Hudson tat ka aira gaira - 33 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | हडसन तट का ऐरा गैरा - 33

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हडसन तट का ऐरा गैरा - 33

ओह! अद्भुत बंदर है, ऐश ने सोचा।
बंदर वास्तव में अब आंखें बंद किए किसी ऋषि की भांति ध्यान मुद्रा में बैठा था।
ऐश ने देखा कि बंदर के साथ उसके वार्तालाप को कौतुक से देखते हुए कुछ और परिंदे भी दाना चुगना छोड़ कर वहां इकट्ठे हो गए थे। अब वो सभी ऐश की तरह ही जिज्ञासा से इस प्रतीक्षा में थे कि बंदर आंखें खोले और कुछ कहे।
सचमुच बंदर ने आंखें खोल दीं। फिर कुछ गंभीर हो कर ऐश से बोला - देख लिया। मैंने सब देख लिया।
ऐश हैरानी से बोली - क्या देख लिया श्रीमान?
बंदर ने कहा - तुम्हारा भूत, वर्तमान और भविष्य!
- क्या मतलब?
- इसका अर्थ ये है कि तुम कौन हो, कहां से आई हो और अब तुम्हें कहां जाना है, ये सब मैं बता सकता हूं। बंदर ने किसी पहुंचे हुए सिद्ध महात्मा की तरह कहा।
- तो बताइए कुछ! ऐश ने कहा।
बंदर बोला - तुम्हारे जीवन का एक बहुत बड़ा रहस्य है। जल्दी ही तुम्हारी ज़िंदगी बदलने वाली है! मैं तुम्हें ये रहस्य बता दूंगा किंतु इसके लिए तुम्हें इस बगीचे के सबसे ऊंचे पेड़ की सबसे ऊंची टहनी पर आज आधी रात के समय अकेले आना होगा। बिल्कुल अकेले।
इतना कह कर बंदर वहां एक पल भी रुका नहीं, बल्कि छलांगें मारता हुआ कूदता - फांदता ओझल हो गया।
ऐश पीछे से उसे पुकारती रही पर उसने कुछ नहीं सुना और वो बिजली की सी गति से अंतर्ध्यान हो गया।
ऐश असमंजस में खड़ी रह गई।
सारे परिंदे उसे घेर कर चारों ओर इकट्ठे हो गए। तोता, मैना, बुलबुल, गौरेया ये सब ही नहीं, बल्कि गिलहरी और सारस तक को बंदर की बात पर हैरानी थी।
- ढोंगी है, इसके चक्कर में मत आना।
- मुझे तो कोई पागल - बावला लगता है।
- अरे नहीं- नहीं, बड़े - बड़े सिद्ध ऐसे ही तो होते हैं, कह रहा है तो ज़रूर कुछ बताएगा। जाना, सुनना तो सही क्या कहता है!
- क्या भरोसा? कहीं मार कर खा ही डाले।
- अरे नहीं, मारेगा क्यों, क्या बिगाड़ा है ऐश ने उसका। देखा नहीं, केला खा रहा था। मांसाहारी तो लगता भी नहीं।
- हम सब तो न जाने कब से यहां रहते हैं। ये अक्सर दिखता भी रहता है यहां। हमें तो कभी कोई रहस्य नहीं बताया इसने। आज इस परदेसी चिड़िया को ही बुलाया है।
- ओहो, रहस्य सबकी ज़िंदगी में थोड़े ही होते हैं। तुम्हारा अगर कोई रहस्य होगा तो बताएगा न!
जितने मुंह उतनी बातें। ऐश को अब सब अपने- अपने मन में आ रहे विचार बताए बिना न रहे।
एक पल के लिए ऐश ने सोचा कि आधी रात के समय अकेले इसके पास जाने में खतरा तो है। पर वह मन ही मन ये सुनना भी चाहती थी कि देखें, बंदर उसके जीवन का कौन सा रहस्य बताएगा।
सारस ने उसकी हिम्मत बढ़ाई। बोला - तुम चिंता मत करो बहन, तुम जाना, सुनना क्या कहता है। हम सब भी आसपास अलग- अलग टहनियों पर पत्तों में छिप कर तुम्हारे साथ रहेंगे। अगर ज़रा सा भी कोई खतरा देखो तो आवाज़ देकर हमें एक इशारा करना। हम सब निकल कर उस पर टूट पड़ेंगे। उसे अधमरा कर देंगे।
- हां ये ठीक है। तुम ऐसे बोल कर संकेत देना, कह कर तोते ने अजीब सी आवाज़ निकाली।
- चुप कर। ये तेरी बोली है, वो कैसे निकालेगी? कबूतर ने कहा।
सब हंस पड़े।
आख़िर यही तय हुआ कि रात होते ही सब पंछी उद्यान के सबसे ऊंचे पेड़ पर छिप कर चुपचाप इकट्ठे हो जायेंगे।
गिलहरी ने कहा - सब एक आवाज़ लगा कर ऐश मैडम को बता दें कि पहुंच गए तब वो बंदर से मिलने जायेंगी।
- अरी ओ अकल की दुश्मन, चुपचाप जाना है। बंदर महाराज सुन लेंगे तो सबकी शामत आ जायेगी। हो सकता है कि वो आएं ही ना। मैना ने कहा।
गिलहरी चुप हो गई।
पूरी तैयारी हो गई। सब रात का इंतज़ार करने लगे।
ऐश सोच रही थी कि चलो, अपने दल से बिछड़ी तो क्या, ये नए साथी मिल गए। दुनिया में दोस्तों की कमी थोड़े ही है।