Pad yatra bhi jari bahas bhi jari in Hindi Short Stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | पद यात्रा भी जारी बहस भी जारी...

Featured Books
Categories
Share

पद यात्रा भी जारी बहस भी जारी...

ललित –लेख

पद यात्रा भी जारी  बहस भी जारी......

यशवंत कोठारी

 पैदल चले याने पद यात्रा करे ,अपने चरणों को धरती पर उतारे याने डाउन टू अर्थ याने धरती से जुड़े ,राहुल जी इसी लम्बी पद यात्रा पर है .देश को देखो देश की समस्याओं को देखो समझो और गरीबी, बीमारी ,बेकारी व बेरोजगारी को भी देखो पद यात्रा से बेहतर कुछ नहीं है.विविधता में एकता के दर्शन करने का एक अवसर ,मानव मूलत; परिचालन करता है जीव विज्ञान भी यही कहता है.  सायंकालीन नियमित पैदल यात्रा से मैंने बहुत कुछ सीखा है .गलियों गांवों ,मैदानों ,पत्थरों ,खेतों ,पहाड़ों ,नदियों ,झरनों को देख कर वहां के हालातों का जायजा लिया जा सकता है यह युवा अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ यही कर रहा है ,और शायद सही कर रहा है .परिणाम दूर है लेकिन प्रयास को पसंद किया जाना चाहिए.हम होंगे कामयाब एक दिन .पद यात्रा का एक छोटा सा रूप शहर की सड़क पर पैदल चलने की कोशिश भी है मैं यह करतब रोज़ करता हूँ सड़क पार करने के बाद जो सुकून मिलता है उसका कोई जवाब  नहीं है ,लेकिन इस पद यात्रा में बहस भी जारी है और यात्रा भी जारी है .बहस टी शर्ट,मफलर और हाफ पेंट पर हो रही है ,जब की बहस नीति ,बेरोज़गारी ,महंगाई व कूटनीति पर होनी चाहिए थी ,मगर इन विषयों पर कौन विचार करता है ?सरकार के हरकारे ,प्रवक्ता , अधिकारी ,दौड़ने लगे है उन्हें ये नागवार गुजर रहा है.ये कौन है जो हमारी शान में गुस्ताखी करने की जुर्रत कर रहा है?बादशाह सलामत का हुक्म हो तो सब ठीक कर दे .हुकम का इंतजार है.

पद यात्राओं का इतिहास काफी पुराना है ,त्रेता युग मैं राम ने वन गमन में पदयात्रा की अहिल्या का उद्धार हुआ रावण का अंत हुआ ,द्वापर में कृष्ण ने यात्रा  की  गोकुल से मथुरा तक कंस को मारा .महाभारत हुआ और धर्म की स्थापना के लिए गीता बोली गयी.कलि काल में महात्मा गाँधी ने दांडी यात्रा निकाली नमक कानून तोडा और पद यात्रा की अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा. विनोबा जी ने भूदान के लिया पद यात्रा की.चन्द्र शेखर ने भी पद यात्रा की .लाल कृष्णा आडवानी ने रथ यात्रा निकाली मार्ग दर्शक मंडल में चले गए. अब एक युवा नेता देश के लिए कन्याकुमारी से पैदल चल रहा है देश को समझने सीखने के लिए तो क्या गलत कर रहा है ?वो विवेकनन्द को प्रणाम कर के आगे बढ़ रहा है .जगाने का काम कर रहा है .पैदल तीर्थ यात्राओं का इतिहास बहुत पुराना है .व्यक्ति ,समाज देश व परिवेश को समझना जरूरी है.

आगे चल कर यह यात्रा एक ऐतिहासिक बात हो जायगी ,शोधार्थी शोध करेंगे .किताबें लिखी जायगी  ,बहसें होंगी एंकर ,चिल्लायेंगे विदेशी मीडिया भी आएगा लेकिन स्थानीय गोदी  मीडिया चुप है ,छोटे मोटे पत्रकार साथ है , वह आगे बढ़ रहा है गरीब की चाय पी रहा है  लोग बाग  साथ है .यात्रा के परिणाम आने की पूरी संभावना है.देश को बदलाव की जरूरत  है ऐसा सोच गलत नहीं है ,यह विचार धारा की लड़ाई है टी शर्ट या मफलर की नहीं.यात्रा की लम्बाई पैतीस सौ किलो मीटर है डेढ़ सौ दिन का सफ़र है इसे जन समर्थन भी मिल रहा है शायद व्यवस्था की आँख खुले या कान  पर जूं रेंगे ,एक निम्न मध्यमवर्गीय देश को और क्या चाहिए.सरकारें आती जाती रहती हैं ,यह महान देश  रहना चाहिए यह पद यात्रा एक प्रयास बने .

होना तो यह चाहिए की चुनाव लड़ने से पहले नेताओं को अपने चुनाव क्षेत्र की पैदल परिक्रमा करनी चाहिए.देश  में तो बड़ी बड़ी पद यात्रायें निकलती है जो देश को देश से जोडती हैं , जैसे भारत जोड़ो यात्रा. पद यात्राओं का अपना महत्व है गणेश जीके लिए भी यात्रा और विठोबा के लिए भी .हजारों लोग केवल एक थेले में गंजी बनियान या औरतें एक साड़ी के सहारे यात्रा कर लेती है कही सो गए कही खा लिया आसमान के नीचे सो  लिए .यही सब इस देश को देश बनता है भाई जान .एक कंटेनर में दस बारह लोग सो जातें हैं .

मिले कदम जुड़े वतन एक सही दिशा में उठाया गया कदम है .जाती ,धर्म, घ्रणा के बजाय  यदि कोई प्यार भाईचारा सांप्रदायिक सौहार्द  की और बढ़ने की कोशिश कर रहा है तो अच्छी बात है असहमति हो सकती है प्रजातंत्र में होनी भी चाहिए लेकिन कदम मिलेंगे तो दिल भी मिलेंगे यही आम आदमी चाहता भी है.

कहा भी है महाजन जिस पथ पर चले वही  पथ अच्छा है , आज़ादी के अमृत महोत्सव में आपकी यात्रा मंगल मय हो.देश हित में हो.आमीन .
यशवंत कोठारी ,८६,लक्ष्मी नगर ब्रह्मपुरी बाहर जयपुर -३०२००२

मो-९४१४४६१२०७