Charitrahin - 17 in Hindi Women Focused by सीमा बी. books and stories PDF | चरित्रहीन - (भाग-17)

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चरित्रहीन - (भाग-17)

चरित्रहीन.......(भाग-17)

विद्या के अकेलेपन को मैं समझती थी!
वो हमारे और दोस्तों के घर इतनी बेबाकी से नहीं जा सकती थी, जितना वो फ्री हो कर हमारे घर आ सकती थी। कई बार ऐसे मौके भी आए कि वरूण और नीला बच्चों के साथ आए होते थे तो वो आ जाती। सब उसको रिस्पेक्ट देते थे। मुझे भी अजीब नहीं लगता था क्योंकि वो कभी नहीं कहती थी कि बस मुझे भी मेहमानों की तरह पूछो....वो अपने घर जैसा व्यवहार करती थी। चाहे फिर वो खाना बनाने में हेल्प हो या फिर कोई और घर का काम......जब से उसके भाई ने अपनी जरूरत के लिए दुकान बेची है और आधा पैसा इसके बैंक में जमा करवा दिया है, तब से तो बिल्कुल फ्री हो गयी थी, ऑफिस में भी आती तो काम हू करवा दिया करती थी। उसके पास वरूण और नीला दोनो का ही नं था.....एक बार जब वो लोग आए हुए थे तो उन्हीं से उसने नं ले लिया था। आरव और अवनी का नं मैंने ही उसे दिया था कि कभी मुझे कुछ हो तो कम से कम बच्चों को तो फोन कर देना। इन्हीं सब के चलते अब जब एंड्रायड फोन आ गए थे तो सारे विद्या को तो जैसे खिलौना ही मिल गया था। कभी फेसबुक तो कभी वॉट्सप्प पर ही अपने स्टेटस और डी.पी में ही उलझी रहती। अवनी घर आयी हुई थी छुट्टियों में.....विद्या भी अवनी से मिलने आ गयी और मैंने उसे रात को रूक जाने को कहा तो वो रूक भी गयी। हम देर रात तक बातें करते रहे और वो साथ में फोन पर ही लगी हुई थी। फेसबुक पर बने दोस्तों से वो इनबॉक्स में चैटिंग कर रही थी। मैंने झुंझला कर उसके हाथ से फोन ले कर उसकी चैटिंग पढने लगी, वो किसी के साथ सेक्स चेट कर रही थी, मैंने उसे समझाया कि, "तु किसी दिन मुसीबत में पड़ेगी ,ये सब क्या लगा रखा है"? वो बोली यार अब ऐसे मजे लेने से क्या दिक्कत है? उसका जवाब सुन कर मैंने अपना माथा पीट लिया। नयी खोज किसी मुसीबत से भी कम नहीं होती अगर विद्या जैसे लोग इस्तेमाल गलत ढंग से करें, गूगल का यूज पोर्न साइटस को सर्च करने में लग जाते हैं लोग....उम्र का इससे कोई लेना देना नहीं होता। उसने मुझे भी राय दी ये नया प्रयोग करने की, जिसे मैंने पहली बार में ही नकार दिया। मेरे पास करने को अभी बहुत कुछ था...
मैंने अपनी एनर्जी पॉजीटीव चीजों को लगाने के लिए ठान लिया था। खाली वक्त में किताबें पढना या फिर कहीं घूम आना सोचा था। जितनी आसानी से हम प्लान बनाते हैं वो कुछ यूँ ही टूट भी जाते हैं। उस दिन विद्या ने भी कुछ ऐसा ही कर दिया। खैर विद्या ने मेरी बात तो सीरियसली नहीं लिया। मैंने भी दोबारा कुछ नहीं कहा.....और सोने की कोशिश करने लगी..तभी उसने लाइट दुबारा ऑन कर दी और अपनी सेमी न्यूड फोटो जो चेहरे से नीचे की थी, काफी फोटो खींची उसने और चैट करने वाले को भेज दी। वो एक औरत थी छोटी बच्ची नहीं जो मार कर समझाती। मुझे नींद आने लगी और मैं सो गयी, पर सुबह उठी तो देखा वो यूँ ही सो हुई थी। मैं फ्रेश हो कर बाहर आयी और रूम को ठीक से बंद कर दिया। मॉम ये क्या है? आरव अपने कमरे से ही चिल्लाया था और उसकी आवाज में गुस्सा था, मैं जल्दी से उसके कमरे में गयी ये सोच कर की शायद मेड ने कुछ उसकी चीजों को छेड़ा होगा। मुझे देखते ही वो बोला, मॉम आप ऐसे कैसी हो गयी? क्या हुआ आरव? कैसी हो गयी मैं? उसका चेहरा लाल था और उसकी आँखो में आँसू देख कर मेरी जान निकल गयी। उसने मेरे सामने अपना फोन रख दिया। उस फोटो में विद्या वही रात वाले अधनंगे कपडो में थी और साथ में एक कैप्शन लिखा था...."I am with my darling ...she is my Lifeline.... मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि ये कैसे हुआ? आरव ये फोटो तुम्हारे पास कैसे आयी? मॉम ये आपकी फ्रैंड ने रात को मुझे भेजी है देखिए कितना टाइम है, मैंने अभी देखी है। बेटा मैं तो सो गयी थी, मुझे नहीं पता कि ये फोटो विद्या ने कब ली? मॉम आप लेस्बियन हो? ये पता है क्या होता है? आप का कैरेक्टर ऐसा हो सकता है, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था.....वो बोलता चला जा रहा था, पर मुझे तो जैसे सिर्फ यही समझ आया कि माँ के चरित्र पर अगर बच्चे ही उंगुली उठा दे तो समझो कि वो माँ को चरित्रहीन समझ चुके हैं, वरना तो बच्चे अपनी माँ पर सवाल ही नहीं उठाते! अवनी भी तब तक आ गयी थी, उसने भी जब फोटो देखा तो वो हैरान हो गयी, मॉम ये सब क्या है? विद्या मासी और आप में ये रिश्ता? ऐसा कैसे हो सकता है मॉम? आप हमारी रोल मॉडल हैं, आप ऐसे कैसे कर सकते हो! बेटा मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम फोटो में देखो मैं सो रही हूँ, मुझे नहीं पता कि विद्या ने ये कब ली फोटो और ये मेरे लिए क्यों लिखा है? मैं और वो बस अच्छे दोस्त हैं, यकीन करो अपनी माँ पर! आरव और अवनी चुप हो गए, पर उनकी शक्लों पर जो सवाल दुख रहे थे वही सवाल मेरे पास भी थे। मैं विद्या को उठाने अपने कमरे में जाने लगी कि वरूण का फोन मेरे फोन पर आ गया। उसका भी वही सवाल और पीछे से नीला के भी बोलने की आवाज आ रही थी, वरूण को आराम से बोलो कहने की। वरूण की आवाज धीरे बेशक हो गयी, पर उसकी आवाज में दुख और शर्म दोनों मुझसे छिप नहीं सके....."वरूण जो तुम सब लोग समझ रहे हो वो सब झूठ है, अभी मैं इतना ही कह सकती हूँ। बाकी सब मैं बाद में बताती हूँ, जरा उससे भी पूछ लूँ कि ये सब क्या है"? मेरा दिमाग घूम गया था वरूण से भी वही सब सुन कर.....मैं भाग कर विद्या के कमरे में गयी और उसको जबरदस्ती उठाया। वो हडबडा़ कर उठ गयी, जल्दी से कपडे पहन कर आयी तो मैंने उसे उसका फोन दिखाने को कहा। उसने वॉटसप्प खोला तो उसके सामने सब आ गया, उसने सब को वो फोटो भेज रखी थी। मैं भले ही सोयी हुई थी, पर मेरी बात मानेगा कौन?
विद्या ने अपनी मस्ती के लिए मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी। आरव और अवनी भी वहाँ आ गए। मासी ये सब क्या है? आप प्लीज एक्सप्लेन कीजिए।
विद्या भी शर्मिंदा हो रही थी बच्चों के सामने.....पर जवाब तो मुझे भी चाहिए था...मैं भी बच्चों के साथ उसको सुनने के लिए इंतजार कर रही थी। "बेटा तुम्हारी मॉम को तो पता भी नहीं है कि कब मैंने ये फोटो क्लिक कर ली। दरअसल जो कैप्शन तुमने पढा है वो मेरे भतीजी के लिए था। मैं उसकी फोटो के साथ ये कैप्शन लिख रही थी, क्योंकि आज उसका जन्मदिन है, पर रात के मैंने अपनी फोटो खींची थी बस ऐसे ही तो, लगता है गैलरी से स्लेक्ट करते हुए गलती से गलत फोटो को ले लिया और साथ ही गलत कैप्शन लिखा गया और सबको सेंड भी कर दिया वसु, तुम्हे और अपने ग्रुप में सभी को....अभी तक तो सब देख चुके होंगे....ये मैंने क्या कर दिया! I am
Sorry बच्चों और वसु तुम भी माफ कर दो। आरव ने उसका फोन ले कर हमारे दोस्तों के ग्रुप को ही बंद कर दिया क्योकि एडमिन विद्या थी तो वो तुरंत बंद हो गया, पर किस किस ने फोटो देखा किस ने नहीं ये पहेली थी। आरव, अवनी, वरूण और नीला क्या विद्या की इस बात का यकीन करेंगे या नहीं? मुझे नहीं पता....फिलहाल तो मुझे यही लगता है कि मेरे बच्चे मेरी बात को समझ पाएँगे या नहीं....विद्या उस दिन हमारे घर से गयी तो फिर हमारी बात नही हुई न मेरा मन किया बात करने का....अवनि अपनी छुट्टियाँ होने पर होस्टल चली गयी....मैं और आरव ही उसे छोड़ कर आए थे। अवनी को छोड़ कर आने लगे तो वो बोली," मॉम और भैया अपना ध्यान रखना और जो हुआ सो हुआ पर अब विद्या मासी से दूरी बना कर रखिएगा, नहीं तो फिर किसी मुसीबत में न आ जाओ आप"। "Yes Avani you are right", आरव ने उसे कहा। हम वापिस आ गए, आरव ने दुबारा उस बारे में बात नहीं की। कई दिन से ऑफिस भी नहीं गयी थी तो रश्मि का फोन आया था तो मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगी। आरव नार्मल हो गया था। वरूण और नीला को मैंने बता तो दिया था, पर कुछ सवालों के जवाब मैं क्या देती? वो ऐसी हालत में कैसे और क्यों से रही थी? वो क्या हमेशा ऐसा ही करती है, कब से कर रही है ये सब? कोई अकेली औरत की तकलीफ नहीं समझेगा, और न ही उसका अकेलापन और उस अकेले पन को अपने तरीके से दूर करने का ढंग हमारी सोसाइटी को कभी पसंद नहीं आएगा और मैं किसी को समझा भी नहीं सकती.... ऑफिस गयी तो रश्मि मुझे देखते ही शुरू हो गयी, "वसु, तुम दोनो की फोटो ग्रुप में सबने देख ली है....साफ दिख रहा है कि सोयी हो, पर नीरज बहुत कुछ कह रहा था,तुम्हारे बारे में"! "कोई बात नहीं रश्मि तुम बताओ तुम क्या सोचती हो मेरे बारे में"? मैंने पूछा तो वो मुस्कुरा दीऔक बोली, " वसु मैं विद्या को बहुत अच्छे से जानती हूँ, वो थोड़ी चंचल है, बातों के बहाव में बह जाती है.....मेरी बात हुई थी विद्या से तो उसने सब बताया, अपनी चैटिंग और फोटो की बातें, तुम्हारा उसे डाँटना चैटिंग के लिए! मैं अपनी राय वैसे भी जल्दी से नहीं बनाती क्योंकि जो तुम दोनों ने अपनी लाइफ में देखा और जिया है, वो हम सोच नहीं सकते और न समझ सकते हैं"! उसकी बातें सुन कर लगा कि रश्मि काफी मैच्योर है। उसने बताया कि मैंने अपने पति को ये सब नहीं बताया है और सबको कह भी दिया है कि कोई उनके सामने बात न करे! राजीव और रोहित तो आदमी हैं, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं!
क्रमश: