अंक १२ अकेलापन
ख़ुशी, अंश और दिव्या तीनो साथ मिलकर खाना खा रहे थे और साथ ही में संवाद के भी मजे ले रहे थे | तीनो अब एक दुसरे से घुल-मिल चुके थे और इस वजह से अंश और दिव्या के बिच एक एसी तो पहचान बन चुकी थी जिससे अब दोनों अकेले मिले तो बात जरुर कर सकते है और दिव्या के अंदर अंश को लेकर वह भरोसा भी आ चूका था |
वाह ख़ुशी कितना बढ़िया खाना है मतलब बात मत पूछो यह तुम ने बनाया है ... अंश ने खाना खाते हुए कहा |
हा मैने बनाया है ... ख़ुशी ने उत्तर में कहा |
तुम इतना बढ़िया खाना बनाना कब सिख गई ... अंश ने ख़ुशी से कहा |
जब मै कॉलेज में थी तब ... ख़ुशी ने अंश से कहा |
कॉलेज के वक्त कोई क्यों खाना बनाना सीखेगा ... अंश ने कहा |
मैंने सिखा क्यों नहीं सिख सकते ... ख़ुशी ने कहा |
नहीं सिख सकते है आपको कैसा लगा ... दिव्या को पूछते हुए अंश ने कहा |
मैं तो बरसो से इसके हाथ का खाना खा रही हु तो मुझे तो इस स्वाद की आदत है ... दिव्या ने कहा |
बरसो से मतलब आप एक दुसरे को पहले से ही जानते है ...अंश ने सवाल करते हुए ख़ुशी से कहा |
हा भाभी कॉलेज में मेरी सिनिअर थी और मेरे साथ मेरे रूम में ही रहते थे और इनके बारे में क्या बताऊ जब फ्री होंगे तो बात करेंगे यह कॉलेज की शानदार और सबसे कड़क स्टूडेंट थी ... ख़ुशी ने कहा |
क्या आप लोग कॉलेज से एक दुसरे को जानते है | तभी में सोचु की इतना प्यार इतने दिनों मै कैसे | दोस्ती का रिश्ता तो अलग ही होता है भाई ... अंश ने अपना खाना पुरा करते हुए कहा |
आप तो दिव्या जी पुरे दिन यहाँ पर बोर हो जाती होंगी ना ... अंश ने जहा पर बा बैठे थे उस गद्दी पर जाकर बैठते हुए और हवेली को देखते हुए कहा |
जब अकेली होती हु तो एसा लगता है जैसे यह हवेली मुझे काटने दोड़ती है | इस हवेली में अकेले रहना किसी काले पानी की सजा से कम नहीं है ... दिव्या ने सारे खाने के झूठे बरतन को समेटते हुए कहा |
हां वो तो है अच्छा आप यह बताओ की यहाँ पर रात को कोई भूत वगेरा आता है और अगर आता है तो आपको डर वर मतलब लगता है क्या ... अंश ने एसे ही सवाल करते हुए कहा |
जीवन ने इतना कुछ पिछले दिनों में दिखा दिया है की कभी कभी तो एसा ही लगता है की यार भगवान कोई भूत ही भेज दो तो उसी से बात कर ले ... दिव्या ने अंश का बड़ा अच्छा उत्तर देते हुए कहा |
अंश थोडा सा हसता है |
तु एसी डरावनी बाते क्यों कर रहा है हा साले ... ख़ुशी ने कहा |
अरे बेटा कुछ ना कुछ बाते करते रहेंगे तो तुम्हारी भाभी हमारे साथ मतलब घुलमिल जायेगिना ... अंश ने कहा |
मेरी भाभी तो तुम्हारी क्या लगती है ... ख़ुशी ने अंश से कहा |
नहीं मेरी तो भाभी नहीं लगती यार अभी तो छोटी उम्र है जवान है और तुम भाभी भाभी किए जा रही हो अगर में तुमको भाभी बुलाऊ तो और आपको कोई दिक्कत है दिव्या जी अगर मैं आपको दिव्या जी बुलाऊ तो ... अंश ने मजाक के मूड में कहा |
आपको जो बुलाना है बुलाईये में बहुत मोर्डन हु ख़ुशी जानती ही है मुझे ...दिव्या ने बरतनों को एक तरफ रखते हुए कहा |
यह आदमी पुरा पागल है भाभी और मजेदार भी यह जब साथ होता है तो हमारी सारी तकलीफे और चिंता दुर भगा देता है ... ख़ुशी ने कहा |
अगर आप चाहे तो आपके आगे के तिन महीने में मजेदार बना सकता हु ... अंश ने दिव्या से कहा |
क्या मतलब ... दिव्या ने अंश से कहा |
मतलब यही है की हर किसी को अपना जीवन जीने का अधिकार है और यह विधवाव्रत किसी गीता में तो लिखा नहीं है और अगर हम सबके सामने जीवन ना जी सके तो कोई नहीं दुनिया से छुपकर जीना जीते है | एसे ही दिन आप कब तक काटोगी दिव्या जी ...अंश ने दिव्या और ख़ुशी से कहा |
हा भाभी अंश सही बोल रहा है अब आपको जीना नहीं छोड़ना चाहिए और कुछ ना कुछ करना चाहिए ... ख़ुशी ने अपनी भाभी से कहा |
उसके लिए तो यहाँ से भाग जाये तभी कुछ हो सकता है और मुझे नहीं जीना तुम लोग मेरी चिंता मत करो में यहाँ पर कुछ ना कुछ जरुर कर लुंगी ... दिव्या ने अंश से कहा |
पर दिव्या जी ...अंश के इतना बोलते ही दिव्या उसे रोक देती है |
आप को ज्यादा फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है मुझे भगवान ने यह दिन दिए है तो में इसे एसे ही पसार करुँगी और बहुत देर हो गई है ख़ुशी अब ज्यादा देर रुकेगी तो घर पर किसी के मन में गलत विचार आ सकता है तो तुम दोनों को यहाँ से निकलना चाहिए और धन्यवाद यहाँ पर आने के लिए अब से मत आया करो अगर पकडे गए तो मेरी वजह से तुम्हारा जीवन बरबाद हो जाएगा ... दिव्या ने दोनों से कहा |
अंश और ख़ुशी के पास अभी के लिए भाभी को बोलने के लिए कुछ भी नहीं था | दोनों चुप-चाप भाभी को अलविदा बोलकर अपना बैग लेकर वहा से निकल जाते है |
यार एसे नहीं चलेगा अंश तु कुछ कर एसे तो यह यही पर मर जायेगी ... ख़ुशी ने अंश से कहा |
में जल्द ही कुछ करूँगा तु चिंता मत कर हम यहाँ पर एक अलग ही जीवन बनायेंगे ... अंश ने ख़ुशी से कहा |
दोनों सही सलामत हवेली से निकल जाते है | अंश और ख़ुशी के जाने के बाद दिव्या के ह्रदय की धड़कन तेज हो जाती है और उसे हद से ज्यादा अकेलापन महसुस होने लगता है और वह जिस जगह पे खड़ी थी उसी जगह पर बैठ जाती है और रोने लगती है | हर दिन दिव्या को तनहाही काटने को दोड़ती थी | दिव्या को अपने जीवन को बचाने का या फिर से जीने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था उसे बस हर तरफ नाउम्मीद ही नजर आ रही थी |
जादवा सदन में,
जादवा सदन का हर एक सदस्य आज बहार गया हुआ था घर में सिर्फ और सिर्फ सुरवीर जादवा और उनकी पत्नी मधु थे | सुरवीर जादवा अपने काम की फाईले देख रहा था और मधु उनके लिए कॉफी बनाकर लेकर आती है | सुरवीर कॉफी लेकर उसे पिने की शुरुआत करता है और मधु वही पर खड़ी रहकर कुछ ना कुछ सोचने लगती है |
क्या हुआ कुछ कहना है ... सुरवीर ने मधु के चहरे को देखते हुए कहा |
अ कहना तो है पर आप बात को समझे और मुझ पर गुस्सा ना हो तो ... मधु ने सुरवीर से कहा |
अरे पगली हमने तुमको आज तक किसी भी बात पर डाटा है हा वो बात अलग है की पिता के सामने हम थोडा शख्त हो जाते है पर तुम तो हमें जानती हो तुमे रानी की तरह रखते है बहार जाते है तो वो जीनस भी पहेनाते है ना... सुरवीर ने कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा |
सुरवीर एक दम देशी था पर वह अपने पिता पर नहीं गया था उसे औरतो को रखना और उनकी इज्जत करना आता था हां यह बात अलग थी की वह भी इन सारे रिवाजो में जरुर मानता था पर वह अपनी पत्नी का सम्मान भी करता था |
जिन्स की जगह जीनस बोलने की वजह से मधु हस देती है और सुरवीर समझ जाता है की मधु किस बात पर हस रही थी |
अरे हस क्यों रही हो तुमको तो पता है की मेरा इंग्लिश इतना भी अच्छा नहीं है और यह सब छोडो तुम्हे मुझे बताना क्या है वह बताओ ... सुरवीर ने अपनी पत्नी मधु से कहा |
मधु अभी भी सोच रही थी की क्या उन्हें अंश और ख़ुशी के बारे में कुछ बताना चाहिए या नहीं क्योकी ख़ुशी सुरवीर की बहन है और अगर कोई उसकी बहन से प्रेम कर ले तो शायद वह बात सुरवीर को ना भी पसंद आए और अगर बात पसंद ना आई तो बात बहुत बड़ी हो सकती है ख़ुशी और अंश का मिलना बंद हो सकता है और अगर यह बात सुरवीर से मानसिंह जादवा तक अगर पहुच गई तो हालात और भी बिगड़ सकते है कुछ भी हो सकता है तो अब देखना यह होगा की मधु क्या करती है क्योकी मधु का एक कदम ख़ुशी और अंश के जीवन में भुचाल ला सकते है | सवाल कही है पर उत्तर एक ही है की पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के आने वाले सारे अंको को और जुड़े रहिये हमारे साथ | आप कहानी पढ़कर मंतव्य जरुर दे ताकि हमें प्रोत्साहन मिले और अगर कहानी में कोई दिक्कत हो तो हम उसे बहेतर बना सके |
TO BE CONTINUED NEXT PART ...
|| जय श्री कृष्णा ||
|| श्री कष्टभंजन देव ||
A VARUN S PATEL STORY