Beshak Ishq - 2 in Hindi Love Stories by Vandana thakur books and stories PDF | बेशक इश्क - Part-2

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बेशक इश्क - Part-2

उतराखण्ड, देहरादून

पहाड़ और हरीयाली भरी खूबसूरती के बीच बसा हुआ एक खूबसूरत शहर देहरादून । यहां के पहाड़ और हरियाली इसकी खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है वही यहां के महादेव के मंदिर, महादेव की भूमि और इतनी खूबसूरती के साथ बसी हुई यह जगह अपने आप में ही सुंदरता का एक अनुपम सौंदर्य रखती है । देहरादून केवल खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि यहां पर मौजूद अपनी टॉप लेवल कॉलेजस के लिये भी प्रसिद्ध है और इसमें ही एक है

" वीर पथिक कॉलेज ऑफ न्यू सब्जेक्ट स्टीडीज "


" यह कैसा नाम है , और डैडू,,,,, यह न्यू सब्जेक्ट मतलब क्या इसमें नए-नए सब्जेक्ट होते हैं या हम जो सब्जेक्ट पढ़ते हैं उससे डिफरेंट सब्जेक्ट पढा़ए जाते हैं,,,,??? एक पन्द्रह साल की लडकी नें अपनी आंखे गोल-गोल घुमाते हुए सामने खड़े एक आदमी से कहा ।


" हां बेटू,,,, यहां डिफरेन्ट सब्जैक्ट्स पढाये जाते है , मैने अपनी कॉलेज की ग्रेजुएशन लेवल तक की शुरुआती पढ़ाई इसी कॉलेज से की थी और मैने काफी कुछ सीखा भी था यहां पर बहुत सी अलग चीजे पढ़ाई जाती हैं जब तुम इस कॉलेज में अपना एडमिशन लोगी ना, तब तुम्हें समझ आ जाएगा, अभी मैं तुम्हें कैसे बताऊं कितने सारे सब्जेक्ट है क्योंकि मुझे खुद को याद नहीं " वो आदमी इतना कहते हुए हंस दिये । इसके साथ ही वो लडकी भी अपना सिर हिला देती है क्योंकि उसे उस कॉलेज में पढ़ने में कोई भी इंटरेस्ट नहीं था और ना ही बोस के बारे में जानना चाहती थी पर फिर भी उसके डैड जब भी बताते तो वह चुपचाप सुन लिया करती थी ।

उस लडकी नें हल्का सा मुंह बनाते हुए मन ही मन कहा-: वीर पथिक कॉलेज,,,,,,!!! आई एम नॉट इन्सटरेस्टेड,,,,"

सात साल बाद
न्यूयोर्क, अमेरिका

" क्या हुआ रूपिका क्या सोच रही हो,,,,, " गार्गी नें सोफे पर बैठते हुए कहा । गाड़ी की आवाज सुनकर रूपिका अपने ख्यालों से बाहर आती है वह अपने बचपन के बारे में सोच रही थी, यह सब आज से सात साल पहले की तो बात थी । जब वो अपने पिता और बहन गार्गी के साथ देहरादून रहा करती थी ।


" कुछ नही बस पुरानी यादों के बारे में सोच रही हैं, 7 साल पहले तक हम दोनों पापा के साथ थे और आज यहां दोनों अकेले हैं और पापा देहरादून में,,,,,, तुम्हें क्या लगता है पापा ने अपने पास अमेरिका इतनी दूर क्यों भेजा होगा,,,,, " रूपिका ने गार्गी के चेहरे को देखते हुए कहा

" पापा ने बताया तो था उन्हें अपने बिजनेस को सेट अप करना है और मॉम के जाने के बाद, वो अपने बिजनेस मे इस तरह उलझ गए कि उन्हें हम दोनों के लिए वक्त ही नहीं मिल पाया इसलिए उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए हमें अमेरिका भेज दिया , मुझे भी पहले शुरुआत में बुरा लगता था पर अब मैं यहां पर भी बहुत खुश हूं , और पापा ने सही भी किया था,,,,,"


" पर तुम्हें पता है पापा हमेशा चाहते थे कि मैं देहरादून के उस वीर पथिक कॉलेज में पढ़ाई करूं,,,,!!! फिर अब तो हमे इण्डिया बुलाते ही नहीं है, ना कभी किसी पर हम हार पर और ना ही हमारे कहने पर और जब हम कहते हैं तो भी तो हमें आने नहीं देते हैं,,,,,,,,,"


" अरे यार रूपी,,, तुम्हें इतने अच्छे कॉलेज में भी यहां पर पढ़ाई करने का मौका मिल रहा है तुम्हें वहां जाकर क्यों पढ़ना है और वैसे भी तुम तो बचपन से ही चाहती थी कि तुम एक अच्छे कॉलेज में पढ़ो और उस कॉलेज में तुम्हें पढ़ने का कोई शौक भी नहीं था, तो यह सब छोड़ो तुम चलो बाहर चलकर कुछ खाकर आते हैं मुझे आज कुछ इंडियन खाना खाना है तो बाहर चलकर होटल में ही खाते हैं इससे थोड़ा बाहर भी घुम आएगे,,,,,,,"


" तुम ऑर्डर कर लो मुझे नहीं जाना कहीं बाहर कर और हां मुझे अपना मोबाइल दो एक बार मुझे पापा को कॉल लगाना है वो मेरा कॉल उठा नहीं रहे हैं,,,,,,"


" कुछ काम में होंगे और बाद में कर लेना तुम बात, अभी चलो मेरे साथ मुझे बाहर जाकर ही खाना है, घर पर नहीं मंगवाना,,,,,,"कहते हुए गार्गी नें रूपिका का हाथ पकडा और सोफे से खीचंकर उठा लिया , रूपिका नें एक अजीब सा मुंह बनाकर गार्गी की तरफ देखा ।


" जाओ,,, जाकर कुछ ढंग से पहन लो, अमेरिका में इस तरह सूट- सलवार में तुम्हें बाहर लेकर नहीं,,,,, !! कितनी ओल्ड फैशन हो तुम, अमेरिका में रहकर सूट-सलवार कौन पहनता है,,,,, " गार्गी नें आंखे घुमा ली और रूपिका को जाने का इशारा किया । रूपिका नें एक तिरछी नजर से गार्गी को देखा ।


" जिद्दी कही की,,,, " कहते हुए रूपिका मन ही मन बडबडाते हुए अपने रूम की तरफ चली गयी ।

कुछ देर में दोनो बहनें, एक होटल में बैठी हुई थी, बाहर कुछ धीमी आवाज के साथ बारिश हो रही थी रूपिका और गार्गी खिड़की की तरफ बैठे थे जहां पर कांच लगा हुआ था और उसके बाहर बारिश आसानी से देखी जा सकती थी, शाम के समय वह बारिश और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी, रूपिका बाहर की तरफ बारिश को देखते हुए अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी वही गार्गी न जाने मैन्यू से न जाने कितनी ही डिश आर्डर करते जा रही थी ।

" रूपिका,,,रूपिका,,, कहां खोई हुई है,,,,," गार्गी नें रूपिका के हाथो को हिलाते हुए कहा ।


" क्या हुआ, क्यो चिल्ला रही हो ,,,,,,"


" क्या ओर्डर करो तुम्हारे लिए बताओ , कितनी देर से तो पूछ रही हूं पर तुम पता नहीं बाहर बारिश को क्या देख रही हो,,,,!!!!


" तुमने क्या आर्डर किया है वही कर दो,,,,! मुझसे क्यो पूछ रही हो , खैर तुमने जो आर्डर किया होगा वह काम तो होगा नहीं, हद से ज्यादा ऑर्डर कर लिया होगा और फिर पूछ रही हो ,क्या ऑर्डर करू,,,,,"


" नही मैने तो बस,,,," गार्गी कुछ कहने को होती तभी रुपिका उसकी बात काटते हुए वैटर से -: Bring half of the food she has ordered, don't bring the full amount she has ordered, otherwise I will not give you full money,,,,,, "

वैटर नें रूपिका की बात सुनी तो अपनी गर्दन हिला दी और वहां से निकल गया ।


" यार तूने यह क्या किया, मैने इतने मन से वो खाना ऑर्डर किया था,,,,"


" तूने खाना तो कुछ था नहीं उसने से बचा ही देती और मुझे पता है तू कितना खाती है तो बिना वजह खाना वेस्ट करने से अच्छा है लिमिट का ही खाना मंगाओ,,,,,, " रूपिका नें गार्गी को फटकारते हुए कहा ।


गार्गी कुछ कहने को होती तभी रूपिका का मोबाइल रिंग करता है ।


" हैल्लो,,,, पापा,,,,, " रूपिका एक मुस्कान के साथ कॉल रुसीव करती है । कुछ देर की शांति के बाद उसकी आंखो से आंसू बहने लगते है,,,,,


" क्या कह रहे है आप,,,, पापा,,, का एक्सिडेन्ट,,,,,"


" जी आपके पापा का एक्सीडेन्ट हो गया है,,,, और वो काफी बुरी तरह घायल हो गये थे, इसलिए ऑन द स्पॉट ही उनकी मौत हो गयी,,,,, आप उनकी बेटी बोल रही है ना,,,,, !!!! सामने आवाज आती है ।


" जी मैं उनकी बेटी बोल रही हूं पर आप यह सब क्या बोल रहे हैं पापा को कुछ नहीं हो सकता, ,, वो तो अभी अपने ऑफिस में होंगे, कौन बोल रहे है आप ,,,,,,,, !!! रूपिका नें सख्ती से कहा ।


" जी मैं इन्स्पेक्ट बोल रहा हूं , और अभी हाईवे पर हू मौजूद हूं अगर आप यहां आ सरती है तो जल्दू आ जाइये, मैने मानव सर के रिलेटिव को तो कॉल कर दिया है पर इस मोबाइल में आपके काफी सारे कौन थे इसलिए मैंने आपको भी कॉल करके बताना सही समझा,,,, ,"

इंस्पेक्टर की यह बात सुनकर रूपिका के हाथों से मोबाइल गिर जाता है और वो धक से चेयर पर बैठ जाती है उसकी आंखो से लगातार आंसू बह रहे थे और वो बूत बनकर बैठी हुई थी ।

गार्गी , रूपिका के पास आकर उसे हिलाते हुए-: क्या हुआ रूपी,,,,, पापा का कॉल था क्या,,, रूपी क्या हुआ कुछ बोल रो क्यो रही है,,,,," गार्गी भी रूपी की हालत देखकर घबरा जाती है वो तुरन्त रूपिका की मोबाइल उठाती है और हैल्लो,,, हैल्लो बोलती है पर नीेचे गिरने के कारण उसका मोबाइल टूट गया था और बन्द भी पड गया था ।


" रूपी क्या हुआ, कुछ बोल यार, मुझे डर लग रहा है और रोना भी आ रहा है, क्या हुआ है ,,,, ???


" गार्गी डैड इज नो मोर,,, ,, हमे इण्डिया जाना होगा,,,," कहते हुए रूपी सिसक पडती ह और गार्गी के गले से लग जाती है वही रूपी की बात सुनकर गार्गी की भी आंखो से आंसू बह निकले ।

दूसरी तरफ
देहरादून, उतराखण्ड

हाईवे पर से मानव की डैड बॉडी को एम्बुलेंस में रखकर ले जाया जा रहा था । उसके आस-पास काफी भीड जमा हो गयी थी साथ ही पुलिस भी वहां मैजूद थी ।


" समझ नही आ रहा एक्सीडेन्ट कैसे हुआ,,,!!!! यहां कोई एविडेन्स तो मिला नही कि जिससे पता चल सके कि एक्सीडेन्ट कैसै हुआ है,,,,,,," इंस्पेक्टर ने अपने पास खड़े हवलदार से कहा ।


" सर शायद,,,, बैलेस बिगड गया हो तब,,,, !!!


" पर बैलेंस बिगड़ने पर भी, कार कैसे बिना किसी ओर कार से टकराये, अपने आप कैसे पलट गयी और कार तो देखो बिल्कुल ही टूट गयी है जैसे न जाने किसी चीज से टकराई हो,,,,,!!! और चूर - चूर हो गई हो,,,,,, "


" हू,,,,,!!! हवलदार नें कहा और कार की तरफ देखना लगा ।


वही उस भीड के पीछे जंगल की तरफ,,, उस हाईवे के किनारे से ही जंगल बना हुआ था । जहां पर एक पेड से सटकर एक लडका खडा था, उस लडके के सिर पर हुडी थी जिस कारण उसका चेहरा ढका था । वही हाथो में एक घडी,,, जो काफी चमक रही थी । और बाकि वो काले से लेकर नीचे तक काले रंग के कपड़ों से ढका हुआ था ।

" मिस्टर मानव सिंह रहैजा,,,, खुशी हुई कि आप अपनी मंजिल तक पहुच गये,,,, उम्मीद है कि आपके साथी भी आप तक पहुच जाये,,,, !!!! अलविद इस लोक से, अगर आपकी अच्छी हुई तो उस लोक में मैं आपसे जरूर मिलूंगा , ,," कहते हुए उस लड़के के चेहरे पर टैढी मुस्कान आ गई और अचानक ही वो लडका एक सफेद धुएं के पीछे गायब हो गया ।

धारावाहिक जारी है.......