Udaan - 2 - 5 in Hindi Fiction Stories by ArUu books and stories PDF | उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 5

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उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 5

अरसा बीत गया इन सब लम्हों को
नेहा और जीवन के साथ बिता वक्त काफी हसीन था।अपनी मम्मी पापा के साथ बिताए पल बहुत खूबसूरत थे पर ये सब काव्या को खलने लगा था। इस शहर में रह कर उसे अपनी जिंदगी में रूद्र की कमी बहुत खलती थी। इस शहर की हर चीज उसे रूद्र की तरफ खींचे ले जाती। खाली वक्त में वह पीहु विनी से मिल आती पर अकेलापन उस पर हावी होने लगा था। जब नेहा को उसके दिल का हाल मालूम पड़ा तो उसने कुछ दिन के लिए उसे घर से दूर इंडिया टूर के लिए भेज दिया। पहले तो काव्या ने मना कर दिया पर मां के इतना कहने पर वह उन्हें मना नही कर पाई। वैसे भी वह इस शहर में रह कर रूद्र के ख्यालों से उभर नही पा रही थी।
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एक कैमरा , बैग में कुछ जरूरी सामान और अपना टूटा सा दिल ले कर निकल पड़ी वह देश को जानने। नई नई जगह देख कर उसका मन कई हद तक शांत हुआ। प्रकृति के रंगों से भरे कई खूबसूरत नजारे उसने अपने कैमरे में कैद कर लिए। कश्मीर जा कर तो उसे स्वर्ग सा अहसास हुआ।
शाम को कश्मीरी शाल ओढ़े वह बर्फ की वादियों में बैठी थी। इस सफर में शिव नाम का एक सफर का साथी मिल गया था। वह भी देश भ्रमण को निकला था।
" काव्या कितना खूबसूरत है ना ये शहर...." शिव ने बीच पसरी खामोशी तोड़ते हुए कहा
काव्या शिव से कम ही बात करती पर शिव को काव्या का इस तरह खामोश रहना पसंद नहीं था। जब भी वह काव्या को खामोश देखता तो कोई नए फसाने छेड़ दिया करता। कभी बिना मतलब ढेर सारी बाते कह देता। वह बहुत ही सम्पन्न परिवार से था कभी जिम्मेदारियो का अहसास छू भी नहीं पाया था उसे। बस दोस्तों के साथ पार्टी और मौज मस्ती। जब लाइफ बोरिंग सी हो गई तो अकेले ही निकल पड़ा बैग कंधे पर टांग कर ।उसे जिंदगी से कभी कोई शिकायत नहीं रही और ना ही कोई कमी । उसने जब जो चाहा उसे हासिल हुआ। दुःख की परछाई से भी दूर था वह इसलिए गुम_सुम सी काव्या उसे पसंद नहीं आती थी। वह उसकी चुप्पी तोड़ने की हर संभव कोशिश करता था।
आज भी जब काफी समय तक काव्या को खामोश देखा तो उसने छेड़ दिया उसे।
" काव्या कितने टाइम और हो तुम यहां ? " शिव ने उत्सुकता से पूछा
"बस 2 दिन और फिर घर जाना हैं...मां इंतजार कर रही होगी "
"इतनी जल्दी" शिव की आवाज में नमी थी।
" जल्दी कहां शिव एक महीना हो गया ...कुछ वक्त के लिए तो आई थी पर अब बहुत हो गया ...जिस वजह से आई थी वह वजह मुकम्मल होती नही दिख रही" हल्का सा मुस्कुरा कर काव्या ने कहा।
"कौनसी वजह" शिव ने तनाव से पूछा
काव्या फिर खामोश हो गई। शिव काव्या के जाने से खुश नहीं था। बस दो दिन ही वह उसके साथ था ।अनजाने में ही सही उसे काव्या से लगाव हो गया था। पर वह कभी कह नहीं पाया।
काव्या हमेशा ही कम बात करती शिव चाह कर भी कभी काव्या के इस बर्ताव की वजह नहीं जान पाया। वह हर वक्त काव्या के साथ रहता। काव्या को शिव का साथ बहुत पसंद था। वह जहां जाती शिव को साथ ले जाती ।बहुत बाते करती पर खुद के बारे में कभी कुछ नहीं बताती।
आज मानो शिव सब जान लेना चाहता था ।पर काव्या थी की कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थी। उसने कई बार काव्या की आंखों में नमी देखी थी।
पर वह हर बार टाल देती ।
शिव ने काव्या की चुप्पी देख उसको सहज करने के लिए पूछा
"काव्या तुम्हे याद है क्या हमारी पहली मुलाकात? "
"बात तो ऐसे कर रहे जैसे बरसों पुरानी बात हो" मुस्कुरा कर काव्या ने कहा
"अरे तो क्या हुआ माना की कुछ टाइम ही हुआ है पर याद तो रहना चाहिए ना तुम्हें...अब देखो 2 दिन बाद तुम चली जाओगी और वहा जा कर मुझे भूल गई तो....इसलिए याद करवा रहा पुरानी बातें " मुंह बनाते हुए शिव ने कहा
काव्या प्यारी सी स्माइल के साथ शिव को देखने लगी।उसे याद था वो दिन जब उसने मम्मी पापा को बाय बोलने के बाद वो अपनी सीट की तरफ बढ़ने लगी। जीवन ने पहले ही उसके लिए एसी कोच में ट्रेन की सीट बुक कर ली थी। जब वह अपनी सीट पर पहुंची तो उसकी सीट पर पैर रख एक लड़का सो रहा था। उसने बिना उसे डिस्टर्ब किए अपना सामान रखा और उसके पास खाली जगह पर बैठ गई और खिड़की की तरफ झांकने लगी। पर कुछ देर बाद उस लड़के ने अपने पैर काव्या की गोद में रख दिए । शायद वह नींद में था या जानबूझ के किया ये तो काव्या नहीं जानती थी पर वह उसकी इस हरकत से बहुत गुस्सा हो गई और उसने झटके से उसके दोनो पैर नीचे पटक दिए। वह शक्स एकदम से खड़ा हो गया मानो भूकंप आया हो। उसकी आंखे लाल थी मानो गहरी नींद से उठा हो।
उसने काव्या को देखा तो वह गुस्से में उसकी ओर देख रही थी वह कुछ बोल पाता उससे पहले ही काव्या बोल पड़ी "समझ नहीं आता क्या तुम्हे ....एक तो मेरी सीट पर पैर रख के सो रहे हो और मेरी अच्छाई का फायदा अलग उठा रहे.... जब मेने कुछ नही बोला तो अब छेड़छाड़ पर उतर आए।" काव्या एक सांस में सब कह गई।
वह लड़का नींद में था कुछ समझ पाता इससे पहले ही काव्या को ऐसे गुस्से करते देख उसने बिना कुछ सोचे जट से सॉरी बोल दिया।
" I'm so sorry मुझे नही पता चला आप कब आई ...so sorry ma'am"
उसने इतनी मासूमियत से सॉरी बोला की काव्या आगे कुछ नहीं बोल पाई।
वह शांत हो अपनी सीट पर बैठ गई। पूरे रास्ते में उस लड़के ने काव्या के सामने तक नहीं देखा।
काव्या को अपनी गलती का अहसास हुआ पर वह उसे वापस कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
कुछ देर बाद वह लड़का अपने स्टेशन पर उतर गया।
काव्या अकेले बैठी बैठी सोचती रही ।कुछ वक्त बाद उसका भी स्टेशन आ गया।
वह अपने होटल गई और रेडी हो के जब ब्रेकफास्ट करने पहुंची तो वो लड़का पहले से वहा मौजूद था।
उसने उसे सॉरी बोलने का मन बना लिया पर जैसे ही वह उसकी तरफ बढ़ी वह लड़का डर से खड़ा हो गया ।
काव्या कुछ बोलती उससे पहले ही वह बोल उठा
"देखो मैम मैं आपका पीछा नहीं कर रहा मेने आपसे पहले चेक इन किया है आप चाहे तो पूछ सकती है होटल रेसिप्सनीस्ट से"
काव्या उसके डरे चेहरे को देख खिल खिला कर हँस पड़ी और वह हसती काव्या को एकटक देखता रहा...