रही होती है ।

" सिस्टर, पेसेन्ट को इंजेक्शन लगाओ,,, यह पैनिक हो रही है,,,,, !!!!! फास्ट,,,,, " डॉक्टर के कहने पर नर्स रूपिका को इंजेक्शन लगा देती है । इंजेक्शन लगाते ही कुछ देर में रूपिका वापस बेहोश हो जाती है । रूपिका नें अपने हाथ से ड्रीप वगेरा निकाल दी थी , शायद वो हद से ज्यादा पैनिक हो गई थी । ना ही उसे होश था कि वो क्या कर रही थी और कहा थी ।

" तुम जाओ और जाकर मिस्टर चन्दानी को कॉल करो और कहो कि पेसेन्ट को होश आ गया है,,,, "

" औके डॉक्टर , वैसे वो सुबह से काफी कॉल कर चुके है,,,,,,"

" हां ठीक है कॉल करो उन्हें,,,, मैं पेसेन्ट को देखती हूं,,,,"

नर्स अपना सिर हिला देती है और बाहर निकल जाती है वही डॉक्टर एक नजर रूपिका को देखती है फिर कुछ सोचते हुए अपना सिर झटक देती है ।

दूसरी तरफ

" डैड मैं हॉस्पिटल जाकर आता हूं,,,,!! वो डॉक्टर का कॉल आया है कि मिस्टर रहैजा कि बेटी को होश आ गया है, आप भी चलना चाहेगेे क्या,,,,??? वदान्य नें सोफे पर बैठे अपने डैड से कहा ।

" यह तो अच्छी बात है बेटा, रूपिका को होश आ गया,,,, तुम अभी फौरन जाओ, और हो सके तो उस बच्ची को टूटने मत देना,,,, वैसे तो वो तुम्हें या मुझे नही जानती है,,,, पर हम तो उसे जानते है,,, इसलिये उसे सम्भालना जरूरी है मै भी जाना चाहता हूं पर आज मेरी तबियत कुछ सही नही है वदान्य , तुम अपनी बुआ को ले जाओ अपने साथ, इस वक्त उस बच्ची को किसी के साथ की जरूरत है , पहले मिसिटर रहेैजा और कल उसका एक्सीडेन्ट , जिसमें उसकी बहन भी,,,,, !!!! "

" डैड,,,,, आप परेशान मत होइये, मैं कोशिश करूंगा कि वो मुझे देखकर पैनिक हो जाये, पर मुझे भी समझ नही आ रहा है कि इस वक्त मैं एक लडकी को कैसे सम्भालूंगा, मुझे नही पता वो कैसे रिएक्ट कर रही होगी इस वक्त, और शायद जान भी ना पाऊ कि उस पर क्या बीत रही होगी पर फिर भी आप कह रहे हो तो मैं पूरी कोशिश करूंगा और बुआ भी है तो,,,,"

" ठीक है बेटा,,,,!!! तुम्हारी बुआ रेडी है या मैं उन्हें बुलाऊं"

" नही डैड वो रेडी है,,,, बुआ रहैजा अंकल की दोस्त भी तो है तो शायद रूपिका,,, को बैटर सम्भाल पाये,,,,, रूपिका से पहले मिल भी तो चुकी है वो,,,, "

" हां,,,, ठीक है फिर जाओ तुम दोनो,,,, अगर रूपिका ठीक हो तो उसे अपने साथ ले आना क्योकि वो अकेली कहा जायेगी , उस बच्ची को इस वक्त प्यार और अपनेपन की जरूरत है तो उसे इस घर में थोडा प्यार वगेरा मिलेगा तो दुःख से जल्दी बाहर आ जायेगी,,,,,"

" औके डैड,,, यू आर द बेस्ट, कितना सोचते है आप सबके बारे में,,,, जिससे कभी मिले भी नही हो उसके लिये भी इतना सोच रहे हो,,,"कहते हुए वदान्य एक रघुवीर के गले से लग जाता है फिर दूर होते हुए-: अब मैं बुआ को बुला लाता हूं,,,,,, अभी तक नीचे नही आयी है शायद वो अभी राव्या को ही डांट रही होगी,,,"

रघुवीर, वदान्य की बात पर हल्का सा मुस्कुरा देते है वही वदान्य सीढियो की तरफ बढ जाता है ।

कुछ देर बाद

सीटी हॉस्पिटल ,

देहरादून, उतराखण्ड

रूपिका, बैड पर लेटी हुई थी, उसकी आंखे बन्द थी, वो बिल्कुल होश में नही थी,,, नर्स, उसें कुछ ड्रिप वगैरे लगा रही थी, नर्स अपना काम खत्म करके वहां से निकल जाती है,,,, तभी कुछ देर की शांति के बाद, ऐसा महसूस होता है जैसे रूम में कही से धुँआ उठ रहा हो, साथ ही रूपिका धीरे-धीरे उस धुँए के पीछे छिप रही हो,,,, रूम में लाइट्स तेजी से बन्द-चालू होने लगती है ऐर अचानक से रूम में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है ।

गहरा घना जंगल

अज्ञात जगह

" तो आ ही गयी तुम वापस, मेरे पास,,,, इस समय का ही तो इंतजार था,,,, " रूपिका अंधेरे में आंखे बन्द किये खडी थी तभी उसे लगा जैसे उसके कान के पास किसी नें यह शब्द बेहद धीमी आवाज में एक सरसराहट के साथ कहे हो ।

रूपिका अपनी आंखे भींचने लगती है उसे लगता है जेैसे उसनें वो आवाज कही सुनी हो, एक लडके की रहस्यमय आवाज,,, वो भी इतनी गहरी, जैसे वो आवाज पहले से ही सीधे उसके दिल में उतर रखी हो ।

रूपिका नें अपनी आंखे खोली, और यहां वहा नजरे घुमायी पर कुछ भी साफ नही था, हर ओर अंधेरा और सफेद धुँआ, इसके साथ ही इतनी ठण्ड,, , जैसे वो हिमालय की वादियो में खडी हो ।

" कौन हो , तुम,,,,,,,,, ???

" तुम्हारा साया,,,,,,!!!

" मतलब,,,?? क्या है तुम्हारा,,,,??? सामने आओ तुम जो भी हो,,,,!? रूपिका नें यहां-वहां देखते हुए कहा ।

" मैं तुम्हारे, पास ही तो हू,,, हमेशा,,,, हमेशा तुम्हारे साथ,,,,, "उस सरसरी आवाज नें दोबारा रूपिका के कान पर कहा ।

" क्या,,,,, मेरे साथ,,, , तुम मेरे साथ कैसे हो सकते हो, मैं तुम्हें नही जानती,,, सामने आओ,,, कैन हो तुम,,,,,"

" मैं तुम्हारा आदि हूं,,,,, तुम्हारा आदि,,,,, जिसे तुम हमेशा अपने साथ महसूस करती हो,,,,,,"

" आदि,,,, ???? मुझे नही पता,,, आदि कौन है,,,, और तुम्हारा नाम मुझे हर समय अपने सपनो में दिखाई देता है पर मैने ना तो तुम्हें देखा है और ना ही तुम्हें जानती हूं ,,,,, पर अब मेरे साथ यह खेल मत खेलो,,,, बताओ कौन हो तुम और मैं कहां हूं,,,,, " रूपिका नें गुस्से से अंधेरे में देखते हुए कहा ।

" तुम हमारी दुनिया में हो,,,, तुम मेरे साथ हो, और इस वक्त मैं तुम्हारे बेहद करीब हू,,,,!!!! जैसे ही उस आवाज नें कहा, रूपिका को लगा जैसे उसके चेहरे के एकदम पास कोई खडा हो, और उसकी सांसे रूपिका को अपने चेहरे पर महसूस होती है ।

रूपिका तुरन्त अपनी आंखे बन्द करके जोर से चिल्ला उठती है " दूर रहो मुझसे,,,,"

इसके साथ ही उसकी आंखे खुलती है तो देखती है कि वह हॉस्पिटल में मशीनों के बीच लेटी हुई है और वदान्य उसके पास ही खडा था, रूपिका, वदान्य को देखकर चौंक उठती है,, उसे जोर से एक तरफ धक्का मार देती है वदान्य , ECG मशीन से टकरा जाता है,,पर तुरन्त अपना बैलेस भी सम्भाल लेता है,,,,रूपिका अपने आप को हॉस्पिटल में देखकर भी उसके कुछ समझ नही आता, वो अभी कुछ देर पहले देखी और सुनी हुई बातो से घबराई हुई कभी वदान्य को देख रही थी, तो कभी अपने चारो ओर,,,,,उसके माथे से पसीना बह रहा था और सांसे भी दुगुनी रफ्तार से चल रही होती है । वही वदान्य भी हैरानगी से रूपिका को देखने लगता है ।

धारावाहिक जारी है .............