Humne Dil De Diya - 13 in Hindi Women Focused by VARUN S. PATEL books and stories PDF | हमने दिल दे दिया - अंक १३

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हमने दिल दे दिया - अंक १३

अंक १३ हलचल    

       मुझे आप से कुछ कहना है पर आप पहले वचन दो की मै जो भी कहूँगी वो आप ध्यान से सुनोगे और उस पर सोच विचार करके ही निर्णय लोगे और मै जो भी कहूँगी वह आप बापूजी को नहीं बताएँगे ... मधुने गभराहट के साथ अपने पति सुरवीर से कहा |

       सुरवीर मधु के बोले वचन को सुनने के बाद कुछ देर तक चुप रहता है और फिर प्रत्युतर करता है |

       चलो ठीक है बताओ ... सुरवीर ने कहा |

       एसे नहीं आप वचन दो ... मधु ने कहा |

       ठीक है बाबा वचन देता हु अब कुछ बोलोगी तुम ... सुरवीर ने कहा |

       वो मुझे लगता है हमारी ख़ुशी और अंश के बिच कुछ चल रहा है ... मधु ने अपने पति से कहा |

       क्या... तुम क्या बोल रही हो मधु ...सुरवीर ने चौकते हुए कहा |

       देखिये आप पहले पुरी बात सुन लीजिए बाद में कुछ बोलियेगा ... मधुने कहा |

       ठीक है बताओ तुमको जो भी बताना है वह सबसे पहले ... सुरवीर ने कहा |

       मुझे पता है की ख़ुशी और अंश दोनों बहुत अच्छे मित्र है और बचपन से साथ है पर मैंने उनको छत पर जैसे एक दुसरे का दुःख एक दुसरे को बाटते हुए देखा तो पता नहीं मुझे एसा अहसास हुआ की दोनों मै कुछ तो चल रहा है क्योकी दोनों एक दुसरे की इतनी परवाह कर रहे थे मानो जैसे पति पत्नी हो और जीवनभर एक दुसरे का साथ निभाने की भी बात कर रहे थे ...मधु ने अपनी बात बताते हुए सुरवीर से कहा |

     यह साला केशवा का बेटा मेरी बहन से छेड़खानी करेगा इसकी तो मै ...सुरवीर गुस्सा हो जाता है |

     आगे कुछ मत बोलिए वह उसकी छेड़खानी नहीं पर इज्जत करता है उसके सम्मानों की रक्षा करता है और आपकी बहन और अंश दोनों ही पवित्र है और आपको मै यही कहना चाहती हु की आप देखिये और जानिये की क्या हम जो भी बता रहे है वह सच है और अगर है तो उसकी जानकारी बापूजी तक ना पहुचे क्योकी अगर बापूजी तक पहुची तो अंश और ख़ुशी दोनों का जीवन बरबाद हो सकता है | आप एक भाई है और आप चाहेंगे की ख़ुशी को एक एसा लड़का मिले जो उसकी इज्जत करे और उससे ढेर सारा प्यार करे तो वह लड़का अंश से बहेतर कौन हो सकता है | आप उसे बचपन से जानते है अच्छा है संस्कारी है और तो और पढ़ा लिखा है और बहार जाकर सेट होना चाहता है अगर वो और ख़ुशी दोनों एक हो गए तो सोचो ख़ुशी का जीवन कितना अच्छा हो जाएगा | आपकी बहन की लाइफ बन सकती है आपके एक सही कदम से तो मेरा तो कहना है की आप कुछ महीने सब देखो की सच में दोनों के बिच कुछ है या नहीं है तो आप बिना बताये पिताजी से बात करो की ख़ुशी के लिए अंश सही लड़का है और अगर कुछ नहीं है फिर भी अंश जैसा लड़का ढूढना मुश्किल है और यह आप भी जानते है | दोनों में आपकी बहन का फायदा है आप सोचो ... मधुने अपने विचार सुरवीर के सामने रखते हुए कहा |

     सुरवीर मधु की बात सुनकर अपनी फाईल टेबल पर रख देता है और मधु की बात पर ध्यान देकर सोच विचार करता है | कुछ देर सोचने के बाद सुरवीर अपनी पत्नी को अपना मंतव्य बताता है |

     बात तो तेरी १००% की है मधु अंश से अच्छा लड़का ख़ुशी को कहा मिलेगा ...सुरवीर ने अपने दिमाग में अंश और ख़ुशी के बारे में सोचते हुए कहा |

     भले ही अंश ने ख़ुशी से प्रेम करने की जुर्रत की हो पर कुछ अच्छा पाने के लिए कुछ बुरा भूलना भी पड़ता है तो आप उस जुर्रत को भुल जाईये और दोनों के भविष्य के बारे में सोचिये ... मधुने अपने पति सुरवीर से कहा |

     बात बिलकुल सही है तुम्हारी | ठीक है मै कुछ महीने दोनों पर नजरे रखता हु अगर कुछ होंगा तो हमें जरुर दिख जाएगा और तुम भी दोनों के एक दुसरे को लेकर जो व्यवहार है उस पर नजरे रखो अगर कुछ होगा तो हम दोनों के सामने जरुर आ जाएगा और नहीं होगा तो कोई बात नहीं अगले एक-दो महीने में मैं बात कर लुंगा बापूजी से ...सुरवीर ने सही बात का सही उत्तर देते हुए कहा |

      मधु को जो लग रहा था वह सच मै है या नहीं इस बात का उत्तर किसी के पास नहीं था | ख़ुशी के दिमाग में अब धीरे धीरे अंश के लिए प्यार जगने लगा था जिससे दोनों का नजदीक आना तय था पर अब देखना यह था की सुरवीर जादवा अंश के जीवन में कोनसा भुचाल लेकर आता है |

      इस तरफ हवेली में एक बॉडीगार्ड आगे के मुख्य द्वार पर बैठा था और दुसरा बॉडीगार्ड पुरी हवेली के चक्कर लगाकर आता है और अपने साथी बॉडीगार्ड को बताता है | ( मनोज पाटिल और विश्वत कहर बॉडीगार्ड के नाम )

      यार वो ताला तो हमने फिर से लगाया था ना ... मनोज पाटिल ने कहा |

      हां मैंने खुद ताला लगाया था वहा पर ... विश्वत कहर ने कहा |

      वो ताला अभी तुटा हुआ है ... मनोज पाटिल ने कहा |

      क्या बात कर रहा है वह ताला अभी तुटा हुआ है इसका मतलब वहा से कोई जरुर आता जाता है भाई हम में से एक को वहा पर बैठना होगा क्योकी अगर मानसिंह जादवा की उस विधवा बहु के साथ कुछ हुआ ना तो वह हमें जान से मार डालेगा ... विश्वत कहर ने कहा |

      ठीक है आज से मै वहा पर बैठता हु ... मनोज पाटिल ने कहा |

      अब अंश और उनके दोस्तों के लिए हवेली में जाने के दोनों दरवाजे बंद हो चुके थे | दिव्या पुरा दिन अकेली एक ही कमरे में बैठकर बोर हो जाती थी जिस वजह से वह आज अपने कमरे से निकलकर हवेली की छत पर चली जाती है जहा पर छत का विस्तार इतना बड़ा था जहा क्रिकेट भी आसानी से खेला जा सकता है | पहली बार छत पर आकर दिव्या को एसा लग रहा था मानो जैसे पंछी पिजरे से आजाद हुआ हो | खुली और ठंडी हवा दिव्या के गालो को छु रही थी और छत के बीचो बिच खड़ी दिव्या मानो आज अपने दोनों हाथ फैलाकर हवा को गले लगा रही थी | दिव्या की आखे बंद थी वह हवा को महसुस कर रही थी | दिव्या अपनी आखे खोलती है तो सामने उसे पुरा गाव दिखाई देता है | हवेली की छत पर से गाव बहुत सुंदर दिख रहा था | कुछ देर दिव्या हवेली पर ही बैठती है और अपने पुराने दिनों को याद करती है |

      दिव्या अपने पुराने दिन में बहुत बिंदास और खुले विचारो वाली लड़की थी | उसे हर पल में जीवन जीना आता था | क्या मिला क्या नहीं उसका हिसाब वह कभी नहीं लगाती थी बस खुद खुश रहती और अपने आस-पास वालो को खुश रखती | दिव्या ने अपनी शादी से पहले हर एक पल को बहुत गहेरायी से जिया था | दिव्या की जिंदगी इस शादी से पहले बहुत सारे रंगों में डूबी हुई थी जिसमे शायद एक ही काला रंग था जो दिव्या को पसंद नहीं था और वह था उसका एक तरफ़ा प्यार | दिव्या जब १० वी कक्षा में थी तब वह एक लड़के से प्यार करती थी जिसका दृश्य बार बार उसके सामने आ रहा था |

     वह लड़का जहा जहा भी जाता दिव्या उसका पीछा करती और बस उसे देखा करती | स्कूल जल्दी आना और उस लड़के का इंतजार करना फिर उसके आने से उसको ताकना और उससे बात करने के तरीके ढूढना जैसी बहुत सी यादे आज दिव्या के दिमाग में घुम रही थी |

     सारी पुरानी यादो को याद करते हुए दिव्या की आखो में आशु आ जाते है और वह आशु खोये हुए उस प्यार के लिए नहीं थी वह आशु खोये हुए उस पल और उस जीवन के लिए थे जिसे जीने की आश तक अब दिव्या के लिए मिट चुकी थी | कल दिव्या का जन्म दिन है और यह उसका पहला एसा जन्म दिन है जिसे वह अपने दोस्तों के साथ नहीं मना पायेगी क्योकी अब वह एक विधवा है और लोग और गलत रिवाज ने उससे उसके सारे उस हकों को छीन लिया है जो उसे दो पल की ख़ुशी दे सके |

     छत पर आकर उसे जरुर थोड़ी आजादी महसुस हुई होगी पर अभी भी दिव्या को अपनी गुलामी अच्छी तरह से मालुम थी वह कुछ देर छत पर रहने के बाद वापस से निचे अपने कक्ष में चली जाती है और अपने आप को फिर से सजा देने लगती है |

     दिव्या की यादे बहुत कुछ बया कर रही थीं | शायद दिव्या ने बचपन में ही अपना प्रेम खो दिया था और शायद वह आज यह भी महसुस कर रही होंगी की वह सच में अभागी है क्योकी उसे कभी भी सच्चा प्यार हासिल नहीं हुआ और उसकी शादी होते ही उसका पति मर गया | दिव्या के दिमाग में कई सवाल और उलझने घूम रही थी जो दिव्या को दिनभर दिन परेशान कर रही थी पर क्या करे अब उसने इस चीज को स्वीकार कर लिया था की अब यह ही जीवन है उसका |

     एक तरफ दिव्या अपने आपको हारती हुई देख रही थी वही इस तरफ अंश, ख़ुशी और बाकी के सारे दोस्त मिलकर दिव्या के जीवन में फिर से वह जीवनरस और आश की बुँदे भरना चाहते थे जिससे वह फिर से जीना सीखे |

जनमावत शहर के एक कॉफी शॉप पे |

    अशोक, चिराग, पराग, अंश और ख़ुशी सारे दोस्त जनमावत शहर के एक प्रख्यात कॉफी शॉप में बैठे हुए थे और हर किसी के बिच कुछ ना कुछ बाते चल रही थी कॉफी पिने के साथ में |

    यार ख़ुशी वो मैंने तुमको उस लड़की का नाम दिया था तुमने उसके बारे में पता लगाया क्या क्योकी मेरा बाप कभी भी मेरे पीछे पड़ सकता है ...अशोक ने कोफी की चुस्की के साथ कहा |

    हा मैंने पता लगाया था कॉलेज में मेरी १ साल जूनियर है और तो और पढाई में काफी अच्छी है और तेरे लिए बिलकुल सही है अगर उसने हां कही तो बाकि ... ख़ुशी ने अशोक से कहा |

    ख़ुशी यह बता की क्या वो हॉट है ... चिराग ने मजाक करते हुए कहा |

    हा बिलकुल अपने गाव में शायद ही एसी कोई हॉट छोरी होगी ...खुशीने भी मजाक में अपना सहयोग देते हुए कहा |

    फिर तो निकल पड़ी अपने भाई की हा भाई भाई भाई ... अंश ने भी अशोक को चिड़ाते हुए कहा |

    अब तो भाई मतलब बहुत व्यस्त होने वाला है ... पराग ने कहा |

    सारे दोस्त मिलकर अशोक की मजाक मस्ती कर रहे थे |

    ओह हो भाई तो शर्मा रहा है भाई जल्दी से जाके गाव में पेड़े बिकवाओ अब अशोक बड़ा बन गया है ...अंश ने अशोक को चने के झाड पर चढाते हुए कहा |

    अशोक मन ही मन शर्माने लगता है |

    क्या अशोक क्या करना है तुझे शादी करनी है या नहीं ... अंश ने अशोक से पूछते हुए कहा |

    अगर ख़ुशी बोल रही है वह लड़की बिलकुल स्वभाव से अच्छी है तो फिर मेरी हा है ... अशोक ने अपने मन की बात बोलते हुए कहा |

    ओय होय लड़का तो अब दूल्हा बनेगा दूल्हा ... सारे दोस्तों ने मिलकर कहा |

    काका घोड़ी तैयार करो अपना बंदा शादी के लिए राझी है ... अंश ने दिलीप सिंह को फोन लगाकर उन्हें अशोक का निर्णय बताते हुए कहा |

    क्या बात कर रहा है वो मान गया ठीक है फिर अभी तो वीर को गए कुछ ही समय हुआ है तो एकाद महिना जाने देते है फिर दोनों की सगाई कर देते है अभी सिर्फ बोलकर रखता हु | धन्यवाद अंश बेटा ... दिलीपसिंह ने कहा |

     अरे कोई बात नहीं काका मजे करो अब ससुर बनने वाले हो आ ...अंश ने दिलीपसिंह का फोन रखते हुए कहा |

     इधर सारे दोस्त अशोक के बारे में अच्छी खबर सुनकर खुश हो रहे थे और दुसरी तरफ ख़ुशी का बड़ा भाई और भाभी भी अंश और ख़ुशी को एक बंधन में बांधने की तैयारिया कर रहे थे | जिस वक्त ख़ुशी, अंश और सारे दोस्त उस कॉफी शॉप पर बैठे थे उसी वक्त सुरवीर जादवा की कार उस रोड से गुजरती है जिस पर वह कॉफी शॉप है और उसके ठीक बाजू में एक दूकान है जहा पर सुरवीर जादवा का ड्राईवर कार रोककर सुरवीर जादवा के लिए ससिगारेट का पैकेट लेने के लिए जाता है और तब तक इधर-उधर नजर घुमा रहे सुरवीर जादवा को ख़ुशी का एक्टिवा कॉफी शॉप के बहार दिख जाता है | सुरवीर जादवा अपनी कार से निचे उतरकर उस कॉफी शॉप की तरफ आगे बढ़ता है |

     यार अंश हम तीनो को जूते लेने है तो तब तक तुम दोनों यही पर रुको हम लोग जूते लेकर आते है ...चिराग ने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा |

     ठीक है ... अंश ने कहा |

     ख़ुशी और अंश वही कॉफी शॉप में बैठकर कॉफी पिने का मजा उठाते है और उनके तीनो दोस्त जूते लेने के लिए EXIT के दरवाजे से बहार निकल जाते है | इस तरफ सुरवीर जादवा एंट्री गेट से कॉफी शॉप से अंदर झाककर देखता है की ख़ुशी यहाँ पर किसके साथ आई हुई है और उसे वही दीखता है जो मधु उन्हें दिखाना चाहती थी | अंश और ख़ुशी को एक साथ हस्ते हुए बाते करते हुए और कॉफी पीते हुए देख लेते है और उनके मन में भी वही सोच की शुरुआत हो जाती है जो मधु के दिमाग में अंश और ख़ुशी को देखकर चल रही थी |

     दोनों को साथ देखने के बाद सुरवीर जादवा फिर से अपनी कार में बैठकर सिगरेट फूकते हुए निकल जाते है | ख़ुशी अंश के साथ बिलकुल सुरक्षित थी इस वजह से सुरवीर जादवा को ख़ुशी और अंश के साथ रहने से कोई दिक्कत नहीं थी |

     थोडा वक्त गुजरता है | तीनो दोस्त जो लेने गए थे वह लेकर वापस लौटते है और थके हारे अपनी जगह पर बैठ जाते है |

     थक गए यारा ... चिराग ने कहा |

     कुछ ठंडा लाना प्लीज ... अंश ने वेइटर को देखकर कहा |

     आ गए तीनो के जूते | तीनो के एक साथ ही फटे ... अंश ने अपने तीनो दोस्तों से कहा |

     नहीं भाई अपने भाई की शादी है तो अभी से तैयारी करेंगे तभी तो समय पे सबकुछ हो पायेगा ... चिराग ने मजाक करते हुए कहा |

     सारे दोस्त हसने लगते है | हर कोई आज थोडा खुश था | वेइटर सबके लिए कुछ ठंडा लाकर टेबल पर रखता है |

     दोस्तों मुझे आपसे कुछ बात करनी है और साथ में आपसे कुछ काम भी है ... ख़ुशी ने सारे दोस्तों से कहा |

     हा ख़ुशी बोलोना क्या बात है ... अंश ने कहा |

     हा हा फरमाईये ... चिराग ने ठंडा पीते हुए कहा |

     अंश कल भाभी का जन्म दिन है कल मतलब आज रात से तो मै चाहती हु की हम कुछ एसा करे जिससे भाभी को इस जन्म दिन के कारण ख़ुशी के दो पल मिल सके ... ख़ुशी ने सारे दोस्तों से कहा |

     सीधा सीधा बोल ख़ुशी की भाभी के जन्म दिन पर हमारा मरण दिन करना चाहती है | अब तक वहा पर जाने से फटती थी और अब हम वहा पर जन्म दिन मनाने जाएंगे ... पराग ने ख़ुशी से कहा |

     यार ख़ुशी वहा पर जाना बहुत रिश्की है एक दो बार गए ठीक है अगर पकडे गए ना तो हमारी खेर नहीं ... अशोक ने कहा |

     हम सभी जानते है की इस गाव वालो को रिवाजो से छिड़खानी करने वाले किसी पापी से कम नहीं लगते और इनको लगता है की अगर हमने अपने रिवाजो के साथ छेड़खानी की तो कुछ अपशकुन होगा और हम इन लोगो से छुपकर हर रोज यही कर रहे है ... चिराग ने कहा |

     आप सब की बात सही है पर एक इंसान के नाते हमारा फर्ज है की हम एसे लोगो की मदद करे जो बिना बात की सजा भुगत रहे है और यह भी ना हो सके तो कमसे कम उन के जीवन के कुछ पलो को ख़ुशी से सजाए और यार वह ख़ुशी की भाभी है सोचो हम में से किसी की बहन या फिर पत्नी होती तो हम उनके लिए कुछ ना कुछ जरुर करते तो फिर अभी क्यों पीछे हटना और नहीं पकडे जायेंगे तुम लोग चिंता छोडो और अपना दिमाग चलाओ की दिव्या जी के जन्म दिन को स्पेशियल कैसे बनाए |

      हमें सबसे पहले यह सोचना है की हम वहा कब जाए ...ख़ुशी ने कहा |

      हम आज रात बारह बजे ही जाएंगे जो सबसे सही वक्त है क्योकी दिन में जन्म दिन को मनाने के लिए जो चीजे जरुरी है वह हवेली में लेजाना बहुत मुश्किल होगा और रात को एक ही खतरा रहेगा और वह तुमको तुम्हारे घर से निकालना पर वो हो जाएगा ... अंश ने कहा |

      क्या रात को यह तो और भी खतरनाक है अगर वहा पर भूत हुआ तो ... पराग ने डर के मारे कहा |

      तु अपनी बकवास बंद कर और कोई सवाल नहीं करेगा सब वही सोचेंगे की दिव्या जी का जन्म दिन स्पेशिअल कैसे बनाए बाकी सब मेरे उपर छोड़ दो ठीक है ... अंश ने अपने सारे दोस्तों से कहा |

पुलिस स्टेशन में,

    भवानी सिंह अपने दफ्तर मै बैठा हुआ था | मनसुख भाई का भवानी सिंह के दफ्तर में प्रवेश होता है |

    आईए मनसुख भाई आईए क्या खुश खबर लाए हो हमारे वास्ते ... भवानी सिंह ने मनसुख भाई की तरफ देखते हुए कहा |

    मस्त खबर है आपके लिए साहेब ... मनसुख भाई ने भवानी सिंह से कहा |

    अरे अरे बताईए क्या आपको लड़का हुआ है क्या ... भवानी सिंह ने मनसुख भाई की फिरकी लेते हुए कहा |

    अरे नहीं साहब एसी भी खुश खबर ना है ... मनसुख भाई ने कहा |

    तो फिर कोनसी खुशखबर है सुनाईये जल्दी हमारे चोथे पे सुनायेंगे ... भवानी सिंह ने कहा |

    खबर यह है की उस ट्रक के मालिक का पता चल गया है ... मनसुख भाई ने कहा |

   क्या खबर है मनसुख भाई क्या खबर है | मुझे नाम नहीं सुनना उसका उसको जल्दी से यहाँ पर मेरे सामने पेश करो बाद में खुद सबकुछ जान लुंगा... भवानी सिंह ने आदेश देते हुए कहा |

   जी सर ... मनसुख भाई इतना सुनकर वहा से चले जाते है |

विकास दल के पार्टी दफ्तर में,

   शांतिलाल झा ने अपने PA को कुछ काम से अपने दफ्तर में बुलाया था | शांतिलाल झा का PA अपना सारा कामकाज छोड़कर फटाफट से शांतिलाल झा के दफ्तर में पहुचता है |

   सर आपने मुझे बुलाया था कुछ काम था ... PA ने शांतिलाल झा से कहा |

   हां एक जरुरी काम था | यहाँ के PI भवानी सिंह जल्द से जल्द मेरी मीटिंग फिक्स करो... शांतिलाल झा ने कहा |

   जी सर आपकी PI भवानी सिंह से मीटिंग करवाता हु और फिर आपको फॉलो बेक देता हु ...PI ने जाते हुए कहा |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY