ओह्ह्ह्ह माय गोड, वो दरिंदा मेरे से कोई पुरानी जान पहचान निकाल रहा था। वो मुझे पहले से जानता था। पर मुझे तो याद ही नहीं आ रहा। हो न हो ये पियूष ही है जो ये सब कर रहा है। उस हत्यारे के शरीर पर इतने चोट के निशान थे जैसे हर वक्त बस काट-कुटाई में ही लगा रहता है। पियूष के शरीर पर भी निशान होने चाहिए अगर ये और वो हत्यारा एक ही है तो। जरा देखूं??? ना ना... ऐसे ही ठरकी है इस शहर का सबसे बड़ा, कल को कुछ और समझ लिया तो??? अरे निशा, रुक, तूं अपने माथे को कण्ट्रोल कर, अरे रोक अपने कदमों को। तूं कई बार इस आदत के चलते पहले भी मुसीबत में पड़ चुकी है। अरे नहीं, रुक जा निशा की बच्ची।
खुद से बातें करती-करती 'आ बैल मुझे मार' वाली हरकत हमेशा की तरह निशा ने कर ही दी वो बाथरूम की झीरी से, झुककर पियूष को देखने का प्रयास करने लगी। पर अचानक बाथरूम का दरवाजा खुल गया और पियूष ठीक निशा के सामने उस से कुछ इंच की ही दुरी पर था।
निशा को गड़बड़ का एहसास हुआ पर तब तक देर हो चुकी थी वो धीरे-धीरे डरते-डरते सीधी हुई। पियूष की आँखों में देखने पर उसने पाया कि पियूष उसे ही घूर रहा था। निशा बुरी तरह सकपका गयी थी।
"व..वो....म.... मैं.....आ.... आपकी ब.... बॉडी द... देख रही थी। आ....आप अचानक आ गए तो म.... मैं......" निशा बुरी तरह हकलाने लगी। वो ठीक से बोल न पा रही थी। कमरे में ए.सी. चल रहा था फिर भी वो पसीना-पसीना हो गयी।
पियूष ने उसकी एक पसीने की बूँद जो उसके ललाट पर से अठखेलियां करती हुई नीचे आ रही थी, को अपनी तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) पर ले लिया और उसे देखते हुए बड़े ही मादक स्वर में बोला -" अरे मिस निशा, आपको मेरी बॉडी देखना इतना अच्छा लगता है तो मुझसे कहती न। मैं आपको करीब से दिखाता, बल्कि बहुत गौर से दिखाता। मुझे इसमें खुशी होती।
निशा घबरा कर पीछे हटने लगी उसे पता ही न चला कि वो हटते हटते दीवार के सट गयी और पियूष उसके इतना करीब आ गया कि वो उसकी धड़कनें सुन पा रही थी।
पियूष ने अपने हाथ दीवार पर रख दिए कि निशा हिल भी न पा रही थी। उसकी साँसे अटक गयी। उसके गले से मिमियाहट निकली -" मैं शोर मचा दूंगी।"
पियूष -" ओह्ह्ह, ऐसा क्या?? पर आपके गले से तो आवाज ही नहीं निकल रही मिस निशा। तो आप शोर किस तरह मचाएंगी?? वैसे भी आप मेरे रूम में हो, मैं आपके रूम में नहीं।लोग पूछेंगे तो क्या जवाब दोगी?? लोग तो दो और दो जोड़कर 8 कर ही लेंगे।
निशा बुरी तरह से घबराती जा रही थी। उसे लगा अब उसका हार्ट फैल ही होने वाला है। वो फिर से मिमियाई - " प्लीज सर।"
पियूष कुटिलता से मुस्कुराया -" क्या प्लीज, इसे मैं ऑफर समझूं या रिजेक्शन?? कुछ समझ ही नहीं आ रहा। आप क्लियर करेंगी???
निशा सिर्फ उसकी आँखों में देखती जा रही थी। पियूष वापस बोला-" तो ऐसा है मिस निशा आपने मुझे इतनी रात डिस्टर्ब किया तो आपको पनिशमेंट तो मिलनी ही चाहिए।" ऐसा कहते हुए पियूष उसके और करीब आने लगा। निशा ने अपनी आँखें कसके बंद कर ली।
अब उसकी आँखों में आंसू आने लगे थे। पर जब काफी देर तक कुछ भी न हुआ तो उसने आँखें खोली। वो चौंक गयी कि पियूष तो बिस्तर पर लेटा हुआ है और उसे देख रहा है। वो बोला -" तो मिस निशा आपकी पनीशमेन्ट ये है कि अब आपने इतनी भागादौड़ी कराई तो मेरे पैर दर्द कर रहे हैं, तो आप मेरे पैर दबाएंगी आधे घंटे तक, और चुपचाप नीचे चटाई पर सो जाएँगी क्यूँकि बिस्तर पर तो मैं सोऊंगा। हाँ, अगर आप मेरे साथ बैड शेयर करने में खुशी महसूस करे तो आपको पैर दबाने की भी कोई जरुरत नहीं।"
पियूष कहते-कहते धूर्त भाव से हंसने लगा पर निशा को ये सुनकर गुस्सा आ गया और वो तुरंत जाकर उसके पैर दबाने लगी। पियूष हंसने लगा -" आउउउ, मिस निशा, धीरे, सारा गुस्सा पैरों पर मत निकालो। कल हमें इन्हीं पैरों के सहारे साइट देखने चलना है।"
अब निशा को ठंडे फर्श पर रात को चटाई पर सोना था पर इस कमीने के साथ बिस्तर शेयर करना.... ना कोई चांस नहीं। थोड़ी देर बाद निशा फर्श पर तकिये के सहारे सोने की कोशिश कर रही थी। कुछ देर बाद उसे नींद भी आ गयी।
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सुबह काफी लेट उसकी नींद टूटी। उनींदी आँखों से उसने अपने सामने दो डरावनी आँखों को घूरते हुए पाया। वो चौंक कर उठ गयी। सामने पियूष था जो एकदम पास से उसको घूर रहा था चुपचाप, एकदम चुपचाप। वो पियूष की बड़ी-बड़ी आँखें देखकर डर गयी थी। पियूष एकदम सूटेड-बूटेड था। वो बोला-" मिस निशा, आलरेडी बहुत लेट हो गयी है आप रेडी हो जाइये। आपके कपडे़ वार्डरॉब में रखे हुए हैं। जल्दी कीजिये, हमें निकलना है।"
निशा ने पाया कि वो अभी बैड पर थी उसने पुछा -" सर, वो मैं, सोई तो फर्श पर थी, तो मैं यहाँ कैसे आयी??"
अच्छा वो!! बड़ी बद्तमीज है आप तो, रात को नींद में चल कर ऊपर आयी और मुझसे चिपटने लगी। अपनी इज्जत बचाने के लिए मुझे तो फिर पूरी रात बाथरूम में निकालनी पड़ी। आप रात में इतनी वहशी हो जाती है???"
निशा को गुस्सा आ गया। वो अब कड़ाई से बोली -" देखिये सर, मैं मजबूर हूँ। आपकी एम्प्लोयी हूँ। इतना यकीन है खुद पर कि ऐसी हरकत नहीं कर सकती। आप कब से मुझे टार्चर कर रहे हैं। मैं चुपचाप बर्दाश्त कर रही हूँ। पर अब मेरी लिमिट क्रॉस हो रही है। मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा। या तो आप मुझे नौकरी से निकाल दीजिये या मुझसे ऐसे भद्दे मजाक बंद कीजिये।"
To be continued.....