नमस्कार आज फिर हाजीर हु आपके लिए आपकी अपनी बहेतरीन नवलकथा के एक और अंक को लेकर लेकिन मेरी आप से एक बिनंती है कि अगर आपने अभी तक हमारी इस बहेतरीन कहानी के अगले अंको को नहीं पढा है तो प्लीज़ पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक समझ आए। आईए शुरू करते है यह संघर्ष वाला अंक
आगे आपने देखा की केसे वो अंजान आदमी भागने मे सफल हो जाता है और रुहान, जीज्ञा और उसके दोस्त सोच मे पड जाते हैं कि यह आदमी कोन था और क्यो हमारा पीछा कर रहा था। अब आगे।
समय पसार होने के साथ साथ जीज्ञा और पुर्वी अब बरोडा वापस आ जाते है। बरोडा आने के बाद रुहान, जीज्ञा और सभी दोस्त अपनी नाटक स्पर्धा की तैयारीऔ मे लग जाते हैं। जीज्ञा अपनी कहानी समय के साथ तैयार कर लेती है और बाकी की तैयारी रुहान कर लेता है। कुछ महीने के बितते ही अब स्पर्धा की शुरुआत का समय हो चुका था। रुहान और उसकी टीम अपने परफोर्मन्स के लिए तैयार थी । बरोडा के एक बडे टाउनहोल मे इस स्पर्धा का आयोजन किया जाता है। सभी लोग उस टाउनहोल पर उपस्थित थे। टाउनहोल की सारी शीटे खचाखच भरी हुइ थी क्योकि गुजरात सरकार ने इस प्रतियोगिता का खुब प्रचार किया था। समय होते ही आज के जज भी अपनी जगह ले लेते हैं और फिर इस स्पर्धा के एन्कर के द्वारा स्पर्धा की शुरुआत की जाती है।
नमस्कार दोस्तों तो कैसे हो आप सभी दोस्त। आपका इस प्रतियोगिता के साक्षी बनने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आज से लेके अंत तक हमारे गुजरात मे से कही अच्छे लेखक, एक्टर और डिरेक्टर हमे मिलने वाले हैं। तो दोस्तों जम के महेनत करना इस प्रतियोगिता के लिये क्योकि आप मे से जो कोई भी फाइनल में पहोचेगा उसे बॉलीवुड के सबसे कामयाब डिरेक्टर के सामने परफोर्मन्स करने को मिलेगा और अगर आपने उनके दिमाग मे अपनी छाप छोड दी तो फिर आप जानते ही हो की उसके अच्छे परिणाम क्या क्या हो सकते है। यह स्पर्धा तीन राउन्ड मे होगी पहले राउन्ड मे चार टीमो को पसंद किया जाएगा और फिर दुसरे राउन्ड में उन चार टीमो मे से दो टीमो को पसंद किया जाएगा और उन टीमो मे फाइनल मुकाबला होगा। तो कुछ एसे इस प्रतियोगिता को चलाया जाएगा। तो ज्यादा बात न करते हुए अब हमे शरुआत करनी चाहिए हमारी पहली टीम की अदाकारी के साथ... एन्करने पहली टीम को बुलाते हुए कहा।
सामने पब्लिक के साथ बेठे हुए जीज्ञा और रुहान दोनो एन्कर की बात बडे ध्यान से सुन रहे थे। रुहान के पास तो अभी भी उम्मीद थी की जीज्ञा अपना सपना जरुर शाकार कर शक्ति है लेकिन जीज्ञा की यह उम्मीद तुट चुकी थी जो अभी एन्कर की बाते सुनकर फिर से जग रही हो एसा रुहान को जीज्ञा का चहरे देखते हुए लग रहा था।
अब धीरे धीरे सभी नाटको की शुरुआत होती है। पहला नाटक, दुसरा नाटक, तीसरा नाटक एसे करते करते सभी टीमो के नाटको की समाप्ती होती है अब सिर्फ जीज्ञा और रुहान की टीम का ही नाटक बाकी था। सभी लोगो ने फिक्सन और पुराने पौराणिक विषय पर ही नाटक किया था। अब बारी जीज्ञा और रुहान की टीम के नाटक की थी। जीज्ञा इस नाटक की लेखीका थी तो रुहान इसका निर्देशक बना था और बाकी के दोस्त इस नाटक के पात्रो को स्टेज पर जींदा करने मे लगे हुए थे।
अब लास्ट मे आनेवाली टीम हैं बरोडा सेन्टरल कॉलेज से जीज्ञा और रुहान की टीम तो आइए देखते है अब वो क्या नया लाते है... एन्करने जीज्ञा और रुहान की टीम को नाटक पेशी के लिए बुलाते हुए कहा।
अब रुहान और जीज्ञा की टीम नाटक की शुरुआत करती है। नाटक का नाम था मेरा कोन। यह नाटक का विषय कुछ एसा था की अहमदाबाद में एक लडकी का बलात्कार किया जाता है उसके ही सगे के ही द्वारा। उसके माता पिता और खास उसके कोलेज के दोस्त उस पापी को सजा दिला ने के लिए पहले पुलिस केस करते हैं और बाद में पुलिस के राजकीय दबाक के कारण कुछ भी ना करने के कारण सभी दोस्त और उनके कोलेज फ्रेन्डस आंदोलन करते हैं उस लडकीओ को न्याय दिला ने के लिए। जीसने उस लडकी का बलात्कार किया था वो सरकार मे चल रही पार्टी का अध्यक्ष था इसलिए उस लडकी का केस दबाया जा रहा था जीस के लिए उसके दोस्त आंदोलन कर रहे थे। लेकिन इस नाटक मे भी होता वही है जो हकिकत में होता है पहले उन दोस्तों को धमकाया जाता है फिर मारा-पिटा जाता है और अंत में उनको मार दिया जाता है। उन लोगो को मार देने के बाद बाकी के सभी आंदोलनकारीओ के बिच हाहाकार मच जाता है और फिर वो आंदोलन और केस दोनो कही खो जाते हैं और लोगो की तो आदत है कि चुनाव के पहले सबकुछ भुलजाना। चुनाव आते हैं और वो बलात्कार राज्य का गृहमंत्री बनजाता है और प्रजा बस देखती रहती है। अब यहा पे इस नाटक का अंत हो जाता है और पुरे टाउनहोल की लाइटे बंद हो जाती है और एक लाइट का फोकस स्टेज पर खडी जीज्ञा के उपर आ जाता है और जीज्ञा अपनी और से कुछ बताने की कोशिश करती है।
आप लोग सोच रहे होंगे कि इसका यह तो सही अंत नहीं हो सकता क्योकी अंत मे तो यहा पे लडकी को इन्साफ मिलना चाहिए पर नहीं मिला। क्यो नहीं मिला पता है आपको ? इन्साफ इस लिए नहीं मिला क्योकी यह नाटक कम पर दुनिया के लिए एक आइना था कि हकिकत में भी कहा इन्साफ मिलता है। हम यह नहीं जता रहे की इस नाटक का अंत यही है नहीं यह नाटक का अंत नहीं है बल्कि इस अंत को यहा पे बेठी हुई जनता को बदलना है अभी तक बलात्कार का शिकार हुई लडकीओ को इन्साफ दिला कर... जीज्ञाने अपनी और से कहा।
अब लाइट का फोकस जीज्ञा पर से हटकर रुहान पर आता है।
तो आइए आज से हम सपथ लेते हैं कि हम बलात्कार के हर एक गुनेगार को सजा दिलाएगे और हम अपना नेता सोच समझकर चुनेंगे। प्लीज मेरे साथ आप भी यह सपथ ग्रहण करे ...रुहानने अपना हाथ आगे कर के सपथ लेते हुए कहा।
टाउनहोल की लाइटे फिर से चालु कर दी जाती है और वहा बेठे सभी लोग अपनी जगह से खडे होकर सपथ लेने लगते हैं और इससे पुरे टाउनहोल का माहोल जेसे क्रान्ति मे बदल गया हो एसा लगने लगता है। वहा बेठे जज भी सपथ लेने के साथ साथ इस माहोल को देख रहे थे। तो कुछ एसे खत्म होता है जीज्ञा, रुहान और उनके दोस्तो का पहला नाटक। सभी लोग अपनी अपनी जगह पे बेठ जाते हैं। अब बारी थी जीती हुई और प्रतियोगिता में आगे बढ रही टीमो के नाम की घोषणा करने की। जज अब घोषणा करने की शुरुआत करते हैं।
आज जीस प्रकार से हमने प्रतियोगिता देखी हम बहुत ही आनंदीत हो गए। मुझे लगता है कि गुजरात के फिल्म जगत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। ज्यादा समय न लेते हुए मे जीती हुइ टीमो मे से सबसे पहले उस टीम का नाम लेना चाहुंगा जीस ने इस टाउनहोल का माहोल और लोगो के देखने का नजरिया ही बदल दिया और वो और कोई नहीं जीज्ञा और रुहान की टीम है जीसने समाज को आईना बताने की कोशिश की है तो आप को हम लोग सबसे पहले आगे बढने का अवसर देते हैं...जजने जीज्ञा और रुहान की टीम का और बाद में तीन और टीमो का नाम लेते हुए कहा।
जीज्ञा, रुहान और उनके दोस्त अपना नाम सुनकर बहुत खुश हो जाते हैं और खुशी से कुदने लगते हैं। अब फिर से बार बार अपने आपको रोकने के बावजुद जीज्ञा अपने सपने पुरे होने की उम्मीद लगाने लगी थी। रुहान जीज्ञा की आखो में सपने पुरे होने की उम्मीद साफ साफ देख रहा था। तो कुछ एसे एकबार फिर से जीज्ञा और रुहान की अपने सपनो की तरफ बढने की सफर शुरु हो चुकी थी लेकिन अब दोनो की जींदगी एसी करवटे लेने वाली थी की आप के लिए यह कहानी और भी रसप्रद होनेवाली है। अब जीज्ञा बहुत खुश थी और सभी दोस्त बडे जोस से आगे की तैयारी करने मे लग गए थे।
स्पर्धा के चार दिन बाद। जीज्ञा और पुर्वी सुबह कोलेज जाने के लिए निकलते है। रिक्षा न मिलने के कारण दोनो चलते हुए अपनी कॉलेज की तरफ जाने के लिए निकलते है।
जीज्ञा आज हम थोडे जल्दी है तो मेरा मन था एक चाई पीने का तो बिच मे एक कोफी शोप आता है वहा चाई पीते है और बाद मे निकलते हैं... चलते हुए पुर्वीने कहा।
ठीक है...जीज्ञाने कहा।
दोनो बहने उनकी कॉलेज और होस्टेल के बिच मे आनेवाले कोफीशोप पे रुकते है और दो मस्त चाई का और्डर देते हैं और फिर चाई का मजा लुटते लुटते बाते करते हैं।
तुझे नहीं लगता की हमे इस कोफी को थोडा और मजेदार बनाना चाहिए... पुर्वीने चाई की पहली चुस्की लेते हुए कहा।
मतलब मे कुछ समझी नहीं... जीज्ञाने कहा।
मतलब यही की हम इस चाई वाले समय को थोडा रसप्रद बनाते हैं पुर्वी वीथ चाई के साथ... पुर्वीने जीज्ञा को समझाते हुए कहा।
तु साफ साफ बोल तुझे करना क्या है... जीज्ञाने पुर्वी से सवाल करते हुए कहा।
मतलब हम दोनो एक रेपीड फायर राउन्ड खेलते है जीसमे मे सवाल पुछुंगी और तु उत्तर देंगी... पुर्वीने जान बुझकर जीज्ञा से रुहान के बारे में जीज्ञा की भावनाओं को जानने के लिए पुर्वीने सवाल करते हुए कहा।
ओके ठीक है... जीज्ञाने भी बिंदास अपनी चाई की चुस्की लेते हुए कहा।
ओके तो पहला सवाल और हा फट से जवाब देने का बिना देरी किए... पुर्वीने जीज्ञा से कहा।
हा बाबा तु सवाल तो कर वरना चाई खत्म हो जाएगी... जीज्ञाने कहा।
पहला सवाल तेरा सबसे मनपसंदीदा मौसम... जीज्ञाने कहा।
बारीश... जीज्ञाने फट से जवाब देते हुए कहा।
फेवरीट क्रिकेटर... पुर्वीने जीज्ञा से दुसरा सवाल करते हुए कहा।
एम. एस. धोनी... जीज्ञाने फिर से फट से जवाब देते हुए कहा।
तेरे जीवन की कोई भी सायर की सबसे फेवरीट दो लाइने।
हाथ पकडले अब भी तेरा हो सकता हु मे। भीड बहुत है इस मेले में खो सकता हु मे। पीछे छुटे हुए साथी मुझको याद आते हैं वरना अब भी आगे हो सकता हुं मे... मेरे जीवन की सबसे पसंदीदा लाईने... जीज्ञाने कहा।
रुहान के बारे में जीज्ञा क्या भावनाएं अपने दिल में रखती है वो जानने की कोशिश पुर्वी इस खेल के द्वारा कर रही थी।
प्यार के बारे में दो शब्द और हा प्रामाणिकता से जवाब देना प्लीज़... पुर्वीने अगला सवाल करते हुए कहा।
प्यार मतलब जीस मे किसीका किसीसे कोई मतलब ही ना हो एसा बंधन... जीज्ञाने अपना उत्तर देते हुए कहा।
पुर्वी बहुत ही तेजी से अपने सवाल कर रही थी और जीज्ञा उतनी ही तेजी से उत्तर दे रही थी। पुर्वी जानबुझकर इतना तेजी से सवाल कर रही थी ताकी जीज्ञा को बहाने ढुडने का वक्त ही ना मिले।
तेरा बेस्ट फ्रेन्ड... धीरे धीरे पुर्वी अपने सही सवाल की और बढ रही थी।
अ... पुर्वी... जीज्ञाने अपना उत्तर देते हुए कहा।
अब पुर्वी को पुरा भरोसा हो गया था कि रुहान का नाम बेस्ट फ्रेन्ड मे जीज्ञाने नहीं बोला इसलिए वो उसे अपना बेस्ट फ्रेन्ड नहीं उससे कुछ ज्यादा ही मानती है। अब पुर्वीने अपने सही सवाल पर आते हुए कहा।
तेरा सच्चा प्यार... पुर्वीने अपना सही सवाल करते हुए कहा।
पुर्वी के इस सवाल का जवाब देने मे जीज्ञा देर लगाती है और सोच मे पडजाती हैं।
देख जीज्ञा पुरी प्रामाणिकता से जवाब देना... पुर्वीने जीज्ञासे कहा।
जीज्ञा अभी भी सोच मे डुबी हुई थी। जीज्ञा के उत्तर का पुर्वी को बेसब्री से इंतजार था लेकिन जीज्ञा अपना उत्तर दे इससे पहले पुर्वी के मोबाइल मे जीज्ञा और रुहान के जीवन की सबसे बडी खतरे की घंटी बजती है। पुर्वी अपना फोन उठाती है और फोन मे बातचीत के बाद दोनो एकदम से होस्टेल पहुचते है जहा पे पहले से पुर्वी के पापा मोजुद थे। किसी कारणवश जीज्ञा और पुर्वी को पुर्वी के पापा के द्वारा अहमदाबाद ले जाया जाता है। अब आप के मन में भी मेरी ही तरह सवाल हो रहे होगे की एसा क्या हुआ की दोनो को तत्काल मे घर ले जाया जा रहा है ? क्या सजंयसिहने कुछ किया या तो उस अंजान आदमी ने? जो भी हुआ है वो जीज्ञा और रुहान के जीवन में बहुत ही बडा भुचाल लानेवाला है तो पढना मत भुले दो पागल के आने वाले अंक को।
TO BE CONTINUED NEXT PART ...
|| जय श्री कृष्णा ||
|| जय कष्टभंजन दादा ||
A VARUN S PATEL STORY