Milan ki Aas - 2 in Hindi Fiction Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | मिलन की आस - भाग 2

Featured Books
  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

  • ખજાનો - 85

    પોતાના ભાણેજ ઇબતિહાજના ખભે હાથ મૂકી તેને પ્રકૃતિ અને માનવ વચ...

Categories
Share

मिलन की आस - भाग 2

(मिलन की आस2)

बीत गया दोपहर, हो गयी शाम। जैसे जैसे शाम ढलती गयी वैसे वैसे सीने में एक भड़कती आग बढ़ती गयी।
और उनसे मिलने के आस की आग ऐसे अंदर भड़क रही थी कि हम उन्हीं से बात नहीं कर पाए, न कुछ कह पाए ना कुछ सुन पाए दिल में इतना कुछ चल रहा था लेकिन कुछ भी नहीं बता सके उन्हें, वो पूछते रहे कि क्या कह रही हो, हुआ क्या है लेकिन कुछ नहीं बस एक जवाब कुछ नहीं कुछ नहीं कुछ नहीं।
अंततः हमारी लड़ाई ही हो गयी फोन रख दिया। मैसेज ही कर रहे थे, मैसेज पर ही बात हो रही थी। लेकिन इतना उलझे हुए थे कि कुछ समझ नहीं आ रहा था, मन को बहलाने की लिए घूमने चले गए।
पूरे 1 घण्टे बाद आये हैं वापस लेकिन कुछ भी याद नहीं कुछ भी बता नहीं सकते हैं कि वहाँ हुआ क्या था क्या क्या हमारी बाते हुई थी। दिमाग बस यही सोचता रहा की क्या करूँ कैसे करूं कि आज मुलाकात हो जाए, वहाँ से घर आये तो देखा की आज भी सबकुछ रोज की तरह ही है, रोज की तरह ही आज भी पिता जी मार्केट से सामान लाकर रख कर अपना फोन लेकर बगल वाले चाचा जी के पास चले गए। माँ भी रोज कि तरह ही अपना काम करती रही। फिर धीरे धीरे मेरी उम्मीद कमजोर होने लगी कि अब ना ही कोई कहीं जायेगा और अब ना ही वो आ पाएंगे, ना ही हम मिल पाएंगे। लेकिन शाम के 7 बजे माँ बोली कि कोई चलोगी उनके घर पे मेरे साथ, कोई जाने को नहीं तैयार था मां के साथ, लेकिन कैसे भी करके कुछ लोग को मां के साथ भेज दिया। जब मां जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी देखा कि अरे पिता जी तो उनसे पहले ही निकल लिए थे। तो हम तुरंत उनके पास फोन करने लगे, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से उनका फोन ही नहीं लग रहा था बार-बार हम कॉल करते रहे, ट्राई करते रहे लेकिन उनका फोन नॉट रीच वेल ही बोलता रहा और फोन नहीं लगा। फिर पिता जी के जाने के बाद जब मां भी बाकी सब को लेकर चली गई तब फिर से दिल में एक उम्मीद की एक दीया जल उठी। कि अब हम कुछ कर सकते हैं। बाकी बचे दादा जी एक बहन और भाई।
भाई से कई दिनों से हम बात नहीं कर रहे थे क्योंकि हमारी उसकी लड़ाई हो गई थी।
लेकिन कहते हैं ना खुद की जरूरत पड़ने पर गधे को भी दादा कहना पड़ता है।
तो बस हमने वही किया और भाई को भी किसी तरह से बहला-फुसलाकर भेज दिया कि सब लोग गए हैं, एंजॉय कर रहे हैं तो तुम क्यों नहीं जा रहे, तुम यहां पड़े पड़े क्या करोगे? रोज ही तो फोन चलाते हो फोन कहीं जा थोड़ी रहा है, लेकिन यह दिन फिर थोड़ी आएगा। जाओ लोगों के बीच बैठ वहां पार्टी इंजॉय कर यहां क्या कर रहे हो। तो भाई भी बातों में आ गया और वो भी उठा रेडी हो कर तुरंत पार्टी में निकल गया।
दादाजी तो कहीं जाने वाले थे नहीं वह तो घर पर ही खाना खाकर लेट गए थे लेकिन जो मेरी बहन थी अब उसका क्या करें कुछ ना कुछ तो करना ही था। हम भगवान से मनाते रहे कि भगवान राम जी कुछ कीजिए, आप ही कुछ कर सकते हैं। बस राम जी कि कृपा तो देखिये राम जी का नाम लेते ही तुरंत मेरे पिता जी का फोन आ गया। और बहन से बोले कि भाई जा रहा है तुम भाई के साथ चली आओ खाना खाकर चली जाओ। और मेरे लिए बोले की ले जाओ उसको भी दे देना नहीं आना चाहती है तो कोई बात नही वहीं खा लेगी। छोटी जाना तो नहीं चाहती थी, लेकिन फिर भी किसी तरह उसको मना कर बातों में उलझा कर भेजना ही पड़ा। वह बोल रही थी नहीं तुम भी चलो मेरे साथ मैं अकेले नहीं जाऊंगी। लेकिन मैं कैसे जा सकती थी ,मेरा तो दिल और दिमाग कोई और ही गेम खेल रहा था। मैं उसके साथ नहीं गई। और भगवान जी की माया देखिये मैंने सुबह राम जी से कहा था ना कि दुनिया में ऐसा क्या है जो आप नहीं कर सकते? सब कुछ आप ही की दी हुई तो है। इस पृथ्वी पर आप से बढ़कर कुछ नहीं है। अगर आप चाहे तो कुछ भी कर सकते हैं। और वही हुआ राम जी ने आज चमत्कार कर दिखाया एक के बाद एक सब चले गए । और कैसे भी करके उनको बुला कर मेरी मुराद पूरी हो ही गई। कैसे और क्या यह हम शेयर नहीं करना चाहेंगे। इतना बता दिए बहुत है। इससे आगे कुछ नहीं बताना चाहते क्योंकि वो हमारा पर्सनल मैटर है, किसी से शेयर नहीं करेंगे सिर्फ हम और वो जानते हैं ।
कौन कहता है कि एक लड़की की जिद सिर्फ मां-बाप या पति ही पूरा करते हैं । ऐसा नहीं है अगर उसकी जिद में प्यार विश्वास और भरोसा हो तो भगवान भी जिद पूरी करते हैं । मैंने सुबह बहुत लाड प्यार के साथ और बड़े विश्वास के साथ बहुत सारा भरोसा लेकर भगवान जी से जिद की थी, कि हे राम जी प्लीज आज आप मुझे मेरे राम जी से मिला दीजिए। मैंने कन्हैया जी को भी बुलाया था कि कहां हो तुम, तुमने भी तो सच्ची मोहब्बत की थी ना।
तो मेरी तड़प तो तुम तो समझ ही सकते हो ना। तुम्हें तो मेरी मदद करनी ही होगी ।
और देखिए आज भगवान ने मेरी मदद की मुझे मेरे राम जी से मिला दिया भगवान जी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
आज पहली बार मैंने किसी को फील किया है। दिल से पहली बार मुझे एहसास हुआ कि किसी का स्पर्श कैसा होता है? जब कोई हमें अपनी आगोशमें भर लेता है तब लगता है कि जैसे संसार का सारा सुख मिल गया। और दुनिया के सारे राज महलों का अय्सो आराम एक तरफ और उन बाजू की कसावट एक तरफ। नहीं चाहिए मुझे दुनिया की कोई भी दौलत बस मुझे उन बाहों के घेरे मिल जाए।
आज पहली बार मुझे ऐसा लगा कि आज मुझे दुनिया की सारी दौलत मिल गई है। कोई जब हमें इतने प्यार से अपनी बाहों के घेरे में भर लेता है तो ना कुछ होश रहता है ना कुछ ख्याल रहता है।
अगर कुछ दिखाई देता है तो बस वो और उसका प्यार। मुझे लगा कि शायद मैं होश में ही नहीं हूं, मैं तो बेहोश हो चुकी थी, क्योंकि मुझे कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था, ना ही कुछ सुनाई दे रहा था। मेरी बंद आंखों में तो बस वो ही दिख रहे थे। वह सामने है या नहीं यह मुझे नहीं पता था, बस मेरी आंखों में वो ही वो दिख रहे थे।
होश तो तब आया जब उन्होंने मुझे झकझोर कर उठाया। कि अरे पागल खयालों में बाद में खोना पहले ठहरे हुए पल को तो जी लो। बड़ी मुद्दतों बाद लाख कोशिशों के बाद आज हम किसी की अमानत उनकी आधी दौलत उनको लौटा पाए हैं। अभी एक लड़ाई और लड़नी है, जो हमें हर हाल में जीतनी ही होगी। जीत कर उनकी पूरी दौलत उनके नाम करना है। बस आज की तरह भगवान राम मेरा साथ दें। सुबह मैंने भगवान जी से मात्र 15 मिनट मांगे थे, बिना किसी डिस्टरबेंस के लेकिन मुझे सिर्फ और सिर्फ 8 मिनट मिले। लेकिन उस 8 मिनट में मैंने 18 घंटे की जिंदगी जी ली है। इससे ज्यादा और क्या कहूं? उनके जाने के बाद मंदिर में जा कर शुक्रिया अदा किया कि भगवान जी का बहुत-बहुत धन्यवाद।अपने मन्नत के मुताबिक हम अगले मंगलवार को प्रसाद जरूर चढ़ाएंगे।
राम जी का बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे मेरे राम जी से मिलाने के लिए।